आज नही करना चाहता आपका पार्टनर सैक्स, कैसे बताएं हाल ए दिल

आपके कौलेज का आखिरी सेमेस्टर है और कल सुबह की परीक्षा के बाद कौलेज खत्म हो जाएगा. यह सबसे कठिन विषय है और आप काफी समय से इसके लिए काफी मेहनत से पढ़ रहे हैं, और इसलिए इस समय सेक्स के खयाल आपके दिमाग के आस पास भी नहीं फटक रहे. फिर चाहे आपकी गर्लफ्रेंड आपके साथ बिस्तर पर निर्वस्त्र ही क्यूं ना हो. उसके इम्तिहान खत्म हो चुके हैं और उसके दिमाग में अब कोई दबाव नहीं है और शायद इसलिए वो सेक्स के बारे में सोच रही है. तो ऐसे में आप उसे सेक्स के लिए कैसे मना करेंगे और इससे क्या फर्क पड़ेगा?

लेकिन सच ये है कि आपके मना करने के तरीके से दरअसल फर्क पड़ेगा. किसी भी रिश्ते में ऐसा समय आ सकता है जब एक साथी मूड में हो और दूसरा नहीं. इस स्थिति को सही तरीके से सम्भालना महत्वपूर्ण है क्यूंकि सेक्स को लेकर हुई असमर्थता से भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है.

काफी कुछ दांव पर

‘मेरे विचार में इसका सम्बन्ध भावनात्मक अति संवेदनशीलता से है’, कनेडीयन शोधकर्ता जेम्स किम ने 2016 की इंटर्नैशनल असोसीएशन फोर रेलेशन्शिप रीसर्च कॉन्फ़्रेन्स के दौरान बताया “एक रिश्ते में दो लोगों के बीच में कई बातों को लेकर मतभिन्नता हो सकती है, जैसे कि घर की सफाई, खाने में क्या बनाना है, बच्चो को किस स्कूल में डालना है वगैरह, वगैरह. लेकिन जहां तक सेक्स की जरूरतें हैं, उनके लिए आपकी अपेक्षाएं केवल आपके साथी से होती हैं. और ऐसे में अकसर काफी कुछ दांव पर लगा होता है, क्यूंकि अपने साथी से यह सुनना तकलीफदेह हो सकता है कि वो आपके साथ सेक्स करने के इच्छुक नहीं हैं.’

बातचीत में शामिल हों

किम ये पता लगाना चाहते थे कि लोग अपने साथी को सेक्स के लिए कैसे मना करते हैं. वो ये भी देखना चाहते थे कि रिश्तों और सेक्स की संतुष्टि के नजरिए से क्या ना कहने के कुछ तरीके दूसरे तरीकों से बेहतर थे?

पहले, उन्होंने शोध में शामिल 1200 लोगों से पूछा कि वो सेक्स के लिए कैसे मना करते हैं. उन्होंने चार वर्गीकरण किए और हर एक का उदाहरण सामने रखा. प्रयोग के दूसरे चरण में उन्होंने ‘ना’ कहने के बेहतर तरीक़ों को बारीकी से देखा.

ना कहने के चार तरीके

किम ने ना कहने तरीकों को चार हिस्सों में बांटा

  1. ‘केवल चुंबन और आलिंगन करते हैं ना’

सकारात्मक से शुरू करते हैं. यदि आप सेक्स के मूड में नहीं हैं, तो अपने साथी को चुम्बन और आलिंगन करने के लिए कहें. इस तरह आपको उन्हें निराश नहीं करना पड़ेगा और उन्हें बुरा नहीं लगेगा. ये एक तरह से एक संदेश है, ‘कि मूड नहीं होने की वजह तुम नहीं हो, तुम से मुझे बेहद प्यार है और आकर्षण भी है.’

2.’उफ्फ, दूर हटो’

ये अगला वर्गीकरण जरा कटुतापूर्ण है. इसके फलस्वरूप आपके साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है और इस तरीके का सम्बन्ध कमजोर और नाखुश रिश्तों और असंतुष्ट सेक्स जीवन से होता है.

3.’नहीं, मूड नहीं है’

ये ना कहने का एक निर्णयपूर्ण तरीका है जो बिना अपने साथी की भावनाओं की कद्र किए, बस सेक्स की पेशकश को खारिज करने जैसा है. जैसे कि, “नहीं, मेरा सेक्स करने का मूड नहीं है.”

  1. संकेत देना

और अंत में किम की रिसर्च में एक पहलू ड्रामेबाजी का भी सामने आया. यानि मुंह पर मना करने की बजाय सोने का नाटक करना या दूर रहने का शारीरिक संकेत देना.

सबसे बेहतर क्या?

तो सबसे सही और सबसे ख़राब तरीका कौनसा है? देखिए अगर आप सेक्स के मूड में नहीं हैं तो भी अपने साथी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. सेक्स ना सही, आप कम से कम प्यार और पुनः आश्वासन तो दे ही सकते हैं, ताकि आपके साथी को ये महसूस हो सके कि आप उनसे प्यार करते हैं और यह रिश्ता और आप, दोनों ही, उनके लिए बहुत मायने रखता है.

निर्णयपूर्ण ‘ना’ या बहाने बनाना कैसा है? हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन तरीकों का रिश्तों पर क्या असर पड़ता है, लेकिन यह सच है कि स्पष्ट ‘ना’ कहना उस समय बुरा अवश्य लग सकता है लेकिन लम्बे समय में यह स्पष्टवादिता रिश्ते के लिए अनुकूल सिद्ध हो सकती है.

ना कैसे कहें

इस भाव का शिकार होना आसान है कि ‘शायद मेरा साथी मेरे साथ सेक्स करना पसंद नहीं करता या शायद मैं उन्हें आकर्षक नहीं लगता/लगती.’

अपने साथी को विश्वास दिलाकर आप उन्हें इन नकारात्मक विचारों के चंगुल से मुक्त कर सकते हैं. आपको उन्हें अक्सर ये याद दिलाते रहना चाहिए कि वो आपको कितने आकर्षक लगते हैं और आज भले ही आपकी मनोदशा सेक्स करने की ना हो लेकिन इसका उनके प्रति आपके आकर्षण से कोई सम्बन्ध नहीं है.

स्पाइनल इंजरी के बाद ऐसी होती है सैक्सुअल लाइफ

स्पाइनल इंजरी किसी के भी जीवन की त्रासदपूर्ण घटना हो सकती है. इस से व्यक्ति एक तरह से लकवाग्रस्त हो सकता है. इंजरी जब गरदन में हो तो इस से टेट्राप्लेजिया हो सकता है. यदि इंजरी गरदन के नीचे हो तो इस से पाराप्लेजिया यानी दोनों टांगों और इंजरी से निचले धड़ में लकवा हो सकता है. केंद्रीय स्नायुतंत्र का हिस्सा होने के कारण स्पाइनल कौर्ड की सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है. इंजरी से यौन सक्रियता भी प्रभावित हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना, हिंसक या खेल की घटनाओं के कारण हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी के नौनट्रोमेटिक कारणों में स्पाइन और ट्यूमर के टीबी जैसे संक्रमण शामिल हैं.

यौन सक्रियता जरूरी

स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति को यथासंभव आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से में यौन स्वास्थ्य पर चर्चा करना हमेशा वर्जित विषय माना जाता रहा है, इसलिए इस विषय पर बात करने से लोग कतराते हैं और मरीज खामोशी से इसे सहता रहता है. शिक्षा, ज्ञान और जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे मरीजों के बारे में यह समझने लगते हैं कि वे यौनेच्छा एवं यौन उत्कंठा से पीडि़त हैं. लेकिन सच यह है कि सामान्य व्यक्ति की तरह ही स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति के लिए भी यौन सक्रियता उतनी ही जरूरी है.

पार्टनर का अभाव

दरअसल, स्पाइन इंजरी इच्छाशक्ति का स्तर तो प्रभावित नहीं करती, लेकिन किसी व्यक्ति की यौन गतिविधि प्रभावित जरूर हो जाती हैं. कई बार ऐसा पार्टनर के अभाव में भी होता है. अन्य मामलों में यह मांसपेशियों पर नियंत्रण रखने वाले व्यायाम की कमजोर क्षमता के कारण भी हो सकता है. यौन अनिच्छा लिंग के आधार पर भी अलगअलग हो सकती है. पुरुष जहां उत्तेजना के अभाव के कारण प्रभावित होते हैं, वहीं महिलाएं आमतौर पर शिथिल पार्टनर होने के कारण इस से कम प्रभावित होती हैं खासकर भारतीय समाज में. लेकिन स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन अनिच्छा को सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम और निरंतर अभ्यास से बहुत हद तक दूर किया जा सकता है.

समस्या की अनदेखी

ऐसे मरीजों में आत्मविश्वास जगाना और यौन स्वास्थ्य के बारे में उन से खुल कर बात करना बहुत जरूरी होता है. इस में तंबाकू पूरी तरह से निषेध होना चाहिए. शारीरिक गतिविधियों के अभाव और दर्द के अलावा एससीआई मरीज आकर्षण, संबंधों और प्रजनन की क्षमता जैसे अन्य कारकों को ले कर भी चिंतित रहते हैं. समय के साथ जहां मरीज अपने नवजात शिशु के साथ जीना सीख जाते हैं और परिवर्तित जिंदगी अपना लेते हैं, वहीं वे अपने यौन स्वास्थ्य को ले कर अकसर अनजान रहते हैं. मरीज के शरीर की कुछ खोई गतिविधियां बहाल करने के लिए व्यापक रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के दौरान भी यौन समस्या की अनदेखी ही की जाती है.

खुद पहल नहीं करतीं

एससीआई के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अकसर सैक्सुअल पार्टनर बनना ज्यादा आसान होता है जो न सिर्फ शारीरिक रचना के कारण, बल्कि सक्रियता के स्तर पर भी संभव होता है. भारत जैसे रूढिवादी समाज में महिलाओं से यौनइच्छा की उम्मीद करना मुश्किल है. भारत की 80% महिलाएं ऐसी पैसिव सैक्सुअल पार्टनर होती हैं जो खुद पहल नहीं करतीं. इसलिए पुरुषों की तुलना में उन के लिए यौन स्वास्थ्य वापस पाना ज्यादा आसान होता है और उन का मुख्य लक्ष्य यौन सक्रियता वापस पाना तथा संभोग करने की क्षमता हासिल करना होता है.

समस्या का समाधान

पुरुषों के मामले में समस्याएं उत्तेजना में कमी और स्खलन से ही जुड़ी होती हैं. उन की उत्तेजना क्षमता और स्खलन में बदलाव आने के अलावा कामोत्तेजना की यौन संतुष्टि भी एक ऐसा क्षेत्र है जो एससीआई पीडि़त पुरुषों के लिए चिंता का कारण होता है. एक अन्य चिंता स्पर्म की क्वालिटी पर होने वाले प्रभाव और स्पर्म काउंट को ले कर होती है. ज्यादातर स्पाइनल इंजरी के मामले में वियाग्रा जैसी दवा से उत्तेजना की समस्या दूर की जा सकती है. कुछ मामलों में वैक्यूम ट्यूमेसेंस कंस्ट्रक्शन थेरैपी (वीटीसीटी) या पैनाइल प्रोस्थेसिस जैसे उपकरण की भी जरूरत पड़ सकती है.

गलत धारणा की वजह

सैक्सुअल काउंसलिंग और मैनेजमैंट विकासशील देशों में एससीआई के सब से उपेक्षित पहलुओं में से एक है. लेखकों के एक अध्ययन से पाया गया है कि एससीआई से पीडि़त 60% मरीजों और उन के 57% पार्टनरों ने पर्याप्त रूप से सैक्सुअल काउंसलिंग नहीं ली. जिन फैक्टर्स पर बहुत कम जोर दिया जाता है, उन में से एक है जागरूकता और सांस्कृतिक बदलाव. पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का मकसद सिर्फ बच्चे पैदा करना ही माना जाता है. सैक्स के बारे में बातचीत को खराब माना जाता है. यौन समस्याएं न सिर्फ आम हो गई हैं, बल्कि सैक्स की अनदेखी, सैक्स के बारे में गलत धारणाओं और नकारात्मक सोच भी इस के मुख्य कारण माने जाते हैं. पारंपरिक वर्जना भी इस में अहम भूमिका निभाती है.

सैक्सुअलिटी को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक, पारंपरिक फैक्टर्स में यौन संबंधी सोच, मातापिता के प्रति सम्मान तथा अन्य ऐसे कारण शामिल हैं, जिन में सैक्स को खराब माना जाता है और पुरुषों तथा महिलाओं के लिए बरताव के दोहरे मानदंड अपनाए जाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बदतर होती है.

आत्मविश्वास में कमी

एक अध्ययन के अनुसार, विकसित देशों की तुलना में भारत जैसे देश में स्पाइनल कौर्ड इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन गतिविधि की बारंबारता कम रहती है. ज्यादातर मरीज इंजरी से पहले की तुलना में मौजूदा स्तर पर अपने सैक्स जीवन को कमतर आंकते हैं. यह शायद एससीआई की समस्याओं, इंजरी के बाद पार्टनर की असंतुष्टि, यौनक्रिया के दौरान पार्टनर से कम सहयोग, आत्मविश्वास में कमी तथा अपर्यात सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के कारण भी हो सकता है. पश्चिमी देशों के मामलों की तरह बहुत कम पार्टनर संतुष्ट होते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं यौन संतुष्टि के अभाव की शिकायतें ज्यादा करती हैं. इस के पीछे प्रचलित सांस्कृतिक मान्यता है कि किसी बीमार महिला के साथ यौन संबंध बनाना नैतिकता के विरुद्ध है और इस से पुरुष पार्टनर में भी रोग संचारित हो सकता है. भारतीय समाज में महिलाओं की कमतर स्थिति, पार्टनर की भिन्न सोच, पाचनतंत्र आदि की गड़बड़ी और निजता का अभाव भी इस के कुछ अन्य संभावित कारण हो सकते हैं.

यौनजीवन का अंत नहीं

निष्कर्षतया स्पाइनल इंजरी को यौनजीवन का अंत नहीं मान लेना चाहिए. इस से इंजरी पीडि़त व्यक्ति को अपने नए शरीर में यौन सुख स्वीकार करने में मदद की जरूरत पड़ती है और कई बार उस के लिए अलग तरीके से सोचने की जरूरत होती है. परिवर्तित संवेदनशीलता, शारीरिक प्रतिबंध की स्वीकृति या उन्नत मसल कंट्रोल जैसे फैक्टर्स को समझने से स्पाइनल इंजरी मरीज को स्वस्थ यौनजीवन बहाल करने में मदद मिल सकती है. उस के सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के लिए मैडिकल प्रोफैशनल्स की मदद की जरूरत होती है. इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है खासकर भारतीय समाज तथा प्रोफैशनल्स के बीच.

(डा. एच.एस. छाबड़ा, इंडियन स्पाइनल इंजरीज सैंटर में स्पाइन सर्विस के प्रमुख और मैडिकल डायरैक्टर)

छोटे घर में कैसे करें पार्टनर से प्यार, जानें यहां

बड़े शहरों में सब से बड़ी समस्या आवास की होती है. 2 कमरों के छोटे से फ्लैट में पतिपत्नी, बच्चे और सासससुर रहते हैं. ऐसे में पतिपत्नी एकांत का नितांत अभाव महसूस करते हैं. एकांत न मिल पाने के कारण वे सैक्स संबंध नहीं बना पाते या फिर उन का भरपूर आनंद नहीं उठा पाते क्योंकि यदि संबंध बनाने का मौका मिलता है तो भी सब कुछ जल्दीजल्दी में करना पड़ता है. संबंध बनाने से पूर्व जो तैयारी यानी फोरप्ले जरूरी होता है, वे उसे नहीं कर पाते. इस स्थिति में खासकर पत्नी चरमसुख की स्थिति में नहीं पहुंच पाती है. पतिपत्नी को डर लगा रहता है कि कहीं बच्चे न जाग जाएं, सासससुर न उठ जाएं. मैरिज काउंसलर दीप्ति सिन्हा का कहना है, ‘‘संबंध बनाने के लिए एकांत न मिलने के कारण महिलाएं चिड़चिड़ी, झगड़ालू और उदासीन हो जाती हैं और फिर धीरेधीरे दांपत्य जीवन में दरार पड़नी शुरू हो जाती है, यह दरार अनेक समस्याएं खड़ी कर देती है. कभीकभी तो नौबत हत्या या आत्महत्या तक की आ जाती है.’’

कही अनकही

विकासपुरी की रहने वाली सीमा के विवाह को 5 वर्ष हो गए हैं. इस दौरान उस के 3 बच्चे हो गए. तीनों बच्चों की देखभाल, सासससुर की सेवाटहल और घर का काम करतेकरते शाम होतेहोते वह पूरी तरह थक जाती है. सीमा का कहना है कि उस के तीनों बच्चे पति के साथ ही बड़े बैड पर सोते हैं. सीमा पलंग के पास ही नीचे जमीन पर बिस्तर लगा कर सोती है. उसे हर वक्त यही डर लगा रहता है कि सैक्स करते समय कोई बच्चा उठ कर उन्हें देख न ले. परिणामस्वरूप वह सैक्स का पूर्ण आनंद नहीं उठा पाती. इस के असर से वह निराशा से घिरने लगी हैं. ढंग से कपड़े पहनने, सजनेसंवरने का उस का मन ही नहीं करता. फिर वह सजेसंवरे भी किसलिए? स्थिति यह हो गई है कि अब पतिपत्नी दोनों में मनमुटाव रहता है.

खानपान का असर

मांसमछली, शराब आदि का सेवन करने वाले पतियों की सैक्स की अधिक इच्छा होती है और इसीलिए वे न समय देखते हैं और न माहौल, पत्नी पर भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ते हैं. संबंध बनाने से पहले फोरप्ले की बात तो दूर, वे यह भी नहीं देखते हैं कि बच्चे सोए हैं या जाग रहे हैं अथवा मांबाप ने देख लिया तो वे क्या सोचेंगे. ऐसे में कई बार पत्नी को सासससुर के सामने शर्म महसूस होती है. मांबाप अपने बेटे को कुछ न कह कर बहू को ही सैक्स के लिए उतावली मान बैठते हैं.

संयुक्त परिवार का दबाव

हमारे समाज में विवाह 2 प्राणियों का ही संबंध नहीं, बल्कि 2 परिवारों का संबंध भी होता है. लेकिन मौजूदा हालत में पतिपत्नी अकेले ही अपने बच्चों के साथ रहना पसंद करते हैं. यह उन की मजबूरी भी है, लेकिन यदि पत्नी को परिस्थितिवश सासससुर के साथ छोटे से आशियाने में 2-3 बच्चों के साथ रहना पड़े तो वह कई बार मानसिक दबाव महसूस करती है. सासससुर से शर्म और बातबात पर उन की टोकाटोकी से परेशान बहू पति के लिए खुद को न तो तैयार कर पाती है और न ही एकांत ही ढूंढ़ पाती है. मनोरोगचिकित्सक डाक्टर दिनेश के अनुसार, ‘‘कई बार मेरे पास ऐसे केस आते हैं कि शादी के बाद बच्चे जल्दीजल्दी हो गए. पत्नी उन की देखभाल में लगी रहती है और पति के प्रति उदासीन हो जाती है. इस के चलते पति भी कटाकटा सा रहने लगता है.’’

समय निकालना जरूरी

सैक्स ऐक्स्पर्ट डा. अशोक के अनुसार, ‘‘वास्तव में सैक्स के लिए उम्र की सीमा निर्धारित नहीं होती है कि आप 35 या 40 साल के हो गए हैं. छोटा घर है, बच्चे हैं, सैक्स ऐंजौय नहीं कर सकते. घरगृहस्थी और बच्चों की देखभाल के बाद यदि पतिपत्नी अपने लिए समय निकाल कर शारीरिक संबंध नहीं बनाएंगे तो आगे चल कर उन्हें कई परेशानियां हो सकती हैं. ‘‘डिप्रैशन के अलावा हारमोंस का स्राव भी धीरेधीरे कम हो जाता है. ऐसी स्थिति में अचानक संबंध बनाने पर पत्नी को तकलीफ होती है. फिर निरंतर तनाव बने रहने पर कभीकभी ऐसी स्थिति बन जाती है कि पत्नी को हिस्टीरिया के दौरे तक पड़ने लगते हैं.’’

मन की बात

जनकपुरी की रहने वाली काजल और राजेश ने लव मैरिज की है. उन की शादी को 7 साल हुए हैं. इन 7 सालों में 3 बच्चे भी हो गए. पहला बच्चा 3 साल का है. उस के बाद 2 बेटियां डेढ़ साल और 7 महीने की हैं. काजल कहती हैं, ‘‘हम शादी के शुरुआती दिनों से ही बहुत झगड़ते आ रहे हैं. वजह है राजेश का प्लान कर के साथ नहीं चलना. राजेश ने कहा था कि वे अपने मातापिता के लिए पड़ोस में ही मकान खरीद लेंगे. छोटे से 2 कमरों के मकान में हम ढंग से नहीं रह पाते हैं. मैं राजेश से अपने मन की बात नहीं कर पाती.

‘‘बस, यही डर लगा रहता है कि कहीं सासूमां कुछ कह न दें. जबकि मन की बात करने का मौका पतिपत्नी दोनों को ही मिलना चाहिए.’’ अगर आप भी इस समस्या से गुजर रहे हैं तो निम्न उपाय अपना कर शारीरिक संबंधों का पूर्ण आनंद उठा सकते हैं-

बच्चों को चाचा, मामा के पास भेजें. उन के बच्चों के लिए कोई भेंट भेजें. ऐसा उस समय करें जब सासससुर कहीं शादीविवाह में बाहर गए हों. यदि मांबाप को फिल्म देखने या पिकनिक मनाने भेज रहे हों तो बच्चों को भी उन के साथ भेज दें.

अगर आप का कोई मित्र छुट्टी पर अपने घर जा रहा हो तो उस के घर की देखभाल के लिए रात में पतिपत्नी वहां रहें और सैक्स ऐंजौय करें. बदले में मित्र के घर लौटने से पहले घर को सजासंवार कर अच्छा सा खाना बना कर उन के लिए रखें.

संबंध बनाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि फोरप्ले ठीक सैक्स से पहले हो. उसे बारबार थोड़ेथोड़े समय में जब भी जहां भी समय मिले किया जा सकता है. इस से सैक्स के समय दोनों पूरी तरह तैयार होंगे. सुबह जब बच्चे स्कूल जा चुके हों तब मातापिता को सुबह घूमने जाने के लिए प्रेरित करें.

सैक्स का समय बदलें. नयापन मिलेगा.

पत्नी के साथ हर 15 दिन बाद कहीं डेट पर जाएं. यानी गैस्टहाउस या होटल में जा कर रहें और सैक्स ऐंजौय करें.

गरमी का मौसम हो तो पत्नी को देर रात छत पर बने कमरे में ले जाएं.

बरसात की रात में भी पत्नी को छत पर बने कमरे में ले जा कर बरसात की फुहारों का आनंद लेते हुए सैक्स एंजौय करें.

सुबह बच्चों के स्कूल जाने के बाद, रात में छत पर और किसी दिन यदि आप औफिस से जल्दी घर आते हैं और बच्चे स्कूल से नहीं आए हैं, मातापिता पड़ोस में गए हैं, तब भी आप सैक्स ऐंजौय कर सकते हैं. हां, इस के लिए आप पत्नी को पहले से ही तैयार कर लें.

पति की जबरदस्ती से बचें कुछ इस तरह

Sex News in Hindi: श्वेता खाना खा कर सोने चली गई थी. उस का पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले रात के खाने पर श्वेता पति का देर रात तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आए तो खाने पर उस का इंतजार न किया करे. इस के बाद प्रदीप के आने में देर होने पर श्वेता खाना खा कर लेट जाती थी. उस दिन भी वह लेट तो गई थी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधों के बारे में सोच रही थी. उसे लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात घर लौटता था. इस के बाद कभी सो जाता था, तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुंच चुकी श्वेता को तब संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. श्वेता को कभीकभी लगता जैसे पति प्यार न कर के बलात्कार कर रहा हो.

श्वेता अपने को यह सोच कर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही शादी होती है, इसलिए उसे केवल पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. इस जोरजबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में 1-2 बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ संबंध बना सकता है, ज्यादातर श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इस का प्रभाव उस के ऊपर कुछ इस तरह पड़ा कि वह शारीरिक संबंधों से चिढ़ने लगी. श्वेता और प्रदीप का 1 बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली शालिनी से मिलती तो उसे पता चलता कि उन का पतिपत्नी का रिश्ता मजे में चल रहा है. एक दिन जब श्वेता ने अपनी परेशानी शालिनी को बताई, तो वह उसे सैक्स काउंसलर के पास ले गई.

पति से करें बात

काउंसलर ने बातचीत कर के यह जानने की कोशिश की कि श्वेता की परेशानी क्या है? श्वेता ने काउंसलर को बताया कि उस का पति उस समय उस से सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करता है जब उस का मन नहीं होता है. कई बार जब वह इस के लिए मना करती है, तो वह जोरजबरदस्ती पर उतर आता है. इस से श्वेता का सैक्स संबंधों से मन उचट गया है. काउंसलर रेखा पांडेय ने श्वेता को सलाह देते हुए कहा कि इस बारे में पति से आराम से बात करें और यह बातचीत सैक्स संबंधों के समय न कर के बाद में की जाए. इस के लिए प्यार से पति को मनाने की कोशिश की जाए. अगर पति कभी नशे की हालत में सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करे तो उस समय कुछ न कह कर नशा उतरने के बाद बात करें. नशे की हालत में बात समझ में नहीं आती उलटे कभीकभी लड़ाईझगड़े से मामला बिगड़ जाता है.

पति हर समय गलत होता है, यह भी नहीं मान लेना चाहिए. उसे इस के लिए हमेशा टालना सही नहीं होता है. हो सकता है कि कभी आप का मन न हो, बावजूद इस के आप को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैक्स पति और पत्नी दोनों की जरूरत होती है. इसलिए इस से जुड़ी किसी भी परेशानी को हल करने के लिए पतिपत्नी दोनों को मिल कर सोचना चाहिए. जब आप खुल कर एकदूसरे से बात करेंगे तो सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.

क्यों करनी पड़ती जबरदस्ती

सैक्स दांपत्य जीवन की सब से अहम चीज होती है, यह बात पतिपत्नी दोनों को पता होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि तब सैक्स संबंध के लिए जबरदस्ती क्यों करनी पड़ती है? कई बार कभी पति या पत्नी को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है, जिस से सैक्स संबंधों से मन उचट जाता है. ऐसे में बहुत ही धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. सब से पहले अपने साथी की जरूरत को समझने की कोशिश करें. अगर कोई शारीरिक परेशानी है, तो उस का इलाज किसी योग्य डाक्टर से कराएं. सैक्स की ज्यादातर बीमारियों की वजह मानसिक ही होती है. इस के लिए आपस में बात करें. अगर बात न बने तो मनोरोगचिकित्सक से भी बातचीत कर सकती हैं.

सैक्स के प्रति पत्नी की नकारात्मक सोच ही पति को कभीकभी जबरदस्ती करने के लिए मजबूर करती है. कुछ पत्नियां सैक्स को गंदा काम मान कर उस से संकोच करती हैं. अगर आप भी इसी तरह के विचार रखती हैं, तो यह सही नहीं है. आप के इस तरह के विचार पति को जबरदस्ती करने के लिए उकसाते हैं  पति की जबरदस्ती से बचने के लिए इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए. इस मानसिकता के चलते न तो आप स्वयं कभी खुश रह सकती हैं और न ही पति को खुश रख पाएंगी. ऐसा कर के आप कभी सैक्स का आनंद न स्वयं ले पाएंगी और न कभी अपने पति को ही यह सुख दे पाएंगी. जबरदस्ती से बचने के लिए सैक्स के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं.

बहाने बनाने से बचें

आमतौर पर पतियों को यह शिकायत होती है कि पत्नियां बहाने बनाती हैं, जिस के चलते जबरदस्ती करनी पड़ती है. इन शिकायतों में बच्चों के बड़े होने, मूड ठीक न होने और घर में एकांत की कमी होना मुख्य कारण होते हैं. रमेश प्रधान का कहना है कि मैं जब भी अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने की पहल करता था, वह बच्चों और परिवार का बहाना कर टाल जाती थी. इस का मैं ने हल यह निकाला कि सप्ताह में 1 बार पत्नी को ले कर आउटिंग पर जाने लगा. इस के बाद हमारे संबंध सही रूप से चलने लगे. अब पत्नी को यह अच्छा लगने लगा है. हमारे संबंध अब सहज हो गए हैं. पत्नी के बहाना बनाने का असर यह होता है कि जब कभी पत्नी को हकीकत में कोई परेशानी होगी तब भी पति को लगेगा कि वह बहाना बना रही है.

अत: मूड न होने पर भी साथी को सहयोग देने की कोशिश करें. इस से उस की जबरदस्ती से बच सकती हैं. पति का समीप आना पत्नी की अंदर की भावनाओं को जगा देता है. इस से पत्नी भी उत्तेजित हो जाती है. पति जबरदस्ती करने से बच जाता है. आप का मूड न हो तो भी उसे बनाया जा सकता है. आप को पति को बताना पड़ेगा कि मूड बनाने के लिए वह क्या करे. अगर कभी पति जबरदस्ती करे तो आप को उसे सहयोग दे कर जबरदस्ती से बचना चाहिए. पति जबरदस्ती करने लगे और आप भी संबंध न बनाने पर अड़ गईं, तो इस से संबंधों में दरार पड़ सकती है.

हस्तमैथुन नहीं है गंदी बात, काबू में रहते हैं जज्बात

महेश अपने बिस्तर पर बैठे शाम की चाय का लुत्फ ले रहे थे कि तभी उन की पत्नी सुधा किसी गुस्सैल नागिन सी फनफनाती हुई वहां आई और उन के कान में जहर उगलते हुए बोली, ‘‘अपने लाड़ले की करतूत देखी. यह लड़का तो हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा. जवानी की मूंछें क्या फूटीं घर में ही नरक मचाने लगा है.’’

‘‘अब क्या कर दिया साहिल ने? क्यों सारा घर सिर पर उठा रही हो?’’ यह पूछते हुए महेश की चाय का स्वाद एकदम से फीका हो गया.

‘‘अभी मैं उस के कमरे के बाहर से निकली तो देखती हूं कि उस के एक हाथ में मोबाइल फोन था और दूसरा हाथ पजामे के अंदर. पहले तो मैं समझ ही नहीं पाई कि पता नहीं क्या हिला रहा था, फिर मेरे कान एकदम से खड़े हुए कि इस की तो जवानी जोश मार रही है. यह लड़का तो एक दिन हमारी नाक ही कटवा कर मानेगा,’’ सुधा ने सारा किस्सा ही खोल डाला.

यह सुन कर पहले तो महेश का माथा ठनका, पर साथ ही उस ने अपनी पत्नी की मन ही मन तारीफ भी की कि उस ने किसी आम मां की तरह अपने बेटे की इस हरकत पर उसे सुनाई नहीं, बल्कि अपने पति को बताना ठीक समझ, पर सुधा का यह बौखलाया रूप महेश के लिए चिंताजनक था, क्योंकि वह जानता है कि उस के बेटे ने कोई अनोखा काम नहीं किया है, पर चूंकि हमारा समाज इसे घिनौना काम सम?ाता है, इसलिए सुधा सबकुछ जान बूझ कर आगबबूला हुए जा रही है.

‘‘तुम चिंता मत करो. मैं उसे समझ दूंगा,’’ महेश ने सुधा से कहा और एक और चाय बनाने की मनुहार करने लगा.

सुधा बड़बड़ाते हुए रसोईघर में चली गई. महेश ने कुछ सोचा और फिर साहिल के कमरे में चला गया.

अपने पिता को अचानक वहां आया देख कर साहिल ने अपना फोन बंद कर दिया और अपने कपड़े ठीक करने लगा.

‘‘क्या हो रहा है?’’ महेश ने साहिल से पूछा.

‘‘कुछ खास नहीं…’’ साहिल ने जवाब दिया.

‘‘बेटा, मैं तेरा बाप हूं और तेरी मां ने मुझ जो बताया है, वैसा होना कोई अचरज की बात नहीं है. तुम्हारी उम्र में इस सब की शुरुआत होती है…’’

पापा के इतना कहने का इशारा साहिल समझ चुका था, पर उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि वे उस के हस्तमैथुन करने की बात को इस सहज अंदाज में उस के सामने रखेंगे.

साहिल झिझकते हुए बोला, ‘‘सौरी पापा, पर मैं भावनाओं में बह गया था. मुझे इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि घर में सब हैं या मैं इस समय बाथरूम में नहीं हूं.’’

एक समझदार पिता और बेटे का यह संवाद सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है, पर अगर हस्तमैथुन को समाज के नाम पर धब्बा न समझ जाए तो समस्या उतनी ही छोटी है, जितनी महेश और साहिल के बीच की बातचीत थी.

पर भारत जैसे देश में, जहां धर्म और सामाजिक रूढि़यां लोगों के दिमाग पर हद से ज्यादा हावी रहती हैं, हस्तमैथुन पर बात करना तो दूर इशारों में भी इस के बारे में कहना बड़ा दिलेरी वाला काम समझ जाता है.

सब से दुखद पहलू तो यह है कि हस्तमैथुन को विकृति मान लिया जाता है. हमउम्र किशोर भी इसे ले कर एकदूसरे की खिल्ली उड़ाते हैं या फिर सुनीसुनाई अधकचरी जानकारी एकदूसरे पर उड़ेल देते हैं.

15 साल के विनोद का ही किस्सा ले लें. एक दिन उस के अंग में जोश आया तो वह खिलौना समझ कर खेल गया. चूंकि घर पर अकेला था तो बाद में उसे ग्लानि हुई. वह भी सिर्फ इसलिए कि उस का हाथ और कपड़े खराब हो गए थे.

विनोद को लगा कि उस से यह कोई अपराध हुआ है और उस ने दोबारा इसे न दोहराने की कसम खाई. पर अपने अंग के तनाव को कब तक रोक पाता. फिर वही हुआ, पर इस बार उसे ज्यादा मजा आया और उस ने एक अच्छी किताब से इस बारे में पढ़ा.

विनोद को जो समझ आया, उस का सार यह था कि यह खुद से किया गया ऐसा सैक्स है, जिस में पार्टनर की जरूरत नहीं होती है. यह कुदरती है और किसी तरह की कोई जिस्मानी बीमारी नहीं है, पर हां, बहुत से लड़के इसे बीमारी मान कर दिमाग में टैंशन जरूर भर लेते हैं और फिर झलाछाप डाक्टरों के चंगुल में फंस जाते हैं. वे शातिर डाक्टर हस्तमैथुन को जानलेवा मर्ज बता कर पीडि़त को नीलीपीली गोलियां थमा देते हैं.

पर जब इस बारे में प्लास्टिक, कौस्मैटिक और एंड्रोलौजिस्ट डाक्टर अनूप धीर से बात की गई, तो उन्होंने बताया, ‘‘हस्तमैथुन करना बहुत ही सामान्य बात है. यह अपने शरीर के बारे में जानने, मजे का अहसास करने और सैक्सुअल तनाव को कम करने का कुदरती और महफूज तरीका है.

‘‘हालांकि इसे ले कर कई तरह के झठ फैले हुए हैं, पर हस्तमैथुन से किसी तरह का शारीरिक नुकसान नहीं होता है, लेकिन ज्यादा हस्तमैथुन करना आप के रिश्ते और रोजाना की जिंदगी को नुकसान पहुंचा सकता है.

‘‘कुछ लोग सांस्कृतिक, आध्यात्मिक या धार्मिक मान्यताओं की वजह से हस्तमैथुन को लेकर शर्म महसूस कर सकते हैं. हस्तमैथुन न तो गलत है और न ही अनैतिक, फिर भी आप को कुछ ऐसे संदेश सुनने को मिल सकते हैं कि ऐसा आत्मसुख ‘गंदी’ और ‘शर्मनाक’ बात है.

‘‘अगर आप हस्तमैथुन को ले कर शर्म महसूस कर रहे हैं, तो किसी ऐसे इनसान से बात करें, जिस पर आप इन बातों को ले कर विश्वास कर सकते हैं और इस भावना से बाहर निकलने के तरीकों के बारे में बात कर सकते हैं. सैक्सुअल मामलों के माहिर आप के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.’’

डाक्टर अनूप धीर ने यह भी बताया कि किस तरह हस्तमैथुन से हमारी सेहत पर पड़ने वाले पौजिटिव असर के बारे में जान और समझ कर किस तरह सेहत से जुड़ी समस्याओं में मदद मिलती है :

* हस्तमैथुन से शरीर में खून का दौरा बढ़ता है और ऐंडौर्फिन रिलीज होता है, जो मजा बढ़ाने वाला ब्रेन कैमिकल है.

* इस से दिमागी तनाव और परेशानी कम होती है. इस से आप को आराम मिलता है और आप का आत्मविश्वास बढ़ता है. इस से आप को अपनी इच्छाओं के बारे में पता चलता है और आप पार्टनर के बिना भी सैक्सुअली संतुष्ट हो सकते हैं. इस से आप को अपने साथ प्रयोग करने का मौका मिलता है, आप अपने शरीर को सम?ा पाते हैं.

* दक्षिण एशिया (पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश, नेपाल और श्रीलंका समेत) की संस्कृतियों में धत् सिंड्रोम जिसे संस्कृत में ‘धातु दोष’ कहते हैं, पाया जाता है. इस में मरीज यह बताते हैं कि वे समय से पहले पस्त होने या नामर्दी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं और मानते हैं कि पेशाब के रास्ते उन का वीर्य निकल जाता है.

* कुछ सभ्यताओं में माना जाता है कि धत् को सुरक्षित रखने से आप को अच्छी सेहत और लंबी जिंदगी मिलती है. इसी वजह से धत् गंवाने को गलत माना जाता है.

* माना जाता है कि यह सोच सैक्स को ले कर पीढि़यों से चली आ रही गलत सोच की वजह से उभरी है. रिसर्च करने वालों का मानना है कि धत् सिंड्रोम से पीडि़त नौजवान होते हैं और सैक्स को ले कर रूढि़वादी मान्यताओं को मानने वाले गांवदेहात के इलाकों में बसते हैं. उन के मुताबिक, धत् सिंड्रोम से पीडि़त मर्द कम पढ़ेलिखे होते हैं और उन का सामाजिक और माली लैवल काफी नीचे होता है.

* इस के इलाज में आमतौर पर दवाएं (डिप्रैशन और तनाव से बचाने वाली दवाएं), सैक्स शिक्षा और संस्कृतियों के हिसाब से काउंसलिंग व ज्ञान संबंधी व्यवहार से संबंधित थैरेपी शामिल हैं.

डाक्टर अनूप धीर ने हस्तमैथुन के बारे में तकनीकी और डाक्टरी जानकारी दी. इस के अलावा हम फिल्म ‘छिछोरे’ के एक किरदार ‘सैक्स’ से भी सीख ले सकते हैं, जो इंजीनियरिंग कर रहा है, खूब खातापीता है, तंदुरुस्त है, पर अपने ‘बंटी’ से खेलना उस का शौक है.

इस किरदार से एक सीख और भी मिलती है कि भले ही ‘सैक्स’ को लड़की नहीं मिलती है, जबकि उस के दिमाग में हमेशा लड़की ही छाई रहती है, पर वह लड़कियों के साथ कभी बदतमीजी नहीं करता है. उन्हें ले कर रेप करने के बारे में नहीं सोचता है. उसे अपने हस्तमैथुन को ले कर कोई ग्लानि नहीं, बल्कि वह उसे ऐंजौय करता है.

लिहाजा, हस्तमैथुन को भयंकर बीमारी मानने की भूल कतई न करें और इस का इलाज नीमहकीम डाक्टरों के पास तो बिलकुल भी नहीं है. कोई बड़ी समस्या होती है तो माहिर डाक्टर से ही मिलें.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें