17 टुकडें कर ली जान, साऊदी से इंडिया लौटे प्रेमी को मिला मौत का तोहफा

26 वर्षीय मोहम्मद वसीम अंसारी अपनी 17 वर्षीया गर्लफ्रेंड नरगिस से मिलने के लिए बेताब था. उस से मिलने की खातिर वह सऊदी अरब से इंडिया आया. यहां उस की 17 टुकड़ों में कटी लाश पुलिस ने बरामद की. आखिर किस ने और क्यों की वसीम अंसारी की हत्या?

पहली नजर में दिल दे बैठा वसीम

वसीम और नरगिस की मुलाकात करीब 2 साल पहले बिलासपुर से रांची जाते हुए ट्रेन में हुई थी. वसीम अपनी एक रिश्तेदारी में बिलासपुर आया था. वहां से लौटते हुए ट्रेन की भीड़भाड़ वाले कोच में जिस सीट पर वह बैठा था, उस के सामने ही एक गोरीचिट्टी कमसिन लड़की बैठी थी. लड़की अपनी मां के साथ थी. वसीम की निगाह उस पर से हट नहीं रही थी. हालांकि उस की मां से नजरें बचा कर वसीम लड़की को बीचबीच में गहरी निगाह से घूर लेता था.

वसीम अकेला था. यह कहें कि वसीम की निगाह लड़की के चेहरे से हट नहीं पा रही थी. थोड़ी ही देर बाद लड़की मां से बोली, ”मुझे प्यास लग रही है.’’  उन के पास पानी नहीं था. इस कारण उस की मां इधरउधर देखने लगी. वसीम ने अपने बैग से पानी की बोतल निकाली और आगे बढ़ा दी. लड़की ने बोतल को थाम लिया. पानी पीने के बाद बोतल वापस करती हुई मुसकरा कर बोली, ‘थैंक यू!

इस पर वसीम ने सिर हिलाते हुए उस की आंखों में आंखें डाल कर कहा, ”कोई बात नहीं, पानी ही तो है.’’ लड़की की मां भी झेंपती हुई लड़की से बोली, ”पानी वाला आएगा, तब एक बोतल खरीद लेना.’’ ”अम्मा, ट्रेन में पानी वाला नहीं आएगा, अगले स्टेशन से लेना होगा. कोई बात नहीं, मैं जा कर ला दूंगा.’’ ”हांहां…’’ लड़की बीच में ही बोल पड़ी. इस तरह से वसीम और उस लड़की के बीच बातचीत भी शुरू हो गई.

वसीम ने बातों ही बातों में उस से पूछ लिया, ”क्या नाम है आप का? पढ़ती हो?’’ ”मैं नरगिस सुलतान हूं. पढ़ाईलिखाई छूट गई है.’’ ”नरगिस सुलतान. वाह! कितना प्यारा नाम है. मगर पढ़ाई छूट गई, यह तो गलत बात हुई. अभी तो तुम्हारी उम्र ही क्या है? भला क्यों छूटी पढ़ाई?’’ इस पर नरगिस चुप हो गई, लेकिन उस की मां सकुचाती हुई बोली, ”घर में गमी हो गई थी बेटा, इस के बाद सब कुछ तहसनहस हो गया था…’’ यह कहतेकहते वह अपनी आंखें पोंछने लगी.

”ओह..! सौरी अम्मीजान, मैं ने आप का दिल दुखा दिया.’’ वसीम बोला. थोड़ी देर उन के बीच चुप्पी बनी रही. वसीम गाड़ी के बाहर भागते पेड़ों और खेतों को देखने लगा. नरगिस भी दूसरी खिड़की से बाहर देखने लगी थी. उसी ने चुप्पी तोड़ी. अनायास बोल पड़ी, ”अम्मी, देखो तो बाहर कितनी अच्छी हवा बह रही है.’’ ”हां, बिलकुल सही कह रही हो. मौसम सुहावना बना हुआ है.’’ 

वसीम ने हां में हां मिलाई. उस के बाद उन के बीच फिर से बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया. इस बार वे दूसरी बातें करने लगे. तुम क्या करते हो बेटा, काफी पढ़ेलिखे मालूम देते हो!’’ नरगिस की अम्मी बोली. ज्यादा नहीं.’’ वसीम बोला. काम क्या करते हो?’’ नरगिस ने पूछा. मैं बहुत जल्द सऊदी अरब जाने वाला हूं, वहीं नौकरी करूंगा. मुझे खूब रुपएपैसे कमाने हैं.’’ वसीम बोला. इस पर नरगिस आश्चर्य से वसीम को देखने लगी. मजाकिया लहजे में नरगिस बोल पड़ी, ”मेरे लिए भी वहां कोई काम मिल सकता है क्या?’’

क्यों नहीं?…वहां तो हर किसी के लिए कुछ न कुछ काम होता है.’’ वसीम बोला. अच्छा… मुझ जैसी अनपढ़ को भी!’’ नरगिस की आंखें आश्चर्य से फैल गईं. बातोंबातों में वसीम और नरगिस ने अपने मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिए. कुछ घंटे बाद दोनों अपनेअपने स्टेशनों पर उतर गए. वसीम और नरगिस अलगअलग शहरों में रहते हुए एकदूसरे से मोबाइल के जरिए जुड़े हुए थे. वसीम रांची का रहने वाला था, जबकि नरगिस बिलासपुर की थी.  एक बार उस ने नरगिस को बताया कि वह सऊदी जा चुका है. उसे बहुत सारा पैसा कमाना है. 

जब नरगिस के पाई कौल 

सऊदी अरब से कोरबा के पाली गांव की रहने वाली नरगिस के पास एक काल आई, ”हैलो…हैलो नरगिस, मैं वसीम बोल रहा हूं. कैसी हो?’’ काल का जवाब नरगिस शिकायती लहजे में देते हुए बोली, ”मैं कैसी हूं, यह पूछ रहे हो? बस, समझो जिंदा हूं.’’

”ऐसा क्यों कह रही हो नरगिस?’’ आश्चर्य से वसीम बोला. नरगिस कुछ नहीं बोली. वसीम ही दोबारा बोला, ”ऐसा मत कहो.’’ नरगिस का जवाब फिर शिकायत के साथ नाराजगी भरा था, ”इतने दिनों बाद तुम्हें मेरी याद आ रही है. मैं तो हमेशा तुम्हें याद करती हूं तुम्हें… नंबर भी दिया था, मगर?’’ बात पूरी किए बगैर चुप हो गई. इस पर वसीम ने कहा, ”नाराज मत हो नरगिस, जिस दिन से यहां आया हूं, सच कहो तो मैं तुम्हें कभी भूल नहीं पाया. यहां दम्मन, सऊदी अरब में इतना काम है कि मत पूछो…’’  वसीम मानो हाथ जोड़ कर के मनुहार कर रहा हो.

अच्छा, वहां काम में ही मन लगा रहता है, यह बात है. सिर्फ काम और पैसा ही तुम कमाते रहो और मैं तुम से बात भी नहीं करूं.’’  इतराती हुए नरगिस बोली. अरे, ऐसा नहीं है यार! मैं तो 24 घंटे तुम्हें याद करता रहता हूं. तुम्हारी सूरत मेरी आंखों के सामने घूमती रहती है. मैं संकोच में था कि फोन तुम उठाओगी या नहीं. हमें भूल तो नहीं गई होगी?’’ वसीम सहजता से बोला.

अच्छा! सीधा कहो न कि रुपयों से प्यार है, जो इतना दूर चले गए हो. तुम से तो प्यार करना फिजूल है.’’ नरगिस का ताना मारना वसीम पर असर कर गया.  वह बोला, ”अच्छा, मैं बहुत जल्दी तुम से मिलने आ रहा हूं… बस कुछ और रुपए और जोड़ लूं!’’ रुपए जोडऩा तो अच्छी बात है, तुम मेरे लिए क्या लाओगे?’’ नरगिस उस से जानना चाहती थी. अरे नरगिस, मैं आ रहा हूं यह क्या कम है. …और रुपएपैसे की क्या बात है. यहां जो मैं कमाता हूं वो घर भी भेज देता हूं. तुम्हारे लिए मैं ऐसी चीज लाऊंगा कि तुम खुश हो जाओगी! …और हां, अभी एक गिफ्ट मैं यहां से तुम्हें भेज रहा हूं. अब तो खुश हो जाओ.’’

यह सुन कर के नरगिस बड़ी खुशी से बोली, ”देखो, कोई अच्छी सी गिफ्ट भेजना, नहीं तो मैं वापस भेज दूंगी वहीं, सऊदी अरब.’’ वसीम और नरगिस के बीच होने वाली ये बातें कोई पहली बार नहीं हो रही थीं. वे अकसर काफी देर तक रोजाना मोबाइल पर बात करते थे. एक दिन भी इस में चूक होने पर नरगिस शिकायती लहजे में ताना भी मार देती थी. तब वसीम माफी मांगता और फिर दोनों फोन पर ही जीनेमरने की कसमें खाने लगते. एक दिन फेसबुक लाइव में बातों ही बातों में नरगिस बोली, ”वसीम, तुम्हारी बहुत याद आ रही है.’’

इसी के साथ उस ने अपने बदन को अधखुला कर दिया. इस का असर वसीम पर भी हुआ…और देखते ही देखते दोनों बेपरदा हो गए. एकदूसरे को देख शर्मसार भी हुए…

हजारों किलोमीटर की दूरी से इस अनुभूति का दोनों ने वीडियो कालिंग को थैंक्स बोला. छूटते ही वसीम ने नरगिस को फेसबुक, इंस्टाग्राम के लिए रील बनाने की सलाह दे डाली.

वसीम ने गर्लफ्रेंड को दी खुशखबरी

बात 26 जून, 2024 की है. शाम के वक्त नरगिस के मोबाइल पर वसीम की काल आई, ”रेहाना, मैं अगले महीने 2 जुलाई को आ रहा हूं.’’ सच विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन तुम कहां आओगे? मेरे पास ही न!’’ हां, मैं रांची प्लेन से आ रहा हूं, उस के बाद सीधा तुम्हारे पास आ जाऊंगा, तुम मिलोगी न!’’ कैसी बात करते हो, तुम इतनी दूर से आ रहे हो और मैं भला नहीं मिलूंगी. तुम ने मेरे लिए इतने सारे गिफ्ट भेजे हैं, साडिय़ां भेजी हैं… क्या मैं तुम्हें भूल सकती हूं. लेकिन यह तो बताओ कि तुम अब वहां से मेरे लिए क्या बेशकीमती चीज ला रहे हो?’’ नरगिस मचलती हुई बोली.

कुछ सेकेंड तक वसीम चुप रहा, फिर धीरे से बोला, ”तुम दिल छोटा न करो… सऊदी अरब से आ रहा हूं, कुछ अच्छा ही लाऊंगा तुम्हारे लिए. तुम्हें तो मालूम है कि यहां पैसा ही पैसा है. हवा में उड़ता है पैसा, कोई पकडऩे वाला होना चाहिए. मैं यहां पैसे कमाने ही तो आया हूं और तुम्हारी दुआ से मैं यहां बहुत खुश हूं, मगर तुम्हारे प्यार के कारण आ रहा हूं.’’ इस के बाद वसीम ने अपने घरपरिवार के बारे में बातें कीं. बातों ही बातों में उस ने बताया कि उस के परिवार वाले उस के निकाह की तैयारी कर रहे हैं. लड़की तलाश रहे हैं. यह सुन कर नरगिस रुआंसी हो गई.

वसीम ने बताया कि वह पहले उस से मिलने के लिए आ रहा है, उस के बाद ही वह अपने घर रांची, झारखंड जाएगा. इस पर नरगिस सुलतान ने कहा, ”ठीक है, जैसे ही रांची से रवाना होना, मुझे बताना. मैं बिलासपुर आ जाऊंगी.  और फिर हम वहां से चैतमा आ जाएंगे.’’ 2 जुलाई, 2024 नरगिस को वसीम ने फोन किया, ”रेहाना, मैं इंडिया आ चुका हूं और शाम तक रांची हमारा प्लेन लैंड करने वाला है.’’

यह सुन कर के नरगिस बहुत खुश हो गई. वसीम भी नरगिस से मिलने की बात सोच कर बहुत ही प्रसन्न था. नरगिस ने भी कह दिया, ”मैं बिलासपुर आ रही हूं और वहां से हम लोग आगे का प्लान बना लेंगे.’’  वसीम ने संशय से कहा, ”तुम फिजूल ही क्यों आ रही हो, मैं गाड़ी ले कर के तुम से मिलने आ जाऊंगा.’’ ”अरे नहीं, मेरे एक मुंहबोले भाई हैं न बादशाह, उन के पास गाड़ी है. घूमतेफिरते आ जाएंगे. रांची से सिर्फ 50 किलोमीटर ही तो है बिलासपुर.’’

”तब ठीक है. मैं शाम को 3 बजे के आसपास बिलासपुर पहुंच जाऊंगा. तुम्हारा इंतजार रहेगा. नरगिस, तुम से मिलने के लिए मैं कितना बेताब हूं, इस का तुम्हें शायद अंदाजा नहीं है… कब होगी मुलाकात और कब मैं तुम्हें अपनी बांहों में भरूंगा. हरदम इसी कल्पना में खोया रहता हूं.’’ ”अच्छा, अब मैं फोन रखती हूं.’’ इठलाते हुए नरगिस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

17 टुकड़ों में मिली लाश

बुधवार के दिन 10 जुलाई, 2024 को छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा के थाना पाली में किसी ने फोन कर के सूचना दी कि गोपालपुर डैम के पास एक पिट्ठू बैग में कोई संदिग्ध चीज है. बैग के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही हैं और तेज बदबू फैल रही है. यह सूचना मिलते ही एसएचओ चमन लाल सिन्हा कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर गोपालपुर डैम के पास पहुंच गए. उन्होंने जब वह बैग खुलवाया तो किसी युवक की टुकड़ों में कटी लाश निकली. उस का सिर और कुछ अंग गायब थे. 

पुलिस की प्रारंभिक जांच में पाया गया कि बरामद लाश को धारदार हथियार से टुकड़ों में काटा गया था. एसएचओ ने यह जानकारी कोरबा के एसपी सिद्धार्थ तिवारी के साथसाथ कोटघरा शहर की एडिशनल एसपी नेहा वर्मा और एसडीओपी पंकज ठाकुर को भी दे दी गई. एफएसएल यूनिट प्रभारी सत्यजीत कोसरिया और थाना पाली, चौकी चैतमा सहित साइबर टीम को सूचना दे दी गई. एसपी के निर्देश पर उपरोक्त अधिकारियों की टीम मौके पर गई. वहां की गई सूक्ष्म जांच के सिलसिले में गोताखोरों ने डैम में दोपहर तक मृतक का सिर व अन्य लापता अंगों से भरी एक बोरी तलाश ली. बरामद बैग में लाश के टुकड़ों के साथ एक आधार कार्ड, पासपोर्ट एवं एक फ्लाइट टिकट भी मिली.

उन दस्तावेजों की जांच के आधार पर मृतक की पहचान मोहम्मद वसीम अंसारी पुत्र मोहम्मद जमीर अंसारी के रूप में हुई. उस की उम्र 26 साल थी और वह कांता तोला, रांची, झारखंड का निवासी था. वहीं से उस के भाई का फोन नंबर भी मिल गया. पुलिस ने उन के बड़े भाई मोहम्मद तहसीन से फोन पर बात की. उन्हें घटना की जानकारी दे कर कोरबा बुलाया गया. फोन पर ही तहसीन ने बताया कि उस का भाई मोहम्मद वसीम पिछले 2 सालों से सऊदी अरब में सुरक्षा अधिकारी की नौकरी कर रहा था. वह वहां से कब आया, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है.

वसीम की नृशंस तरीके से की गई हत्या कोरबा से ले कर रांची तक में चर्चा का विषय बन गई. आम और खास लोग यह जानने को उत्सुक थे कि आखिर किस ने और क्यों इस तरह मासूम नौजवान वसीम अंसारी को मार डाला? उस से किस की क्या दुश्मनी थी, जो उस के सऊदी से लौटते ही हत्या हो गई? क्या कोई पहले से ही घात लगाए बैठा था?

लोग तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे. इधर समय बीता जा रहा था. चौतरफा सनसनी बढ़ती जा रही थी. पुलिस जांच टीम तत्परता से बड़ी सतर्कता के साथ काम कर रही थी.  कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए पुलिस जांच को आगे बढ़ा रही थी. जुड़े पहलुओं की जांच पर यह तथ्य उजागर हुआ कि मृतक की सोशल मीडिया के माध्यम से बांसटाल चैतमा, थाना पाली की एक अवयस्क बालिका नरगिस से कई बार बातचीत हुई है. उन के बीच बातचीत इंटरनैशनल वीडियो काल, वाट्सऐप काल से हुई थी. बरामद मोबाइल में संयोग से उन दोनों की बातचीत के रिकार्डिंग क्लिप्स भी थे.

क्यों की गई वसीम की हत्या

पुलिस ने जब नरगिस के बारे में खोजबीन की, तब वह अपने घर से गायब मिली. उस के बारे में यह भी पता चला कि वह अपने किसी राजा खान उर्फ बादशाह नाम के प्रेमी के साथ फरार है. पुलिस नरगिस के साथसाथ राजा खान की भी तलाश करने लगी. जल्द उन का पता चल गया. वे ओडिशा के राउरकेला में एक होटल से पकड़े गए. उन्हें कोरबा ला कर पूछताछ शुरू की गई. नरगिस सुलतान के चेहरे से मासूमियत झलक रही थी, जो शायद कमसिन उम्र का तकाजा था. चेहरे की ताजगी बता रही थी कि वह बेकुसूर है. वह डरीसहमी थी. उस ने वसीम के साथ किसी तरह की जानपहचान होने से साफसाफ इनकार कर दिया. बड़े सामान्य ढंग से उस ने पुलिस को बताया कि वह मोहम्मद वसीम नाम के किसी व्यक्ति से मिली ही नहीं है.

मगर पुलिस के पास उस की और वसीम की बातचीत के सबूत थे. पुलिस जांच टीम के एक सदस्य ने सख्ती के साथ पूछताछ की और मोबाइल ट्रेस की जानकारी सामने रखी तो वह टूट गई. इस के बाद उस ने जो घटनाक्रम बयान किया, उस से वसीम की हत्या की तसवीर भी सामने आ गई.  महज 17 साल की नरगिस ने बताया कि वह राजा से मोहब्बत करती है और अपने परिवार को छोड़ चुकी है. दोनों साथ रहते हैं. इसी के साथ उस ने बताया कि उस ने पैसों के लालच में प्रेमी के साथ मिल कर वसीम की हत्या की.

नरगिस के इस बयान के बाद पुलिस ने राजा खान के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कर ली. आरोपी राजा खान उर्फ बादशाह 20 साल का नवयुवक था. वह बांसटाल चैतमा थाना पाली, जिला कोरबा का निवासी है. उस ने पुलिस से नरगिस के बारे में जो भी बातें बताईं, उस से यह साबित हो गया था कि वह और नरगिस एकदूसरे को बेइंतहा चाहते हैं.  दोनों अपनी मरजी से साथसाथ रह रहे थे. उस ने यह भी बताया कि नरगिस से उसे वसीम के बारे में जानकारी मिली थी और उस के कहने पर ही उस की योजना में शामिल हो गया था.

राजा खान ने बताया कि नरगिस ने उसे  मोहम्मद वसीम के सऊदी अरब से वापस आने की जानकारी दी थी. नरगिस ने उसे यह भी बताया था कि वसीम उस के रूपजाल पर लट्टू है और उसे दिलोजान से चाहता है. उस ने 2 सालों के भीतर सऊदी में रह कर बहुत पैसा कमाया है. उन पैसों को वह साथ ले कर आने वाला है. इसी लालच में उस ने वसीम को अपने जाल में फंसा लिया था. नरगिस उस से प्रेम का दिखावा करती थी.

नरगिस के कहने पर ही राजा खान ने बोलेरो गाड़ी किराए पर ली थी. उस पर सवार हो दोनों बिलासपुर गए थे. वसीम से मिलने पर नरगिस ने राजा का परिचय मुंहबोले भाई के रूप में दिया था. उस के बाद वे तीनों राजा के घर चैतमा आ गए. उस रोज मोहम्मद वसीम बहुत खुश था. राजा ने बताया कि वसीम ने बातों ही बातों में उस से कहा था कि उस की जिंदगी का खुशनुमा दिन आया है. उस ने यह भी कह डाला कि नरगिस से वह बेइंतहा मोहब्बत करता है. आज की रात वह उस के साथ गुजारेगा. उस वक्त घर में राजा और नरगिस के अलावा कोई नहीं था. नरगिस भी खुश नजर आ रही थी. वसीम ने आते ही उसे एक अच्छा गिफ्ट का पैकेट पकड़ा दिया था. इस पर नरगिस बोली थी, ”मैं आज तुम लोगों के लिए खाने में चिकन बना देती हूं.’’

इस तरह से की गई वसीम की हत्या

थोड़ी देर बाद रात होने पर सभी ने एक साथ खाना खाया था. उस के बाद राजा खान बाहर चला गया. नरगिस ने वसीम को बताया कि राजा अपने दोस्त के घर गया है, सुबह आएगा. वसीम यह सुन कर खुश हो गया. उसे नरगिस के साथ एकांत में रात गुजारने का मौका मिल गया था. दोनों खुशी से बातें करने में मशगूल हो गए. तभी पीछे के दरवाजे से राजा खान अचानक घर में आ घुसा. वसीम नरगिस से बातें करते हुए उस के काफी करीब आ चुका था.

नरगिस को वह अपनी बांहों में कसना ही चाहता था कि राजा खान ने मुरगी काटने वाले छुरे से वसीम अंसारी की गरदन पर पीछे से वार कर दिया. अचानक हुए वार से वसीम तिलमिला गया. वह बुरी तरह जख्मी हो गया और तड़पता हुआ कभी नरगिस को तो कभी राजा खान को देखने लगा. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उस के साथ यह क्या हो रहा है? हंसते हुए राजा खान बोला, ”तुम नरगिस को चाहते हो, मेरी नरगिस को, हाहाहा… नरगिस सिर्फ मेरी है. नरगिस, बताओ इस बेवकूफ को जो तुम्हें पाने के लिए यहां आ गया है.’’

राजा की बातों में हां में हां मिलाते हुई बोली, ”तुम्हारा सारा पैसा अब हमारा होगा, हम दोनों जिंदगी भर ऐश करेंगे. हाहाहा.’’  नरगिस की इस हरकत पर वसीम तड़पता हुआ बोला, ”धोखा! मेरे साथ धोखा कर रही हो, ठीक नहीं होगा.’’ यह सुनना था कि राजा ने वसीम पर छुरे से लगातार 3-4 ताबड़तोड़ वार कर दिए. नरगिस ने तड़पते वसीम के पैर दबोच लिए थे. राजा खान ने ताबड़तोड़ वार कर उस का सिर धड़ से अलग कर दिया.  उस के बाद दोनों ने मिल कर वसीम के हाथों और पैरों को धड़ से अलग कर दिया. शव को 17 टुकड़ों में काट डाला. इस के लिए राजा ने पहले से ही छुरे के अलावा आरी ब्लेड ला कर घर में छिपा कर रख दिया था. वसीम की लाश के कटे टुकड़ों को उन्होंने प्लास्टिक की बोरी में भर लिया.

नरगिस और राजा ने बोरी को पिट्ठू बैग और एक ट्रौली बैग में बांध कर बाइक पर रख डैम में फेंकने की योजना बनाई. यह सब करतेकरते सवेरा हो गया था. शव के कुछ टुकड़े बच गए थे. वो उन्होंने घर के फ्रिज में छिपा कर रख दिए. अगले रोज 3 जुलाई, 2024 की रात में करीब लगभग 11 बजे स्पलेंडर बाइक से गोपालपुर डैम में फेंक कर दोनों घर वापस आ गए. वसीम की पहनी हुई सोने की चेन और अन्य सामान घर में छिपा दिया. 

नरगिस ने बातोंबातों में वसीम के मोबाइल का पासवर्ड पता कर लिया था. मोबाइल से यूपीआई आईडी चैक किया तो दोनों के होश उड़ गए. कारण, उन्होंने सोचा था कि सऊदी अरब में नौकरी करने के कारण कम से कम 50 लाख रुपए तो उस के एकाउंट में होंगे ही. मगर मिले सिर्फ 3 लाख रुपए. यह देख कर दोनों निराश हो गए. कुछ पैसे ही अपने खातों में ट्रांसफर कर पाए. आरोपी नरगिस सुलतान और राजा खान उर्फ बादशाह को पूछताछ करने के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल छुरा, बाइक आदि सामान जब्त कर लिया गया. 

राजा खान को 12 जुलाई, 2024 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश कर दूसरी आरोपी नरगिस सुलतान को नाबालिग होने के कारण किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया, जहां से उसे बालसुधार गृह भेज दिया गया. उक्त अपराध का खुलासा करने वाले एसपी (सिटी) दर्री नगर रविंद्र कुमार मीना के मार्गदर्शन में एसएचओ (पाली) चमन लाल सिन्हा, चौकीप्रभारी चैतमा चंद्रपाल खांडे, विमलेश भगत, एसआई पुरुषोत्तम उइके, कांस्टेबल अनिल कुर्रे, आशीष साहू तथा साइबर टीम के हैडकांस्टेबल राजेश कंवर, चंद्रशेखर पांडेय, आर. रवि चौबे, डेमन ओग्रे, बिरकेश्वर प्रताप सिंह, आलोक टोप्पो, सुशील यादव, लेडी कांस्टेबल सुषमा डहरिया एवं चौकी चैतमा के इंचार्ज की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में नरगिस परिवर्तित नाम है.

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