सौजन्य- मनोहर कहानियां
लेखक- निखिल अग्रवाल
निकिता और तौसीफ के मामले में प्यार या दोस्ती जैसा कुछ नहीं था. फिर भी सवाल यह उठता है कि ज्यादातर मुसलिम युवक शादी के मामले को ले कर हिंदू युवतियों से धर्म परिवर्तन की बात क्यों करते हैं? ऐसी 5 कहानियां ‘मनोहर कहानियां’ के पिछले 2 अंकों में छपी हैं. क्या ये लव जिहाद नहीं है? अगर ऐसा नहीं है तो क्यों...
बीते 26 अक्तूबर की बात है. शाम के करीब 4 बजने वाले थे. निकिता तोमर अपनी सहेली के साथ परीक्षा दे कर बल्लभगढ़ के अग्रवाल कालेज से बाहर निकल रही थी. उन का पेपर पौने 4 बजे खत्म हुआ था.
निकिता बीकौम आनर्स फाइनल ईयर की छात्रा थी. उस का पेपर अच्छा हुआ था. फिर भी वह सहेली से एकदो सवालों के आंसर को ले कर संतुष्ट हो जाना चाहती थी.
दोनों सहेलियां पेपर में आए सवालों पर बात करते हुए कालेज के बाहर सड़क पर निकल आईं. सड़क पर कोई ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. कालेज से परीक्षा दे कर बाहर निकली छात्राओं के अलावा कुछ वाहन आजा रहे थे. कुछ छात्राओं को उन के घर वाले लेने आए थे. कुछ अपने खुद के वाहन से आई थीं, तो कुछ आटोरिक्शा वगैरह से जा रही थीं.
निकिता को कालेज से लेने के लिए उस का भाई नवीन आने वाला था. इसलिए वह अपनी सहेली के साथ सड़क पर एक तरफ खड़ी हो कर भाई का इंतजार करने लगी.
उन्हें खड़े हुए एकदो मिनट ही हुए थे कि वहां एक कार आ कर रुकी. कार में 2 युवक थे. एक गाड़ी चला रहा था और दूसरा उस के पास वाली सीट पर बैठा था.