कुंआरा बाप बन कर मैं बहुत खुश था

आज मैं खुश था. हाथ में 4,800 रूपए थे जिसे मैं अपनी पहली कमाई मान रहा था. मन ही मन खुश था पर अपनी इस खुशी को किसी से शेयर न करना मेरी मजबूरी थी, क्योंकि मैं एक स्पर्म डोनर था. अगर दोस्तों से कहता तो वे मेरा मजाक उड़ाते यह तय था.

खैर, उस पैसे से मैं ने अपने लिए कपडे खरीदे और वापस कमरे पर लौट आया. अगले महीने इंजीनियरिंग का ऐंट्रैस भी था जिस के लिए मैं पूरी लगन से मेहनत कर रहा था.

अब अगले 72 घंटे तक मुझे इंतजार करना था क्योंकि लैब के स्टाफ ने बताया था कि एक बार के बाद अगले 72 घंटे बाद ही आना है

पहले थोडी परेशानी हुई मगर…

इस काम में मुझे मजा भी आने लगा था क्योंकि  हस्तमैथुन करना मैं छोड चुका था और मुझे लगने लगा था कि यह शरीर के एक महत्वपूर्ण चीज की बरबादी है.

अब 72 घंटे के इंतजार के बाद मुझे लैब जाना था और इस में मुझे कोई परेशानी भी नहीं होती थी क्योंकि स्पर्म बैंक मेरे होस्टल से ज्यादा दूर नहीं था.

सप्ताह में मैं 2 दिन जाता था और महीने में 8 बार तो हो ही आता था. इस लिहाज से मुझे 4-5 हजार की आमदनी महीने में हो जाती थी जिसे मैं यों ही बरबाद कर देता था.

किसी के सपने पूरे करने में अलग ही खुशी मिलती गई

वैसे, जब एक दोस्त ने मुझे यह सब करने की सलाह दी तो मुझे बडा अजीब सा लगा. मगर दिल को यह सुकून था कि मेरे स्पर्म से एक मां की सूनी गोद भर जाएगी. और फिर यह कोई गलत काम भी तो नहीं था.

लैब में पहली बार गया तो वहां के स्टाफ ने एक जारनुमा चीज दे कर वाशरूम की तरफ इशारा कर दिया. वह पुरूषों का वाशरूम था जहां 2-3 केबिन बने थे. वाशरूम साफसुथरा था और हैंडवाश की सुविधा थी. एक तरफ साफ तौलिया टंगा था.

मुझे पहली बार देर हो रही थी. स्पर्म को वहीं एक दराजनुमा अलमारी में रख कर और उस पर अपना कोड लिख कर मैं बाहर आया, रजिस्टर में नाम लिखवा कर मैं दोस्त के साथ निकल गया. दोस्त ने मजाकमजाक में कह भी दिया,”तुम तो बहुत देर लगाते हो…”

मैं झेंप सा गया था. पहली बार आया तो इस के लिए मुझे एक स्लिप भरनी पङी. कुछ टेस्ट के लिए ब्लड का सैंपल लिया गया. मेरी शारीरिक जांच हुई और ब्लड शुगर, एचआईवी आदि को देखा गया कि कहीं मुझे कोई बीमारी तो नहीं है.

यह कोई गलत काम नहीं था

काउंटर से एक बार के 600 रूपए मिले थे तो मुझे थोडा अजीब सा लगा था, क्योंकि आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘विक्की डोनर’ मैं ने देखी थी जिस में वह स्पर्म डोनेट कर अमीर बन गया था पर मैं कोई आयुष्मान खुराना तो था नहीं. जो पैसे मिले वे अतिरिक्त पौकेट खर्च में मेरे काम आ रहे थे और मैं थोडी मस्ती भी कर पा रहा था.

इतने दिनों में मैं यही अच्छी तरह जान गया था कि यह कोई गलत काम नहीं है बल्कि किसी दंपति के पुरूष साथी में प्रजनन की समस्याओं के कारण अथवा किसी महिला का कोई पुरूष साथी नहीं होने के कारण उन्हें डोनेट किए गए स्पर्म की आवश्यकता हो सकती है.

एक सकारात्मक कार्य है

स्पर्म डोनेट यानी वीर्य दान एक सकारात्मक कार्य है जो कई ऐसी जोङियों को संतानसुख देता है जिस के घर में सालों से बच्चों की किलकारियां न गूंजी हों. इसलिए मैं एक ऐसा काम कर रहा था जिस से दूसरे लोगों की परिवार बनाने की उम्मीदें पूरी हो सकें.

आज मैं एक इंजीनियर हूं. मेरे अपने परिवार और एक प्यारी सी बेटी के साथ मैं बहुत खुश हूं.

कभीकभी सोचता हूं कि जो युवा हस्तमैथुन कर अपना वीर्य बरबाद कर देते हैं उन्हें स्पर्म डोनर्स क्यों नहीं बन जाना चाहिए?

जब पत्नी को पता चला

एक दिन मैं ने अपनी बीवी से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताया तो वह भी बिना मुसकराए नहीं रह सकी. कभीकभी वह मुझे इस बात के लिए छेङती है तो हम दोनों ही खूब खुल कर हंसते हैं और एकदूसरे के गले लग जाते हैं.

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