शाम के साढ़े 6 बज रहे थे. रेलगाड़ी अभी प्लेटफार्म पर आ कर रुकी ही थी. रामपुर गांव की इक्कादुक्का सवारियां ही थीं. 21 साल की बेला शहर से गांव आई थी. उस के पास ज्यादा सामान नहीं था. रेलवे स्टेशन से घर की दूरी यों तो पैदल 20-25 मिनट की ही थी, पर बेला ने रिकशे से घर जाना सही समझ. लेकिन रेलवे स्टेशन के बाहर सन्नाटा पसरा था.
एक बार को बेला ने अपने बड़े भाई मनोज को फोन कर के रेलवे स्टेशन आने को कहने की सोची, पर उसे लगा कि परिवार वालों को सरप्राइज देगी, तो बड़ा मजा आएगा. फिर उसे गांव का चप्पाचप्पा पता है, अभी कच्ची सड़क से गांव की ओर हो लेगी, तो 15-20 मिनट में ही घर पहुंच जाएगी.
कच्ची सड़क पर अंधेरा रहता था और चूंकि यह गांव जंगल से घिरा था, तो रास्ता सुनसान भी था. जंगली जानवरों का भी डर बना रहता था. लेकिन बेला बेफिक्र हो कर घर के लिए चल दी.
पर, अभी बेला कुछ ही दूर गई थी कि उसे किसी की आहट हुई. पहले तो उसे लगा कि यह उस का वहम है, पर बाद में कोई साया अचानक से बेला पर झपटा और उसे घसीटता हुआ जंगल के भीतर ले गया.
इधर बेला के साथ हुई घटना से अनजान उस के परिवार वाले दीवाली की तैयारियों में लगे हुए थे.
‘‘मनोज, बेला किसी भी दिन आ सकती है. उस के आने से पहले घर में सफेदी हो जानी चाहिए. थोड़े दीए और बिजली की झलर भी सजावट के लिए ले आना. यह तेरी बहन की इस घर में शायद आखिरी दीवाली है. फिर तो अगले साल हम उस की शादी करा देंगे. कब तक बेटी को घर पर बिठा कर रखेंगे.’’
‘‘अरे मां, तुम भी कहां बेला की शादी के पीछे पड़ गई हो. अभी 21 साल की ही तो है. करा देना 2-4 साल में उस की शादी. तुम्हारा बेटा 24 साल का हो गया है, उस की कोई फिक्र नहीं,’’ मनोज ने अपनी मां शांति देवी के गले में हाथ डालते हुए चुहलबाजी की.
‘‘तुझे बड़ा शादी करने का शौक चढ़ा है. चिंता मत कर, तेरे भी हाथ जल्दी पीले कर देंगे,’’ पड़ोस की रीता भाभी ने अचानक से घर आ कर कहा, तो मनोज शरमा गया.
‘‘भाभी, यह चीटिंग है. तुम ने छिप कर हम मांबेटे की बात सुन ली,’’ मनोज ने शिकायती लहजे में कहा.
‘‘अरे, छिप कर कहां सुन रही थी. तेरी पसंद की कढ़ी बनाई थी, वही देने आई थी. अगर कल तेरे भैया बताते कि आज रात को मैं ने कढ़ी बनाई थी और तु?ो नहीं दी, तो तू मेरी नाक में दम नहीं कर देता,’’ रीता भाभी ने कढ़ी का एक कटोरा मनोज को थमाते हुए कहा.
‘‘भाभी हो तो आप जैसी. काश, बेला भी यहां होती, तो हम दोनों कढ़ी खाते,’’ मनोज ने कहा.
‘‘कब आ रही है हमारी लाड़ो?’’ रीता भाभी ने पूछा.
‘‘शायद, परसों तक वह आ जाएगी. अभी पूछ लेता हूं उस से,’’ मनोज ने कहा.
मनोज ने बेला को फोन किया, पर वह आउट औफ नैटवर्क एरिया बता रहा था. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था. मनोज के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं.
पर रीता भाभी ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं देवरजी, बाद में बेला खुद ही फोन कर लेगी,’’ इतना कह कर वह अपने घर चली गई.
पर जब देर रात तक मनोज की बेला से फोन पर बात नहीं हुई, तो उस ने बेला की सहेली प्रिया को फोन किया. प्रिया ने बताया कि बेला तो आज ही शाम की रेलगाड़ी से गांव आने वाली थी, तो मनोज के पैरों तले की जमीन खिसक गई.
मनोज ने यह बात जब अपने पिताजी सूरजभान को बताई, तो वे भी चिंतित हो गए और वे दोनों शांति देवी को बिना बताए घर से बाहर चले गए.
घर से थोड़ी ही दूरी पर सूरजभान ने गांव के 4-5 पक्के दोस्तों को अपने साथ लिया और रात को ही रेलवे स्टेशन की तरफ निकल गए. मनोज के साथ उस का जिगरी दोस्त दिनेश भी था. सब के पास लाठी और टौर्च थीं.
मोटरसाइकल से उन्हें रेलवे स्टेशन पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगी. वहां के चौकीदार बनवारी ने बताया कि बेला शाम की रेलगाड़ी से आई थी और शायद कच्ची सड़क से घर की तरफ गई थी.
यह सुन कर सब के कान खड़े हो गए. दरअसल, पिछले कुछ समय से उस इलाके में किसी ऐसे अनजान हिंसक जानवर का खौफ था, जो मवेशियों के साथसाथ इनसानों पर भी हमला कर सकता था. कहीं बेला भी उसी जानवर का शिकार तो नहीं हो गई है?
‘‘मनोज बेटा, एक बार फिर से बेला का मोबाइल नंबर लगा. क्या पता, इस बार घंटी बज जाए,’’ सूरजभान ने कच्ची सड़क पर आगे बढ़ते हुए कहा.
मनोज ने तुरंत ही जेब से फोन निकाला और बेला का नंबर मिला दिया. इस बार घंटी की आवाज आई, जो नजदीक ही जंगल की ओर से आ रही थी.
वे सब घंटी की आवाज की तरफ दौड़े. सड़क के बाएं ओर जंगल के कुछ भीतर बेला का बैग पड़ा मिला. फोन उसी बैग में बज रहा था.
‘‘पापा, यह तो बेला का बैग है. मैं ने जन्मदिन पर उसे दिया था. बेला भी यहीं आसपास होगी,’’ मनोज ने कहा.
इधर बेला के घर में मनोज की मां शांति देवी को भनक लग गई थी कि उन की बेटी आज गांव आ रही थी, पर घर नहीं पहुंची. उन का रोरो कर बुरा हाल था. आसपास की औरतें उन्हें दिलासा दे रही थीं और दबी जबान में आदमखोर जानवर का जिक्र भी कर रही थीं.
‘‘दिन ढले अकेले घर आने की क्या तुक थी. अपने भाई को ही फोन कर लेती. मोटरसाइकिल से तुरंत घर ले आता,’’ पड़ोस की माया ताई ने कहा.
‘‘अब तो ऐसी बातें करने का कोई मतलब नहीं है. बच्ची सहीसलामत हो,’’ पड़ोस की रीता भाभी ने कहा.
‘‘बस, एक बार मेरी बेटी घर आ जाए और मुझे कुछ नहीं चाहिए. एक बार मनोज को फोन मिला कर देखो कोई…’’ शांति देवी रोते हुए बोलीं.
वहां जंगल के कुछ भीतर जाते ही बेला बेहोशी की हालत में पड़ी मिली. उस पर किसी के द्वारा खरोंचे जाने के निशान थे. उसे बुरी तरह घसीटा गया था.
सूरजभान अपनी बेटी बेला की ऐसी हालत देख कर आंसू नहीं रोक पाए. मनोज ने पाया कि बेला की सांसें बड़ी धीमी थीं. लगता है, जानवर उसे घसीट कर जंगल के भीतर तो ले गया था, पर बिना खाए ही भाग गया.
इतने में थोड़ी दूर से दिनेश की डरी हुई सी आवाज आई, ‘‘सब लोग इधर आओ. बृजभान पहलवान के बिगड़ैल बेटे सनी की लाश यहां पड़ी है. किसी जंगली जानवर ने बड़ी बेरहमी से इस का शिकार किया है.
‘‘मुझे लगता है कि बेला को जंगली जानवर से बचाने के लिए यह उस से भिड़ गया और अपनी जान गंवा बैठा.’’
सनी की गांव में इमेज अच्छी नहीं थी. वह हर किसी से पंगा लेता था और चूंकि गांव में उस के बाप का दबदबा था, तो हर कोई उस से बचता था. पर आज तो सनी ने अपनी जान पर खेल कर बेला की इज्जत बचाई थी.
आननफानन ही वहां पुलिस बुलाई गई. सनी की लाश का पंचनामा किया गया. बेहोश बेला और सनी की लाश को जल्दी से शहर के सरकारी अस्पताल में भेजा गया.
कुछ पुलिस वालों ने गांव के लोगों के साथ आदमखोर जंगली जानवर की तलाश की, पर निराशा ही हाथ लगी. अब तो बेला के होश में आने पर ही इस कांड की हकीकत पता लग सकती थी.
अगली सुबह इस मामले को ले कर पंचायत बैठी. पूरा गांव जुटा हुआ था. बेला और सनी के साथ हुए इस कांड ने सब को चिंतित कर दिया था. बेला को किसी भी समय होश आ सकता था, पर गांव की हिफाजत के लिए पंचायत को भी कोई कठोर फैसला लेना था.
हड्डियों का ढांचा हो गए भीखू ने खड़े हो कर पंचों को नमस्कार किया और चिंता जताई, ‘‘क्या कहें भैया, हर जगह जंगली जानवरों ने आतंक मचा रखा है. उत्तर प्रदेश में भेडि़ए के हमले की खबरें आने के बाद अलगअलग राज्यों से अलगअलग जानवरों के हमले के मामले सामने आ रहे हैं.
‘‘गुजरात में तेंदुए, तो छत्तीसगढ़ में हाथी का आतंक है. ओडिशा में सियार के हमले की खबरें सामने आई हैं. गंजाम जिले के पोलासारा इलाके के 3 गांवों
में सितंबर महीने के आखिरी दिनों में सियारों के हमले में 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिस के बाद इलाके में ‘हाई अलर्ट’ जारी कर दिया गया.’’
‘‘भीखू सही कह रहा है. सरकारी अफसरों ने बताया कि ओडिशा में सियारों के हमले में हटियोटा, जेमादेईपुर और चंद्रमादेईपुर गांवों के कई बुजुर्गों के साथसाथ औरतें भी घायल हुई हैं,’’ रामदीन ने कहा.
‘‘उत्तर प्रदेश के बहराइच इलाके में जंगली भेडि़यों ने तो लोगों की नाक में दम कर रखा था, जिस ने कई बच्चों को अपना शिकार बना लिया था. वहीं, हमीरपुर जनपद में भी जंगली जानवरों का आतंक देखने को मिला था.
‘‘वहां के मौदहा इलाके में लोमड़ी ने एक औरत और बच्ची को हमला कर के घायल कर दिया था, जबकि बिवांर थाना क्षेत्र के पाटनपुर गांव में लकड़बग्घों के झंडू ने पशुबाड़े में हमला कर के 25 भेड़ें मार डाली थीं,’’ एक लड़के राजवीर ने जोश में आ कर कहा.
‘‘बरेली के नगर बहेड़ी इलाके में एक भेडि़ए ने खेत में काम कर रहे 3 लोगों पर अचानक हमला कर दिया. उन में एक औरत और 2 मर्द थे. भेडि़ए ने उन्हें घायल कर दिया. औरत को जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया.
‘‘इस से पहले एक भेडि़ए ने मंसूरपुर इलाके में 2 औरतों पर इसी तरह हमला कर दोनों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. मैनपुरी के जरामई गांव में
23 साल के नौजवान पर भेडि़ए ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. बहराइच में 18 साल की लड़की पर भेडि़ए ने हमला कर दिया. लड़की खेत जा रही थी और भेडि़ए के हमले में घायल हो गई.
‘‘हरदोई में एक शाम को सियार ने 2 लोगों पर हमला कर दिया. हालांकि, गांव वालों ने उसे पीटपीट कर मार डाला,’’ सरपंच चेतराम ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जंगली जानवरों के हमलों की खबरों का हवाला दिया.
‘‘अरे भाई, अब तो बाघ और तेंदुए भी आदमखोर हो रहे हैं. पीलीभीत में बाघ ने एक किसान पर हमला कर दिया. किसान की लाश गन्ने के खेत में मिली. उस की गरदन का हिस्सा गायब था. इस के अलावा मेरठ में चलती बाइक पर तेंदुए ने हमला कर दिया. वह नौजवान खेत के पास से गुजर ही रहा था कि तभी अचानक तेंदुए ने छलांग लगा दी. हालांकि, वह नौजवान बच गया.
‘‘अमरोहा के मंडी के कुआखेड़ा गांव में तेंदुए ने बकरियों को अपना निवाला बना लिया. एक रात को 2 तेंदुए रजबपुर के भी एक गांव में देखे गए.
इस के अलावा लखीमपुर में भी एक जगह पेड़ पर बैठा तेंदुआ देखा गया.’’
‘‘इन जानवरों के बढ़ते हमलों को देखते हुए जंगल महकमे ने इस को ले कर अलर्ट जारी किया है और लोगों को सचेत करते हुए कहा है कि कोई भी खेतों में अकेले किसी भी काम के लिए न निकले. निकले तो ग्रुप के साथ निकले और खेतों में काम करते समय भी लगातार आवाज करते रहे,’’ एक पंच रमेश ने अपनी बात रखी.
इसी बीच किसी ने खबर दी कि बेला को होश आ गया है और पुलिस उस का बयान दर्ज कराने के लिए जल्दी ही अस्पताल जाने वाली है.
यह सुन कर गांव के सारे पंच और कुछ खास लोग बिना देरी किए शहर के सरकारी अस्पताल की तरफ रवाना हो गए.
अस्पताल में बेला के कमरे के बाहर भीड़ जमा थी. लोकल मीडिया वाले भी वहां आए हुए थे. पुलिस बेला के घर वालों की मौजूदगी में उस का बयान दर्ज कराना चाहती थी. सनी का परिवार भी वहां मौजूद था.
बेला सहमी हुई थी और अपने घर वालों को सामने देख कर उस की रुलाई फूट पड़ी थी. कल से आज तक जोकुछ उस की जिंदगी में घटा था, वह बड़ा ही डरावना था.
‘‘बेला, कल शाम को तुम पर किस जानवर ने हमला किया था?’’ पुलिस इंस्पैक्टर राधेश्याम ने पूछा.
‘‘सर, वह कोई जानवर नहीं था, बल्कि ऐसे आदमखोर दरिंदे थे, जो मुझे अपनी हवस का शिकार बनाना चाहते थे.’’
बेला के मुंह से यह सुन कर हर कोई हैरान रह गया था. लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई थी. यह किसी इनसान का कियाधरा था. तो क्या सनी ने अपने ही गांव की लड़की की आबरू पर हाथ डाला था? पर वह खुद कैसे मारा गया?
‘‘हमें हर बात को सिरे से बताओ कि तुम्हारे साथ कल क्या हुआ था?’’ पुलिस इंस्पैक्टर राधेश्याम ने बेला को पानी का गिलास देते हुए पूछा.
‘‘सर, कल शाम को जब मैं कच्ची सड़क से अपने गांव की तरफ जा रही थी, तो कुछ अनजान सायों ने मुझे दबोच लिया था और वे मुझे जंगल में घसीट कर ले गए थे. शायद, वे 4 लोग थे और शराब के नशे में चूर थे. अंधेरा हो गया था, तो मैं उन के चेहरे ठीक से नहीं देख पाई, पर शायद वे यहीं आसपास के ही थे.
‘‘वे चारों मेरा रेप करना चाहते थे और कामयाब भी हो जाते, पर इसी बीच एक और साया उन पर टूट पड़ा. वह सनी था और मेरा शोर सुन कर जंगल के भीतर चला आया था. पहलवान का बेटा था, तो कैसे अपने गांव की आबरू को यों लूटते देख सकता था.’’
इतना सुनते ही पहलवान बृजभान की आंखों में नमी आ गई. वह इतना ज्यादा भावुक हो गया कि उस के नथुने फूलने लगे. उस की छाती भारी हो गई.
‘‘आगे और क्या हुआ तुम्हारे साथ?’’ पुलिस इंस्पैक्टर राधेश्याम ने पूछा.
‘‘सनी के इस हमले से वे चारों बौखला गए और उन्होंने भी उस पर चौतरफा हमला कर दिया, पर सनी ने बड़ी हिम्मत से उन सब का मुकाबला किया और चारों की खूब धुनाई की. मैं घायल हालत में वहीं पड़ीपड़ी यह सब देखती रही.
‘‘सनी ने 2 लोगों को तो तुरंत वहां से भागने पर मजबूर कर दिया, पर बाकी बचे दोनों लोगों ने उस पर डंडों से वार किए और वह अकेला पड़ गया. बाद में एक डंडा उस के सिर पर पड़ा, तो वह वहीं ढेर हो गया.
‘‘इतने में किसी मोटरसाइकिल की आवाज आई, तो मैं पूरे दम से चिल्लाई. यह सुन कर वे दोनों दरिंदे वहां से भाग गए. इस के बाद मैं भी बेहोश हो गई,’’ इतना कह कर बेला रोने लगी.’’
न कोई जानवर निकला और न ही सनी ने यह कांड किया था, वे तो अनजान आदमखोर थे, जो एक अकेली लड़की को देख कर उस पर टूट पड़े थे. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यही साबित हुआ कि सनी की मौत इनसानी हमले में घायल होने से हुई थी.
मीडिया ने सनी की इस साहसिक मौत को बड़ी संवेदना से लोगों के सामने पेश किया. पुलिस उन चारों दरिंदों की तलाश में जुट गई. प्रदेश सरकार ने सनी की इस बहादुरी पर ऐलान किया कि रेलवे स्टेशन से रामपुर गांव तक जाने वाली इस कच्ची सड़क को पक्का किया जाएगा, खंभों पर लाइटें लगाई जाएंगी और उस नई सड़क को ‘बहादुर सनी मार्ग’ के नाम से जाना जाएगा.