रोजर फेडरर को पहले ही सेट में मात देने वाले सुमित नांगल के बारे में जानिए,

क्रिकेट भारत की आत्मा में बसता है. ये बात सच है लेकिन क्रिकेट के अलावा बाकी खेलों में भी अब भारतीय तिरंगा लहराने लगा है. क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम की हार ने करोड़ों खेल प्रेमियों का दिल तोड़ दिया था. उस हार के सदमें में कई क्रिकेट प्रेमियों ने खाना भी नहीं खाया था. लेकिन बीते एक पखवाड़ा में भारतीय खिलाड़ियों ने पूरे विश्व में अपना दमखम दिखाया है. पहले भारत की स्टार शटलर पीवी सिंधु ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल लाकर हिंदुस्तान को गौरन्वांवित किया, उसके बाद युवा टेनिस खिलाड़ी सुमित नागल ने जो किया वो अपने आपने में एक चौंकाने वाला है.

अक्सर खिलाड़ी की वाह-वाही तब होती है जब वो मैच जीत जाता है लेकिन सुमित नांगल के साथ ऐसा नहीं हुआ. सुमित नांगल मैच हार भी गए फिर भी उनको पूरे देश की तमाम बड़ी हस्तियों से शाबासी मिली. हरियाणा के झज्जर जिले में जन्म लेने वाले 22 वर्षीय नांगल का डेब्यू मैच ही रोजर फेडरर के साथ पड़ गया. अब आप समझ ही गए होंगे कि किसी का डेब्यू मैच हो उसके सामने वो खिलाड़ी हो जिसको इस खेल का महान खिलाड़ी कहा जाता हो तो फिर उस खिलाड़ी की सांसे तेज होना तो लाजिमी है लेकिन नांगल की सांसे तेज नहीं हुईं बल्कि टेनिस बैट से निकलने वाले शॉट्स तेज हो गए.

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साल के चौथे ग्रैंड स्लैम यूएस ओपन के पहले ही राउंड में सुमित का सामना टेनिस जगत के दिग्गज रोजर फेडरर से हुआ. मंगलवार को न्यूयॉर्क के आर्थर ऐश स्टेडियम में 22 साल के जोशिले क्वालिफायर सुमित नागल ने 38 साल के तजुर्बेकार फेडरर को जोरदार टक्कर दी. 20 बार ग्रैंड स्लैम विजेता रोजर फेडरर ने नागल को हल्के में ले लिया. फेडरर को यही गलती भारी पड़ गई. नांगल ने फेडरर को पहले सेट में 6-4 से हराकर अपनी ग्रांड ओपनिंग दी. फेडरर को समझ आ गया था कि ये कोई साधारण खिलाड़ी नहीं है. अंत में स्विस स्टार फेडरर ने नागल को 4-6, 6-1, 6-2, 6-4 से मात दी.

हरियाणा को खिलाड़ियों की धरती भी कहा जाता है. ओलंपिक में पदक जीतने वाले ज्यादातर खिलाड़ी इसी प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं. सुमित नागल भी हरियाणा के झज्जर जिले के जैतपुर गांव से हैं. परिवार में किसी की खेलों में जरा भी दिलचस्पी नहीं रही. उनके फौजी पिता सुरेश नागल को टेनिस में रुचि थी. सुमित को उनके पिता ने ही टेनिस खिलाड़ी बनाने के बारे में सोचा. सुरेश को एक रोज ख्याल आया कि उनका बेटा भी तो दूसरे खिलाड़ियों की तरह खेलता नजर आ सकता है. हरियाणा के सुमित नागल ने आठ साल की उम्र में टेनिस खेलना शुरू किया था.

सुमित के परिवार को उनकी ट्रेनिंग के लिए दिल्ली शिफ्ट होना पड़ा. 2010 में अपोलो टायर वालों की टैलेंट सर्च प्रतियोगिता में सुमित चुन लिए गए. दो साल तक उन्होंने स्पॉन्सर किया. सुमित ने महेश भूपति की एकेडमी में भी ट्रेनिंग ली थी. पिछले नौ साल से वो कनाडा, स्पेन, जर्मनी में ट्रेनिंग कर चुके हैं.

आंकड़ों के हिसाब से अगर भारत में टेनिस खिलाड़ियों की बात करें तो सानिया मिर्जा, लिएंडर पेस, महेश भूपति, रोहन बोपन्ना, सोमदेव देववर्मन, युकी भांबरी, अंकिता रैना इनका नाम ही सबसे ज्यादा लिया जाता है लेकिन अब इस लिस्ट में सुमित नांगल का नाम जुड़ गया. लिएंडर पेस भारत के शानदार टेनिस खिलाड़ी हैं. युगल और मिश्रित युगल में इनके नाम कुल चौदह ग्रैंड स्लैम खिताब है. डेविस कप में भारत के लिए उनका योगदान अकल्पनीय है. 1996 में अटलांटिक ओलंपिक खेलों में इन्होने कांस्य पदक जीता था. इसके बाद नंबर आता है महेश भूपति का. महेश भूपति के नाम चार ग्रैंड स्लैम युगल खिताब है. टेनिस खिलाडी लिएंडर के साथ उनकी जोड़ी शानदार रही है. महेश ने दोहा में 2006 में लिएंडर पेस के साथ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. भूपति डेविस कप में भी भारत के लिए भाग ले चुके हैं. भूपति ने कुल 46 डेविस कप खेले हैं जिनमे से 28 में जीत और 18 हार हाथ लगी.

वह भारतीय टेनिस के इतिहास में सर्वोच्च महिला टेनिस खिलाड़ियों में से एक हैं सानिया मिर्जा. इन्होने तीन प्रमुख मिश्रित युगल जीते 2009 ऑस्ट्रेलियन ओपन, 2012 फ्रेंच ओपन और 2014 में अमेरिकी ओपन. 2014 के एशियाई खेलों में सानिया ने साकेत मिरेनी के साथ मिश्रित युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और महिलाओं की डबल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था. अक्टूबर 2014 में डब्ल्यूटीए फाइनल में जीत हासिल की थी.

सोमदेव देवबर्मन ने 2002 में टेनिस खेलना शुरू कर दिया था और 2004 में एफ 2 कोलकाता चैम्पियनशिप में जीत के साथ सुर्खियों में आये. सोमदेव ने राष्ट्रमंडल खेल 2010 में एकल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था साथ ही एशियाई खेल 2010 में एकल और डबल्स इवेंट में भी स्वर्ण पदक हासिल किया.

इन सबके अलावा हमको दो नाम कभी नहीं भूलना चाहिए. जिन्होंने भारत को टेनिस से अवगत कराया. या यूं कहें कि भारत में टेनिस के जन्मदाता ही यही खिलाड़ी रहे हैं. पहला नाम आता है रमेश कृष्णन भारत के प्रसिद्ध टेनिस प्रशिक्षक और पूर्व टेनिस खिलाड़ी हैं. 1970 के दशक के अंत में जूनियर विंबल्डन और फ्रेंच ओपन में पुरुष एकल का खिताब जीता था. वर्ष 1980 के दशक में तीन ग्रैंड स्लैम के क्वार्टर फ़ाइनल तक पहुंचे और डेविस कप टीम में भी फ़ाइनल तक पहुंचे थे. रमेश कृष्णन 2007 में भारत के डैविस कप कप्तान रहे थे. इनके पिता रामनाथन कृष्णन थे जोकि भारत के प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी रहे हैं. इन्हें 1998 में भारत सरकार ने ‘पद्मश्री’ सम्मान से सम्मानित किया था.

दूसरा नाम आता है विजय अमृतराज. अमृतराज के छोटे भाई आनंद और अशोक देश का प्रतिनिधित्व करने वाले पहले खिलाड़ी थे. विजय ने अपना पहला ग्रांड प्रिक्स 1970 में खेला था। 1973 में वह विंबलडन और यू.एस. ओपन के क्वॉर्टर फाइनल तक पहुंचे, जहाँ उन्हें यान कोडेस और केन रोजवैल जैसे दिग्गज ही हरा सके.

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