(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)
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रिंकू को बुलाते वक्त वह इस बात का ध्यान रखती थी कि उस का और चेतन का आमनासामना न हो. वह यह भी नहीं चाहती थी कि चेतन और उस के संबंधों का राज रिंकू पर खुले, क्योंकि रिंकू भी उस पर खुले हाथ से पैसा खर्च कर रहा था.
रिंकू भी प्रीति की कसी देह और अदाओं पर मर मिटा था. उस का इरादा विदेश में कहीं बस कर कारोबार करने का था. यह बात जान कर प्रीति को लगा कि अब वक्त आ गया है कि चेतन से जितना हो सके, पैसा झटक लो और फिर रायपुर से उड़नछू हो जाओ.
लेकिन एक दिन उस वक्त गड़बड़ हो गई जब सरप्राइज देने की गरज से रिंकू हरियाणा से बिना बताए प्रीति के घर जा पहुंचा और वह भी सीधे बैडरूम में, जहां चेतन और प्रीति गुत्थमगुत्था पड़े थे.
पोल खुल गई तो प्रीति घबरा उठी कि रिंकू अब पता नहीं क्या करेगा. चेतन बहुत कुछ समझने की कोशिश करते हुए चुपचाप कपड़े पहन कर चले गए तो प्रीति ने रिंकू को सब कुछ साफसाफ बता देने में ही बेहतरी समझी.
उसे उम्मीद या डर था कि रिंकू उस पर गरजेगाबरसेगा, बेवफाई का इल्जाम लगा कर उलटे पांव हरियाणा लौट जाएगा लेकिन रिंकू उस का भी उस्ताद निकला. उस ने उसे अपनी बांहों के शिकंजे में कस कर धीरे से कहा कि जब उसे लूट ही रही हो तो पूरा लूट लो फिर हम दोनों इत्मीनान से विदेश में जा कर बस जाएंगे.