रेप और धर्म

मुंबई की एक स्पैशल पौक्सो कोर्ट ने कहा है कि रेप तो मर्डर से भी ज्यादा सीरियस क्राइम है क्योंकि यह विक्टिम की आत्माउस के वजूद और उस के आत्मविश्वास की हत्या कर देता है. रेप असल में आदमी का औरत के खिलाफ सब से ज्यादा खतरनाक हथियार है. जहां पशु जगत में यह सैक्स मादा की मरजी से ही होता है,

 

वहां सिविलाइज्ड सोसाइटियों में औरत को मैंटली और फिजिकली ऐसा बना दिया गया है कि वे रेप होते समय न केवल अपनी हैल्पनैस पर तड़पें बल्कि रेप घंटोंदिनोंहफ्तों और सालों बाद भी भूल न पाएं.

रेप का मतलब केवल मेल और्गन का फीमेल और्गन में एंट्री नहीं हैउस का मतलब है अनचाहे तौर पर औरत की सारी प्रौपर्टी लूट लेना कि उसे लगे कि वह अब खाली हाथ रह गई है. जब रेप अबोध छोटी बच्चियों से होता है तो उन्हें इस शारीरिक दर्द होने के सामाजिक परिणाम नहीं मालूम होते हैं. उन के साथ जो हो रहा है वह उन्हें पता रहता कि कुछ अलग हैपर जो लड़कियां मांबाप की मारपीट की आदी होती हैं उन्हें भी इस का दर्द अलग सा होता है क्योंकि रेप का दर्द सब कौंशियस माइंड तक पहुंचता है.

रेप को रोकने का कोई उपाय नहीं है. जब किसी पुरुष पर रेप करने का भूत सवार होता है तो वह सबकुछ भूल जाता है. वह रेप मौमेंट्री प्लेजर के लिए भी कर सकता हैसिर्फ हैबिचुअली कर सकता है और  पनिश करने के लिए भी कर सकता है. घरों में जानपहचान वाली का रेप कई बार निरंतर ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है. जब प्लेजर के लिए किया जाता है तो पुरुष पागल सा होता है और एहसास भी नहीं होता कि इस का परिणाम क्या होगायह उस का जीवन भी खराब कर सकता है और लड़की का भी. रेप के कानून के बारे में सब को मालूम है पर उस समय उस तरह का पागलपन सवार होता है कि सारे कानून धरे रह जाते हैं. उस समय यह भी नहीं मालूम होता कि यह लड़की शोर मचा सकती हैबाद में जेल भेज सकती है या चुप रह कर फिर ब्लैकमेल को तैयार हो जाएगी या फिर इस रेप को इनएविटेबेल मान कर एंजौय करेगी.

सेना और पुलिस तो रेप को लड़की या उस के अजीज को पनिश करने के लिए इस्तेमाल करते हैं. आमतौर पर किसी भी अपराधी की बेटीबीवी या बहन का रेप पुलिस थाने में किया जाता है तो अपराधी से अपराध कुबूल करवाने के लिए किया जाता है. इस की तो शिकायत भी नहीं की जाती. अदालतें भी नहीं सुनतीं क्योंकि वे सम?ाती हैं कि पुलिस के साथ छेड़खानी आसान नहीं है.

यूक्रेन में रूसी सैनिक लगातार यूक्रेनी लड़कियों और औरतों का रेप कर रहे हैं. लड़ाई में मौत से बचने के लिए भागी औरतों और लड़कियों को पोलैंडरोमानिया आदि में रेप कर के फ्लैश ट्रेड के लिए तैयार किया जा रहा हैबिना यह सोचे कि ये बेचारी दुखों की मारी लड़कियां तो अपना घरबारपिताबेटाप्रेमी या पति को छोड़ कर आ रही हैं.

सवाल यह पूछा जाना चाहिए कि वे धर्म रेप के मामलों में क्यों गायब हो जाते हैं जो हर जने की सुरक्षा की गारंटी देते फिरते हैंलड़ाइयों में चर्च और मसजिद नष्ट नहीं हो रहेमंदिरों को अगर नष्ट किया जाता था केवल डौमिनैंस दिखाने के लिए. धर्म औरतों को क्यों नहीं बचातेधर्म हर पुरुष में यह खौफ क्यों नहीं भरते कि जैसे चर्च या मंदिर से चोरी नहीं की जा सकतीउसी तरह लड़की का रेप नहीं किया जा सकता?

इस की वजह साफ है. धर्म ने खुद लड़कियों का रेप किया है. धर्म टिके ही औरतों की संपत्ति पर हैं. हर धर्म की किताबों में रेप या रेप जैसे कामों की कहानियां हैं. जीसस हो या पांडुपुत्र अहल्या या शकुंतलाइस तरह की कहानियां हर धर्मग्रंथ में भरी हैं. हर धर्म में औरतों को पनाह देने की जगह नहीं है जहां उन्हें धर्म के रखवालों के हाथों फिर रेप किया गया है. जिस धर्म में रेप पर प्रतिबंध हो वह केवल विचार बन कर फुस्स हो जाता है. जहां रेप के किसी भी रूप को भी एक्सैप्ट किया गया होवहां धर्म के दुकानदारों पर  औरतें भी बरसती हैंपैसा भी.

रामरहीम और आशाराम 21वीं सदी की देन ही नहीं हैंये तो युगों से चलते आ रहे हैं और लगभग हर धर्म में दोषी लड़की होती है जिस का रेप किया जाता है. उसे या तो मौत गले लगानी होती थी या प्रौस्टिट्यूशन में जाना पड़ता था या फिर कड़वा घूंट ले कर चुप रह जाना होता था. अपने ही धर्म की लड़की का रेप करने की सजा किसी धर्म ने दी होइस का उदाहरण ढूंढ़े नहीं मिलेगा.

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