क्रिकेट ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप: भारत ने सिखाया चैंपियन होने का सबक

30 गेंदों पर 30 रन. हाथ में 6 विकेट. बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ी का नाम हेनरिच क्लासेन जो खड़ेखड़े लंबे छक्के मारता है और डेविड मिलर जिसे बेहतरीन मैच फिनिशर कहा जाता है. मुकाबला जब ट्वैंटी20 का हो और ऐसे हालात हों तो कोई भी सोच सकता है कि रिजल्ट क्या होना चाहिए.

ऐसे में कुछ और भी दिलचस्प बात याद आई. साल 2014 और जगह दुबई. क्रिकेट अंडर19 वर्ल्ड कप का फाइनल मुकाबला. दक्षिण अफ्रीका ने तब पाकिस्तान को हरा कर यह खिताब अपने नाम किया था. कप्तान का नाम था एडेन मार्करम.

अब साल 2024 और जगह बारबाडोस. ट्वैंटी20 क्रिकेट का फाइनल मुकाबला. दक्षिण अफ्रीका बनाम भारत. कप्तान का नाम फिर एडेन मार्करम. दक्षिण अफ्रीका को 30 गेंद पर महज 30 रन चाहिए थे और तब लगा था कि इस बार जीत का सेहरा दक्षिण अफ्रीका के सिर पर बंधेगा और उस का सीनियर क्रिकेट में वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना पूरा हो जाएगा.

पर सामने थी रोहित शर्मा की मजबूत इरादों से लबरेज टीम, जिस ने इस फाइनल मुकाबले को फाइनल पलों में दक्षिण अफ्रीका के हलक से छीन लिया और दूसरी बार ट्वैंटी20 वर्ल्ड चैंपियन बन गई. इस से पहले महेंद्र सिंह धौनी की अगुआई में भारत ने साल 2007 में यह कारनामा किया था.

यह वर्ल्ड कप भारत के 2 खिलाड़ियों के लिए बहुत खास था, रोहित शर्मा और विराट कोहली, क्योंकि वे इस के बाद क्रिकेट के ट्वैंटी20 फौर्मेट को अलविदा कहने वाले थे और उन्होंने ऐसा किया भी.

फाइनल मुकाबले में बल्लेबाजी में एक छोर संभालने वाले ‘किंग कोहली’ विराट कोहली ने नम आंखों से नए खिलाड़ियों को शुभकामनाएं देते हुए इस फौर्मेट में अपने बल्ले को विराम दिया, तो ‘शर्माजी के बेटे’ रोहित शर्मा ने भी थोड़ी देर के बाद ट्वैंटी20 फौर्मेट से संन्यास ले लिया. ‘रोको’ (रोहित और कोहली) की यह जोड़ी अपने आखिरी ट्वैंटी20 मैच में इतिहास रचने के बाद किसी फिल्मी अंदाज में अमर हो गई है.

रोमांच से लबरेज फाइनल मुकाबला

अब बात करते हैं फाइनल मुकाबले की, जिस के लिए हम ने इतनी बड़ी भूमिका बांधी है. 29 जून, 2024 को बारबाडोस में बने किंग्स्टन ओवल के मैदान पर भारत और दक्षिण अफ्रीका आमनेसामने थे, जिन्होंने इस वर्ल्ड कप में अपना एक भी मैच नहीं हारा था.

भारत ने टौस जीत कर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला लिया, पर शुरुआत में वह फैसला गलत साबित होता दिखा, क्योंकि भारत ने अपने पहले 3 विकेट महज 34 रनों पर गंवा दिए थे, जिन में कप्तान रोहित शर्मा (9 रन ), ऋषभ पंत (0 रन) और सूर्यकुमार यादव (3 रन) शामिल थे.

पर दूसरी तरफ विराट कोहली (76 रन) खड़े थे और उन्होंने अपने मजबूत इरादों और अक्षर पटेल (47 रन) की ताबड़तोड़ बल्लेबाजी से भारतीय टीम की पारी को संभाला. बाद में एक छोटी, पर आतिशी पारी शिवम दुबे (27 रन) के बल्ले से आई और भारत ने 20 ओवर में 7 विकेट खो कर 176 रन बनाए, जो फाइनल मैच में दक्षिण अफ्रीका को टक्कर देने के लिए काफी लग रहे थे.

पर चूंकि दक्षिण अफ्रीका की टीम भी इस खिताब को हासिल करने के लिए मचल रही थी, लिहाजा भारतीय टीम का गेंदबाजी पक्ष मजबूत होने के बावजूद रोहित शर्मा कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे और उन्होंने फील्ड पर किसी खिलाड़ी को भी कोई गलती न करने की प्रेरणा दे कर गेंद अर्शदीप सिंह को थमाई.

भारत ने जल्दी ही मैच पर अपनी पकड़ बना ली थी और दक्षिण अफ्रीका के 2 बल्लेबाजों रीजा हेंड्रिक्स (4 रन) और एडेन मार्करम (4 रन) को सस्ते में आउट कर दिया. पर दूसरी तरफ क्विंटन डी कौक (39 रन) जमे हुए थे. ट्रिस्टन स्टब्स (31 रन) ने उन का अच्छा साथ दिया, पर एक बार को भारत के हाथ से मैच खींचने में कामयाब दिखने वाले बल्लेबाज हेनरिच क्लासेन (52 रन) ने भारतीय गेंदबाजों को निराशा की कगार पर खड़ा कर दिया था, क्योंकि जब वे आउट हुए तब दक्षिण अफ्रीका को 24 गेंद पर महज 26 रन चाहिए थे और उस के हाथ में 5 विकेट थे, जबकि एक छोर पर ‘किलर मिलर’ डेविड मिलर खड़े थे, पर उन आखिरी ओवरों में भारतीय गेंदबाजों ने गजब की गेंदबाजी की और जब हार्दिक पांड्या और मैच के आखिरी ओवर की पहली गेंद पर डेविड मिलर के छक्के को सूर्यकुमार यादव ने एक यादगार कैच में बदला, तो भारत ने तभी जीत सूंघ ली थी और ऐसा हुआ भी. भारत यह मुकाबला 7 रन से जीता और ट्रॉफी भी अपने नाम कर ली.

आंसुओं में डूबा भारतीय खेमा

आप सोचिए कि मैच जीतने के बाद जब रोहित शर्मा ने तिरंगा मैदान में गाड़ दिया था, तब उन ने दिल में भावनाओं का उफान किस हद तक मचल रहा था. भारतीय टीम का हर खिलाड़ी खुशी के आंसुओं से अपने पसीने में और चमक ला रहा था.

भारत के लिए यह टूर्नामैंट इस लिहाज से भी ऐतिहासिक था, क्योंकि राहुल द्रविड़ अब भारतीय कोच का पद छोड़ देंगे और जब उन के हाथ मे चमचमाती ट्रॉफी आई तो वे भी भावुक हो गए. उन्होंने हर खिलाड़ी को किसी अभिभावक की तरह गले से लगाया.

रोहित शर्मा जमीन पर लेट गए थे तो विराट कोहली हाथ में तिरंगा लिए ठुमकते हुए अपनी सैल्फी ले रहे थे. जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या मोहम्मद सिराज के अलावा दूसरे तमाम खिलाड़ियों की आंखों में आई नमी ने बता दिया था कि यह जीत उन के लिए कितनी खास है.

तिकड़ी ने लिया संन्यास

अभी वर्ल्ड कप जीतने की खुशी का एहसास ही हुआ था कि भारतीय टीम के 3 दिग्गज खिलाड़ियों रोहित शर्मा, विराट कोहली और रवींद्र जडेजा ने ट्वैंटी20 क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया.

विराट कोहली को फाइनल मुकाबले में शानदार बल्लेबाजी करने के चलते ‘मैन औफ द मैच’ का खिताब दिया गया था. वहीं उन्होंने बता दिया था कि यह आखिरी ट्वैंटी20 इंटरनैशनल मैच है.

विराट कोहली ने कहा, ”यह मेरा आखिरी ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप था. हम यही अचीव करना चाहते थे. शानदार गेम. रोहित के साथ ओपनिंग पर जाते हुए मैं ने उन से कहा था, किसी दिन आप को लगता है कि अब रन नहीं बनेंगे, फिर आप बैटिंग करने जाते हैं और रन आने लग जाते हैं… मैं शुक्रगुजार हूं कि टीम को जब सब से ज्यादा जरूरत थी, तब मैं परफौर्म कर सका.”

इसी तरह रोहित शर्मा ने भी कहा, ”मेरा भी यह आखिरी ट्वैंटी20 था
इस फौर्मेट को अलविदा कहने का इस से बेहतर समय नहीं हो सकता. मैं ने कैरियर का हर मोमैंट एंजौय किया. मैं ने अपना इंटरनैशनल कैरियर इसी फौर्मेट से शुरू किया. मैं यही चाहता था, मैं कप जीतना चाहता था.

“मेरे पास शब्द नहीं हैं. मेरे लिए यह बहुत इमोशनल मोमैंट है, मैं आईसीसी ट्रॉफी किसी भी हाल में जीतना चाह रहा था. खुश हूं कि हम ने फाइनली यह कर दिखाया.”

आलराउंडर क्रिकेटर रवींद्र जडेजा ने अपने संन्यास पर यह पोस्ट लिखी, ‘कृतज्ञता से भरे दिल के साथ, मैं ट्वैंटी20 इंटरनैशनल को अलविदा कहता हूं. गर्व के साथ दौड़ने वाले एक दृढ़ घोड़े की तरह, मैं ने हमेशा अपने देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है और दूसरे फौर्मेट में भी ऐसा करना जारी रखूंगा. ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप जीतना एक सपने के सच होने जैसा था, मेरे ट्वैंटी20 इंटरनैशनल कैरियर का शिखर. यादों, उत्साह और अटूट समर्थन के लिए धन्यवाद. जय हिंद.’

जीत से मिली सीख

भारत ने यह कारनामा कर दिया है. पर इस मील के पत्थर पर बड़ा सा संदेश भी लिखा है कि कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, फिर वह खेल हो या जिंदगी. जब दक्षिण अफ्रीका को 30 गेंद पर सिर्फ 30 रन बनाने थे, तब कंप्यूटर जीतने वाली टीम के ग्राफ में दक्षिण अफ्रीका को ऊपर रख रहा था. उस समय भारत की जीत की उम्मीद 4 फीसदी से भी कम बताई जा रही थी. पर जैसा कि रोहित शर्मा का अपनी टीम को संदेशा था कि आखिरी गेंद तक हार नहीं माननी है, तो पूरी टीम ने वही जज्बा बरकरार रखा और सामने वाले की छोटी सी गलती को भी लपक लिया, जिस में हेनरिच क्लासेन का विकेट के पीछे और डेविड मिलर का बाउंड्री पर पकड़ा गया कैच मैच का रुख भारत की तरफ मोड़ने में मददगार साबित हुआ.

जब हम टीमवर्क के तहत कोई काम करते हैं, तब हमें अपने रोल का बखूबी पता होना चाहिए और साथ ही यह भी ध्यान रखना होता है कि हालात कितने भी उलट क्यों न हों, हमें अपना सौ फीसदी देना है. यही वजह थी कि भारत की जीत का वह 4 फीसदी जीत का ग्राफ एकदम से सौ फीसदी में बदल गया.

किसी भी टीम में यह बदलाव एक दिन में नहीं आता है. इस में टीम लीडर का खास रोल होता है, जो सामने खड़ा हो कर पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेता है और बाकी लोगों को बोलता है कि रिजल्ट की परवाह किए बिना वह सब पूरी शिद्दत से करो, जो तुम मैदान पर कर सकते हो.

यही सब जिंदगी के हर क्षेत्र में भी काम आता है, जब हम अपने लीडर को निडरता से कोई काम करते देखते हैं और वह हमें बिना किसी लागलपेट के हमें सपोर्ट करता है, तो काम के कामयाब होने चांस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं.

यह जो बदलाव भारतीय क्रिकेट टीम में दिखा है और जीतने के जज्बे को जो नए पंख मिले हैं, वैसा ही कुछ हर किसी की जिंदगी में भी हो, इसी उम्मीद के साथ… फिलहाल तो आप इस जीत का मजा लीजिए और क्रिकेट का लुत्फ उठाइए.

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