सौजन्य: सत्यकथा
Writer- शाहनवाज
8जून, 2021 का दिन था. केरल में पलक्कड़ जिले के एक छोटे से गांव अयालुर का रहने वाला
बशीर अपने काम से पास के छोटे शहर, विथानासेरी जाने के लिए घर से निकला. पेशे से ड्राइवर बशीर अकसर विथानासेरी आया करता था.
बशीर के गांव अयालुर से विथानासेरी गांव की दूरी सिर्फ 7 किलोमीटर (15 मिनट) ही थी. बशीर जो मिनीट्रक चलाया करता था, वह उस का खुद का नहीं था. उस का काम मालिक के कहे अनुसार ट्रक में सामान लोड करवा कर कहे गए एड्रेस पर पहुंचाना था.
विथानासेरी पहुंच कर बशीर ने अपने जानकार की दुकान पर मिनीट्रक में लोड किया हुआ सामान उतरवाया और अयालुर वापस जाने के लिए उस ने ट्रक घुमाया ही था कि उसे सड़क के दूसरी ओर बाइक पर सवार एक आदमी दिखाई दिया.
उस की बाइक की पिछली सीट पर काले रंग का मध्यम साइज का बैग, उस के कंधों से लटका हुआ था. उस ने अपने सिर पर हेलमेट नहीं पहना था और वह धीमी रफ्तार से बाइक चला रहा था.
बाइक चालक को देख कर बशीर एकदम से एक पल के लिए हैरान रह गया था. वह उसे देख कर कुछ पलों के लिए मानो थम सा गया.
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बशीर को उस के चेहरे में कुछ अपनापन सा महसूस हुआ. उसे देख कर वह अपने मन में खुद से सवाल पूछने लगा, ‘क्या ये वही है? लग तो वही रहा है. अगर यह वो नहीं हुआ तो..?’
मन ही मन खुद को सवालों के घेरे में डालते हुए उस ने देखा कि बाइक सवार की आंखें उस की आंखों से जा मिलीं.
आंखें मिलते ही बाइक सवार ने अचानक से अपनी स्पीड तेज कर ली. उस के चेहरे के हावभाव अचानक से बदल गए थे. यह देख कर बशीर ने अपने मन में फिर से कहा, ‘हां हां, यह वही है. पक्का वही है.’
उस की हरकत देख कर बशीर को यकीन हो गया था कि वह जो सोच रहा था, वह वही निकला.
इतने में तेजी से बाइक चलाते हुए वह शख्स आगे निकल गया. यह देख कर बशीर ने चीखते हुए उसे आवाज लगाई, ‘‘रहमान…रहमान… रुक जा रहमान.’’
बशीर को चीखता देख आसपास के लोग भी अचानक से सचेत हो गए थे. लेकिन बशीर ने किसी ओर ध्यान न देते हुए अपने मिनीट्रक को दोबारा से घुमाया और रहमान का पीछा करने लगा.
कुछ देर तक उस का पीछा करने के बाद, उस ने देखा कि रहमान ने अपनी बाइक शहर में उन संकरी गलियों की तरफ मोड़ ली, जहां पर उस का मिनीट्रक ले जाना मुमकिन नहीं था.
लेकिन बशीर ने फिर भी हार नहीं मानी. उस ने गली के मुहाने पर अपनी मिनीट्रक खड़ी की और भागते हुए गली में बाइक का पीछा करने लगा.
कुछ देर तक भागने के बाद बशीर की सांसें फूलने लगीं तो वह धीमा हो गया और अंत में हांफते हुए गली में एक घर के सामने जा कर बैठ गया.
उस की आंखों के सामने से रहमान धीरेधीरे ओझल होता हुआ नजर आया, लेकिन अफसोस वह अब और उस का पीछा नहीं कर पाया.
कुछ देर तक वहां सुस्ता कर जब उस के फेफड़ों में दोबारा से जान आई तो वह भारी कदमों से अपनी गाड़ी तक गया और अपने गांव वापस आ गया.
दरअसल, बशीर विथानासेरी में जिस शख्स के पीछे भाग रहा था, वह कोई अनजान इंसान नहीं था, बल्कि वह उस का छोटा भाई रहमान था. रहमान 2 मार्च को अपने घर से अचानक से गायब हो गया था. बड़े भाई बशीर और घर वालों ने रहमान के लापता होने की सूचना भी नेम्मारा पुलिस थाने में लिखवाई थी. जिस के बाद रहमान को ढूंढने के लिए सर्च औपरेशन भी चला था.
कुछ समय तक परिवार और पुलिस ने मिल कर रहमान को बहुत ढूंढा, लेकिन वह नहीं मिला. परिवार इस बात से काफी सदमे में था कि रहमान के इस तरह से घर छोड़ जाने की कोई खास वजह नहीं थी. बल्कि रहमान की मानसिक स्थिति पर उन को शक होता था कि वह मानसिक रूप से बीमार है.
बशीर के साथ शहर में जो कुछ हुआ था, उस ने यह बात अपने घरवालों को बताई. बशीर और रहमान के पिता मोहम्मद करीम और मां अथिका को यह खबर सुन कर खुशी तो हुई लेकिन उस से भी कहीं ज्यादा उन्हें आश्चर्य हुआ कि 3 महीनों बाद अचानक से रहमान दिखाई दिया पर वह बशीर को देख कर भाग क्यों गया?
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यह सवाल उन के दिमाग में शक के गहरे बीज बोने लगा था. इस शक को दूर करने के लिए पिता मोहम्मद करीम ने बशीर को नेम्मारा थाने में फिर से जाने के लिए कहा और रहमान को ढूंढने के लिए पुलिस की मदद लेने की सलाह दी.
बशीर ने वैसा ही किया. वह नेम्मारा थाने गया और थानाप्रभारी से मिल कर उस ने विस्तार से बीते कल की घटना का ब्यौरा दिया. बशीर ने थानाप्रभारी से रहमान की गुमशुदगी की बंद पड़ी फाइल को दोबारा से खोलने का निवेदन किया और वे मान गए.
थानाप्रभारी ने वक्त न गंवाते हुए पुलिसकर्मियों की कई टीमों का गठन किया और उस जगह पर छानबीन करनी शुरू दी, जहां पर रहमान को आखिरी बार देखा गया था.
लगातार 2 दिनों की तलाश के बाद पुलिस ने अंत में रहमान को ढूंढ ही निकाला. उसे उसी गली में एक मकान से ढूंढ निकाला गया, जहां पर बशीर ने उसे आखिरी बार देखा था. वह एक लड़की के साथ उस मकान में किराए पर रह रहा था.
रहमान की तलाश पूरी होने के बाद पुलिस ने उसे स्थानीय कोर्ट में पेश किया. जहां पर रहमान ने न्यायाधीश, पुलिस और अपने परिवार के सामने यह बात कुबूल की कि वह जानबूझ कर 3 महीने पहले मार्च में अपने घर से बिना किसी को बताए निकल गया था.
उस ने बताया कि वह एक लड़की से प्यार करता था और उसी के साथ वह पूरी जिंदगी गुजारना चाहता था.
लेकिन वह लड़की दूसरे धर्म की होने की वजह से उसे इस बात का डर था कि उस के परिवार वाले उस के रिश्ते को मंजूरी नहीं देंगे. जिस की वजह से उसे अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.
यह सुन कर माननीय अदालत ने पुलिस को रहमान की प्रेमिका को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए. अगले दिन जब रहमान की प्रेमिका साजिता कोर्ट में दाखिल हुई तो रहमान के घर वाले उसे देख कर हैरान रह गए.
साजिता को देख कर वे हक्केबक्के रह गए कि उन्हें ऐसा महसूस होने लगा जैसे मानो उन के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो.
रहमान की प्रेमिका साजिता वही लड़की थी, जो 11 साल पहले एक दिन अचानक अपने घर से लापता हो गई थी. जिस के बाद उस का कहीं कोई नामोनिशान नहीं मिला था.
दरअसल साजिता भी रहमान के गांव की रहने वाली थी. साजिता का घर रहमान के घर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर ही था. 11 सालों के बाद एक दिन अचानक साजिता का इस तरह से अवतरित हो जाना किसी करिश्मे से कम नहीं था.
यह बात फैलने में ज्यादा समय नहीं लगा. जब साजिता के मातापिता शांता और वेलायुधन को साजिता के दोबारा से मिलने की खबर मिली तो वह भी उसी तरह से हैरानपरेशान थे जिस तरह हर कोई था.
साजिता के मातापिता बहुत पहले ही अपनी बेटी को मरा हुआ समझ बैठे थे. उन्होंने साजिता के वापस आने की हर उम्मीदों को खो दिया था.
लोगों के मन में रहमान साजिता के मिलने की खुशी से ज्यादा सवाल उठ रहे थे. लोग सोच रहे थे कि 11 साल पहले लापता हुई साजिता आखिर इतने समय से थी कहां?
साजिता को ढूंढने के लिए परिवार समेत पुलिस के सारे तरीके नाकाम साबित हुए थे. आखिर साजिता इतने समय तक किस के साथ छिपी थी?
साजिता को कोर्ट में पेश किए जाने के बाद दोनों ने माननीय न्यायाधीश के सामने अपनी प्रेम कहानी बताई, जिसे सुन कर सब की आंखें खुली रह गईं.
साजिता रहमान के साथ रहने के लिए 11 साल पहले अपना घर छोड़ कर भागी जरूर थी, लेकिन वह कभी भी अपने गांव से बाहर ही नहीं निकल पाई.
घर से निकलने के बाद साजिता 11 सालों से रहमान के साथ उसी के घर में, उस के कमरे में ही रह रही थी जिस की किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई.
रहमान और साजिता की यह अनोखी प्रेम कहानी उस समय शुरू हुई, जब वे दोनों ही अपनी किशोरावस्था में थे. वे दोनों एक ही गांव में, आसपड़ोस में रहते थे. दोनों के घर के बीच 500 मीटर से भी कम की दूरी थी. उन के घरपरिवार के आर्थिक हालात भी एक जैसे ही थे.
साजिता और रहमान दोनों ने ही गांव के सरकारी स्कूल से अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की थी, जिस के बाद रहमान ने परिवार की स्थिति को देखते हुए गांव में एक इलैक्ट्रीशियन से बिजली का काम सीख लिया और साजिता ने अपने घर में ही छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था.
उम्र में रहमान साजिता से मात्र 5 साल ही बड़ा था. वैसे तो रहमान और साजिता बचपन से ही एकदूसरे को जानते थे, लेकिन उन के बीच बातचीत तब शुरू हुई जब एक दिन रहमान उस के घर पर बिजली ठीक करने आया था. और ऐसा भी नहीं था कि दोनों के परिवार एकदूसरे को न जानते हों.
छोटे गांवों में आसपड़ोस में रहने का यही तो फायदा होता है कि वहां हर कोई एकदूसरे को जानतापहचानता और समझता है.
अगले भाग में पढ़ें- साजिता और रहमान के घर वाले भी गहरी नींद में थे सिवाय उन दोनों के…