ये भी छू सकते हैं आसमान

जहां एक ओर पूरे देश में धर्म और अंधविश्वास फैलाए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर आम नागरिकों ने मिल कर बिहार के औरंगाबाद जिले के 40 सरकारी स्कूलों में 2 दिवसीय विज्ञान कांग्रेस सह विज्ञान मेले का आयोजन कराया.

सीएसआईआर, दिल्ली के सीनियर साइंटिस्ट गौहर रजा ने बच्चों को बताया कि जिस का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं हो, उन चीजों को नहीं मानना चाहिए.

श्रीकृष्ण साइंस सैंटर, पटना से आए मोहम्मद आफताब हुसैन ने बच्चों को विज्ञान पर आधारित पानी से लिखना, पानी को रंगीन बनाना, पानी से हवन जलाना, बोतल से गुब्बारा फुलाना, प्लास्टिक के पाइप से बाजा बनाना जैसे डैमो दिखाए और किन वजहों से ऐसा होता है, उन के बारे में भी रोचक ढंग से जानकारी दी.

‘किलकारी’ संस्था के सुधीर कुमार व ‘प्रथम’ संस्था के सरोज कुमार और सुरेश ने बच्चों को ताली बजाना, खेलखेल में विज्ञान, कागज से तितली और खरगोश वगैरह बनाना सिखाया. बच्चों को तरहतरह की दूसरी रोचक जानकारियां भी दी गईं.

घुमंतू वैज्ञानिक सीताराम के डायरैक्शन में कैनवास पर पेंटिंग बनाई गई. ‘कला जत्था’ की टीम के रामेश्वर विश्वकर्मा, सोहराई और फिरोज ने कार्यक्रम में चार चांद लगाने का काम किया.

बच्चों के द्वारा 40 स्टौल लगाए गए जिन में किसी ने हाइड्रोलिक ब्रिज बनाया, तो किसी ने जेसीबी का मौडल. इस के अलावा बच्चों के द्वारा कबाड़ से जुगाड़ के तहत बनाए गए दूसरे सामान देख कर लोग दंग थे. बुक स्टाल भी लगाए गए जिन में काफी तादाद में किताबें रखी गई थीं.

आयोजन समिति के सूत्रधार ‘पीस’ संस्था के डायरैक्टर गालिब साहब ने बताया कि एक सर्वे में आया है कि सरकारी स्कूल के बच्चे विज्ञान और गणित में राष्ट्रीय औसत से काफी कम हैं. बच्चों में विज्ञान के प्रति जागरूकता लाने के लिए जनता की मदद से यह आयोजन किया गया. डीएम राहुल रंजन महिवाल ने कहा कि सरकारी स्कूल के बच्चे भी चांदसितारे छू सकते हैं.

मील का पत्थर होगा सर्व शिक्षा अभियान के सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी राजेश कुमार मांझी ने कहा कि इस तरह का कार्यक्रम खासकर कस्तूरबा गांधी स्कूल और सरकारी स्कूल के छात्रछात्राओं के बीच विज्ञान को बढ़ावा देने और लोगों में फैले अंधविश्वास को दूर भगाने की यह कोशिश मील का पत्थर साबित होगी.

वहीं प्रखंड प्रमुख जनाब आरिफ रिजवी ने कहा कि मुझे पहले यकीन ही नहीं हो रहा था कि निहायत गरीब घर के छात्रछात्राएं इतने बेहतर विज्ञान पर आधारित एक से एक मौडल बना पाएंगे.

आनंद संगीत महाविद्यालय के डायरैक्टर अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि अगर आने वाली नई पीढ़ी विज्ञान को अच्छी तरह से समझती है तो समाज से फैला अंधविश्वास और आस्था के नाम पर चल रहे व्यापार पर रोक लगेगी. इस तरह के कार्यक्रमों को गांवदेहात से ले कर महानगरों तक में शिक्षण संस्थानों समेत आम लोगों तक ले जाने की जरूरत है, वरना यहां तो मंत्री के द्वारा बारिश होने के लिए मेढ़क की शादी कराई जाती है.

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