तेजस्वी यादव: भाजपा के लिए खतरा

राज्य के मोकामा और गोपालगंज विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव राष्ट्रीय जनता दल के लिए बेहद खास थे. जनता दल (यूनाइटेड) और भाजपा के अलग होने के बाद ये पहले चुनाव थे. भारतीय जनता पार्टी चाहती थी कि राजद एक भी सीट न जीते, जिस से उस की साख पर बट्टा लग सके. इस के लिए भाजपा ने राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के मामा साधु यादव और मामी इंदिरा यादव को अपनी तरफ मिला लिया था. वह भाजपा की बी टीम की तरह से काम कर रहे थे. इस के बाद भी राजद ने उपचुनाव में मोकामा सीट पर जीत हासिल कर ली. तेजस्वी यादव कहते हैं, ‘‘गोपालगंज सीट पर भी हम ने भाजपा के वोटों में सेंधमारी की है. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में हमें 40,000 वोटों से हार मिली थी, जबकि उपचुनाव में सहानुभूति वोट के बाद भी केवल 1,700 वोटों से हारे हैं.

‘‘इस से इस बात का प्रमाण भी मिल गया है कि तेजस्वी यादव ने अब अपनी पकड़ मजबूत कर ली है. अब बिहार में राजद ही भाजपा को रोकने का काम कर सकती है.’’

33 साल के तेजस्वी यादव को 2 बार बिहार का उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिल चुका है. राजनीतिक जानकार तेजस्वी यादव को बिहार के भविष्य का नेता मान रहे हैं. बिहार में रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी अपना वजूद खो बैठी है. नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) में नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी कोई बन नहीं पाया है. नीतीश कुमार अब बिहार की राजनीति में हाशिए पर जा रहे हैं. कांग्रेस बिहार में अपने को मजबूत नहीं कर पा रही और भाजपा भी अपने बलबूते कुछ चमत्कार नहीं कर पा रही है. ऐसे में बिहार में सब से मजबूत पार्टी राजद के रूप में सामने है. ट्वैंटी20 क्रिकेट सा धमाल जिस तरह से 20 ओवर के क्रिकेट मैच में दमदार खिलाड़ी आखिरी ओवर तक रोमांच बना कर रखता है, कभी हिम्मत नहीं हारता है, ठीक वैसे ही तेजस्वी यादव भी हिम्मत नहीं हारते हैं और हारी बाजी अपने नाम कर लेते हैं. जिस भाजपा और जद (यू) गठबंधन ने तेजस्वी यादव को सत्ता से बाहर किया था, मौका मिलते ही तेजस्वी यादव ने उस बाजी को पलट कर वापस सत्ता में हिस्सेदारी कर ली.

तेजस्वी प्रसाद यादव का जन्म 10 नवंबर, 1989 को हुआ था. वे राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के बेटे हैं. तेजस्वी यादव क्रिकेट खेलना भी जानते हैं. उन्होंने दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए आईपीएल भी खेला है. दिसंबर, 2021 में दिल्ली की एलेक्सिस से उन की शादी हुई थी. तेजस्वी और एलेक्सिस दोनों एकदूसरे को 6 साल से जानते थे और पुराने दोस्त थे. तेजस्वी यादव को महज 26 साल की उम्र में बिहार का उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिला था. तब वे डेढ़ साल तक नीतीश कुमार की 2015 वाली सरकार में बिहार के उपमुख्यमंत्री रहे थे.

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी राजद को मजबूत किया. वे कांग्रेस गठबंधन में चुनाव लड़े. राजद सब से बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई. किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने के चलते नीतीश कुमार और भाजपा ने मिल कर सरकार बनाई. उस समय तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. 10 अगस्त, 2022 को नीतीश कुमार और भाजपा में अलगाव हो गया. इस के बाद नीतीश कुमार और राजद का तालमेल हुआ, जिस के बाद तेजस्वी यादव को दोबारा बिहार का उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिला. वे बिहार विधानसभा में राघोपुर से विधायक हैं.

तेजस्वी से डरती है भाजपा जिस तरह से लालू प्रसाद यादव ने 1990 के दशक में भाजपा के बढ़ते रथ को बिहार में रोका था और उसे अपने बल पर सत्ता में नहीं आने दिया था, वही काम अब तेजस्वी यादव कर रहे हैं. लालू प्रसाद यादव की राजनीति को खत्म करने के लिए भाजपा ने उन्हें चारा घोटाले में फंसाया था, वैसे ही अब तेजस्वी यादव को आईआरसीटी घोटाला मामले में फंसाने का काम हो रहा है. भाजपा समझ रही है कि अगर तेजस्वी यादव को रोका नहीं गया, तो उसे बिहार में सत्ता नहीं मिलेगी.

आईआरसीटी घोटाला मामले में तेजस्वी यादव के वकीलों ने केंद्र सरकार पर विपक्ष के खिलाफ सीबीआई व ईडी का गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया. आईआरसीटी घोटाला मामले में सुनवाई के दौरान तेजस्वी यादव के वकीलों ने कहा कि विपक्ष के नेता होने के नाते केंद्र सरकार के गलत कामों का विरोध करना उन का फर्ज है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बिहार के डिप्टी सीएम को फटकारते हुए कहा कि वे सार्वजनिक रूप से बोलते वक्त जिम्मेदाराना बरताव करें और उचित शब्दों का इस्तेमाल करें. आईआरसीटी घोटाला साल 2004 में संप्रग सरकार में लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है. रेलवे बोर्ड ने उस वक्त रेलवे की कैटरिंग और रेलवे होटलों की सेवा को पूरी तरह निजी क्षेत्र को सौंप दी थी. इस दौरान झारखंड के रांची और ओडिशा के पुरी के बीएनआर होटल के रखरखाव, संचालन और विकास को ले कर जारी टैंडर में अनियमितताएं किए जाने की बातें सामने आई थीं.

यह टैंडर साल 2006 में एक प्राइवेट होटल सुजाता होटल को मिला था. आरोप है कि सुजाता होटल के मालिकों ने इस के बदले लालू प्रसाद यादव के परिवार को पटना में 3 एकड़ जमीन दी थी, जो बेनामी संपत्ति थी. इस मामले में भी लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत 11 लोग आरोपी हैं. सीबीआई ने जुलाई, 2017 में लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव समेत 11 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इस के बाद सीबीआई की एक विशेष अदालत ने जुलाई, 2018 में लालू प्रसाद यादव और अन्य के खिलाफ दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लिया था. मामा का लिया सहारा तेजस्वी यादव को घेरने के लिए भाजपा उन के मामा साधु यादव का प्रयोग भी कर रही है. साधु यादव और उन की पत्नी इंदिरा यादव तेजस्वी का विरोध कर रहे हैं. परिवार का होने के कारण तेजस्वी यादव उन के खिलाफ खुल कर बोलने से बचते हैं.

साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में 75 विधायकों के साथ राजद सब से बड़ी पार्टी बनी थी. उपचुनाव में एक सीट पर जीत मिलने के बाद उस के विधायकों की संख्या 76 हो गई है. दूसरी तरफ भाजपा ने वीआईपी पार्टी के 3 विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर लिया था. इस के बाद भाजपा 77 विधायकों के साथ बिहार की पहले नंबर की पार्टी बन गई थी. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 4 विधायकों के पाला बदलते ही बिहार में राजद के पास विधानसभा में विधायकों की संख्या 80 हो गई है.

आने वाले दिनों में भाजपा और राजद के बीच सीटों को ले कर सांपसीढ़ी का यह खेल चलता रहेगा. लेकिन इस में तेजस्वी यादव भारी न पड़ जाएं, इस के लिए भाजपा उन की मजबूत घेराबंदी कर रही है. साधु यादव और उन की पत्नी इंदिरा यादव इस में सब से बड़ा मोहरा बन रहे हैं. आने वाले दिनो में बिहार में बड़ा उलटफेर हो सकता है, जिस के बाद बिहार में सरकार चलाने के लिए तेजस्वी यादव को नीतीश कुमार की जरूरत खत्म हो सकती है. राजद के साथ कुल

80 विधायक हैं. कांग्रेस और वाम दल तो पहले से ही महागठबंधन में हैं. इस से संख्या कुलमिला कर 114 है. अगर तेजस्वी यादव कहीं जीतनराम मांझी के 4 विधायक और कुछ निर्दलीय विधायकों को अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रहे, तो उन के साथ विधायकों की कुल संख्या 121 हो जाएगी, जो नीतीश कुमार के लिए खतरनाक हो जाएगा. आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव सब से बड़े नेता के रूप में उभर रहे हैं. यह भाजपा के लिए खतरा है. वह तेजस्वी यादव में मंडल युग का लालू प्रसाद यादव वाला असर देख रही है.

राजनीति के मंजे खिलाड़ी साबित हो रहे हैं तेजस्वी यादव

बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है. एक तरफ राजग गठबंधन है, तो दूसरी तरफ महागठबंधन. महागठबंधन की अगुआई नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रह चुके तेजस्वी यादव के हाथ में है. एक तरफ राजग गठबंधन में मंजे हुए राजनीतिबाज हैं तो दूसरी तरफ 30 साल का नौजवान नेता तेजस्वी यादव उन्हें चुनौती देने के लिए मुस्तैदी के साथ खड़ा है.

तेजस्वी यादव वर्तमान में बिहार विधायक दल के नेता प्रतिपक्ष हैं. वे बिहार विधानसभा में राघोपुर से विधायक हैं. वे खासकर नौजवानों के चहेते नेता के रूप में उभरे हैं. उन के ट्विटर हैंडल पर 20 लाख से भी जायद फालोअर हैं. तेजस्वी यादव जैसे नौजवान चेहरे से बिहार के लोगों में एक नई उम्मीद जगी है.

तेजस्वी यादव वर्तमान सरकार के मुखिया नीतीश कुमार और उन के सहयोगी दल भाजपा को हर मुद्दे पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं. इस कोरोना काल में हो रहे चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर वे काफी ऐक्टिव हैं. लोगों को अपनी बात सोशल मीडिया और अपने कार्यकर्ताओं के जरीए जनजन तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं.

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कृषि सुधार बिल और बेरोजगारी जैसे मुद्दे को तेजस्वी यादव चुनावी मुद्दा बनाने जा रहे हैं. तेजस्वी यादव का कहना है कि किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ केंद्र में भाजपा की सरकार बनाई थी, लेकिन अब उन के पेट पर ही प्रहार होने लगा है. शिक्षा, स्वास्थ्य के बाद कृषि को भी पूंजीपतियों के हाथों बेचा जा रहा है. किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की बाध्यता खत्म की जा रही है. किसान पूंजीपतियों के खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते. राज्य सरकार ने इस बिल का समर्थन कर के यह साबित कर दिया है कि वह राज्य के 70 फीसदी किसानों का भला नहीं चाहती है. इस सरकार को किसान तबके की जान की रत्तीभर भी परवाह नहीं है.

तेजस्वी यादव ने यह ऐलान कर दिया है कि किसानों के हकों की हिफाजत के लिए राजद का कृषि बिल के खिलाफ संसद से सड़क तक विरोध जारी रहेगा. नए कृषि बिल के जरीए सरकार किसानों को बरबाद करना चाहती है. उन की पार्टी इसे बरदाश्त नहीं करेगी. किसान विरोधी बिल का विरोध करते हुए उन्होंने ट्रैक्टर का स्टेयरिंग थामे हुए विरोध प्रदर्शन किया.

बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार में हर जातिधर्म के नौजवान बेरोजगारी से बेहाल हैं. राजग के लोग नौजवानों और बेरोजगारों को जातिधर्म के जाल में उलझाए रखना चाहते हैं, ताकि उन का सत्ता रूपी रोजगार चलता रहे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थक चुके हैं. उन पर उम्र का असर साफ दिखाई पड़ रहा है. वे रूढ़िवादी और अहंकारी सोच के चलते बिहार के करोड़ों नौजवानों के सपनों को साकार करने में नाकाम साबित हो रहे हैं.

पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने एक मंजे हुए नेता की तरह लोगों से अपील की थी कि अगर 15 साल के लालूराबड़ी शासनकाल में गलतियां हुईं तो वे उस के लिए माफी चाहते हैं. एक बार उन्हें मौका दे कर देखें. अगर मौका मिला तो वे किसी को निराश नहीं होने देंगे.

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बिहार के अवाम से उन्होंने अपील की कि अगर वह एक कदम आगे बढ़ेंगी तो वे चार कदम आगे बढ़ने के लिए तैयार हैं. उन्हें एक मौका दे कर देखें.

युवा राजद के राष्ट्रीय महासचिव ऋषि कुमार ने दिल्ली प्रैस को बताया कि वर्तमान सरकार से इस प्रदेश की जनता तंग आ चुकी है. वह इसे हर हाल में बदलेगी. तेजस्वी यादव की अगुआई में बिहार का कायाकल्प होगा. तेजस्वी यादव उत्साही, लगनशील और कर्मठ नौजवान हैं. बिहार को आगे बढ़ाने के लिए उन का एक अलग विजन है. बिहार को आगे बढ़ाने में वे हर हाल में खरा उतरेंगे.

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