‘दो भैसों की लड़ाई में पूरा देश चौपट हो गया’- हीरा सिंह मरकाम

साक्षात्कार – हीरा सिंह मरकाम राष्ट्रीय अध्यक्ष गोंडवाना गणतंत्र पार्टी

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के सुप्रीमो हीरा सिंह छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की राजनीति के एक बड़े स्तंभ कहे जाते हैं. हीरा सिंह ने शिक्षक से विधायक और अपनी पार्टी गठन करने के पश्चात समाज को एकजुट करने का अथक प्रयास किया है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इनकी गहरी पकड़ है यही कारण है कि राहुल गांधी हो या अखिलेश यादव अथवा अजीत जोगी आप से गठबंधन की अपेक्षा रखते हैं. प्रस्तुत है विश्व आदिवासी दिवस पर उनसे हुई एक विशेष बातचीत…

दादा, 80 वर्ष की उम्र में जीवन का क्या निचोड़ है, आपका क्या संदेश है…?
मेरा जन्म प्रकृति के बीच गांव में हुआ. जब हम ऊपर देखते थे तो पेड़ से फल मिल जाते थे नीचे कोरहाई के जंगल में एक घंटे मे टोकरी भर कर भरपूर कांदा- फल मिल जाता था .कहां गया सब….मैं तो कहूंगा सरकार जिसको छुती है छूत लग जाती है, कहीं कोई सफलता नहीं है . सब कुछ निजीकरण करते चले जाते हैं क्योंकि राजा की नियत न हो राजा का चरित्र न हो तो देश और अवाम का भला कैसे होगा. मै ठीक बाकी दुनिया खराब है आज का फलसफा यही है चाहे सत्ता में कोई बैठे.
हम कर रहे हैं वहीं ठीक है एक साधु ने लिखा था न ! दो भैसा की लड़ाई में चिरकुट होगे नाव ! गांव के सुम्मत के गांधी बाबा के सुम्मत के… दो भैसा के लड़ाई में…. तो दो भैसा की लड़ाई में पूरा देश चौपट हो गया .

अर्थात आपका इशारा भाजपा और कांग्रेस पार्टियों की तरफ है और राजनीतिक दल अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे…

हां इनको देश से कोई लेना देना नहीं है आप अच्छी तरह जानते हैं जिनका सिर्फ देश सेवा का लक्ष्य नहीं वह नेता रातों रात अरबपति हो जाते हैं. अमित शाह का बेटा 80 हजार से 12 हजार करोड़ रुपए कमा लेता है . आखिर कौन सा यंत्र है इनके पास. रातों-रात… और भी तो भाई हैं 80 हजार वाले जो पैसा लगा पसीना बहाते हैं तब भी उनका पैसा बढ़ता नहीं है . बाबू, अफसरों के चक्कर में ठेकेदारी कर फंस जाता है, हाथ जोड़ गिङगिडाता है.

आप राजनीति में आने से पूर्व शिक्षक थे, नौकरी की थी?
हां, मैं आठ डिपार्टमेंट संभालता था. बोरों में नोट होते थे . दस दस चपरासी होते थे. मैं कभी तनख्वाह नहीं बाटंता था, चपरासी बाटंते थे . बाबू कहते थे,- दादा! फंस जाओगे किसी दिन. मैं कहता,- मैं तो रखवार हूं पैसा तो उन्हीं का है. बेईमानी करेंगे तो फिर दूसरे दिन 11 से 4 बजे पढ़ाऊंगा. 5 बजे के बाद तनख्वाह बाटूंगा तो आधी रात को घर जाएंगे . सब समझ में आ जाएगा . तब एक नोट भी ज्यादा चला जाता तो लेकर वापिस आ जाते और कहते- ‘दादा! यह ज्यादा ले गए थे . ऐसी इमानदारी का युग था, शिक्षक बच्चों को अपने बेटे से ज्यादा चाहता था .आज तो अगर आपने बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाई तो वह बच्चा गया.

आगामी चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की क्या रणनीति होगी ?
देखो! हमने मेहनत से अपने वोटर तैयार किए हैं हम उन्हें भटकने नहीं देंगे…. आने वाले समय में जैसे ही स्वस्थ होऊंगा मैं चुनावी सभाओ मैं पहुंचूगा . मैं वोटर को अन्नदाता और श्रमवीर मानता हूं उनके सम्मान के लिए काम करूंगा.

आपने किसान की बात की… क्या आप भी खेती किसानी से जुड़े रहे हैं ?
हां,मैं सुबह 4 बजे उठ जाया करता था विधायक बनने के बाद भी मैं खेती करता था. 4 बजे सुबह नागर फांद देता था. सब्जियां लगी हुई है जिसको चाहिए ले जाए… देख कर सीखे यह आशा थी. आज तो वह स्थिति नहीं रही स्वास्थ्य साथ नहीं देता.

आप की पार्टी और आप का विजन क्या है ?
0 जल, जंगल, जमीन है गोंडवाना के अधीन . हमारा ग्रह ग्राम तिवरता (जिला कोरबा ) कोयला खदान द्वारा अधिग्रहित नहीं है मगर सबसे ज्यादा भोग रहा है पूरी सड़क पेड़ नाले खेत रास्ते दमा के पेशेंट है क्या दे रही कोयला कंपनी आवाम को. सामाजिक सहभागिता यानी सीएसआर की राशि जिलाधीश अपने पास मंगा लेता है.डिस्टिक माइनिंग फंड ( ङीएमएफ ) को मनमाना खर्च किया जा रहा…है लोग दमा, ह्रदय रोग से बीमार हो रहे हैं आसपास के सभी गांव प्रभावित हो रहे हैं. सामाजिक,राजनीतिक, सांस्कृतिक दृष्टिकोण से प्रभावित हो रहे ,युवा शराब की लत से पीड़ित हो गए, परिवार नष्ट हो रहे .

विश्व आदिवासी दिवस पर आपका आदिवासी समाज को क्या संदेश है?

पहली बात है हमअपना ‘वोट’ का महत्व समझ जाए .वोट बिके नहीं,अगर बिकेगा तो यही कहा जाएगा कि तुमने वोट दिया थोड़ी है,हमने तो तुम्हारा वोट खरीदा है इस अपमान से बच जाओ.यह शिक्षा गोंडवाना दे रही है .जहां तक केंद्र की बात है चुनाव की … क्षेत्रीय दलों का भी बड़ा महत्व है…. नरबलि नहीं होत है समय होत बलवान अर्जुन लुटे भिलनी वहीं अर्जुन वही बाण …. यही भवितव्य है.

क्षेत्रीय दलों की क्या भूमिका देखते हैं आप वर्तमान चुनावी समर में ?
देखिए ममता, नवीन,लालू,अखिलेश यादव जी मायावती सभी अपने अपने दृष्टिकोण बदले हुए हैं और चाह रहे हैं कि अरस्तू ने कहा था अगर जनता में घोर असंतोष हो जाए तो पड़ोसी देश पर हमला कर दो…जनता देश भक्ति के धारा में बह जाएगी और तुम चुनाव जीत जाओगे यही आज देश की स्थिति बनी हुई है तो 358 ईसवी पूर्व अरस्तू ने यह बता दिया था जो अभी नजर आ रहा है .

 नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी दोनों की कार्यप्रणाली आप देख रहे हैं कुछ कहेंगे…?
0 नरेंद्र मोदी जो बाण चला रहे हैं वह हृदयगाही नहीं है दरअसल दोनों के दोनों के पास प्रधानमंत्री पद की समझ, योग्यता में कमी दिखाई दे रही है. मुखिया मुख सो चाहिए खान पान को एक पाले पोसे अंग तुलसी सहित विवेक. आपको, सबको समान मानकर चलना चाहिए क्या मुसलमानों ने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी उन्हें कहां बसाओगे ? देश में गृह युद्ध शुरू हो जाएगा उनमें भी देश प्रेम है या फिर सविधान बदल दो धर्मनिरपेक्षता खत्म कर दो.यह धार्मिक सोचनीय स्थिति है.

कोरबा संसदीय क्षेत्र आपका गृह जिला है यहां गोंडवाना क्या करने जा रही है ?

सांपनाथ और नागनाथ वाली स्थिति है. इसमें कुछ फर्क नहीं नाग धार्मिक भाव है. आज नरवा, गरवा, धुरवा,बाड़ी की बात हो रही है यह कहां शुरू हुआ.

भूपेश सरकार ने किसानों के लिए ऐतिहासिक काम प्रारंभ किया है कर्जा मुक्ति…
(बीच में ही कटाते हुए) … क्या किसानों को स्वावलंबी बनाया आपने ?
जो कर्ज माफ किया, 2500 रुपए क्विंटल धान का ले रहे हो, जब आगे चावल ₹70 किलो बिकेगा तब किसके ऊपर आएगा?यह प्रत्यक्ष रूप से जनता का शोषण है, हाथी के दांत दिखाने के और खाने के अलग… किसान आगे फिर लाठी गोली खाएगा… कर्मचारी तो हड़ताल करके अपना वेतन बढ़वा लेगा कर्ज़ माफी का लालीपाप है . खेत स्मार्ट हो, किसान स्मार्ट हो जाएगा गांव और देश स्मार्ट हो जाएगा.

गोंडवाना की सरकार बनती है तो वह सरकार कैसी होगी क्या कल्पना है आपकी?
0 हमारी सरकार गांव की सरकार होगी. हम आदर्श के रूप में एक गांव को मॉडल के रूप में विकसित करके दिखाएंगे की क्या जब यह गांव माडल बन सकता है तो बाकी गांव क्यों नहीं… भ्रष्टाचार. शोषणविहीन, ऋणमुक्त प्रगतिधर्मी समाज व्यवस्था यह हमारा मूल मंत्र है.जल जंगल जमीन गांव की प्रभुसत्ता होगी गांव स्वावलंबी होगा सब कुछ गांव का आज की तरह नहीं की रेत ,नाला, सड़क सब कुछ सरकार का और हम किसके हैं भई…!

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