बौलीवुड में अमिताभ बच्चन की गिनती महज एक महान अभिनेता के ही रूप में ही नहीं होती है, बल्कि वह दूसरे कलाकारों की प्रतिभा को पहचान कर उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करते रहते हैं. ऐसे ही महान अभिनेता अमिताभ बच्चन के कसीदें अभिनेत्री आकांक्षा सिंह पढ़ते नजर आ रही हैं, जिन्हें 29 अप्रैल को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘रनवे 34’ में अमिताभ बच्चन के साथ अभिनय करने का अवसर मिला है.
अमिताभ बच्चन से मिलना एक इमोशनल पल
इस फिल्म में आकांक्षा सिंह की जोड़ी तो अजय देवगन के साथ है, मगर एक सीन में वह अमिताभ बच्चन के साथ भी खड़ी नजर आने वाली हैं. पर आकांक्षा सिंह, अमिताभ बच्चन की जो प्रशंसा कर रही हैं, उसकी वजह यह है कि अमिताभ बच्चन ने उनका पैर फ्रैक्चर होने पर उन्हे घर से लेेने लिए बग्घी भेजी थी. जब इस मसले पर हमने आकांक्षा सिंह से बात की,तो आकांक्षा ेसिंह ने पूरा वाक्या विस्तार से बताते हुए कहा-
‘‘जी हाॅ! मैं यह पूरा मसला बताना चाहूंगी.में फिल्म ‘‘रनवे 34’’ के लिए अमिताभ बच्चन सर के साथ शूटिंग कर रही थी.और मेरा पैर फैक्चर हो चुका था. पहले दिन जब मैं उनसे मिली,उस वक्त वह मुझसे काफी दूरी पर थे. मैने सहायक निर्देशक से कहा कि मुझे बच्चन सर से मिलना है, तो उनसे मिलवा लाओ. उसने कहा कि मैम, आप अभी यहां बैठ जाइए.आपका यह शाट हो जाएगा, उसके बाद मैं आपको बच्चन सर के पास मिलवाने ले जाउंगा. मेरे सीन का फिल्मांकन पूरा हुआ, तो मैं उस सहायक निर्देशक की तलाश करने लगी कि वह कहां है, मुझे तो बच्चन सर से मिलने जाना है. वह दिखायी नही दिया, तो मैने अपना वाॅकर लिया और वाॅकर के सहारे बच्चन सर से मिलने गयी.
मैने बच्चन सर से कहा कि ,‘सर, मेरी हमेषा से दिली इच्छा थी कि आपके साथ मुझे काम करने का अवसर मिले, तो अब यह थोड़ा सा पूरा हुआ है. मैं इस फिल्म में अभिनय कर रही हॅूं, जिसमें आप हैं, मगर इस फिल्म में आपके साथ मेरा एक भी दृष्य नही है. मुझे आपके साथ एक पूरी फिल्म करनी है.’ तो वह हंसे और फिर उनकी निगाह मेरे पैर की तरफ गयी. तो उन्होने पूछा कि पैर में क्या हुआ? मैने बताया कि फिल्म की षूटिंग खत्म होने के बाद मैं घर जाने के लिए अपनी कार में बैठ रही थी, तभी पैर मुड़ गया और पैर फै्रक्चर हो गया.’
तीन सीट वाला स्कूटर लेकर आए अमिताभ
तब उन्होने मुझसे पूछा कि तब तो चलने में काफी तकलीफ होती होगी? कैसे चलती है? इस पर मैने कहा कि सर वाॅकर लेकर चलती हॅंू. तब बच्चन सर ने मुझसे कहा- ‘कल मैं आपके लिए बग्घी लेकर आउंगा.’ मुझे लगा कि वह मजाक कर रहे हैं. ंबच्चन सर, बग्घी लेकर आएंगे, यह बात मेरी समझ से परे थी.
दूसरे दिन वह सेट पर अपने तीन सीट वाले स्कूटर पर चलकर आए. उन्होने मुझसे मेरे घर का पता मांगा और वास्तव में दूसरे दिन बच्चन सर ने मेरे घर पर बग्घी भेजी. यह मेेरे लिए बहुत ही अद्भुत अनुभव था.
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अमिताभ के लिए लिखी कविता
पहली बार मैं उनके साथ किसी फिल्म का हिस्सा थी. दूसरी बात निजी स्तर मैं उन्हे इस तरह जान पा रही थी. मैं इसके लिए उनका धन्यवाद अदा करना चाहती थी. षूटिंग के आखिरी दिन मैने अपने हाथ से एक कविता लिखी और उनकी वैनिटी वैन में गयी. मैने उनसे कहा- ‘सर मुझे नही पता कि मैं आपका धन्यवाद किस तरह से अदा करुं. इसलिए मैने यह एक कविता आपके लिए लिखी है, इसे आप स्वीकार करें.’
उन्होंने मेरी कविता स्वीकार की और तभी उन्हे षाॅट देने के लिए बुला लिया गया. सेट पर जब मैं पहुॅची, तब तक वह मेरी कविता पढ़ चुके थे. उन्होने मुूझसे पूछा कि मैं कब से कविता लिख रही हॅूं. मैने उन्हे बताया कि सर, यह तो मेरा बचपन से षौक है. बच्चन सर ने कहा- ‘‘आप बहुत अच्छा लिख लेती हैं.’’ यह तो मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि और बड़ी बात थी.
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बच्चन सर ने भेजा लेटर…
बच्चन सर द्वारा मेरी तारीफ करना उपलब्धि ही है. उनके पिता श्री हरिवंष राय बच्चन जी बहुत बड़े व महान कवि थे. उनके बारे में जो कहा जाए, वह कम है.बच्चन सर भी ख्ुाद बहुत अच्छा लिखते रहते हैं. मैने उनकी लिखी हुई कई चीजें सोषल मीडिया पर पढ़ी हुई हैं.’ उस वक्त मैने बच्चन सर को धन्यवाद कह दिया. दूसरे दिन सुबह सुबह मेरे घर पर कूरियर पहुॅचा. यह बच्चन सर ने भेजा था. मन मंे सवाल उठा कि अब उन्होने क्या भेज दिया? मैने कूरियर से आया हुआ, वह लिफाफा खोला, तो उसमें बच्चन सर के हाथों से लिखा हुआ पत्र था.
उसमें लिखा हुआ था- ‘‘प्रषंसा के पत्र आते रहेंगे,पहले यह स्नेह भरा पत्र कीजिए स्वीकार.’’ यह उनके पत्र की आखिरी दो पंक्तियंा थी. तब मुझे याद आया कि मैने जो कविता लिखकर उन्हें दी थी, उसमें मैने अपनी इच्छा जाहिर की थी कि मैं कुछ ऐसा अभिनय करुं, कि आपके हाथ से लिखा हुआ प्रष्ंासा पत्र मुझे मिले. मेरी उन पंक्तियंांे को पढ़कर ही बच्चन सर ने मुझे यह पत्र भेजा था.