बड़े काम की है शीघ्रपतन की जानकारी, क्या यह है बड़ी बीमारी

आज के दौर में हर उम्र के मर्दों में शीघ्रपतन की समस्या देखने में आ रही है. आम भाषा में इसे जल्दी पस्त हो जाना और अंगरेजी में इसे प्रीमैच्योर इजैकुलेशन या अर्ली इजैकुलेशन कहा जाता है. ऐसा अकसर अंग में प्रवेश से पहले या उस के तुरंत बाद हो सकता है. इस की वजह से दोनों पार्टनर सैक्स संबंधों के लिहाज से असंतुष्ट रहते हैं.

दरअसल, शीघ्रपतन आदमियों में सैक्स की आम समस्याओं में से एक है. शायद हर मर्द अपनी जिंदगी में कभी न कभी इस परेशानी से घिरता है. अगर अंग में डालने से पहले ही मर्द का वीर्य गिर जाता है, तो ऐसे में उस जोड़े में बच्चे पैदा न होने की समस्या भी पेश आती है.

शीघ्रपतन की समस्या का असर आदमी की सैक्स लाइफ पर देखने को मिलता है. इस समस्या के चलते आदमी अपनी लाइफ पार्टनर या प्रेमिका को सैक्स सुख नहीं दे पाता. इस से नाजायज संबंध भी बन जाते हैं, जिस का नतीजा कई बार परिवार के टूटने के रूप में भी होता है.

इस समस्या के हल के लिए लोग नीमहकीमों के चंगुल में भी फंस जाते हैं, जो उन को लूटते हैं और समस्या को सुलझाने के बजाय और बढ़ा देते हैं.

ज्यादा हस्तमैथुन करने से शरीर के बायोलौजिकल क्लौक का सैट हो जाना है. इस की वजह से आदमी को क्लाइमैक्स पर पहुंचने की जल्दी होती है और वह जल्दी से जल्दी मजा पाना चाहता है.

* सैक्स के बारे में ज्यादा सोचना भी शीघ्रपतन के लिए जिम्मेदार होता है. सैक्स फैंटेसी या पोर्न फिल्में देखने से भी आदमी ज्यादा जोश में आ जाता है और जल्दी ही पस्त हो जाता है.

* शराब के ज्यादा सेवन या डायबिटीज की वजह से भी शीघ्रपतन की समस्या पैदा हो सकती है.

* सैक्स संबंध बनाने के शुरुआती दिनों में भी इस तरह की समस्या पैदा हो जाती है.

* नया पार्टनर होने के चलते जोश में जल्दी वीर्य गिर सकता है.

* जल्दी पस्त होना इस बात पर भी निर्भर करता है कि जोश देने का तरीका कैसा है.

* ओरल सैक्स से भी आदमी जल्दी डिस्चार्ज हो सकता है.

क्या करें?

अगर शीघ्रपतन की समस्या आप की जिंदगी में भी तनाव की वजह बन चुकी है, तो इसे चुपचाप सहन न करते रहें, बल्कि अपने डाक्टर से मिलें. वह आप की शारीरिक जांच कर इस की वजह पता लगाने की कोशिश करेगा.

डाक्टर के साथ खुल कर अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बात करें और अगर कभी किसी बीमारी से पीडि़त हैं, तो उस के बारे में भी किसी तरह की जानकारी न छिपाएं.

ये उपाय भी आजमाएं

* जल्दी पस्त होना रोकने के लिए लंबी सांसें लें.

* जब भी वीर्य निकलने का समय हो, अपने साथी को लंबी सांसें लेने को कहें. इस से धड़कनों की रफ्तार कम होगी और वीर्य जल्दी नहीं निकलेगा.

* सैक्स के पहले इस प्रक्रिया के बारे में उसे अच्छे से समझाएं.

* ‘निचोड़ने की विधि’ के तहत अपने साथी के अंग को नीचे से जोर से दबाएं. ऐसा तब करें, जब आप के साथी का वीर्य निकलने वाला हो. इस से उस के अंग का इरैक्शन कम होगा और वीर्य नहीं निकलेगा.

* जल्द वीर्य को गिरने से रोकने के लिए स्टौप एंड स्टार्ट विधि अपनाएं. इस के तहत अपने साथी को 3 से 4 बार हस्तमैथुन करने के लिए कहें, जिस में वीर्य निकलने के समय पर उस का रुकना जरूरी है. इस से उसे पता चलेगा कि किस समय इजैकुलेशन होता है और वह इस पर अच्छे से काबू भी कर सकता है.

शीघ्रपतन और दवाएं

ऐसा नहीं है कि शीघ्रपतन होने से हर किसी के मन में तनाव की भावना पैदा हो जाती है. कुछ लोग इसे ले कर ज्यादा नहीं सोचते और इस का हल अपने तरीके से निकालते हैं. लेकिन अगर आप को लगता है कि इस से आप के मजे में कमी आ रही है, तो आप जोलोफ्ट, प्रोजाक जैसी दवाओं का सेवन कर सकते हैं. ये दवाएं शीघ्रपतन रोकने में आप की मदद करती हैं व आप का साथी बिस्तर पर आने से कई घंटे पहले भी इन दवाओं का सेवन कर सकता है.

एक बार इस दवा का सेवन कर लेने पर जब आप दोनों अच्छा वक्त बिताना शुरू कर रहे हों, तो उस समय मर्द की कामुकता में इजाफा होगा. इस से न सिर्फ वीर्य निकलने से रुकेगा, बल्कि पहले के मुकाबले आप के सैक्स संबंध भी बेहतर होंगे.

इन दवाओं के सेवन के लिए बेहतर यही होगा कि आप किसी माहिर सैक्स डाक्टर से सलाह लें.

इस के अलावा जोश रोकने के लिए अंग पर लोकल एनैस्थैटिक क्रीम या स्प्रे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. अंग में जोश में कमी आने से वीर्य गिरने में देरी आएगी. कुछ मर्दों में कंडोम का इस्तेमाल भी इसी तरह जोश घटाने में मददगार होता है.

आमतौर पर आदमी वीर्य गिरने को कंट्रोल करना सीख लेते हैं. इस बारे में जानकारी हासिल करना और कुछ आसान उपायों को अपनाने से हालात पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं, लेकिन लंबे समय तक शीघ्रपतन की समस्या का जारी रखना आदमी में डिप्रैशन या एंग्जाइटी की वजह से हो सकता है. किसी मनोवैज्ञानिक से मिल कर इन परेशानियों को दूर किया जा सकता है.

युवाओं के लिए है बेहद जरूरी सैक्स एजुकेशन

Sex News in Hindi: दिया की उम्र महज 20 साल है. वह अविवाहित (Unmarried) है, लेकिन कैसे गर्भवती (Pregnant) हो गई, दिया के मातापिता की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उन से कहां कमी रह गई? क्या दिया की परवरिश में कहीं कोई कमी रह गई थी? क्या वे अपनी जवान हो रही बेटी की हरकतों पर समय की कमी के चलते ध्यान नहीं दे पाए? दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक अच्छे कालेज में पढ़ने वाली दिया के मातापिता को जब उस के गर्भवती होने की बात पता चली तो वे सन्न रह गए. उन्होंने तुरंत सामान पैक किया और दिया को ले कर दिल्ली से बाहर दूसरे शहर चले गए, ताकि बात आसपड़ोस या फिर रिश्तेदारों में न फैले. शहर के बाहर उस के पिता ने किसी अच्छे डाक्टर से उस का गर्भपात (Abortion) कराया और कुछ समय तक वहीं होटल में रहे. बाद में उसे दिल्ली वापस ले आए.

यह उदाहरण सिर्फ दिया का ही नहीं है, बदलते समय के साथसाथ यंगस्टर्स की सोच में काफी बदलाव आया है, पश्चिमी सभ्यता उन के सिर चढ़ कर बोल रही है. उम्र का यह दौर ऐसा होता है कि अगर मातापिता बच्चों को कुछ समझाएं तो उन्हें समझ नहीं आता. उन्हें पूरी दुनिया गलत नजर आती है.

एक अनुमान के मुताबिक, भारत की मैट्रो सिटीज से ले कर गांवों तक 25 से 30 फीसदी युवतियां किसी न किसी कारण गर्भपात कराती हैं. ये आंकड़े 25 साल से कम उम्र की युवतियों के हैं. अधकचरी जानकारी में टीनऐज में गर्भपात के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. सरकारी संस्था नैशनल सैंपल सर्वे औफिस के आंकड़ों पर गौर करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 20 साल से कम उम्र की युवतियों में गर्भपात का प्रतिशत मात्र 0.7 है, जबकि शहरों में यह 14त्न है.

युवती की बढ़ जाती हैं मुश्किलें

 अविवाहिता जब संबंध बनाती है तब क्या सही और क्या गलत है, इस का खयाल तक उस के दिमाग में नहीं आता. तब मन गहरे समंदर में प्यार के गोते लगाता है. इस के दुष्परिणाम तब सामने आते हैं जब कम उम्र में युवती गर्भवती हो जाती है. इस उम्र में न तो प्रेमी शादी के लिए तैयार होता है और न ही प्रेमिका. लिहाजा, दोनों के सामने बस एक ही रास्ता होता है और वह है गर्भपात.

जब यह बात घर वालों को पता चलती है तो पूरे घर में बवंडर आ जाता है जो लाजिमी है, लेकिन इस गलती का युवती को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. उसे न केवल गर्भपात जैसे जटिल दौर से गुजरना पड़ता है बल्कि कई तरह की मानसिक परेशानियों से भी दोचार होना पड़ता है. प्रेमी के बदलते रवैए और घर वालों के तानों से पीडि़ता डिप्रैशन में चली जाती है जबकि कई मामलों में युवती ऐसे हालात में मौत को भी गले लगा लेती है.

कौन है जिम्मेदार

देश में अब टीनऐजर्स के लिए गर्भपात कोई नई बात नहीं है. युवा पहले शादी फिर सैक्स जैसी बातों को अब दकियानूसी मानते हैं और इस की वजह है उन्हें आसानी से सबकुछ उपलब्ध हो जाना, ऐसे में वे क्यों शादी का इंतजार करें और जिम्मेदारियों के बोझ तले दब जाएं.

इस के पीछे मुख्य कारण एकल परिवार भी है, जहां मातापिता दोनों कामकाजी हैं. ऐसे में वे बच्चों पर ज्यादा निगरानी नहीं रख पाते. बच्चे अकेले टीवी पर क्या देख रहे हैं या फोन पर क्या डाउनलोड कर रहे हैं, ये सब देखने की उन्हें फुरसत ही नहीं है. आजकल टीवी और इंटरनैट के माध्यम से सब चीजें उपलब्ध हैं, जिस के दुष्परिणाम आगे चल कर हमारे सामने गर्भपात के रूप में आते हैं.

प्रेमी का व्यवहार भी है इस की वजह

 प्यार की शुरुआत में तो सबकुछ अच्छा लगता है और कई बार युवती इस उम्मीद में रिश्ता भी बना लेती है कि उस की प्रेमी से शादी हो जाएगी, लेकिन जब वह गर्भ ठहरने की बात प्रेमी को बताती है तो अधिकतर मामलों में वह प्रेमिका से पीछा छुड़वाने की भरपूर कोशिश करता है. वह न तो बच्चे को अपना नाम देना चाहता है और प्रेमिका से शादी करने से भी मना कर देता है, जिस के चलते युवती के पास सिवा गर्भपात के कोई उपाय नहीं बचता और फिर उसे कई तरह की परेशानियों से गुजरना पड़ता है. इस से न केवल उस का स्वास्थ्य प्रभावित होता है बल्कि मानसिक रूप से भी उसे गहरा सदमा लगता है.

गर्भपात के बाद युवती खुद को अलगथलग महसूस करती है. बारबार उसे लगता है कि उस के साथ धोखा हुआ है. धीरेधीरे उस के व्यवहार पर भी इस का गहरा असर दिखाई देता है.

गलती दोनों की

 यदि शादी से पहले कोई युवती गर्भवती हो गईर् है तो इस में सिर्फ उस की ही गलती नहीं है, जितनी दोषी वह युवती है उतना ही दोष उस युवक का भी है. दोनों इस में बराबर के हकदार हैं. हमारा समाज शादी से पूर्व युवती के गर्भवती होने पर उसे कई तरह के ताने जैसे बदचलन, कुलटा, कलमुंही कह कर उस का तिरस्कार करता है, लेकिन उस युवक का क्या, जो गर्भ में पल रहे बच्चे का बाप है? क्या उस का कोई कुसूर नहीं? लिहाजा, किसी एक पर गलती का दोष न डाला जाए तो अच्छा है.

कैसे निबटें ऐसे हालात से

 अगर आप कामकाजी या हाउसवाइफ हैं तो जरूरी है कि अपने बढ़ते बच्चों का ध्यान रखें. वे क्या कर रहे हैं, कब कहां जा रहे हैं, किस से बात कर रहे हैं? इन सब बातों को नजरअंदाज न करें बल्कि बच्चे का खयाल रखें, उस के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करें. ध्यान रखिए डराधमका कर वह आप को कभी कुछ नहीं बताएगा. यदि आप का बच्चे के साथ व्यवहार दोस्ताना रहेगा तो वह आप के साथ सारी बातें शेयर करेगा. उस का फोन और लैपटौप भी समयसमय पर चैक करते रहिए.

हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप जासूसी कीजिए, लेकिन यदि आप कभीकभार ये सब चीजें चैक करेंगे तो आप को पता चल जाएगा कि आप का बच्चा किस दिशा में जा रहा है.

सैक्स शिक्षा बच्चों के लिए आज काफी अहम हो गई है. स्कूलकालेजों में यदि सैक्स शिक्षा दी जाए तो बच्चों को इस के सही और गलत प्रभाव का पता चल जाएगा जिस से टीनऐज में गर्भपात के हालात से निबटा जा सकता है.

अधूरी सेक्स नौलेज

प्रेमिका को खुश रखने की युवा हर संभव कोशिश करते हैं, लेकिन जब सेक्स संबंधी समस्या हो तो उसे भी दूर करना होगा. युवा प्रेमियों को लगता है कि सेक्स का अधूरा ज्ञान उन्हें मंझधार में ले जा सकता है. सेक्स संबंधों के दौरान सेक्स क्षमता का बहुत महत्त्व है. सहवास करने की क्षमता ही व्यक्ति को पूर्ण पुरुष के रूप में स्थापित करती है.

कई ऐसे कारण हैं जिन पर हम खुल कर चर्चा नहीं करते न ही उन्हें दूर करने का उपाय खोजते हैं. नतीजतन, सेक्स लाइफ का मजा काफूर हो जाता है. ऐसी  कई समस्याएं हैं जिन्हें दूर कर हम वैवाहिक जिंदगी जी सकते हैं.

1. झिझक 

सहवास की पूर्ण जानकारी न होना, सेक्स के बारे में झिझक, संबंध बनाने से पहले ही घबराना, यौन दुर्बलता से सेक्स इच्छा की कमी, मानसिकरूप से खुद को सेक्स के प्रति तैयार न कर पाना, शीघ्रपतन, स्वप्नदोष, मोबाइल सेक्स आदि समस्याओं से युवावर्ग पीडित है. सेक्स में मंझधार में न रहें, समस्याओं को समझें व इन्हें दूर करें और सेक्स का भरपूर आनंद उठाएं.

2. सेक्स इच्छा में मानसिक कारणों को दूर करें

आज की भागदौड़भरी जिंदगी में धनपदयश पाने की उलझन में फंसे युवा एक खास मुकाम तक पहुंचने के चक्कर में सहवास के बारे में अंत में सोचते हैं. वे इस तनाव से ऐसे ग्रस्त हो गए हैं कि उन का वैवाहिक जीवन इस से प्रभावित हुआ है.

3. सेक्स में डरें नहीं

डर यौनसुख को सब से ज्यादा प्रभावित करता है. इस की वजह से शीघ्र स्खलित होना, कोई देख लेगा, कमरे के बाहर आवाज सुनाई देने का डर, पार्टनर द्वारा उपहास, गर्भ ठहरने का खतरा आदि युवाओं की यौनक्षमता पर प्रश्नचिह्न लगा देते हैं. युवावस्था में यौन इच्छा चरम पर होती है इसलिए सेक्स संबंध जल्दीजल्दी बना लेते हैं, लेकिन धीरेधीरे समय में ठहराव कम हो जाता है, क्योंकि विवाह से पहले प्रेमिका से संबंध बनाना उसे अपराधबोध लगता है और वह शीघ्र स्खलित हो जाता है. इन सभी बातों को नजरअंदाज करते हुए सेक्स संबंध बनाएं.

4. मोबाइल सेक्स

इंटरनैट के परिवेश में आज का युवा मोबाइल पर सैक्सी फिल्में देखता है और खुद को भी सेक्स में लिप्त कर लेता है. यही कारण है कि वह वास्तविक जीवन में सेक्स का भरपूर आनंद नहीं उठा पाता.

5. स्वयं पर विश्वास करें

कुछ युवा स्वस्थ होते हुए भी सेक्स के प्रति आत्मविश्वासी नहीं होते. सहवास के दौरान वे धैर्य खो बैठते हैं. ऐसे युवाओं में कोई कुंठा छिपी होती है, जो उन्हें पूर्ण सेक्स करने से रोकती है. खुद पर विश्वास रखें, अन्यथा किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट एवं मनोचिकित्सक को दिखाएं.

6. यौनांग पर चोट

किसी ऐक्सिडैंट या अत्यंत तेजी से शारीरिक संबंध बनाते हुए या कष्टप्रद आसनों से यौनांग को चोट पहुंचती है. इस से युवती का सेक्स से मन हटने लगता है. अत: यौनांग पर चोट न पहुंचे, ऐसा प्रयास करें.

7. शारीरिक कारण

आज युवाओं का सेक्स में सफल न हो पाना दवाओं का दुष्प्रभाव है. बीटा रिसेप्टार्स, प्रोपेनोलोल, मिथाइल डोपा, सिमेटिडिन आदि दवाएं सेक्स इच्छा में कमी लाती हैं. खुद को बीमारी से दूर रखने का प्रयास करें. यौनांग में कसावट होने (फिमोसिस) के फलस्वरूप दर्द, जलन होना, तनाव व स्खलन के कारण सहवास में कमी आ जाती है. अत: शल्यक्रिया द्वारा इसे दूर किया जा सकता है.

8. गुप्तांग में तनाव न आना

सहवास के दौरान तनाव न आना और यदि  तनाव आता भी है तो कम समय के लिए आता है. युवावस्था में ऐसा होने के कई कारण हैं, जैसे मातापिता का व्यवहार व मानसिक तनाव सेक्स क्रिया में असफलता की मुख्य वजह है.

9. सीमेन की मात्रा कम होना

कई बार स्खलन का समय सामान्य होता है, लेकिन सीमेन काफी कम मात्रा में निकलने से सेक्स के दौरान पूर्णआनंद नहीं आता. युवा यदि इस समस्या से पीडि़त हों तो चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंच पाते. ऐसे में सैक्सोलौजिस्ट से मिलें. मानसिक रूप से खुद को तैयार कर के सहवास करें, समस्या अवश्य दूर होगी.

10. इजाक्युलेशन

जब युवा अपने पार्टनर को संतुष्ट किए बिना ही स्खलित हो जाते हैं तो इसे इजाक्यूलेशन कहा जाता है. सैक्सुअल संबंधों के दौरान ऐसा होने से वैवाहिक जीवन में कड़वाहट आती है.

11. प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन

युवाओं में सेक्स में और्गेज्म की अनुभूति इजाक्युलेशन से पूरी होती है. सहवास शुरू करने के 30 सैकंड से 1 मिनट पहले स्खलित होने पर उसे प्रीमैच्योर इजाक्युलेशन कहते हैं. गुप्तांग की कठोरता खत्म हो जाती है और इस वजह से पार्टनर की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है. यह वास्तव में समस्या नहीं बल्कि चिंता, संतुष्ट न कर पाने का डर, मानसिक अशांति, मानसिक तनाव, डायबिटीज या यूरोलौजिकल डिसऔर्डर के कारण होता है. इस के लिए ऐंटीडिप्रैंसेट दवाओं का सेवन डाक्टर की सलाह ले कर करें.

12. ड्राइ इजाक्युलेशन

इस में पुरुषों की ब्लैडर मसल्स ठीक से काम नहीं करतीं, जिस कारण सीमेन बाहर नहीं निकल पाता. इस से फर्टिलिटी प्रभावित होती है, लेकिन आर्गेज्म या सेक्स संतुष्टि पर कोई असर नहीं पड़ता.

13. पौष्टिक आहार व पर्याप्त नींद लें

संतुलित व पर्याप्त पौष्टिक भोजन के अभाव में शरीर परिपुष्ट नहीं हो पाता. ऐसे में सीमेन का पतलापन और इजाक्युलेशन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है. पर्याप्त नींद और भोजन से शरीर में सेक्स हारमोन का स्तर काफी बढ़ जाता है, जो सफल सहवास के लिए जरूरी है.

14. तनाव से दूर रहें

तनाव के दौरान कभी भी सेक्स संबंध न बनाएं. तनाव सेक्स प्रक्रिया को पूरी तरह प्रभावित करता है और इंसान को कई बीमारियों से ग्रसित कर देता है. मुंबई की मशहूर मनोचिकित्सक डा. यदुवीर पावसकर का मानना है कि युवाओं के एक बहुत बडे़ वर्ग, जिसे तनाव ने अपने घेरे में ले लिया है, को सेक्स से अरुचि होने लगी है. इस का मुख्य कारण भागदौड़ भरी दिनचर्या है.

15. फोरप्ले को समझें

शारीरिक संबंध बनाने से पहले पूर्ण शारीरिक स्पर्श, मुखस्पर्श, नख, दंत क्रीड़ा करने के बाद ही सहवास शुरू करें. सेक्स प्रक्रिया का पहला चरण फोरप्ले है. बिना फोरप्ले युवकों को उतनी समस्या नहीं आती लेकिन ज्यादा नोचनेखसोटने से युवती को पीड़ा हो सकती है. उस का सहवास से मन हट सकता है. इसलिए शारीरिक संबंध बनाते समय पार्टनर की भावनाओं की भी कद्र करें और अगर उसे इस दौरान दर्द हो रहा है तो अपने ऐक्शंस पर थोड़ा कंट्रोल करें.

16. सेक्स ऐंजौय करने के कुछ उपाय

–       पूरी नींद लें.

–       पौष्टिक आहार लें.

–       नियमित व्यायाम करें.

–       शराब या तंबाकू का सेवन न करें.

–       नियमित रूप से हैल्थ चैकअप करवाएं.

–       साल में 1-2 बार किसी हिल स्टेशन पर जाएं.

–       शारीरिक संबंध तभी बनाएं जब पार्टनर भी तैयार हो.

आप डैमीसैक्सुअल तो नहीं

आप ने अब तक सैक्सुअलिटी को ले कर कई शब्द सुने होंगे जैसे बाईसैक्सुअल, पैनसैक्सुअल, पौलिसैक्सुअल, असैक्सुअल, सेपोसैक्सुअल और भी कई तरह के शब्द. पर अब एक और नया शब्द सैक्सुअलिटी को ले कर एक नए रूप में आ रहा है और वह है डैमीसैक्सुअल. ये वे लोग हैं जो असैक्सुअलिटी के कगार पर हो सकते हैं पर पूरी तरह से अलैंगिक नहीं हैं. यदि आप किसी से सैक्सुअली आकर्षित होने से पहले अच्छे दोस्त होना पसंद करते हैं तो आप निश्चित रूप से डैमीसैक्सुअल हैं.

1. सैक्सुअलिटी की पहचान

यह जानने के कई तरीके हैं कि आप डैमीसैक्सुअल हैं या नहीं. सब से मुख्य तरीका यह है कि जब तक आप किसी से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते, आप सैक्सुअल फीलिंग्स महसूस नहीं करते. आप के लिए भावनाएं महत्त्वपूर्ण हैं. आप सारी उम्र एक ही व्यक्ति से संबंध बना कर रह सकते हैं. आप प्रयोग से डरते हैं.

आप सैक्सुअल इंसान नहीं हैं, इस में कोई बुराई नहीं है. सैक्स के पीछे भागने से ज्यादा आप को जीवंत, वास्तविक बातचीत करना ज्यादा अच्छा लगता है. यदि आप किसी से रिलेशनशिप में हैं और उस से इमोशनली जुड़ हुए हैं तभी आप अपने पार्टनर के प्रति सैक्सुअली आकर्षित होते हैं. यदि आप सिंगल हैं, तो आप निश्चित रूप से सैक्स से ज्यादा पार्क में एक अच्छी सैर या अपनी पसंद की कोई चीज खाना पसंद करेंगे.

जिसे आप पसंद करती हैं, उस से मिलने के बाद आप उस के व्यक्तित्व से प्रभावित होंगी, उस के लुक्स से नहीं, इसलिए किसी भी चीज से पहले आप की उस से दोस्ती होगी. आप किसी से मिलने पर सैक्सुअल होने या फ्लर्टिंग में विश्वास नहीं रखते. यदि एक व्यक्ति ने आप को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित किया है तो आप पहले दोस्ती में अपना हाथ बढ़ाएंगे. घंटों, हफ्तों, महीनों में ही डेटिंग शुरू करने की आप सोच भी नहीं सकते, फ्लर्टिंग आप के दिमाग में आती ही नहीं है.

2. आकर्षण के प्रकार

आकर्षण 2 तरह का होता है-प्राइमरी और सैकेंडरी. प्राइमरी आकर्षण में आप किसी के लुक्स से आकर्षित होते हैं और सैकेंडरी आकर्षण में आप किसी के व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं. यदि आप डैमीसैक्सुअल हैं तो आप निश्चित रूप से सैकेंडरी पर्सनैलिटी टाइप में फिट बैठते हैं. अब इस का मतलब यह नहीं है कि आप को कोई आकर्षित नहीं करता. बहुत लोग आप को आकर्षक लगे होंगे पर आप लुक्स पर ही संबंध नहीं बना सकते. आप तभी आगे बढ़ते हैं जब किसी का व्यक्तित्व आप को प्रभावित करता है.

जब आप के दिल में किसी के लिए फीलिंग्स पैदा होने लगती हैं, विशेषरूप से सैक्सुअल फीलिंग, तो आप दुविधा में पड़ जाते हैं, क्योंकि आप उतने सैक्सुअल पर्सन नहीं हैं. आप नहीं जानते कि इन फीलिंग्स पर क्या प्रतिक्रिया दें या उस व्यक्ति से कैसे शारीरिक कनैक्शन बनाएं. एक बार आप घबराहट और दुविधा की स्थिति से बाहर निकल गए, तो आप अपने पार्टनर से ही सैक्स करना चाहेंगे और किसी से भी नहीं. किसी से सैक्सुअली खुलने के लिए उसे बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं, क्योंकि आप बहुत भावुक हैं और फिर सैक्स आप दोनों के लिए बहुत कंफर्टेबल हो जाएगा.

3. लोगों का आप के प्रति नजरिया

क्योंकि आप सैक्स को ले कर ज्यादा नहीं सोचते, लोग सोच सकते हैं कि आप विवाह होने का इंतजार कर रहे हैं. वे आप को घमंडी और पुराने विचारों का समझ सकते हैं पर इस से आप विचलित न हों. जैसे हैं वैसे ही रहें. आप किसी स्विच को औनऔफ करने की तरह किसी से भी सैक्स नहीं कर सकते. लोगों को अपने मनोभावों पर स्पष्टीकरण देने की चिंता में पड़ें ही नहीं. आप को अपने आसपास हाइली सैक्सुअल लोगों से कोई समस्या भी नहीं होती है. बस आप स्वयं इस स्थिति से खुद को दूर रखते हैं, क्योंकि आप वैसे नहीं हैं. आप सही इंसान का इंतजार कर रहे हैं और अपना जीवन उस के साथ ही सैक्स कर के बिताना चाहते हैं. इस में कुछ भी गलत नहीं है.

डैमीसैक्सुअल होने का मतलब यह नहीं है कि आप को सैक्स पसंद नहीं है. आप को सैक्स पसंद है, सब को सैक्स पसंद होता है पर आप उसी के साथ सैक्स करना चाहते हैं जिस से आप का भावनात्मक जुड़ाव हो. जब सही इंसान आप को मिलता है, आप सैक्सुअली उस से जुड़ जाते हैं. बातचीत और बौंडिंग दोनों आप के लिए ज्यादा महत्त्व रखते हैं.

आप डैमीसैक्सुअल हैं तो आप को यह नहीं सोचना है कि यह कुछ गलत है. आप भावुक हैं, मन के मिले बिना तन से न जुड़ पाएं, तो इस में बुरा क्या है और मन मिलने पर तो आप खुल कर जीते ही हैं. यह बहुत अच्छा है. तो अपनी पसंद का व्यक्ति मिलने पर जीवन का आनंद उठाएं, प्रसन्न रहें.

सेक्स अच्छा तो है, लेकिन क्यों..?

अपने साथी के साथ सेक्स करने से आप बेहतर महसूस करते हैं और यह आपके लिए अच्छा भी है. जो भी व्यक्ति किसी स्वस्थ खुशनुमा रिश्ते में है या रह चुका है, वो इस बात से इंकार नहीं कर सकता. लेकिन इसके पीछे विज्ञान भी है. शोधकर्ता अनिक डेबरोत ने 2016 के इंटरनेशनल असोसीएशन फौर रेलेशन्शिप रीसर्च कांफ्रेंस के दौरान बताया. ‘दुनिया भर के देशों में हुई रिसर्च ये सिद्ध करती हैं कि अपने साथी के साथ अक्सर सेक्स करने से लोगों का जीवन खुशनुमा और संतुष्टिदायक होता है.”

सेक्स और लगाव

नियमित सेक्स रिश्तों के लिए अच्छा है, ये बात तो हम सब जानते हैं. लेकिन ऐसा क्यूं है, इस बारे में शोधकर्ता निश्चित नहीं थे. डेबरोत को विश्वास था कि ये सिर्फ शरीर की जरूरत और लाजवाब ओर्गैजम तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक और मीठी वजह थी, प्यार. जब आप और आपका साथी एक दूसरे को ये एहसास दिलाते हैं कि उन्हें आप और आपको वो बहुत पसंद हैं. लेकिन विश्वास होना और तथ्यों की पुष्टि होना दो अलग बातें हैं. इसलिए अपने शोधकर्ता दल के साथ मिलकर अनिक ने अधिक सेक्स करना, अच्छे एहसास का होना और लगाव होना के बीच के सम्बन्ध को लेकर खोजबीन शुरू की.

इस अध्यन के लिए उन्होंने ऐसे जोड़ों को शामिल किया जो गम्भीर रिश्तों में थे और उनसे दो तरह के लगाव के बारे में पूछा, पहला अपने साथी को स्पर्श करने के बारे में और दूसरा कोई भी ऐसी चीज जिससे उन्हें प्यार का एहसास होता है- फिर चाहे वो उसके द्वारा कहे गए शब्द हों या कोई ऐसा काम जो उनका साथी उनके लिए करता है. तीसरे चरण में उन्होंने इस बात पर ध्यान दिया कि इन लोगों के बीच सेक्स कितना नियमित है, अपने साथी के लिए उनके मन में कितना लगाव है और यह सब उनकी खुशी के लिए कितना मायने रखता है.

अधिक संतुष्ट रिश्ते

प्यार भरा स्पर्श बेशक एक अच्छा एहसास है, ऐसा रिसर्च ने दर्शाया. उन्होंने पाया कि जो लोग अधिक सेक्स करते हैं उनके जीवन में, खुशी और संतुष्टि के भाव थे और इसके पीछे का एक कारण उनके जीवन में शारीरिक प्यार का होना था.

लेकिन हम सिर्फ छोटे समय के लिए या सेक्स के तुरंत बाद के मूड या सोच के बारे में बात नहीं कर रहे. अध्ययन दर्शाता है कि अच्छे भाव, संतुष्टिपूर्वक सम्बन्ध समय के साथ बढ़ते हैं. रोज के घटनाक्रमों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि सेक्स करने से एक दूसरे के प्रति सकारात्मक भावनाओं में बढ़त आती है जो आप दोनों के प्यार को और गहरा बनाती है.

डेबरोत कहती हैं, “सेक्स आपके साथी के प्रति आपके लगाव को बढ़ावा देता है और आप दोनों में नज़दीकियां बढ़ाता है. यही है वो सेक्स का सकारात्मक पहलू जिससे जीवन में खुशियां बनी रहती हैं.”

जी हां, लगाव और स्नेह सेक्स और खुशियों के बीच की कड़ी है. कुछ और पहलू भी महत्व रखते हैं जैसे अपने साथी के स्पर्श से तनाव के हार्मोन कोर्टिसोल में कमी आती है और ऑक्सीटोसन के परवाह में वृद्धि, जो अंतरंगता को बढ़ाता है.

स्पर्श और लगाव

सेक्स के अलावा स्पर्श का क्या? एक और अध्ययन में डेबरोत ने पाया कि अपने साथी को यह महसूस कराना कि वो आपको बहुत अच्छे लगते हैं, आपके लिए अच्छा है. “यह अच्छा एहसास केवल उसी पल के लिए नहीं होता बल्कि धीरे धीरे और मज़बूत होता है और जीवन को ख़ुशनुमा बनाने में मदद करता है,” डेबरोत बताती हैं.

तो डेबरोत की शोध से हम क्या सीख ले सकते हैं? स्नेह का प्रदर्शन! “चाहे शब्दों के जरिए हो या प्यार भरे स्पर्श के जरिये, चाहे सेक्स के जरिए हो या उनकी छोटी खुशियों का ध्यान रखकर, ये हमेशा आपके रिश्ते और खुशियों के लिए मददगार ही होगा.”

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