हाइड्रोसील: कहीं आप भी तो नहीं इसके शिकार

हाइड्रोसील लड़को में होने वाली एक आम बीमारी के साथ-साथ एक खतरनाक बीमारी भी है जो लड़कों के अंडकोष (Testicle) में होती हैं. यह एक अंडकोष में भी हो सकती है और दोनों अंडकोषों में भी हो सकती हैं. इसमें अंडकोष (Testicle) सूज जाते हैं जिनमें असहनीय दर्द होता हैं. इसका प्रमुख कारण हैं अंडकोष में पानी जमा हो जाना.

तब अंडकोष की थैली फूल जाती है, तो इसे ‘हाइड्रोसील इस प्रोसेसस वजायनेलिस’ या ‘पेटेन्ट प्रोसेसस वजायनलिस’ भी कहते हैं. इस स्थिती में लड़के ना तो चल पाते  हैं ही ठीक से आराम कर पाते हैं. ऐसा माना जाता की कुछ लोगों में हाइड्रोसील की समस्‍या वंशानुगत या जन्मजात भी हो सकती है.

जन्मजात हाइड्रोसील नवजात बच्चे में होता है और जन्‍म के पहले वर्ष में समाप्त हो सकता है. वैसे तो यह समस्‍या किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 40 वर्ष के बाद इसकी शिकायत अक्‍सर देखी जाती है. कभी-कभी हाइड्रोसील में अंडकोष की सूजन में दर्द बिल्कुल भी नही होता और कभी-कभी तो बर्दाश्त के बाहर दर्द होता हैं.

तो क्या आप जानते की किन-किन वजह से हाइड्रोसील की समस्या होती हैं और इसके होने पर इसको उपचार कैसे किया जाता हैं. चलिए जानते हैं कि ऐसे कौन से घरेलू उपचार हैं जिसके करने से आप हाइड्रोसील से निजात पा सकते हैं.

हाइड्रोसील के कारण…

  • अंडकोष (testicle) पर चोट लगना.
  • अधिक शारीरिक संबंध बनाना.
  • खड़े-खड़े पानी पीना.
  • भारी वजन उठाना.
  • बिना लंगोट के जिम / कसरत करना.
  • साइकिल चलाते टाइम सही तरीके से ना बैठना.

ये तो हो गये हाइड्रोसील के होने के कारण पर क्या आप जानते हैं की आप हाइड्रोसील को कैसे पहचान सकते हैं.

पहचाने हाइड्रोसील को

  • अंडकोषों(testicles) में तेज दर्द होना.
  • चलने फिरने में कठिनाई और दर्द होना.
  • अंडकोष में बढ़ती सूजन.
  • ज्ञानेन्द्रियों की नसों का ढीला और कमजोर पड़ना.
  • शरीर अस्वस्थ होना, जैसे-उलटी, दस्त, कब्ज या बुखार होना.

कुछ घरेलू उपचार…

हाइड्रोसील की वृद्धि रोकने के लिए अंडकोष को बांधकर रखे. उन्हें लटकने न दे और कूदते-फांदते समय कभी भी ढीला ना छोड़े.

हल्दी को पानी में पीसकर अंडकोष पर लेप कर दे सूजन खत्म हो जाएगी.

अंडकोष की वृद्धि में, सरसों को पानी के साथ सिल पर पीस ले और अंडकोष पर लेप कर दें इससे अंडकोष का आकार सामान्य हो जाएगा.

अंडकोषों में पानी भर जाने पर रोगी 10 ग्राम काटेरी की जड़ को सुखाकर उसे पीस लें. फिर उसके पाउडर / चूर्ण में 7 ग्राम की मात्रा में पीसी हुई काली मिर्च डालें और उसे पानी के साथ ग्रहण करें. इस उपाय को नियमित रूप से 7 दिन तक अपनाएं. ये हाइड्रोसील का रामबाण इलाज माना जाता है क्योंकि इससे ये रोग जड़ से खत्म हो जाता है और दोबारा अंडकोषों में पानी नही भरता.

5 ग्राम काली मिर्च और 10 ग्राम जीरा लें और उन्हें अच्छी तरह पीस लें. इसमें आप थोड़ा सरसों या जैतून का तेल मिलाएं और इसे गर्म कर लें. इसके बाद इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाकर इसका पतला घोल बना लें और इसे बढ़े हुए अंडकोषों पर लगायें. इस उपाय को सुबह शाम 3 से 4 दिन तक इस्तेमाल करें आपको जरुर लाभ मिलेगा.

एस्पिरेशन प्रक्रिया से हो सकता हैं जल्द खत्म…

इस प्रक्रिया को सूची वेधन भी कहते हैं, इससे अंडकोष में जमा पानी को निकाला जाता है. एस्पिरेशन करने के बाद छिद्र बन्द करने के लिए स्क्लिरोजिंग औषधि को इंजेक्ट करते हैं. ऐसा करने से भविष्य में भी पानी जमा नहीं होता और हाइड्रोसील की शिकायत दोबारा होने की संभावना भी कम होती है. वैसे तो अंडकोष से पानी निकालने के लिए सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती है पर जो सर्जरी का खतरा नही उठाना चाहते उनके लिए यह अच्‍छा तरीका है.

हाइड्रोसीलोक्टोमी…

हाइड्रोसील इंग्वाइनल हार्निया होने पर इसे सर्जरी के जरिए जल्दी से जल्दी ठीक किया जाना जरूरी है. क्योंकि इस तरह का हाइड्रोसील महीनों और सालों तक खुद समाप्त नहीं होता. प्रायः हाइड्रोसीलोक्टोमी नामक सर्जरी से हाइड्रोसील ठीक किया जाता है.

हाइड्रोसील खतरनाक नहीं होते पर फिर भी इसमें सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है. अगर हाइड्रोसील का परिमाण इतना बढ़ गया हो जिससे तकलीफ होती हो तो सर्जरी की जरूरत होती है. हाइड्रोसील के कारण ब्लड सर्कुलेशन में समस्‍या हो सकती है. ऐसे में सर्जरी से इसका उपचार किया जाता है. तो ये थे कुछ घरेलू उपचार, पर यदि आप हाइड्रोसील से पीड़ित हैं तो घरेलू उपचार के अलावा डाक्टर की सलाह जरुर ले ताकि आप और जल्दी ठीक हो सके.

19 दिन 19 टिप्स: अंडकोश के दर्द को ना करें इग्नोर, हो सकता है कैंसर

अंडकोश के कैंसर पर नई खोज करने वाले अमेरिका के आर्मी मैडिकल सैंटर के यूरोलौजी औंकोलौजिस्ट विभाग के प्रमुख डा. का कहना है कि पुरुष अंडकोश के दर्द को सामान्य रूप में लेते हैं जिस की वजह से वे डाक्टर के पास देर से जाते हैं. कुछ डाक्टर के पास जाते भी हैं तो डाक्टर पहचानने में गलती कर जाते हैं. साधारण बीमारी समझ कर उस का इलाज कर देते हैं. कैंसर विशेषज्ञ का कहना है कि अधिकतर भारतीय पुरुष अंडकोश के कैंसर से अनजान हैं जिस की वजह से वे अपने अंडकोश में आए परिवर्तन की ओर ध्यान नहीं देते हैं.

जब समस्या बढ़ जाती है तब डाक्टर के पास पहुंचते हैं. हर पुरुष को चाहिए कि वह अपने अंडकोश में आए परिवर्तन पर ध्यान रखे. अंडकोश में दर्द, सूजन, आसपास भारीपन, अजीब सा महसूस होना, लगातार हलका दर्द बना रहना, अचानक अंडकोश के साइज में काफी अंतर महसूस करना, अंडकोश पर गांठ, अंडकोश का धंसना आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए. पुरुषों में यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है.

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अंडकोश कैंसर के कारण

किसी भी व्यक्ति के अंडकोश में कैंसर उत्पन्न हो सकता है. इस के होने की कुछ वजहें ये हैं :

क्रिस्टोरचाइडिज्म : यदि किसी युवक के बचपन से ही अंडकोश शरीर के अंदर धंसे रहें तो उसे अंडकोश कैंसर की समस्या हो सकती है. क्रिप्टोरचाइडिज्म का इलाज बचपन में ही करवा लेना चाहिए ताकि बड़े होने पर उसे खतरनाक समस्या से न जूझना पड़े. सर्जन छोटा सा औपरेशन कर के अंडकोश को बाहर कर देते हैं.

आनुवंशिकता : यदि पिता, चाचा, नाना, भाई आदि किसी को अंडकोश के कैंसर की समस्या हुई हो तो सावधान हो जाना चाहिए. टीएसई यानी टैस्टीक्युलर सैल्फ एक्जामिनेशन द्वारा अंडकोश की जांच करते रहना चाहिए.

बचपन की चोट : बचपन में खेलते वक्त कभी किसी बच्चे को यदि अंडकोश में चोट लगी है तो बड़े होने पर उसे अंडकोश के कैंसर की समस्या उत्पन्न हो सकती है. बचपन में चोट लगने वाले पुरुषों के अंडकोश में किसी तरह का दर्द, सूजन आदि महसूस होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए.

हर्निया : हर्निया की समस्या की वजह से भी किसीकिसी के अंडकोश में दर्द व सूजन उत्पन्न हो जाती है. ऐसे में डाक्टर से शीघ्र मिलना चाहिए.

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हाइड्रोसील : हाइड्रोसील की समस्या होने पर अंडकोश की थैली में पानी जैसा द्रव्य जमा हो जाता है. इस में अंडकोश में दर्द भले ही न हो लेकिन थैली के भारीपन से अंडकोश प्रभावित हो जाते हैं जिस की वजह से अंडकोश का कैंसर हो सकता है.

इंपोटैंसी : नई खोज के अनुसार, इंपोटैंसी की वजह से भी अंडकोश के कैंसर की समस्या उत्पन्न हो सकती है. डा. जूड मोले बताते हैं कि जिन लोगों को अंडकोश कैंसर की समस्या पाई गई है उन में से अधिकतर पुरुष इंपोटैंसी यानी नपुंसकता के शिकार थे.

अंडकोश का इलाज : अंडकोश में असामान्यता दिखाई देने पर तुरंत डाक्टर से मिलना चाहिए. डा. राना का कहना है कि ब्लड, यूरिन टैस्ट व अल्ट्रासाउंड द्वारा बीमारी का पता लगा लिया जाता है. बीमारी की स्थिति के मद्देनजर मरीज को दवा, कीमोथेरैपी या सर्जरी की सलाह दी जाती है. जिस तरह से महिला अपने स्तन का सैल्फ टैस्ट करती है उसी प्रकार पुरुष अपने अंडकोश का सैल्फ टैस्ट कर के जोखिम से बच सकते हैं.

सावधानी

विपरीत पोजिशन में संबंध बनाते वक्त ध्यान रखें कि अंडकोश में चोट न लगे.

तेज गति से हस्तमैथुन न करें, इस से अंडकोश को चोट लग सकती है.

किसी भी हालत में शुक्राणुओं को न रोकें. उन्हें बाहर निकल जाने दें नहीं तो यह शुक्रवाहिनियों में मर कर गांठ बना देते हैं. आगे चल कर कैंसर जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है.

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क्रिकेट, हौकी, फुटबाल, कुश्ती आदि खेल खेलते समय अपने अंडकोश का ध्यान रखें. उस में चोट न लग जाए. चोट लगने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं.

टाइट अंडरवियर न पहनें, लंगोट बहुत अधिक कस कर न बांधें. इस से अंडकोश पर अधिक दबाव पड़ता है.

सूती और हलके रंग के अंडरवियर पहनें. नायलोन के अंडरवियर पहनने से अंडकोश को हवा नहीं मिल पाती है. गहरे रंग का अंडरवियर अंडकोश को गरमी पहुंचाता है.

हमेशा अंडरवियर पहन कर न रहें. रात के वक्त उसे उतार दें जिस से अंडकोश को हवा लग सके.

अधिक गरम जगह जैसे भट्ठी, कोयला इंजन के ड्राइवर, लंबी दूरी के ट्रक ड्राइवर आदि अपने अंडकोश को तेज गरमी से बचाएं.

अंडकोश पर किसी प्रकार के तेल की तेजी से मालिश न करें. यह नुकसान पहुंचा सकता है.

बहरहाल, अंडकोश में किसी भी प्रकार की तकलीफ या फर्क महसूस करने पर खामोश न रहें. डाक्टर से सलाह लें. अंडकोश की हर तकलीफ कैंसर नहीं होती लेकिन आगे चल कर वह कैंसर को जन्म दे सकती है इसलिए इस से पहले कि कोई तकलीफ गंभीर रूप ले, उस का निदान कर लें.

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