मानपाडा , घोरबंदर रोड , ठाणे, के थोड़ा नए , सुनसान जगह में निम्न वर्ग के लिए  नयी बनी एक आम सी हाउसिंग सोसाइटी , नीलकंठ , की एक बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर के फ्लैट में दो प्लास्टिक की चेयर्स पर बैठे सुमन सिंह  और अजय हेगड़े,बेड पर पड़ी अनिल की लाश को देखते , फिर एक दूसरे को , जैसे कोई महान  काम अंजाम दे दिया हो . सुमन ने कहा ,'' अजय , ये जनता कर्फ्यू तो नौ बजे ख़तम हो जायेगा , इसे रात को ठिकाने लगा पाएंगे न ?''

''हाँ , सुमन , कुछ दूरी पर नयी बिल्डिंग बन रही थी , आजकल काम बंद है , वहीँ गड्ढा खोदकर इसे दबा देंगें , बस , अब इसे बड़े सूट केस में भर लेते हैं .'' सुमन ने फिर एक बार लाश को देखा , बदन में एक झुरझुरी सी हुई . अनिल के साथ पांच सालों के वैवाहिक जीवन का अंत ऐसे होना था , यह कभी सोचा नहीं था . वह यूँ ही पानी पीने उठ गयी , अजय भी पीछे पीछे उठा , और उसकी कमर में  हाथ डाल दिया ,बोला ,''क्यों परेशान हो रही हो , डिअर ? चार साल से इसी दिन का तो इंतज़ार किया है , हमारे प्यार के बीच कीअब सब दीवार हट चुकी हैं, . '' सुमन पलटी और उसके गले लग गयी . सुमन और अजय फिर भविष्य की योजनाएं बनाते रहे , रिश्तेदारों  और पड़ोसियों को क्या कहना है , रोने की कितनी एक्टिंग करनी है .अनिल बिहार के हाजीपुर से मुंबई आया था , वह और अजय एक आइस फैक्ट्री में काम करते थे , कोरोना के टाइम अनिल के रिश्तेदार बिहार के गावों  से मुंबई आने से रहे , उसके माता  पिता थे नहीं , भाई बहन थे , वे कहाँ आ पायेंगें , इसलिए दोनों ने अनिल को मारने का यही समय चुना था . आजकल लोग कोरोना वायरस के चलते डरे सहमे से थे . बिल्डिंग का जो चौकीदार रहता  , वह भी अपने गांव जा चुका था .

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