सेक्स पावर बढ़ाने की दवाइयों से रहें दूर, हो सकते हैं ये नुकसान

आप ने ऐसे कई विज्ञापन देखे होंगे जिन में सेक्स समस्याओं को खत्म करने और सेक्स पावर बढ़ाने की दवाओं के बारे में बताया जाता है. यों तो सेक्स पावर बढ़ाने का दावा कई दवा कंपनियां करती हैं, लेकिन सवाल है कि इन पर कितना विश्वास किया जाए. इस पर विचार करें. लेकिन आंखें बंद कर के भरोसा न करें. आप को ऐसे विज्ञापनों से सावधान रहने  की जरूरत है.

1.  बौडी पर बुरा प्रभाव 

ऐसी दवाएं किसी मान्यताप्राप्त लैब में नहीं, बल्कि झोलाछाप नीमहकीमों द्वारा बनाई जाती हैं, जिन्हें दवा बनाने की कोई साइंटिफिक जानकारी नहीं होती. इधरउधर, गांव के बुजुर्गों से मिले अधकचरे ज्ञान के आधार पर वे इन्हें तैयार करते हैं. दवा में किस चीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए और कौन सी 2 चीजें एक ही दवाई में होने पर रिएैक्ट करेंगी, इस बारे में भी इन लोगों को कोई जानकारी नहीं होती है.

ये दवाएं सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त भी नहीं होती हैं. यही वजह है कि जब इन का सेवन किया जाता है तो ये शरीर पर गलत असर डालती हैं. कई बार तो इन के सेवन से धीरेधीरे शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते हैं. इसलिए वही दवाएं लें जो आप की समस्या के अनुसार मान्यताप्राप्त डाक्टर द्वारा दी गई हों.

2.  डोज का सही होना जरूरी

परेशानी चाहे तन से जुड़ी हो या मन से, उस का निवारण तभी हो सकता है जब उस की काट के लिए दवा सही मात्रा में ली जाए. इस के लिए जरूरी है कि सही डाक्टर से उचित देखरेख में ही यह काम किया जाए. लेकिन झोलाछाप, ओझा आदि पैसे बनाने के लिए और अधिक से अधिक दवा की बिक्री के लिए ज्यादा डोज लेने को कहते देते हैं. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि इस से मरीज की सेहत पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा. इन चक्करों में पड़ने से बचें.

3. दवा के साइड इफैक्ट्स

कामोत्तेजना बढ़ाने वाली वियाग्रा जैसी कई दवाओं के भ्रामक विज्ञापन अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं और युवा पीढ़ी इस ओर जल्द आकर्षित होती है और इन दवाओं का सेवन शुरू करती है. थोड़ा सा असर दिखने पर युवाओं को यह एक नशे के जैसा लगने लगता है और वे खुद ही इस की मात्रा बढ़ा देते हैं ताकि और मजे लिए जा सकें. मजे का तो पता  नहीं लेकिन इन दवाओं का साइड इफैक्ट होने लगते हैं और मरीज को थकान व कमजोरी जैसी समस्याएं महसूस होने लगती हैं. ऐसी कोई भी दवा लेने से बचें और अगर ले रहे हैं तो उन दवाओं के बारे में इंटरनैट पर पूरी जानकारी लें और फिर सोचविचार के बाद ही उन्हें खरीदने के बारे में सोचें.

4. अति हर चीज की बुरी

सेक्स पावर बढ़ाने जैसी कई दवाओं के विज्ञापन आएदिन छपते रहते हैं, लेकिन ये सभी सही नहीं होते हैं. सेक्स की हर व्यक्ति की अपनी इच्छा और क्षमता होती है. इसे किसी दूसरे से कंपैरिजन नहीं किया जा सकता है. इसलिए कहीं  पढ़ कर ऐसा न सोचें कि आप भी ये दवाएं खा कर हृष्टपुष्ट हो जाएंगे.

यदि अगर वास्तव में कोई दिक्कत है तो अपने डाक्टर से कंसल्ट करें और अपने अच्छे खानपान और पूरी नींद जैसी बातों पर ध्यान दें. इन विज्ञापनों के बारे में सोच कर ज्यादा ऐक्साइटेड न हों क्योंकि अति हर चीज की बुरी होती है. अगर आप की सेक्सलाइफ बिना कुछ किए ही अच्छी चल रही है तो फिर इन दवाओं का सेवन करना बेकार है.

5. गर्भ निरोधक गोलियां

गर्भ रोकने वाली दवाओं को बारबार लेने के घातक परिणाम हो सकते हैं. स्त्रियों के प्रजन्न अंगों पर इन का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. उपयोग करने के इच्छुकों को चाहिए कि वे डाक्टर से दवाओं के साइड इफैक्ट, उन के असफल होने की आशंकाएं और गर्भाशय से बाहर गर्भधारण की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें. यदि अगला मासिकधर्म न आए या मासिकधर्म के समय बहुत अधिक खून बहने लगे, तो हकीमों के पास जाने के बजाय तुरंत डाक्टर से जांच करवाएं.

डाक्टर से जांच करवा कर यह सुनिश्चित कर लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार महिला इस दवा को लेने के लिए सक्षम है या नहीं. आपात गर्भनिरोधक गोलियों का विज्ञापन जिस तरह से किया जा रहा है उस से समाज में और विशेषरूप से युवावर्ग में यह भ्रांति फैल रही है कि बिना किसी डर के यौन संबंध बनाओ, गोली है न. लेकिन ऐसा नहीं है. युवाओं को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि इन गोलियों की जरूरत ही न पड़े.

ऐसा न हो कि आपात गोली आफत की गोली बन जाए. इसलिए डाक्टर से मिलें और किसकिस तरह के प्रोटैक्शन होते हैं और आप दोनों में से कौन सा प्रोटैक्शन लेना ज्यादा बेहतर होगा, आदि के बारे में बात कर के ही कोई प्रोटैक्शन यूज करें. सिर्फ इन विज्ञापनों में दी गई गोली का नाम पढ़ कर ही लेना शुरू न करें.

6. वियाग्रा का इस्तेमाल न करें

प्रिस्क्रिप्शन पर दी गई परफौर्मेंस बढ़ाने वाली दवाओं जैसे वियाग्रा का उपयोग कभी न करें, क्योंकि इन्हें पहले से ब्लडप्रैशर जैसी कंडीशन होने पर, लेना सुरक्षित नहीं होता, साथ ही, अगर आप शुगर की बीमारी से पीडि़त हैं तो भी यह दवा लेना सही नहीं है. यह आप के डाक्टर का काम है कि आप के लिए ऐसी दवा लिखें जो आप के लिए सुरक्षित हों और आप को बताएं कि आप को कितनी डोज से इन्हें लेने की शुरुआत करनी चाहिए. विशेषरूप से जब आप पहले से आप द्वारा ली जाने वाली दवाओं के साथ इन्हें लेने का प्लान बना रहे हों.

7. हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बनी दवाओं से सावधान

आप सेक्स की इच्छा बढ़ाने का दावा करने वाली हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बच कर रहें. इन में से कुछ के कारण असुविधाजनक इरैक्शन हो सकता है जो घंटों तक वापस नहीं आता और योहिम्बे जैसी हर्ब आप के हृदय की गति को बढ़ा कर कार्डियक अरैस्ट  की आशंका को बढ़ा देती है. इसलिए इन्हें लेने से पहले हमेशा अपने डाक्टर की सलाह लें.

8. स्टैरौयड न लें

गैरकानूनी स्टैरौयड आप की सेक्स इच्छा बढ़ा तो सकते हैं लेकिन बाद में आप को इस की महंगी कीमत चुकानी पड़ती है. ये आप के हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शरीर में ऐसे अपरिविर्तनीय बदलाव ला सकते हैं जिन से आप कभी भी पूरी तरह से नहीं उबर नहीं सकते. बजाय इस के ऐसे प्राकृतिक और कानूनी रूप से वैध सप्लीमैंट का उपयोग करें जो स्टैरौयड के समान ही प्रभाव रखते हैं और आप को स्थायी रूप से कोई हानि भी नहीं पहुंचाते.

19 दिन 19 टिप्स: सेक्स चाहिए बच्चा नहीं

विवाह के बाद जोड़े सेक्स का तो जम कर लुत्फ उठाते हैं पर बच्चा पैदा करने से परहेज करते हैं. कई युवा ऐसे भी हैं जो विवाह किए बगैर सेक्स का मजा लेते रहते हैं. कई युवा कंडोम, कौपर टी, गर्भनिरोधक गोलियों आदि का इस्तेमाल कर जिस्मानी रिश्ते बना रहे हैं. इस के पीछे उन का मकसद केवल सेक्स का मजा लेना ही होता है न कि बच्चे को जन्म देना. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो वे उसे गिराने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं.

सेक्स का आनंद नैचुरल और सेफ तरीके से उठाया जाए तो मजा दोगुना हो जाता है. ऐसा नहीं करने से कई तरह की बीमारियों और परेशानियों में फंसने की गुंजाइश रहती है.

आजकल मातृत्व और पितृत्व की भावना कम होती जा रही है. औरत और मर्द का रिश्ता केवल सेक्ससुख का ही रह गया है. इसी वजह से यह चलन चल पड़ा है कि लोग मांबाप बनने से कतराते हैं. समाजविज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि महज सेक्स का सुख उठाने वाले जोड़े 30-35 साल की उम्र तक तो यह आनंद उठा सकते हैं लेकिन उस आयु तक अगर बच्चा पाने से परहेज किया जाए तो तरहतरह की जिस्मानी और दिमागी परेशानियां शुरू हो जाती हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां लंबे समय तक बच्चे न चाहने वाले जोड़ों को बाद में काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं.

हर चीज का समय होता है. बारबार गर्भपात कराने पर बच्चेदानी कमजोर हो जाती है, उस के फटने के आसार भी बढ़ जाते हैं. बारबार गर्भपात कराने से बां झपन की समस्या के होने का भी खतरा होता है. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो जन्म लेने वाले बच्चे के कमजोर और बीमार होने का खतरा बना रहता है. कई ऐसे उदाहरण हैं जहां देर से बच्चा होने पर वह दिमागी और जिस्मानी तौर पर बहुत कमजोर होता है. उस के कई अंगों का ठीक से विकास नहीं हो पाता है.

आज के युवा बच्चे को ऐसेट नहीं बल्कि लाइबिलिटी मानते हैं. यही वजह है कि ‘सेक्स का मजा लो और फिर अपने काम में लग जाओ’ की सोच बढ़ती जा रही है. अब वंश आगे बढ़ाने और मांबाप बनने का आनंद उठाना गुजरे जमाने की बात जैसी होती जा रही है. पहले के लोग बच्चे को बुढ़ापे का सहारा मानते थे पर आज के लोगों की सोच ऐसी नहीं है. उन की सोच है कि पैसा है तो सबकुछ खरीदा जा सकता है. कैरियर बनाओ, पैसा कमाओ और सेक्स का भरपूर मजा उठाओ, यही आज के युवाओं की सोच है.

हमारे देश में आज भी शादी की तमाम रस्मों और हनीमून की प्लानिंग तो की जाती है पर बच्चों की नहीं, जिस का नतीजा अनचाहा गर्भ या गर्भपात ही होता है. डा. नीरू अरोरा कहती हैं, ‘‘गर्भनिरोधक यानी कौंट्रासैप्टिव के चुनाव के मामले में आज कई दंपती यह तय ही नहीं कर पाते हैं कि कौन सा गर्भनिरोधक उन के लिए उपयुक्त है.’’

गर्भनिरोधकों के बारे में महिलाओं के मन में अनेक गलत धारणाएं रहती हैं, जैसे गर्भनिरोधक गोली से भविष्य में गर्भधारण में समस्या होगी, सेक्स की चाहत नहीं रहेगी, कैंसर की संभावना बढ़ेगी, वजन बढ़ जाएगा वगैरह. ये सारी धारणाएं गलत हैं.

‘गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से ओवेरियन कैंसर व सिस्ट के चांसेस कम होते हैं. इन के प्रयोग से घबराना नहीं चाहिए.’’

गर्भनिरोधक 2 प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम.

A. प्राकृतिक गर्भनिरोधक

प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों का प्रयोग करते समय किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता. इस के खास तरीके में सिर्फ मासिक चक्र को ध्यान में रखते हुए ‘सेफ पीरियड’ में ही सेक्स किया जाता है.

1 सुरक्षित मासिक चक्र :

परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीकों में से एक सुरक्षित मासिक चक्र है. इस तरीके के तहत ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान शारीरिक संबंध न रखने की सावधानियां बरती जाती हैं.

आमतौर पर महिलाओं में अगला पीरियड शुरू होने के 14 दिन पहले ही ओव्यूलेशन होता है. ओव्यूलेशन के दौरान शुक्राणु व अंडे के फर्टिलाइज होने की ज्यादा संभावना होती है. दरअसल, शुक्राणु सेक्स के बाद 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं, जिस से इस दौरान गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

फायदा :

इस में न किसी दवा की, न किसी कैमिकल की और न ही किसी गर्भनिरोधक की जरूरत होती है. इस में किसी भी तरह का रिस्क या साइडइफैक्ट का डर भी नहीं रहता.

नुकसान :

यह तरीका पूरी तरह से कामयाब नहीं कहा जा सकता. यदि पीरियड समय पर नहीं होता तो गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

2 कैलेंडर वाच :

प्राकृतिक तरीकों में एक कैलेंडर वाच है, जिसे सालों से महिलाएं प्रयोग में लाती हैं. इस में ओव्यूलेशन के संभावित समय को शरीर का टैंप्रेचर चैक कर के जाना जाता है और उसी के अनुसार सेक्स करने या न करने का निर्णय लिया जाता है. इस में महिलाओं को तकरीबन रोज ही अपने टैंप्रेचर को नोट करना होता है. जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान आधा डिगरी बढ़ जाता है.

फायदा :

इस में किसी भी प्रकार की दवा या कैमिकल का उपयोग नहीं होता. इस से कोई साइड इफैक्ट नहीं पड़ता और न सेहत के लिए ही कोई नुकसान होता.

नुकसान :

यह उपाय भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन की माहवारी नियमित नहीं होती.

3 स्खलन विधि :

इस विधि में स्खलन से पहले सेक्स क्रिया रोक दी जाती है, ताकि वीर्य योनि में न जा सके.

फायदा : इस का कोई भी साइड इफैक्ट नहीं है.

नुकसान : सहवास के दौरान हर पल दिमाग में इस की चिंता रहती है. लिहाजा, सेक्स का पूरापूरा आनंद नहीं मिल पाता. इस के अलावा शुरू में निकलने वाले स्राव में कुछ मात्रा में स्पर्म्स भी हो सकते हैं. इसलिए यह विधि कामयाब नहीं है.

B. कृत्रिम गर्भनिरोधक

प्रैग्नैंसी रोकने की जिम्मेदारी अकसर महिलाओं को ही उठानी पड़ती है. इसलिए उन्हें इस के लिए इस्तेमाल होने वाले कौंट्रासैप्टिव की जानकारी होना बेहद जरूरी है.

  1. गर्भनिरोधक गोलियां : गर्भनिरोधक गोलियां भी कई प्रकार की होती हैं :

साइकिल गर्भनिरोधक गोली : इस का पूरा कोर्स 21 दिन का होता है. इस की 1 गोली माहवारी के पहले दिन से ही रोज ली जाती है. इस के साथ ही 3 हफ्ते तक बिना नागा यह गोली लेनी चाहिए.

फायदा :

इस के उपयोग से माहवारी के समय दर्द से भी आराम मिलता है.

नुकसान :

आप यदि एक दिन भी गोली खाना भूल गईं तो प्रैग्नैंट हो सकती हैं, साथ ही सिरदर्द, जी मिचलाना, वजन बढ़ना आदि समस्याएं भी हो जाती हैं.

ओनली कौंट्रासैप्टिव पिल :

इसे ओसीपी भी कहा जाता है. इस का भी कोर्स 21 दिनों का होता है, जिस में 7 गोलियां हीमोग्लोबिन की भी होती हैं. इस तरीके से महिलाओं को एनीमिया की शिकायत नहीं होती क्योंकि इस में प्रोजेस्टेरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन होते हैं.

आपातकालीन गोलियां: असुरक्षित सहवास के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इस का इस्तेमाल किया जाता है.

फायदा :

इस गोली का सेवन यौन संबंध बनाने के 72 घंटों के अंदर किया जाता है तो यह 96 फीसदी तक प्रभावशाली होती है.

नुकसान :

इस का प्रयोग करना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है.

2. कौपर टी :

गर्भनिरोधक के रूप में यह विश्व में सब से ज्यादा इस्तेमाल होती है. यह अंगरेजी के टी (ञ्ज) अक्षर के शेप की होती है और इस में पतला सा तार लगा होता है. इसे गर्भाशय के भीतर लगाया जाता है. इस से गर्भ नहीं ठहर पाता. जब भी बच्चे की चाहत हो इसे निकलवाया जा सकता है.

फायदा :

इस में 99 फीसदी तक फायदा है. एक बार बच्चा होने के बाद दूसरा बच्चा होने के समय में गैप के लिए कौपर टी एक अच्छा जरिया है.

नुकसान :

कौपर टी लगाने के बाद 2-3 महीने तक माहवारी ज्यादा आती है, लेकिन बाद में ठीक हो जाती है. इसे डाक्टर के द्वारा ही लगाया और निकलवाया जाता है.

3. गर्भनिरोधक इंजैक्शन :

यह इस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरौन का इंजैक्शन है. यह 2 महीने या 3 महीने में लगाया जाता है. यह ओव्यूलेशन रोकता है, जिस से गर्भ नहीं ठहरता.

फायदा :

इस का 99 फीसदी फायदा होता है. माहवारी भी कम दिनों तक होती है और माहवारी में दर्द नहीं होता.

नुकसान :

इस से वजन बढ़ जाता है. इस इंजैक्शन के बाद नियमित व्यायाम और खानपान में संतुलित आहार जरूरी है.

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