‘ठाकरे’ पर एक्टर सिद्धार्थ का बड़ा बयान

स्व. बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ का निर्माण हिंदी व मराठी, दो भाषाओं में किया गया है. 26 दिसंबर को फिल्म ‘ठाकरे’ के मराठी व हिंदी दोनों भाषाओं मे ट्रेलर रिलीज किया गया. पर दोनो भाषाओं के ट्रेलर में जबरदस्त अंतर है. मराठी भाषा के फिल्म के ट्रेलर में दक्षिण भारतीयों के प्रति कई अपशब्दों का प्रयोग किया गया है. जिन पर सेंसर बोर्ड ने भी आपत्ति जताई है. पर शिवसेना नेता, सांसद व फिल्म ‘ठाकरे’ के निर्माता संजय राउत ने ऐलान कर दिया है कि सेंसर बोर्ड इस फिल्म के किसी भी संवाद को काट नहीं सकता. 25 जनवरी 2019 को प्रदर्शित होने वाली अभिजीत पनसे निर्देशित और नवाजुद्दीन सिद्दिकी व अमृता राव के अभिनय से सजी इस फिल्म के ट्रेलर में महाराष्ट्र खासकर मुंबई में बसे अप्रवासी भारतीयों वो भी खासकर दक्षिण भारतीयों के खिलाफ नफरत सूचक संवाद हैं. इसमें एक संवाद- ‘उठाओ लुंगी बजाओ पुंगी’ कई बार दोहराया गया है. यह संवाद विशेषकर दक्षिण भारतीयों के बारे में ही है. दक्षिण भारतीय ही लुंगी ज्यादा पहनते हैं. उल्लेखनीय है कि यह संवाद हिंदी फिल्म के ट्रेलर में नहीं है.

ट्रेलर आने के बाद कुछ ही घंटों में ही इसका विरोध शुरू हो गया है. सबसे पहले दक्षिण भारतीय अभिनेता सिद्धार्थ ने ट्वीटर पर लिखा, ‘यह दक्षिण भारतीयों के प्रति नफरत वाला भाषण है.’

बता दे कि 1966 में शिवसेना नेता के ‘मराठी माणुस’ को लेकर यह संवाद ‘स्लोगन’ हुआ करता था.1966 में शिवसेना पार्टी का गठन करते समय बाल ठाकरे ने मांग की थी कि महाराष्ट्र में स्थानीय लोगों को ही नौकरी में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इतना ही नहीं मुंबई में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के खिलाफ उस वक्त बाला साहेब ठाकरे ने कई तरह की मुहीमें चलाई थी.

वैसे फिल्म ‘ठाकरे’ के हिंदी ट्रेलर में भूमिपुत्रों का मुद्दा जरुर उठाया गया है, मगर दक्षिण भारतीयों के खिलाफ किसी तरह के स्लोगन नहीं है. इससे यह साफ जाहिर होता है कि शिवसेना पार्टी की तरफ से फिल्म ‘ठाकरे’ के ट्रेलर व इस फिल्म का उपयोग मराठी भाषी लोगों को एकजुट कर वोट बटोरने का प्रयास किया जा रहा है.

उधर सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म के तीन संवादों को हटाने के लिए कहा है, मगर शिवसेना नेता व फिल्म के निर्माता संजय राउत का कहना है कि सेंसर बोर्ड किसी संवाद को हटा नहीं सकता. संजय राउत का दावा है कि फिल्म ‘ठाकरे’ में कुछ भी काल्पनिक नही है, सब कुछ वास्तविक है. मगर यह उनका सबसे बड़ा झूठ है. इतिहास इस बात का साक्षी है कि बाला साहेब ठाकरे अपने जीवन में कभी भी किसी भी अदालत के कटघरे में खड़े होकर वकीलों या जज के सवालों के जवाब देने नहीं गए. मगर हिंदी व मराठी दोनों भाषाओं के ट्रेलर में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद बाला साहेब ठाकरे अदालत के कटघरे में खड़े होकर वकील व जज के सवालों के जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं, जो कि पूर्णरूप से गलत है.

siddharth on movie thackrey

फिल्म ‘ठाकरे’ में बाला साहेब ठाकरे का किरदार मूलतः उत्तर प्रदेश निवासी अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने निभाया है. बाला साहेब ठाकरे पूरी जिंदगी माइनौरिटी और उत्तर प्रदेश के लोगों के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं. इसी पर कटाक्ष करते हुए अभिनेता सिद्धार्थ ने कहा, ‘फिल्म मंटो’ तक में नवाजुद्दीन सिद्दिकी का प्रशंसक रहा हूं. इसलिए नहीं कि इस फिल्म में उन्होने एक अच्छे इंसान का किरदार निभाया है. उन्होने कई फिल्मों में बुरे इंसान का भी किरदार निभाया है. पर उन फिल्मों में बुरे को बुरा ही दिखाया गया.मगर अब उन्होने फिल्म ‘ठाकरे’ में बाला साहेब ठाकरे का किरदार निभाया है, जिसमें बाला साहेब ठाकरे का महिमा मंडन किया गया है.जब माइनौरिटी के खिलाफ बात करने वाले मराठी भाषी को महिमा मंडित करने वाले का किरदार एक उत्तर भारतीय मुस्लिम अभिनेता निभाए, इसे भी न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता.’

नावजुद्दीन सिद्दिकी पर कटाक्ष करते हुए सिद्धार्थ ने आगे ट्वीट किया है, ‘फिल्म के निर्माताओं के लिए बाला साहेब ठाकरे का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दकी द्वारा निभाया जाना काफी किफायती रहा, क्योंकि नवाज ही खुद को उस दृश्य में थप्पड़ मार सकते हैं, जिसमें बाला साहेब ठाकरे उत्तर भारतीयों की पिटाई करते हैं.’

दक्षिण के अभिनेता सिद्धार्थ द्वारा ट्वीटर पर फिल्म ‘ठाकरे’ के खिलाफ हमला बोले जाने के बाद ट्वीटर पर मराठी फिल्म ‘ठाकरे’ के ट्रेलर के खिलाफ जमकर हमले जारी हैं.

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