फिल्म ‘मुझे कुछ कहना है’ से फिल्म इंडस्ट्री में प्रवेश करने वाले तुषार कपूर की पहली फिल्म काफी सफल रही. इसके बाद उन्होंने कई फिल्में की, जो असफल साबित हुई. करीब दो वर्षों तक उन्हें असफलता मिलती रही, लेकिन फिल्म ‘खाकी’ से उनका करियर ग्राफ फिर चढ़ा और उन्होंने कई सफल फिल्में जैसे, ‘क्या कूल है हम’, ‘गोलमाल’, ‘शूट आउट एट लोखंडवाला’ आदि की. उनका मानना है कि उन्होंने हमेशा अलग-अलग फिल्मों में अभिनय करने की कोशिश की, जिसमें कुछ सफल तो कुछ असफल रही. इस जर्नी को वे एन्जौय करते है. उन्हें अभिनय में किसी भी चुनौती से डर नहीं लगता. शांत और हंसमुख स्वभाव के तुषार कपूर सिंगल फादर भी है. उनकी वेब सीरीज ‘बू..सबकी फटेगी’ रिलीज पर है. उनसे मिलकर हुई बातचीत के कुछ अंश आपके सामने पेश हैं.
प्र. इसमें काम करने की ख़ास वजह क्या है?
वेब वर्ल्ड के लिए ये कौन्सेप्ट बहुत नया है क्योंकि आजकल वेब सीरीज में डार्क सीरिस, वायलेंस, रियलिज्म, क्राइम ,एक्शन आदि कहानियां दिखाई जा रही है. सभी लोग एक ही दिशा में कहानी बनाने की कोशिश कर रहे है. लोगों को मनोरंजन और तनाव मुक्त कहानियां देखने की इच्छा होती है और वे तो आती ही नहीं जिसे अधिक से अधिक लोग देख सकें. ऐसे में मेरे लिए ये अच्छी बात है कि मुझे कौमेडी में लोग पसंद करते है और मुझे वैसी ही कौमेडी करने का मौका मिल रहा है. उम्मीद है कि नए दर्शक इससे जुड़ सकेंगे.
प्र. वेब सीरीज में आज़ादी है, इसलिए उसका फायदा उठाकर निर्माता या निर्देशक वैसी ही सेक्स, वायलेंस, क्राइम आदि दिखाते है, क्या उन्हें इसे बनाते समय ध्यान रखने की जरुरत नहीं है? आपकी सोच क्या है?
सभी के लिए ये दायित्व है कि सेंसरशिप न होने के बावजूद वे इसका ध्यान रखें, ताकि पूरा परिवार देख सके और इसका फायदा इसे बनाने वाले सभी को होगा. क्रिएटिव फ्रीडम को किसी भी गलत तरीके से पेश करने की जरुरत नहीं. हां इतना जरुर है जहां जिसे दिखाने की जरुरत है उसे अवश्य दिखाना चाहिए नहीं तो कहानी का फ्लेवर नष्ट हो जाएगा.
प्र. फिल्म ‘गोलमाल’ में कौमेडी को लोगों ने सराहा और आप खुद भी अपनी प्रतिभा को जान पाए उसका कितना फायदा अभी भी आपको मिल रहा है?
मैंने कई कौमेडी की फिल्में की और लोगों ने पसंद किया. इससे मेरा काम करना और अधिक आसान हो गया है लेकिन मैं हर तरह की फिल्मों में काम करना पसंद करता हूँ.
प्र. आपने कौमेडी को अपनाया, क्या आपको ये नहीं लगता कि आपकी पोटेंशियल का पूरा यूज़ नहीं हुआ है?
औफकोर्स नहीं हुआ है. मैंने दूसरी तरह की फिल्में भी की है लेकिन लोग उसे भूल जाते है. असल में गोलमाल की सीरीज का प्रभाव बहुत लम्बे समय तक दर्शकों पर रहा है. देखा जाए तो मैंने नौन कौमेडी फिल्में कौमेडी फिल्मों से अधिक की है.
प्र. क्या आप टाइपकास्ट के शिकार हुए?
मैं टाइपकास्ट का शिकार हुआ हूं क्योंकि जब आप किसी एक भूमिका में काम कर सफल होते हैं तो लोग आप पर पैसा लगाने से कतराते नहीं. ऐसा सभी कलाकारों के साथ होता है लेकिन अपनी संतुष्टि के लिए अलग-अलग भूमिका निभानी पड़ती हैं. ये जरुरी भी है क्योंकि लोग अलग भूमिका में देखकर अचंभित हो जाते है. कमर्शयली भी इसके फायदे होते है.
प्र. आपके पिता जितेन्द्र हिंदी सिनेमा जगत के एक सफल अभिनेता हैं, क्या आप उनकी किसी फिल्म की रीमेक में काम करना चाहते हैं?
मैं उनकी फिल्म ‘फ़र्ज़’ की अगर रिमेक बने, तो उसमें काम करना पसंद करूंगा.
प्र.आप सिंगल फादर बने हैं, फादरहुड को कैसे एन्जौय कर रहे हैं?
मैंने सही समय में ये निर्णय लिया और सिंगल पिता बना. मेरे लाइफ में एक बदलाव की जरुरत थी जिसे मैंने किया. सभी माता-पिता के लिए लाइफ पार्टनर से अधिक कीमती उसके बच्चे होते है. अगर मुझे दूसरा बच्चा भी मिलता है,फिर भी लक्ष्य मेरे लिए पूरी जिंदगी लक्ष्य ही रहेगा.
प्र.आपके पिता के साथ जो सम्बन्ध था और आज आप भी पिता बन चुके हैं, किस तरह का रिलेशन आपका अपने बच्चे के साथ है?
आज पिता पुत्र के सम्बन्ध में काफी बदलाव आया है. पहले पिता खाने को बेटे के पास टेबल तक पहुंचाता था, पर आज के पिता उसके खान-पान से लेकर खेलकूद, कहानियां हर चीज में उसके साथ भागीदार बनते है. तब मां की जिम्मेदारी अधिक होती थी.
प्र. आपने एकता कपूर और करण जौहर से बच्चे के लिए सेरोगेसी का सहारा लिया, एडौप्शन का क्यों नहीं ? क्या एडौप्शन के कानून सख्त हैं?
एडौप्शन को सख्त बनाने का मुख्य उद्देश्य बच्चे की सुरक्षा को ध्यान में रखना है, क्योंकि कई ऐसी घटनाएं है जहां बच्चे को अडौप्ट करने के कुछ दिनों बाद गलत व्यवहार लोग करते है इसलिए ऐसा कठिन कानून है. बच्चे के साथ किसी के प्रकार का सम्बन्ध को जोड़ने के लिए उसके बायोलौजिकल माता-पिता का होना जरुरी नहीं.
प्र. लक्ष्य के लिए आपकी सोच क्या है?
मैं अपने बच्चे की प्रतिभा के आधार पर आगे बढ़ने में विश्वास रखता हूं. केवल अधिक नंबर लाना मेरे लिए जरुरी नहीं. अगर उसे अभिनय की इच्छा मन से है तो मैं उसमें भी सपोर्ट करूंगा.
प्र. आप बहन के तौर पर एकता कपूर में ख़ास क्या देखते हैं?
वह बहुत ही अच्छी बहन है. अभी तो वह मुझसे अधिक मेरे बेटे को पसंद करती है और उसे ही इस परिवार का पहला बच्चा मानती है. वह एक इमोशनल लड़की है. उसे मैं बहुत सराहता हूं.
प्र. कोई सोशल वर्क जिसे आप करना चाहे?
मैं जानवरों के कल्याण और क्लाइमेट चेंज के लिए काम करता हूं जिसे मैं ट्वीटर के सहारे करता हूं, जिसमें जानवरों के चमड़े से बने समान को खरीदने से मना करता हूँ. इसके अलावा साफ-सफाई पर काम करना पसंद करता हूं.
प्र. आगे कौन सी फिल्में हैं?
‘मारीच’ आगे आने वाली थ्रिलर फिल्म है. इसके अलावा फिल्म ‘लक्ष्मी बौम्ब’ के लिए मैंने प्रोडक्शन में थोडा हाथ बटाया है. ये मेरा पहला प्रोडक्शन होगा. मेरा उद्देश्य है कि मैं मनोरंजन को ध्यान में रखकर फिल्में बनाऊं जिसे अधिक से अधिक लोग देख सकें.
प्र. कोई सुपर पावर मिलने पर देश में क्या बदलना चाहते हैं?
मैं अपने देश में किसानों की दुर्गति को ख़त्म करना चाहता हूं.
एडिट बाय- निशा