- रेटिंग: पांच में से ढाइे स्टार
- निर्माताः गंगा ममगाई
- लेखक व निर्देशकः जगमीत सिंह समुद्री
- कलाकारःविवेक जेटली,गंगा ममगाई, रितुराज सिंह,कावेरी प्रियम,विषाल सुदर्शनवार व अन्य
- अवधिः एक घंटा 48 मिनट
- सेंसर प्रमाणपत्रः ‘ए’ वयस्क
- प्रदर्शन तिथि: 21 जुलाई 2023
बिजनेस ओमन से फिल्म निर्माता व अभिनेत्री बनी गंगा ममगार्इ्र हॉरर फिल्म ‘वशःपॉज्ड बाय आब्सेस्ड’’ लेकर आयी हैं.21 जुलाई को सिनेमाघरों में पहुॅची इस फिल्म में भी भूत प्रेत व आत्मा की बात है.मगर पूरी कहानी का प्रस्तुतिकरण काफी अलग है.पर यह फिल्म भी 21वीं सदी में अंधविश्वास को बढ़ावा देती है.
कहानीः
फिल्म शुरू होती है रॉकी व रिया से.रॉकी अपनी प्रेमिका रिया को साथ लेकर उंचंी पहाड़ी की तरफ रवाना होता है.रास्ते में जंगल से गुजरते हुए उनकी कार बंद पड़ जाती है.दोनों गाड़ी से नीचे उतरते हैं,उसके बाद एक अदृष्य षक्ति उनकी हत्या कर देती है.पुलिस बल अपना काम षुरू करता है.टीवी पत्रकार पूजा(कावेरी प्रियम) अपने कैमरामैन के साथ इस कांड की रिपोर्टिंग करने पहुॅच जाती है.बाद में पता चलता है कि पूजा ने भूत प्रेत के अस्तित्व पर एक किताब लिखी है.
कहानी यहां से रक्षित(विवेक जेटली ) व आंचल(गंगा ममगाई ) की तरफ मुड़ जाती है.दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं.रक्षित लंदन से वापस आने के बाद आंचल से विवाह रचाता है.विवाह की रष्मों के दौरान कुछ अजीब घटनाएं घटित होती हैं.पर षादी हो जाती है.सुहागरात के वक्त कुछ अजीब सी घटनाएं घटित होती हैं.दूसरे दिन रक्षित अपने आफिस चला जाता है.जब आंचल बाथटब में अर्ध नग्न अवस्था में स्नान कर रही थीं,तभी उसे अहसास होता है कि कोई अदृष्य इंसान उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास कर रहा है.वह किसी तरह ख्ुाद को बचाते हुए अपने पति रक्षित को फोन कर बुलाती है.रक्षित,आंचल को डाक्टर के पास ले जाता है.डाक्टर को सब कुछ सही लगता है.फिर भी वह कुछ दवाएं दे देता है.उसके बाद आंचल,पूजा को बुलाकर उसे सारी बात बताती है.
पूजा इसे भूत प्रेत का मसला बताती है.पर रक्षित भूत प्रेत आदि में यकीन नही करता.लेकिन आंचल व रक्षित के घर में अजीब घटनाएं लगतार बढ़ती जाती है.एक दिन रक्षित का दोस्त अनुराग बताता है कि उसने षादी के वक्त की तस्वीरों में कुछ अजीब सा देखा है और वह इसे बताने के लिए रक्षित के घर की तरफ रवाना होता है.पर उसी पेड़ के पास पहुॅचते ही वह भी अदृष्य षक्ति के हाथों मारा जाता है. तब आंचल, पूजा की मदद लेती है.फिर बेहराम( विषाल सुदर्षनवार) के भूत बन जाने की एक नई कहानी भी आती है.कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.अंततः आंचल को बुरी षक्ति से छुटकारा मिल जाता है.
लेखन व निर्देशनः
पूरी फिल्म देखने के बाद यह स्पष्ट नजर आता है कि फिल्मकार ने वैज्ञानिक तथ्य दिए बगैर महज अंधविश्वास को बढ़ाने वाले दृश्य ही रचे हैं.फिल्म की शुरूआत के बीस मिनट को बेवजह फिल्म में ठॅंूसा गया है.जिनके न होने से फिल्म की कहानी पर कोई असर नही पड़ने वाला था.लेकिन इन्ही बीस मिनट के दृष्य के अंदर फिल्मकार ने जबरदस्त सेक्स व अश्लीलता परोसने का काम किया है.कहानी के स्तर पर रक्षित व आंचल की कहानी षुरू होने के बाद फिल्म बांधकर रखती है.आम तौर पर जिस तरह से हॉरर या भूत प्रेत वाली फिल्मों में भूत नजर आता है,उस तरह से इस फिल्म में नही है.इतना ही नही फिल्मकार ने भूत प्रेत भगाने वाले तांत्रिक को भी आम प्रचिलित अंदाज से अलग पेष किया है.आंचल के प्रति भूत के आब्सेस्ड होने की वजह और पुनर्जन्म की बात कहकर नई रोचकता पैदा करने की कोशिश भी है.लोकेशन बढ़िया है.
अभिनयः
भूत प्रेत में यकीन न रखने वाले से भूत प्रेत में यकीन करने पर मजबूर होने वाले रक्षित के किरदार में विवेक जेटली के अभिनय को देखकर यह कहना मुष्किल है कि यह उनकी पहली फिल्म है.उन्होने रोमांटिक व एक्षन दृष्यों में कमाल किया है.मगर कई इमोषनल दृष्यों में वह मात खा गए हैं.आंचल के किरदार में गंगा ममगाई का अभिनय प्रभावषाली है.उनका सिनेमाई परदे पर यह पहला प्रयास है,ऐसा नही लगता.पर अभी उन्हे अपने अभिनय को निखारने के लिए मेहनत करते रहना चाहिए.तांत्रिक षास्त्री के किरदार में रितुराज सिंह का अभिनय जानदार है.बेहराम के किरदार में विषाल सुदर्षनवार और टीवी रिपोर्टर पूजा के किरदार में कावेरी प्रियम अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही है.