कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी ने 3 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इस इस्तीफे को लेकर राहुल गांधी ने कुछ देर पहले एक चिट्ठी ट्वीट की जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी ली है. इस चिट्ठी में राहुल ने कई बड़ी और अहम बातें कही हैं जो आप यहां पढ़ सकते हैं. साथ ही खबर के नीचे उनका ट्वीट भी देख सकते हैं.
राहुल की चिट्ठी….
कांग्रेस के लिए काम करना मेरे लिए सम्मान की बात रही है, जिस के आदर्श हमारे खूबसूरत देश के लिए जीवन शक्ति हैं. मेरे ऊपर पार्टी और देश के प्यार का कर्ज है और मैं इसका अहसानमंद हूं.
कांग्रेस प्रमुख के तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की ज़िम्मेदारी मेरी है. भविष्य में पार्टी के विस्तार के लिए जवाबदेही बहुत अहम है. यही वजह है कि मैंने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है.
पार्टी को फिर से बनाने के लिए कड़े फैसले की जरूरत है. 2019 में हार के लिए कई लोगों की जवाबदेही तय करने की जरूरत है. यह अन्याय होगा कि मैं दूसरों की जवाबदेही तय करूं और अपनी जवाबदेही की अनदेखी करूं.
कांग्रेस पार्टी के कई सहयोगियों ने मुझ से कहा कि मैं अगले अध्यक्ष का चुनाव करूं. पार्टी का जो भी नया अध्यक्ष होगा, उसे मैं चुनूं यह मेरे लिए ठीक नहीं होगा. हमारी पार्टी का विशाल इतिहास और विरासत है. मैं इस के संघर्ष और मर्यादा का आदर करता हूं. यह हमारे देश की बनावट के साथ गुंथा हुआ है.
मेरा भरोसा है कि पार्टी नेतृत्व के मामले में बिलकुल सही फैसला लेगी और नया नेतृत्व पार्टी को साहस, प्रेम और ईमानदारी के साथ आगे बढ़ाएगा.
इस्तीफा देने के तत्काल बाद मैं कांग्रेस वर्किंग कमेटी में अपने सहकर्मियों को सलाह देता हूं कि वे नया अध्यक्ष चुनने की जिम्मेदारी एक ग्रुप को दें. वही ग्रुप नए अध्यक्ष की खोज शुरू करे. मैं इस मामले में मदद करूंगा और कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन बहुत ही आसानी से हो जाएगा.
मेरा संघर्ष महज सत्ता पाने के लिए नहीं रहा है.
भाजपा के खिलाफ मेरे मन में कोई नफरत नहीं है लेकिन भारत के बारे में उसके विचार का मेरा रोम-रोम विरोध करता है.यह विरोध इसलिए है क्योंकि मेरा अस्तित्व एक ऐसे भारतीय विचार से ओतप्रोत है जो उस के भारत के विचार से सीधा टकराता है. यह कोई नई लड़ाई नहीं है, यह हमारी धरती पर हजारों सालों से लड़ी जाती रही है. जहां वे अलगाव देखते हैं, वहां मैं समानता देखता हूं. जहां वे नफरत देखते हैं, मैं मोहब्बत देखता हूं. जिस चीज़ से वे डरते हैं मैं उस को अपनाता हूं.
यही सहानुभूति वाला विचार लाखों-लाख मेरे प्यारे देश वासियों के दिलों में भी बहता है. यही वह भारत का विचार है जिस की हम अब अपने पूरे दमखम से रक्षा करेंगे. हमारे देश और हमारे संविधान पर जो हमला हो रहा है, वह हमारे राष्ट्र की बुनावट को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है.
इस लड़ाई से मैं किसी भी तरह से पीछे नहीं हट रहा हूं. मैं कांग्रेस पार्टी का एक वफ़ादार सिपाही और भारत का समर्पित बेटा हूं और मैं अपनी अंतिम सांस तक इसकी सेवा और रक्षा करता रहूंगा.
हम ने एक तीखा और प्रतिष्ठित चुनाव लड़ा. हमारा चुनाव प्रचार भारत के सभी लोगों, धर्मों और समुदायों के लिए भाईचारे, सहिष्णुता और सम्मान वाला था.
मैं ने अपने पूरे दमखम के साथ व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री, आरएसएस और उन संस्थाओं से संघर्ष किया है जिन्हें उन्होंने कब्जा कर रखा है. मैं लड़ा क्योंकि मैं भारत को प्यार करता हूं. मैं उन आदर्शों को बचाने के लिए लड़ा जिन की बुनियाद पर भारत खड़ा है.
एक समय मैं पूरी तरह अकेला खड़ा रहा और मुझे इस पर गर्व है. मैं ने अपने कार्यकर्ताओं और पार्टी सदस्यों, पुरुषों और महिलाओं के साहस और समर्पण से बहुत कुछ सीखा है. उन्होंने मुझे प्यार दिया और विनम्रता सिखाई है.
पूरी तरह से स्वतंत्र और साफ-सुथरे चुनाव के लिए देश की संस्थाओं का निष्पक्ष रहना अनिवार्य है. कोई भी चुनाव स्वतंत्र प्रेस, स्वतंत्र न्यायपालिका और एक पारदर्शी चुनाव आयोग जो कि निष्पक्ष हो के बगैर सही नहीं हो सकता. तब भी कोई चुनाव स्वतंत्र नहीं हो सकता है जब तक सभी वित्तीय संसाधनों पर एक ही पार्टी का कब्जा हो.
हम ने 2019 के चुनाव में एक राजनीतिक पार्टी का सामना नहीं किया, बल्कि हम ने भारत सरकार की पूरी मशीनरी के खिलाफ लड़ाई लड़ी, हर संस्था को विपक्ष के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था. यह बात अब बिल्कुल साफ है कि भारत की संस्थाओं की जिस निष्पक्षता की हम अब तक सराहना करते रहे थे, वह अब निष्पक्षता नहीं रही.
देश की सभी संस्थाओं पर कब्जा करने का आरएसएस का उद्देश्य अब पूरा हो गया है. हमारा लोकतंत्र अब मौलिक तौर पर कमजोर कर दिया गया है. सब से बड़ा खतरा यह है कि अब से चुनाव जो कि भारत का भविष्य निर्धारित करते थे अब वे केवल एक रस्मअदायगी भर रह जाएंगे.
सत्ता पर काबिज होने के परिणाम स्वरूप भारत को अकल्पनीय हिंसा और पीड़ा सहना करना होगा. किसानों, बेरोजगार नौजवानों, महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों को सब से ज्यादा नुकसान सहना होगा.
हमारे देश की अर्थव्यवस्था और साख पर भी इस का बुरा प्रभाव पड़ेगा. प्रधानमंत्री की इस जीत का मतलब यह नहीं है कि वे भ्रष्टाचार के आरोप से मुक्त हो गए हैं. कोई कितना भी पैसा ख़र्च कर ले या कितना ही प्रॉपेगैंडा कर ले, सचाई की रोशनी को छिपाया नहीं जा सकता है. भारत की संस्थाओं को दोबारा हासिल करने और उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए पूरे भारत को एक होना होगा और कांग्रेस पार्टी ही इन संस्थाओं को दोबारा खड़ा करेगी.
जय हिंद…
It is an honour for me to serve the Congress Party, whose values and ideals have served as the lifeblood of our beautiful nation.
I owe the country and my organisation a debt of tremendous gratitude and love.
Jai Hind 🇮🇳 pic.twitter.com/WWGYt5YG4V
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 3, 2019