Oral Sex करते समय रखें इन खास बातों का ध्यान

सैक्स करना सभी को पसंद होता है और खासतौर पर जब बात Oral Sex की आती है तो यह एक ऐसा एक्सपीरियंस है जो सभी को मदहोश कर देता है. चाहे लड़का हो या लड़की सभी को सैक्स करने से पहले Oral Sex जरूर करना चाहिए, क्योंकि Oral Sex के दौरान हम काफीकुछ ऐसा एक्सपीरियंस करते हैं, जो हम सिर्फ सैक्स करने पर नहीं कर पाते.

कैसे करें ओरल सैक्स

बात करें अगर ओरल सैक्स की तो सब से पहले हमें अपने पार्टनर को कंफर्टेबल फील कराना चाहिए और डायरैक्ट सैक्स न करते हुए पहले गले लगाना, किस करना, पार्टनर के नाजुक अंगों से छेड़छाड़ करना चाहिए और एकदूसरे के शरीर को हर जगह टच करने से आप के पार्टनर को जो सैटिस्फैक्शन मिलेगी वह डायरैक्ट सैक्स करने से कभी नहीं मिल सकती.

आज हम आप को बताएंगे कि ओरल सैक्स करते समय आप को किन बातों का ध्यान रखना है जिस से कि आप और आप के पार्टनर की हाइजीन को कोई नुकसान न पहुंचे.

हाथों को रखें साफ

सब से पहले तो आप को अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धो लेना चाहिए, ताकि जब आप अपने पार्टनर के नाजुक अंगों और प्राइवेट पार्ट्स को टच करें तो कोई इंफैक्शन न फैले.

बैड पर जाने से पहले करें ब्रश

अपने पार्टनर के साथ बैड पर जाने से पहले आप को ब्रश करना चाहिए, ताकि आप के पार्टनर को आप के मुंह से बदबू न आए, क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो यह आप का और आप के पार्टनर का मूड खराब कर सकता है. ठीक उसी तरह सैक्स करने के बाद भी आप को पानी से कुल्ला और ब्रश करना चाहिए.

पसंदनापसंद जानें

आप को अपने पार्टनर की पसंदनापसंद को अच्छे से जान लेना चाहिए, क्योंकि अगर आप ओरल सैक्स करते समय कुछ ऐसा करेंगे जो आप के को पसंद न हो तो ऐसे में आप के पार्टनर का मूड खराब हो सकता है.

प्राइवेट पार्ट्स को रखें साफ

आप को अपने प्राइवेट पार्ट्स को अच्छे से साफ करना चाहिए, जिस से की आप के पार्टनर को इंफेक्शन होने का खतरा न रहे.

सुहागरात पर मसाज का मजा लिया क्या?

अमूमन यह माना जाता है कि सुहागरात पर जिस्मानी रिश्ता तो हर कीमत पर बनना ही चाहिए. दूल्हे के दिमाग में तो यह भर दिया जाता है कि पहली रात को ही अपनी दुलहन को अपने जिस्म से मसल देना. बहुत सी लड़कियां भी सुहागरात पर ऐसा ही कुछ चाहती हैं कि उन का दूल्हा बादाम का दूध पीने के बाद उस की पूरी कीमत वसूले.

लेकिन एक बड़ा सच यह भी होता है कि अपनी शादी की रस्मों की थकावट के बाद दूल्हा और दुलहन इस कदर परेशान हो चुके होते हैं कि वे सुहारागत पर सेक्स से ज्यादा मसाज की चाहत रखते हैं. लिहाजा, जब दूल्हा-दुलहन अपने कमरे में बंद होते हैं तो वे एकदूसरे को मसाज दे कर शुरू होने वाले रिश्ते को नई गरमाहट दे सकते हैं.

उत्तर प्रदेश के एक नौजवान ने यही तरीका अपनाया था. उस की बरात बहुत दूर किसी ठेठ देहात में गई थी. शादी हुई और दुलहन चल पड़ी अपने ससुराल. हालांकि वह नौजवान कार से अपनी दुलहन को घर ला रहा था, पर रास्तेभर उस ने देखा कि उस की नई नवेली दुल्हन अपने भारी लहंगे और नींद की खुमारी में हद से ज्यादा परेशान थी.

ससुराल में भी रस्मों के नाम पर दुलहन की चकरघिन्नी बना दी गई. रात हुई तो उसे सुहाग सेज के लिए सजा दिया गया, पर असल में तो यह उस के लिए बहुत बड़ी सजा थी.

रात को जब पति कमरे में आया तो दुल्हन की सांसें ऊपर-नीचे होने लगीं, पर वह नौजवान बड़ा समझदार निकला. उस ने चंद बातें करने के बाद अपनी दुलहन को एक नाइटी गिफ्ट की और खुद भी कपड़े बदल कर बिस्तर पर एक तरफ लेट गया.

जब दुलहन नाइटी पहन कर कमरे में आई तो उस का हाथ पकड़ कर अपने पास लिटा लिया. थोड़ी देर में ही उस नौजवान के हाथ अपनी पत्नी के बदन से ऐसे खेलने लगे जैसे कोई मसाज करता है. पत्नी को थोड़ा आराम मिला तो पति ने लाइट बंद कर के उस की अपने मजबूत हाथों से इस तरह अच्छी मसाज की कि पत्नी उस के आगोश में ही सो गई. पत्नी की सारी थकावट जो उतर गई थी.

इस के बाद तो पत्नी की नींद सुबह 5 बजे ही टूटी. पति बगल में सो रहा था. पत्नी ने उसे प्यार से चूम लिया. पति की नींद खुल गई. उस ने दोबारा अपनी पत्नी को गले से लगा लिया.

पत्नी ने कहा, ‘‘अब मेरी बारी. आप भी तो बहुत थके हुए लग रहे हैं.’’

रात को पति से जो मसाज करने का गुर सीखा था, पत्नी ने वही अपनाया. कुछ देर बाद ही पति की नींद काफूर हो गई. अब तो वे दोनों पूरी तरह खुल चुके थे और बड़े तरोताजा लग रहे थे. पति ने इसी बात का फायदा उठाते हुए अपनी पत्नी को चूम लिया. इस के बाद उन दोनों के बीच वही हुआ जिस की सुहागरात पर उन से उम्मीद की जा रही थी और हुआ भी बड़े अच्छे तरीके से.

अंग का आकार : क्या बड़ा है तो बेहतर है?

काफी समय पहले की बात है. करन जौहर अपने इंगलिश टेलीविजन शो ‘कौफी विद करन’ में अक्षय कुमार और उन की पत्नी ट्विंकल खन्ना से सवालजवाब कर रहे थे.

करन जौहर ने ट्विंकल खन्ना से पूछा कि अक्षय में ऐसा क्या है जो खान (शाहरुख, आमिर और सलमान वगैरह) में नहीं है?

इस पर ट्विंकल खन्ना ने तपाक से कहा, “कुछ इंच ज्यादा का फर्क है.”

यह सुन कर अक्षय शरमा से गए और करन अपने चिरपरिचित अंदाज में खीसें निपोरने लगे.

उस समय बाद में चाहे ट्विंकल खन्ना ने कहा कि वे अक्षय के पैरों (जूते) के साइज का जिक्र कर रही थीं, पर उन की इस डबल मीनिंग वाली बात ने दर्शकों को हैरान के साथसाथ हंसने पर भी मजबूर कर दिया था.

आम जिंदगी की बात करें तो जवानी फूटते ही लड़कों को यह बात ज्यादा हैरानपरेशान करती है कि क्या उन के अंग का साइज इतना है कि वे अपनी पत्नी या प्रेमिका को जिस्मानी तौर पर संतुष्ट कर पाएंगे?

कभीकभी तो अपने अंग के साइज को ले कर नौजवान इतने आतंकित हो जाते हैं कि सार्वजनिक शौचालयों में चिपके नीमहकीमों के अंग के फौलादी और लंबे होने के इश्तिहारों पर इतने मुग्ध हो जाते हैं कि बिना सोचेसमझे उन से अधकचरी जानकारी ले लेते हैं और अपना पैसा लुटवा देते हैं.

रमेश के साथ ऐसा ही हुआ. शादी से पहले उस के दोस्तों ने उसे एक ब्लू फिल्म दिखा दी. उस फिल्म के मर्द कलाकार का अंग बहुत बड़ा था और इस वजह से औरत कलाकार को खूब मजे आए थे.

चूंकि रमेश का अंग उतना बड़ा नहीं था तो वह तनाव में आ गया. सुहागरात पर उस के मन में डर बैठ गया कि वह अपनी पत्नी को बड़े अंग का सुख नहीं दे पाएगा और उस की शादी शुरुआत में ही नरक बन जाएगी.

इस का नतीजा यह हुआ कि रमेश सुहागरात पर पत्नी के नजदीक जाने से कतराने लगा. उस रात तो पत्नी ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा, पर जब हर रात रमेश उस से दूर रहने लगा तो उस का माथा ठनका.

ज्यादा जोर देने पर रमेश ने इस समस्या की तरफ इशारा किया. पत्नी पढ़ीलिखी और बहुत समझदार थी तो उस ने रमेश का यह वहम दूर करने के लिए एक काबिल सैक्स डाक्टर का सहारा लिया.

जब डाक्टर को यह बात पता चली तो उस ने रमेश को समझाते हुए कहा, “रमेश, यह अकेले तुम्हारी ही समस्या नहीं है, बल्कि बहुत से लोग इस छोटी सी बात का बड़ा बना कर अपनी शादीशुदा जिंदगी को खराब कर लेते हैं.

“दुनिया में हर मर्द के अंग का साइज, उस का मोटापन अलगअलग हो सकता है. अमूमन यह सख्त होने पर औसतन 5 से 6 इंच का होता है. किसी का अंग इस से छोटा या बड़ा भी हो सकता है. वैसे, अगर किसी का सख्त अंग, अगर वह 2 इंच का भी हो तो, औरत को संतुष्ट करने के लिए काफी होता है.”

यह सुन कर रमेश के कान खड़े हुए और उस ने पूछा, “वह कैसे?”

इस पर डाक्टर ने बताया, “किसी औरत का उस के अंग का अगला डेढ़ से 2 इंच का हिस्सा ही संवेदनशील होता है, जहां मरदाना अंग की रगड़ से उसे मजा आता है. बात अंग के साइज की नहीं रगड़ की होती है कि वह आप ने कितनी बार किया है.”

“मतलब?” रमेश ने पूछा.

मतलब यह कि तुम अपनी पत्नी के साथ कितनी देर तक जिस्मानी रिश्ता बनाते हो, वह ज्यादा जरूरी है न कि तुम्हारा अंग कितना बड़ा है. इस में फोरप्ले और आफ्टरप्ले का रोल भी बड़ा अहम होता है.”

“फोरप्ले और आफ्टरप्ले क्या बला है?

रमेश के यह पूछने पर डाक्टर ने कहा, “जिस्मानी रिश्ता बनाने से पहले और बाद का प्यार. फोरप्ले में पत्नी के अंगों को चूमना, मसलना, उन्हें सहलाना, प्यार भरी बातें करना होता है, जिस से तुम्हारे अंग में पूरा तनाव आ जाएगा और पत्नी को जोश. बहुत सी औरतों को यह फोरप्ले इतना पसंद आता है कि वे इस में पति का भरपूर साथ देती हैं और रात को रंगीन बना देती हैं. इस से जिस्मानी रिश्ता भी काफी देर तक टिक पाता है.

“जब पतिपत्नी जिस्मानी रिश्ता बना कर संतुष्ट हो चुके होते हैं, तब बहुत से थकेहारे मर्द मुंह फेर कर सो जाते हैं और पत्नी बेचारी सिसकती रहती है. यहां पर आफ्टरप्ले काम आता है. इस में भी पतिपत्नी का एकदूसरे की बांहों में समाना, बालों को सहलाना, चूमना और नींद के आगोश में ले जाना शामिल होता है.

“जब यह सब पूरा होता है तो इस से पतिपत्नी का प्यार ज्यादा बढ़ जाता है और वे जिस्मानी रिश्ता बनाने का भरपूर मजा लेते हैं.”

“इस का मतलब मेरे अंग के साइज में कोई दिक्कत नहीं है?”

बिलकुल नही, बल्कि कभीकभार तो ज्यादा बड़े और मोटे साइज का अंग औरत को दर्द दे सकता है और जिस्मानी सुख को फीका कर सकता है.”

यह सुन कर रमेश को बड़ी राहत मिली. उस ने उसी रात अपनी सुहागरात मनाई और फोरप्ले और आफ्टरप्ले का भी ध्यान रखा. इस का बड़ा ही सुखद नतीजा रहा, पति और पत्नी दोनों के लिए.

अधूरी है सैक्स नौलेज, तो ले पूरी जानकारी

प्रेमिका को खुश रखने की युवा हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन जब सेक्स संबंधी समस्या हो तो उसे भी दूर करना होगा. युवा प्रेमियों को लगता है कि सेक्स का अधूरा ज्ञान उन्हें मंझधार में ले जा सकता है. सेक्स संबंधों के दौरान सेक्स क्षमता का बहुत महत्त्व है. सहवास करने की क्षमता ही व्यक्ति को पूर्ण पुरुष के रूप में स्थापित करती है.

कई ऐसे कारण हैं जिन पर हम खुल कर चर्चा नहीं करते न ही उन्हें दूर करने का उपाय खोजते हैं. नतीजतन, सेक्स लाइफ का मजा काफूर हो जाता है. ऐसी  कई समस्याएं हैं जिन्हें दूर कर हम वैवाहिक जिंदगी जी सकते हैं.

1. झिझक 

सहवास की पूर्ण जानकारी न होना, सेक्स के बारे में झिझक, संबंध बनाने से पहले ही घबराना, यौन दुर्बलता से सेक्स इच्छा की कमी, मानसिकरूप से खुद को सेक्स के प्रति तैयार न कर पाना, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, मोबाइल सेक्स आदि समस्याओं से युवावर्ग पीडित है. सेक्स में मंझधार में न रहें, समस्याओं को समझें व इन्हें दूर करें और सेक्स का भरपूर आनंद उठाएं.

2. सैक्स इच्छा में मानसिक कारणों को दूर करें

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में धनपदयश पाने की उलझन में फंसे युवा एक खास मुकाम तक पहुंचने के चक्कर में सहवास के बारे में अंत में सोचते हैं. वे इस तनाव से ऐसे ग्रस्त हो गए हैं कि उन का वैवाहिक जीवन इस से प्रभावित हुआ है.

3. सैक्स में डरें नहीं

डर यौनसुख को सब से ज्यादा प्रभावित करता है. इस की वजह से शीघ्र स्खलित होना, कोई देख लेगा, कमरे के बाहर आवाज सुनाई देने का डर, पार्टनर द्वारा उपहास, गर्भ ठहरने का खतरा आदि युवाओं की यौनक्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा देते हैं. युवावस्था में यौन इच्छा चरम पर होती है इसलिए सेक्स संबंध जल्दीजल्दी बना लेते हैं, लेकिन धीरेधीरे समय में ठहराव कम हो जाता है, क्योंकि विवाह से पहले प्रेमिका से संबंध बनाना उसे अपराधबोध लगता है और वह शीघ्र स्खलित हो जाता है. इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए सेक्स संबंध बनाएं.

4. मोबाइल सैक्स

इंटरनैट के परिवेश में आज का युवा मोबाइल पर सैक्सी फिल्में देखता है और खुद को भी सेक्स में लिप्त कर लेता है. यही कारण है कि वह वास्तविक जीवन में सेक्स का भरपूर आनंद नहीं उठा पाता.

5. स्वयं पर विश्वास करें

कुछ युवा स्वस्थ होते हुए भी सेक्स के प्रति आत्मविश्वासी नहीं होते. सहवास के दौरान वे धैर्य खो बैठते हैं. ऐसे युवाओं में कोई कुंठा छिपी होती है, जो उन्हें पूर्ण सेक्स करने से रोकती है. खुद पर विश्वास रखें, अन्यथा किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट एवं मनोचिकित्सक को दिखाएं.

6. यौनांग पर चोट

किसी ऐक्सिडैंट या अत्यंत तेजी से शारीरिक संबंध बनाते हुए या कष्टप्रद आसनों से यौनांग को चोट पहुंचती है. इस से युवती का सेक्स से मन हटने लगता है. अत: यौनांग पर चोट न पहुंचे, ऐसा प्रयास करें.

7. शारीरिक कारण

आज युवाओं का सेक्स में सफल न हो पाना दवाओं का दुष्प्रभाव है. बीटा रिसेप्टार्स, प्रोपेनोलोल, मिथाइल डोपा, सिमेटिडिन आदि दवाएं सेक्स इच्छा में कमी लाती हैं. खुद को बीमारी से दूर रखने का प्रयास करें. यौनांग में कसावट होने (फिमोसिस) के फलस्वरूप दर्द, जलन होना, तनाव व स्खलन के कारण सहवास में कमी आ जाती है. अत: शल्यक्रिया द्वारा इसे दूर किया जा सकता है.

8. गुप्तांग में तनाव न आना

सहवास के दौरान तनाव न आना और यदि  तनाव आता भी है तो कम समय के लिए आता है. युवावस्था में ऐसा होने के कई कारण हैं, जैसे मातापिता का व्यवहार व मानसिक तनाव सेक्स क्रिया में असफलता की मुख्य वजह है.

9. सीमेन की मात्रा कम होना

कई बार स्खलन का समय सामान्य होता है, लेकिन सीमेन काफी कम मात्रा में निकलने से सेक्स के दौरान पूर्णआनंद नहीं आता. युवा यदि इस समस्या से पीडि़त हों तो चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे में सैक्सोलौजिस्ट से मिलें. मानसिक रूप से खुद को तैयार कर के सहवास करें, समस्या अवश्य दूर होगी.

10. इजाक्युलेशन

जब युवा अपने पार्टनर को संतुष्ट किए बिना ही स्खलित हो जाते हैं तो इसे इजाक्यूलेशन कहा जाता है. सैक्सुअल संबंधों के दौरान ऐसा होने से वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आती है.

11. प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन

युवाओं में सेक्स में और्गेज्म की अनुभूति इजाक्युलेशन से पूरी होती है. सहवास शुरू करने के 30 सैकंड से 1 मिनट पहले स्खलित होने पर उसे प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन कहते हैं. गुप्तांग की कठोरता खत्म हो जाती है और इस वजह से पार्टनर की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है. यह वास्तव में समस्या नहीं बल्कि चिंता, संतुष्ट न कर पाने का डर, मानसिक अशांति, मानसिक तनाव, डायबिटीज या यूरोलौजिकल डिसऔर्डर के कारण होता है. इस के लिए ऐंटीडिप्रैंसेट दवाओं का सेवन डाक्टर की सलाह ले कर करें.

12. ड्राइ इजाक्युलेशन

इस में पुरुषों की ब्लैडर मसल्स ठीक से काम नहीं करतीं, जिस कारण सीमेन बाहर नहीं निकल पाता. इस से फर्टिलिटी प्रभावित होती है, लेकिन आर्गेज्म या सेक्स संतुष्टि पर कोई असर नहीं पड़ता.

13. पौष्टिक आहार व पर्याप्त नींद लें

संतुलित व पर्याप्त पौष्टिक भोजन के अभाव में शरीर परिपुष्ट नहीं हो पाता. ऐसे में सीमेन का पतलापन और इजाक्युलेशन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. पर्याप्त नींद और भोजन से शरीर में सेक्स हारमोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जो सफल सहवास के लिए जरूरी है.

14. तनाव से दूर रहें

तनाव के दौरान कभी भी सेक्स संबंध न बनाएं. तनाव सेक्स प्रक्रिया को पूरी तरह प्रभावित करता है और इंसान को कई बीमारियों से ग्रसित कर देता है. मुंबई की मशहूर मनोचिकित्सक डा. यदुवीर पावसकर का मानना है कि युवाओं के एक बहुत बडे़ वर्ग, जिसे तनाव ने अपने घेरे में ले लिया है, को सेक्स से अरुचि होने लगी है. इस का मुख्य कारण भागदौड़ भरी दिनचर्या है.

15. फोरप्ले को समझें

शारीरिक संबंध बनाने से पहले पूर्ण शारीरिक स्पर्श, मुखस्पर्श, नख, दंत क्रीड़ा करने के बाद ही सहवास शुरू करें. सेक्स प्रक्रिया का पहला चरण फोरप्ले है. बिना फोरप्ले युवकों को उतनी समस्या नहीं आती लेकिन ज्यादा नोचनेखसोटने से युवती को पीड़ा हो सकती है. उस का सहवास से मन हट सकता है. इसलिए शारीरिक संबंध बनाते समय पार्टनर की भावनाओं की भी कद्र करें और अगर उसे इस दौरान दर्द हो रहा है तो अपने ऐक्शंस पर थोड़ा कंट्रोल करें.

16. सैक्स ऐंजौय करने के कुछ उपाय

–       पूरी नींद लें.

–       पौष्टिक आहार लें.

–       नियमित व्यायाम करें.

–       शराब या तंबाकू का सेवन न करें.

–       नियमित रूप से हैल्थ चैकअप करवाएं.

–       साल में 1-2 बार किसी हिल स्टेशन पर जाएं.

–       शारीरिक संबंध तभी बनाएं जब पार्टनर भी तैयार हो.

युवाओं के लिए बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

आज जिस तेजी से युवाओं की सोच बदल रही है, उन में जो खुलापन आया है वह मानसिक विकास के लिए तो जरूरी है, लेकिन खुलापन शारीरिक स्तर तक बढ़ जाए, यह गलत है. गलत इसलिए है क्योंकि हर कार्य को करने का समय होता है. किसी काम को समय से पहले ही अंजाम दिया जाए, तो उस का परिणाम भी गलत ही होता है. आज युवाओं में सेक्स के प्रति बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि युवतियां प्रैग्नैंट हो जाती हैं और अपनी जान तक गंवा देती हैं.

किशोरों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ विकास के लिए सब से जरूरी है, उन्हें सेक्स से संबंधित हर तरह की जानकारी से अवगत कराया जाए. खासकर पेरैंट्स को अपने जवान होते बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए, लेकिन अपने देश में बहुत कम ऐसे पेरैंट्स होते होंगे, जो अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक और सचेत करने की पहल करते हों. यही कारण है कि हमारे देश में अधिकतर बच्चे सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित जानकारी दोस्तों, किताबों, पत्रिकाओं, पौर्नोग्राफिक वैबसाइट्स और अन्य कई साधनों के जरिए चोरीछिपे हासिल करते हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि सेक्स से संबंधित ऐसी अधकचरी जानकारी मिलने से नुकसान भी होता है.

दरअसल, किशोर या युवा इन स्रोतों के जरिए सेक्स के प्रति अपने मन में गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि सेक्स मात्र ऐंजौय करने की चीज है, जिस से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.

एशिया के तमाम देशों जैसे भारत में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सफल प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह आज भी एक बहस का मुद्दा बना हुआ है. यदि ऐसा संभव हुआ तो सेक्स ऐजुकेशन के जरिए बच्चों को इस की पूरी जानकारी दी जा सकेगी, जिस से किशोरों का विकास सही रूप में हो सकेगा.

1. सेक्स ऐजुकेशन क्यों जरूरी

सेक्स के प्रति युवाओं की अधूरी जानकारी न केवल सेक्स के प्रति धारणाओं को बदल रही है बल्कि इन पर शारीरिक और मानसिक रूप से नकारात्मक असर को भी उन्हें झेलना पड़ता है.

साइकोलौजिस्ट अरुणा ब्रूटा कहती हैं, ‘‘सेक्स ऐजुकेशन किशोरों को सब से पहले घर से ही मिलनी चाहिए, लेकिन पेरैंट्स आज भी इस विषय पर बात करना पसंद नहीं करते. उन्हें इस बारे में बात करने पर शर्म महसूस होती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि युवाओं को सेक्स की पूरी जानकारी न होने से उन का भविष्य खराब भी हो सकता है.

‘‘आज बच्चे लैपटौप, टैलीफोन, कंप्यूटर आदि पर निर्भर हो गए हैं और इस का कहीं न कहीं वे गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं. मुझे याद है कि एक बार मेरे पास एक 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के का केस आया था. वह लड़का प्रौस्टीट्यूट एरिया में पकड़ा गया था.

‘‘जब मैं ने उस से पूछताछ की कि तुम वहां कैसे पहुंचे, तो उस का कहना था कि वह 11वीं क्लास के एक छात्र के कहने पर वहां चला गया था. उस बच्चे का कहना था कि वह औरत का शरीर देखना चाहता था. इस तरह की जिज्ञासा किशोर में तभी संभव है, जब वह दोस्तों की गलत संगत में रह कर चोरीछिपे उन की बातें सुनता है.

‘‘यदि किशोर ऐसा करता है, तो युवा होतेहोते सेक्स के प्रति उस का ऐटीट्यूड वल्गर होता चला जाएगा. हालांकि सेक्स कोई वल्गर चीज नहीं है. यह एक नैचुरल प्रोसैस है, जो स्त्रीपुरुष के जीवन का एक अहम हिस्सा है.

‘‘यह सिर्फ मीडिया का ही नतीजा है कि बच्चे सेक्स को गलत रूप में लेते हैं. ऐसे में पेरैंट्स को चाहिए कि वे युवा होते बच्चों को सही और पूरी जानकारी दें. किशोरों को भी ऐसी वर्कशौप अटैंड करनी चाहिए, जिस में 10-15 किशोरों का समूह हो और जहां खुल कर सेक्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती हो. इस से बच्चे भी शांत माहौल में सब कुछ समझ सकेंगे.’’

‘‘किशोरावस्था के दौरान खासकर यौनांगों का विकास होता है और साथ ही शरीर में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जो किशोरों को यह जानने के लिए उत्तेजित करते हैं कि वे इन बदलावों को ऐक्सप्लोर कर सकें. जो उन्होंने मीडिया के जरिए ऐक्सपीरियंस किया है, उसे वे सही में ट्राई कर बैठते हैं. ऐसे किशोरों के बीच ‘सैक्सुअल ऐरेना’ हौट टौपिक होता है. सही जानकारी न होने से इस से किशोरों को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचता है.’’

2. पेरैंट्स की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सेक्स ऐजुकेशन उन सभी बच्चों को देनी चाहिए, जो 12 वर्ष और इस से ऊपर के हैं. खासकर जिस तरह से देश में टीनएज प्रैग्नैंसी और एचआईवी के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह काफी गंभीर विषय बनता जा रहा है.

लगातार स्कूलों या आसपास के इलाकों में बलात्कार, यौन शोषण, स्कूली छात्रछात्राओं को डराधमका कर उन के साथ जबरदस्ती करना, उन्हें अश्लील वीडियो, पिक्चर्स देखने पर मजबूर किया जाता है. इसलिए पेरैंट्स की भूमिका काफी बढ़ जाती है कि वे अपनी युवा होती बेटी को उस के शरीर के बदलावों के बारे में समय रहते ही जानकारी दें ताकि वह खुद को सुरक्षित रख सके, अच्छेबुरे लोगों की पहचान कर सके, सेक्स और प्यार में फर्क समझ सके.

यह बताना भी जरूरी है कि सेक्स जैसे विषय पर शर्म नहीं बल्कि खुल कर बात करें. इस तरह की शर्म और भय को अपने मन से निकाल दें कि कहीं आप का युवा होता बच्चा असमय ही इस ज्ञान का अनुचित लाभ न उठा ले.

ऐसी स्थिति को पैदा ही न होने दें कि जब उस की शादी हो तो उसे अपने हसबैंड के पास जाने में घबराहट हो. मां की सही भूमिका निभाते हुए आप बेटेबेटियों को शरीर से संबंधित ज्ञान, विकास, काम से संबंधित थोड़ीबहुत जानकारी, प्रैग्नैंसी, कौंट्रासैप्टिव पिल्स, ऐबौर्शन आदि के नकारात्मक असर के बारे में जरूर बता दें. इस से वे जिंदगी में कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. वह अपनी शारीरिक सुरक्षा और जीवन के सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं.

3. स्कूलों में शामिल हो सेक्स ऐजुकेशन

कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रभावकारी ढंग से जब किशोरों को सेक्स ऐजुकेशन के बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने सही उम्र में ही सेक्स का आनंद लेना ठीक समझा. हालांकि देश में आज भी स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित वर्कशौप और प्रोग्राम्स आयोजित करने में असहमति दिखाती है. इस की मुख्य वजह पेरैंट्स, समाज के कुछ रूढि़वादी तत्त्वों और स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि सेक्स ऐजुकेशन से किशोर लड़केलड़कियां और भी ज्यादा आजाद खयालों के हो जाएंगे, जिस से वे सैक्सुअल इंटरकोर्स में ज्यादा फ्री हो कर लिप्त होंगे.

4. सेक्स ऐजुकेशन का फायदा

द्य इस से टीनएज प्रैग्नैंसी में बहुत हद तक कमी आएगी. युवतियां हैल्थ, शिक्षा, भविष्य यहां तक कि गर्भ में पलने वाले भू्रण पर होने वाले अप्रत्यक्ष परिणामों से भी बच सकती हैं. उन में सेक्स के प्रति जागरूकता आएगी.

समय पर सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी होने से आगे चल कर बहुत हद तक तनाव से बचा जा सकता है.

यहां तक कि यदि कोई किशोर सैक्सुअल इंटरकोर्स में शामिल होता है, तो भी कौंट्रासैप्टिव मैथड्स जैसे कंडोम का इस्तेमाल, कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जानकारी होने पर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज और टीनएज प्रैग्नैंसी से बचा जा सकता है.

सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जैसे गौनोरिया, पैल्विक इंफ्लैमैटरी डिसीज और सिफिलिस से बचाव होता है.

युवाओं और किशोरों में सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उन्हें गर्भनिरोधक और मौर्निंग पिल्स, कंडोम और ऐबौर्शन के बारे में जानकारी मिल सकती है.

सुखदायक सेक्स लाइफ चाहते हैं तो इन चीजों को कहें अलविदा

डा. कुंदरा के मुताबिक, सेक्स सफल दांपत्य जीवन का महत्त्वपूर्ण आधार है. इस की कमी पतिपत्नी के रिश्ते को प्रभावित करती है. पतिपत्नी की एकदूसरे के प्रति चाहत, लगाव, आकर्षण खत्म होने के कई कारण होते हैं जैसे शारीरिक, मानसिक, लाइफस्टाइल. ये सेक्स ड्राइव को कमजोर बनाते हैं.

  • तनाव: औफिस, घर का वर्कलोड, आर्थिक समस्या, असमय खानपान आदि का सीधा असर तनाव के रूप में नजर आता है, जो हैल्थ के साथसाथ सेक्स लाइफ को भी प्रभावित करता है.
  • डिप्रैशन: यह सेक्स का सब से बड़ा दुश्मन है. यह पतिपत्नी के संबंधों को प्रभावित करने के साथसाथ परिवार में कलह को भी जन्म देता है. डिप्रैशन के कारण वैसे ही सेक्स की इच्छा में कमी आ जाती है. ऊपर से डिप्रैशन की दवा का सेवन भी कामेच्छा को खत्म करने लगता है.
  • नींद पूरी न होना: 4-5 घंटे की नींद से हम फ्रैश फील नहीं कर पाते, जिस से धीरेधीरे हमारा स्टैमिना कम होने लगता है. इतना ही नहीं सेक्स में भी हमारा इंट्रैस्ट नहीं रहता है.
  • गलत खानपान: वक्तबेवक्त खाना और जंक फूड व प्रोसैस्ड फूड का सेवन भी सेक्स ड्राइव को खत्म करता है.
  • टेस्टोस्टेरौन की कमी: शरीर में मौजूद यह हारमोन हमारी सेक्स इच्छा को कंट्रोल करता है. इस की कमी से पतिपत्नी दोनों ही प्रभावित होते हैं.
  • बर्थ कंट्रोल पिल्स: बर्थ पिल्स महिलाओं में टेस्टोस्टेरौन लैवल को कम करती हैं, जिस से महिलाओं में सेक्स संबंधों को ले कर विरक्ति हो जाती है. पतिपत्नी का दांपत्य जीवन तभी सफल होता है, जब सेक्स में दोनों एकदूसरे को सहयोग करें. सेक्स एक दोस्त की तरह भी जीवन में रंग भर देता है. शादीशुदा जिंदगी से प्यार की कशिश और इश्क का रोमांच खत्म होने लगा है तो सावधान हो जाएं.
  • यदि आप की सेक्स लाइफ अच्छी है तो इस का सकारात्मक प्रभाव आप की सेहत पर भी पड़ता है.
  • जानिए, सेक्स के सेहत से जुड़े कुछ फायदे:
  • शारीरिक तथा मानसिक पीड़ा में राहत दिलाता है: सेक्स के समय शरीर में हारमोन पैदा होते हैं, जो दर्द की अनुभूति कम करते हैं. भले ही कुछ समय के लिए.
    10.सर्दीजुकाम के असर को कम करता है: सेक्स गरमी, सर्दीजुकाम के प्रभाव को काफी हद तक कम कर देता है. अमेरिका स्थित ओहियो यूनिवर्सिटी के अध्ययन बताते हैं कि चुंबन एवं प्यारदुलार करने से रक्त में बीमारियों से लड़ने वाले टी सैल्स की तादाद बढ़ जाती है.
  • मानसिक तनाव को कम करता है: सेक्स मन को शांति देने के साथसाथ मूड को भी बढि़या बनाने वाले हारमोन ऐंडोर्फिंस के उत्पादन में वृद्धि करता है. इस के मानसिक तनाव कम हो जाता है.
  • मासिकधर्म के पूर्व की कमी को कम करता है: सेक्स में लगातार गरमी के चलते ऐस्ट्रोजन स्तर काफी हद तक कम होता है. इस दौरान शरीर में थकान कम महसूस होती है.
  • दिल के रोग और दौरों की आशंका कम होती है: अकसर दिल के मरीजों को सेक्स संबंध बनाने से दूर रहने की सलाह दी जाती है. मगर अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ,  डा. के.के. सक्सेना के अनुसार, पत्नी के साथ सेक्स संबंध बनाने से पूरे शरीर का समुचित व्यायाम होता है, जिस से दिमाग तनावरहित हो जाता है. दिल के दौरों की आशंका कम हो जाती है. सेक्स संबंध बनाने से धमनियों में रक्त का प्रवाह और हृदय की मांसपेशियों की क्षमता बढ़ती है.

आखिर क्या है पेड और वेब सेक्स, जानें यहां

सोशल वेबसाइट सर्वे करने वाली एक आईटी कंपनी की हालिया रिपोर्ट चौंकाती है, जिस में पोर्न बेस्ड सर्वे के आधार पर ये आंकड़े दिए गए हैं कि देश में 22 से 34 आयुवर्ग के युवा पोर्नोग्राफी, पेड सेक्स, बैव सेक्स चैट के जरिए अपनी पौकेट ढीली कर रहे हैं. उन की कमाई का लगभग 20 से 30त्न हिस्सा पेड सेक्स के लिए जा रहा है.

माध्यम चाहे जो भी हो, सेक्स के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ रही है यानी सेक्स अब सस्ता व सुलभ नहीं, बल्कि महंगा और अनअफोर्डेबल है. पेड सेक्स की बढ़ती लोकप्रियता व चलन ने सेक्स को आम लोगों की पहुंच से दूर कर दिया है. अब यह पैसे वालों का शौक बन गया है. सेक्स की बढ़ती मांग और आपूर्र्ति के बीच गड़बड़ाए तालमेल ने सेक्स बाज़ार के रेट आसमान पर पहुंचा दिए हैं. इस का दूसरा बड़ा कारण है मोटी जेब वालों की सेक्स तक आसान पहुंच. जहां जैसी जरूरत हो, मोटी रकम दे कर सेक्स बाज़ार से सेक्स खरीद लिया, नो बारगेनिंग, नो पचड़ा. इस का नतीजा हाई रेट्स पेड सेक्स के रूप में सामने आया. सेक्स वर्कर्स ने भी मांग के आधार पर अपनी दरें ऊंची कर लीं.

क्या है पेड सेक्स

सेक्स के लिए जो रकम अदा की जाती है उसे पेड सेक्स कहा जाता है. इस के कई रूप हो सकते हैं. वर्चुअल सेक्स से ले कर लाइव फिजिकल सेक्स तक. औनलाइन सेक्स मसलन, पोर्न वीडियो, पोर्नोग्राफी, औनलाइन पेड फ्रैंडशिप, वीडियो सेक्स, वैब औरिएंटेड सेक्स. औफलाइन सेक्स मसलन, ब्रोथल पिकअप सेक्स, कौलगर्ल औन डिमांड आदि. सेक्स के इन तमाम माध्यमों में कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पैसे इनवैस्ट किए जाते हैं. सेक्स के तमाम माध्यमों में सीधे इनवैस्टमैंट को पेड सेक्स कहते हैं.

सेक्स की राह नहीं आसान

कुछ दशक पहले तक सेक्स तक आम लोगों की आसान पहुंच थी. छोटीमोटी रकम अदा कर के यौनसुख का आनंद उठाया जा सकता था, पर सेक्स के विभिन्न मौडल सामने आने के बाद उस की दरों में कई गुणा वृद्धि हुई है.

क्या है इन की कैटेगरी व प्रचलित दरें

– औनलाइन पेड सेक्स : प्रति मिनट डेटा चार्जेज.

– फोन फ्रैंडशिप : 2 से 3 हजार रुपए प्रतिमाह सदस्यता.

–       कौलगर्ल औन डिमांड : 2 से 10 हजार रुपए प्रति घंटा.

–       स्कौर्ट सर्विस (श्रेणी एबीसी ) शुरुआती दर.

–       ब्रोथल सेक्स : 500 से 1,500 रुपए तक नाइट/आवर.

–       हाउस सर्विस : पर शौट (हाउसवाइफ, कालेज/वर्किंग वूमन)  3 से 5 हजार रुपए पर शौट.

मार्केट में चल रही इन दरों को देख कर आसानी से यह कहा जा सकता है कि ऐक्स्ट्रा मैरिटल सेक्स की चाह रखने वालों को अब मनी कैपेबिलिटी भी ऊंची रखनी होगी. यौनतृप्ति की राह आसान नहीं है. सेक्स के बाजार ने एक बड़ा रूप ले लिया है, जहां जिस की जितनी हैसियत है उस हिसाब से यौन संतुष्टि पा सकता है. आम व सामान्य लोगों के लिए यौनलिप्सा के दरवाजे लगभग बंद होते प्रतीत हो रहे हैं.

सेक्स और प्यार!

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सेक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सेक्स शामिल हो गया है. प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सेक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता. प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं. एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन. शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है. लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया. कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए. कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए. परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

5 टिप्स: सिंगल सेक्स को लेकर युवतियों के बदलते विचार

परिवर्तन के इस दौर में न सिर्फ युवतियों के विचार बदले हैं बल्कि उस से कई कदम आगे वे दैहिक स्वतंत्रता की बोल्ड परिभाषा को नए कलेवर में गढ़ती और बुनती नजर आ रही हैं.

1. सेक्सुअलल बोल्डनैस का बोलबाला

आज युवतियों ने सेक्स को अपने बोल्ड व बिंदास अंदाज से बदल दिया है. युवतियां न केवल सोशल फोरम में व सार्वजनिक जगहों पर सेक्स जैसे बोल्ड इश्यू को सरेआम उठा रही हैं बल्कि उस के पक्ष में अपना मजबूत तर्क भी पेश कर रही हैं. वे कैरियर ओरिऐंटिड होने के साथसाथ सेक्स ओरिऐंटिड भी हैं. सेक्स के टैबू होने के मिथक को वे काफी पीछे छोड़ चुकी हैं. वे सेक्स को बुराई नहीं समझतीं बल्कि उस का भरपूर लुत्फ उठाना चाहती हैं.

2. सिंगल सेक्स की पैरोकार आज की युवतियां

कुछ समय पहले तक युवतियों के अकेले रहने या सफर करने पर सवाल उठाए जाते थे, पर जवान होती युवापीढ़ी ने वर्षों से चली आ रही नैतिक व सेक्स से जुड़े सामाजिक मूल्यों की अपनी तरह से व्याख्या की है. सहशिक्षा व बौद्धिक विकास ने इसे बदलने में काफी सहायता की है. शिक्षित स्वतंत्र कम्युनिटी के इस बोल्ड अंदाज ने आम मध्यवर्गीय सोच में भी अपनी पैठ बना ली है. निम्न वर्गों में तो पहले से ही स्वतंत्रता थी. बगावती सुरों ने आजादी पाने की राह आसान कर दी है. युवतियों की आर्थिक स्वतंत्रता ने भी इस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.  सिंगल रहने वाली अधिकतर युवतियां इस सेक्सुअलल फ्रीडम का बेबाकी से फायदा उठाती नजर आती हैं. वे सेक्स को ऐंजौय करने में हिचकिचाती नहीं हैं. यह भी शरीर की एक आवश्यकता है.

3. सेफ सेक्स, सेफ लाइफ का फंडा

आधी आबादी का एक बड़ा वर्ग सेफ सेक्स को तरजीह देता है. सेक्स अब इंटरकोर्स का माध्यम मात्र नहीं बल्कि सुरक्षित व आनंददाई बन गया है. युवतियां अलर्ट हैं, जागरूक हैं और अपनी सेहत को ले कर सजग भी हैं. सेक्सुअलल इंटरकोर्स के दौरान वे दुनियाभर के उपाय जैसे पिल्स, कंडोम आदि का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. सिंगल रहने वाली युवतियां अब सेक्स का भी मजा ले रही हैं और फिटनैस भी बरकरार रख रही हैं.

4. सिंगल सेक्स के फायदे

वर्जनाएं अब टूट रही हैं. पढ़ाई, नौकरी या कामकाज के सिलसिले में युवतियां अपनी जद की सीमाएं लांघ रही हैं. ऐसे में बेरोकटोक वाली एकाकी जिंदगी उन्हें ज्यादा रास आ रही है. माना कि आम भारतीय परिवारों में विवाहपूर्व सेक्स को अभी भी वर्जित समझा जाता है और इसे चोरीछिपे ही अंजाम दिया जाता है, लेकिन यही रोकटोक युवाओं को सेक्स के और अधिक करीब खींच कर ला रही है. वैसे तो सिंगल सेक्स अपनेआप में एक फ्रीडम का एहसास कराता है, पर इस के कुछ फायदे भी हैं जैसे :

  •    इस से बोल्डनैस का एहसास होता है.
  •    यह कथित वर्जनाओं को तोड़ने का चरम एहसास कराता है.

माना कि सिंगल सेक्स आप को रियल सेक्सुअलल फन दे सकता है, पर अपनी सेक्सुअलल प्राइवेसी को ले कर सतर्क भी रहें. सेक्सुअलल फ्रीडम की भी लिमिट तय करें तभी आप इस के आनंद के चरम पर पहुंच सकती हैं और इस के बिंदास अंदाज में रंग सकती हैं. सेक्सुअलल इंडिपैंडैंसी जहां आप को बेबाक व बोल्ड बनाती है वहीं मोरल पुलिसिंग का शिकार भी इसलिए फन के साथ केयर का भी खयाल रखें.

5. सिंगल सेक्स के नुकसान

भले ही सिंगल रहने वाली युवतियां सेक्स को ले कर मुखरित हों पर इस के अपने कुछ नुकसान भी हैं:

  •   मल्टी पार्टनर्स से संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं.
  •  चीटिंग का खतरा हमेशा बना रहता है.
  •  लंबे समय तक ऐसी फ्रीडम आप को फिजिकल प्रौब्लम्स भी दे सकती है.

डेटिंग टिप्स: सेक्स को लें गंभीरता से

कालेज में पढ़ने वाले युवाओं को सेक्स संबंध बनाना हो या फिर लिव इन रिलेशनशिप में रहना हो, उन्हें इस बारे में अधिक सोचविचार की आवश्यकता नहीं होती. एक समय था जब विवाहपूर्व सेक्स के बारे में सोचना गलत माना जाता था, लेकिन आज तमाम सर्वे पर नजर डालें तो न सिर्फ युवा बल्कि किशोरकिशोरियों को भी सेक्स से कोई परहेज नहीं है. यह बात सही हो सकती है, लेकिन बिना सोचेसमझे सेक्स और इसे गंभीरता से लिए बिना कोई कदम उठाना सही नहीं है. इस से खुद को ही नुकसान हो सकता है. इसलिए सेक्स को मजाक न समझें, बल्कि गंभीरता से लें.

यह मजाक नहीं है

कई बार युवा अपने दोस्तों की देखा देखी या फिर दोस्तों में लगी शर्त को पूरा करने के चक्कर में सेक्स संबंध स्थापित करते हैं, ताकि वे अपने दोस्तों के बीच दबदबा बना सकें. लेकिन उन्हें इस बात का पता ही नहीं रहता कि कुछ पलों के हंसीमजाक के चलते उन्होंने अपनी जिंदगी का कितना अहम कदम बिना सोचेसमझे उठा लिया है. इसलिए सेक्स को गंभीरता से लें.

शादी के बाद होगी मुश्किल

शादी के बाद पति को भी इस का पता चल सकता है. यदि अपनी किशोरावस्था में आप ने सेक्स को गंभीरता से नहीं लिया और अपने फ्रैंड से कई बार सेक्स संबंध बनाए तो हो सकता है शादी के बाद पति को इस बात की किसी तरह भनक लग जाए और अगर ऐसा हुआ तो आप की खुशहाल जिंदगी क्या करवट लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता.

यौन संबंधी बीमारियों का डर

आमतौर पर विवाहपूर्व सेक्स संबंध शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर सुरक्षित नहीं माने जाते. असुरक्षित सेक्स से कई यौन रोग भी गले पड़ सकते हैं, जो जानलेवा होते हैं. यदि कम उम्र में ऐसे संबंध स्थापित किए जाते हैं तो इस का असर शारीरिक विकास पर पड़ता है. इस के साथ ही सामाजिक संबंधों पर भी इस का गहरा असर पड़ता है.

साथी के साथ ही करें सेक्स

सेक्स हमेशा उसी के साथ करें जिसे आप ने जीवनसाथी बनाना है. कोशिश करें कि शादी से पहले अपने बौयफ्रैंड से सेक्स संबंध न बनाएं, क्योंकि उस के मन में यह विचार आ सकता है कि जो लड़की मेरे साथ सेक्स कर सकती है उस ने औरों के साथ भी संबंध बनाए होंगे. किसी अजनबी के साथ सेक्स संबंध बनाना न तो ठीक है और न ही सुरक्षित. सेक्स संबंधों में जल्दबाजी न करें बल्कि जिस के साथ सेक्स करना है उस के बारे में अच्छी तरह जान कर व सोचसमझ कर ही आगे बढ़ें. यह भी ध्यान रहे कि वह संबंध बनाने की बात दूसरों को न बता दे.

जगह का चुनाव करें

सेक्स कहां कर रहे हैं, यह भी काफी माने रखता है. वह जगह सेफ न हुई या किसी ने होटल के कमरे में वीडियो क्लिपिंग बना ली तो क्या होगा, इसलिए जहां मन हुआ सेक्स कर लिया ऐसा नहीं होना चाहिए. सेक्स करने से पहले गंभीरता से सोचें कि इसे कहां किया जाए.

ब्लैकमेलिंग से बचें

बौयफ्रैंड के पास आप के कुछ पर्सनल फोटो हो सकते हैं, जिन से आगे चल कर वह आप को ब्लैकमेल भी कर सकता है, इस बात का भी ध्यान रखें, फिर चाहे वह बौयफ्रैंड हो या कोई और. सेक्स  से पहले यह बात जरूर सोच लें कि इस वजह से कहीं आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न हो जाएं, इसलिए इन बातों का विशेष खयाल रखें.

प्रैग्नैंसी का खतरा

इस बात पर भी विचार करना जरूरी है कि अगर आप ने बिना सोचेविचारे जल्दबाजी में सेक्स संबंध बनाने का फैसला किया और उस दौरान कोई सावधानी नहीं बरती तो गर्भ ठहरने का खतरा भी बना रहता है. यदि ऐसा होता है तो आप मानसिक तनाव से घिर जाएंगी, क्योंकि इस का दुष्प्रभाव आप की पूरी जिंदगी पर पड़ेगा.

डिप्रैशन न हो जाए

जब कई बार इन संबंधों में दरार पड़ती है तो दोनों पक्षों को ही गहरा मानसिक आघात पहुंचता है. ऐसे में सामाजिक और नैतिक बंधनों के चलते विवाहपूर्व सेक्स संबंध बनाने की शर्म, ग्लानि, अविश्वास, तनाव तथा एकदूसरे के प्रति सम्मान की कमी जैसे कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं.

डेटिंग को डेटिंग ही रहने दें

कई बार डेटिंग के दौरान भी सेक्स संबंध बन जाते हैं. जहां डेटिंग का मकसद एकदूसरे को भलीभांति जानना होता है वहीं वे उस मकसद को भूल सेक्स संबंध स्थापित कर लेते हैं. सेक्स के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है, लेकिन अभी समय एकदूसरे को जाननेसमझने का है. यह वक्त दोबारा नहीं आएगा, इसलिए पहले दोनों एकदूसरे को भलीभांति समझ लें और अपने रिश्ते को कुछ समय दें. उस के बाद इस पायदान पर आएं.

अच्छा नहीं उतावलापन

सेक्स के लिए उतावलापन अच्छा नहीं है इसलिए आप को प्रोफैशनल या बाजारू महिला या पुरुष के साथ सेक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए. यह पूरी तरह गलत है. इस से आप गलत लोगों के चंगुल में भी फंस सकते हैं.

जबरदस्ती सेक्स न करें

सेक्स जबरन नहीं करना चाहिए. आप को किसी के दबाव या किसी अन्य कारण से सेक्स करने से बचना चाहिए. साथ ही किसी डर की वजह से भी सेक्स नहीं करना चाहिए. मन के सारे भ्रम और आशंकाएं निकालने के बाद ही सेक्स संबंध बनाएं.

सही कदम

  • हर चीज समय पर ही अच्छी लगती है और सही भी रहती है. माना कि दिल किशोरावस्था में प्रेम की पींगें बढ़ाने को बेताब रहता है. प्रेम करना गलत नहीं है अवश्य करें, लेकिन सेक्स के लिए सही वक्त का इंतजार भी जरूरी है. तभी उस का असली मजा और आनंद ले पाएंगे वरना वह कुछ पलों का आनंद तो देगा लेकिन बाद में मन का सुकून भी छीन लेगा.
  • अगर फिर भी आप ने सेक्स का मन बना ही लिया है तो समय और स्थान का ऐसा चुनाव करें जो आप के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो और बाद में किसी मुसीबत में फंसाने वाला न हो, इसलिए किसी भी कमजोर पल में सेक्स करने का फैसला न लें बल्कि यदि सेक्स करना भी है तो सोचीसमझी योजना के तहत करें.
  • सेक्स के बाद यदि प्रैग्नैंसी आदि का वहम हो रहा है तो बिना डाक्टर को दिखाए खुद ही किसी नतीजे पर न पहुंचें, बल्कि सब से पहले इस बारे में अपने घर पर बड़ी बहन, मां आदि को बताएं. यह सच है कि आप को बताने में हिचकिचाहट होगी, डर भी लगेगा और शायद शर्मिंदगी भी होगी, लेकिन यह शर्मिंदगी उस मुसीबत से कम होगी जो न बताने पर आप को झेलनी पड़ सकती है. वह आप के घर वाले हैं, इस बात को सुन कर चाहे लाख नाराज हों, आप को डांटें, लेकिन इस मुसीबत से निकालने की जिम्मेदारी लेने में उन्हें देर नहीं लगेगी. उस समय वह वही करेंगे जो आप के लिए उचित होगा. इसलिए उन पर विश्वास कर हिम्मत कर के एक बार उन से सच कह डालिए, फिर देखिए कैसे आप की परेशानी हल होती है.
  • अगर आप का कोई बौयफ्रैंड है जिस पर आप बहुत विश्वास करती हैं तो भी उसे अपना कोई वीडियो आदि न बनाने दें चाहे कुछ भी हो जाए. वह रिश्ता तोड़ने की धमकी देता है तो न डरें, क्योंकि जो युवक आप से ऐसी बात कह रहा है वह किसी भी तरह का रिश्ता रखने के लायक नहीं है.
  • अगर सेक्स करना भी है तो इस बात का खयाल रखें कि उस की वजह से आप की पढ़ाई में कोई बाधा न आए. यह समय आप के भविष्य बनाने का है. इस में किसी भी तरह का कोई व्यवधान नहीं आना चाहिए. सेक्स कर के कहीं हर वक्त उसी में खोए रह कर पढ़ाई करना न भूलें. पढ़ाई आप की पहली जरूरत है, बाकी सब बाद में.
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