एक सिरफिरे ने ली मासूम की जान

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में एक सिरफिरे शख्स ने अपने 4 साल के मासूम बेटे की बेरहमी से गला रेत कर हत्या कर दी. इस वारदात की वजह अंधविश्वास बताया गया है. शख्स की दिमागी हालत कुछ दिनों से ठीक नहीं थी. एक रात उस ने परिवार वालों से कहा भी था, “सुनोसुनो, मैं किसी की बलि दे दूंगा.”

उस शख्स की बात पर तब किसी ने तवज्जुह नहीं दी थी. सब को लगा था कि यह कुछ का कुछ बोल रहा है. पर एक रात उस शख्स ने चाकू से पहले एक मुरगे को काटा, फिर अपने मासूम बेटे का भी गला काट दिया.

यह दिल दहला देने वाला मामला शंकरगढ़ थाना क्षेत्र का है. पुलिस ने इस सिलसिले में बताया कि शंकरगढ़ थाना क्षेत्र के तहत आने वाले गांव महुआडीह का रहने वाला 26 साल का कमलेश नगेशिया पिछले 2 दिनों से पागलों की तरह हरकत कर रहा था. उस ने परिवार वालों से कहा था कि उस के कानों में अजीब सी आवाजें सुनाई दे रही हैं, कोई उसे किसी की बलि चढ़ाने के लिए बोल रहा है.

एक दिन कमलेश नगेशिया चाकू ले कर घूम रहा था और उस ने अपने परिवार वालों से कहा था कि आज वह किसी की बलि लेगा, पर उस की दिमागी हालत को देखते हुए परिवार वालों ने इस बात को नजरअंदाज कर दिया था.

रात को खाना खाने के बाद कमलेश नगेशिया की पत्नी अपने दोनों बच्चों को ले कर कमरे में सोने चली गई. कमलेश के भाइयों के परिवार बगल के घर में रहते हैं. वे भी रात को सोने चले गए.

देर रात कमलेश नगेशिया ने घर के आंगन में एक मुरगे का गला काट दिया, फिर कमरे में जा कर वह 4 साल के अपने बड़े बेटे अविनाश को उठा कर आंगन में ले आया. उस ने बेरहमी से अपने बेटे अविनाश का चाकू से गला काट दिया. अविनाश की मौके पर ही मौत हो गई.

सुबह के तकरीबन 4 बजे जब कमलेश की पत्नी की नींद खुली तो उसे अविनाश बगल में नहीं मिला. उस ने कमलेश से बेटे अविनाश के बारे में पूछा तो उस ने पत्नी को बताया कि उस ने अविनाश की बलि चढ़ा दी है.

इस वारदात की जानकारी मिलने पर घर में कुहराम मच गया. सूचना मिलने पर शंकरगढ़ थाना प्रभारी जितेंद्र सोनी की अगुआई में पुलिस टीम मौके पर पहुंची. पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया. बच्चे के शव को पंचनामा करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

थाना प्रभारी जितेंद्र सोनी ने बताया कि परिवार से पूछताछ कर उन लोगों का बयान दर्ज किया गया है. आरोपी 2 दिनों से ही अजीब हरकत कर रहा था. पहले वह ठीक था, फिर एक शाम उस ने परिवार के सामने किसी की बलि चढ़ाने की बात कही थी, लेकिन उन लोगों ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया. इस मामले में पुलिस ने धारा 302, और धारा 201 का अपराध दर्ज किया है.

इस मामले में परिवार वालों ने समझदारी से काम लिया होता और इस की शिकायत पहले ही पुलिस में की होती या फिर कमलेश को डाक्टरी सलाह के लिए भेज दिया गया होता, तो मासूम अविनाश की जिंदगी बच सकती थी.

एक पुलिस अफसर के मुताबिक, गांवदेहात में इस तरह की वारदातें हो जाती हैं, जिन का कुसूरवार जहां एक तरफ परिवार होता है, वहीं दूसरी तरफ आसपास के रहने वाले भी कुसूरवार समझे जाते हैं, मगर पुलिस सिर्फ एक हत्यारे पर कार्यवाही कर के मामले को बंद कर देती है.

कुलमिला कर ऐसे मामले सिर्फ एक खबर के रूप में समाज के सामने आते हैं और फिर लोग उन्हें भूल जाते हैं. इस दिशा में अब सरकार के पीछेपीछे दौड़ने या यह सोचने से कि सरकार कुछ करेगी, ऐसी उम्मीद छोड़ कर हमें खुद आगे आना होगा, ताकि फिर आगे ऐसी कोई वारदात न हो.

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