Jharkhand : हेमंत सोरेन की पत्‍नी कल्‍पना को ससुरजी ने था चुना

हेमंत सोरेन एक बार फिर साल 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव मैदान में भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त दे कर मुख्यमंत्री बन गए हैं. उन्होंने अपनी गद्दी को बचाए रखा है.

पर आज हम हेमंत सोरेन की जिंदगी के उन रंगों की बात करेंगे, जब वे संघर्ष करते हुए मुख्यमंत्री तो बने ही, साथ ही उन्होंने पिता शिबू सोरेन के कहने पर ही शादी भी की थी.

दरअसल, जब शिबू सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने शादी के एक समारोह में कल्पना को देखा था और हेमंत के लिए उन्हें पसंद कर उन के पिता से अपने घर की बहू के रूप में मांग लिया था.

अब जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहते हुए जेल गए तो कल्पना सोरेन ने जीवनसाथी का फर्ज निभाते हुए झारखंड में मोरचा संभाला और जनता के बीच जा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाया. जब चुनाव के नतीजे आए, तो लोगों को समझ आया कि मेहनत कैसे रंग लाती है.

हाल ही में हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली है, पर कांग्रेस गठबंधन की उन की सरकार के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जिन में राज्य की माली हालत को मजबूत करना, तालीम और सेहत से जुड़ी सेवाओं में सुधार करना और राज्य के अलगअलग क्षेत्रों में तरक्की को बढ़ावा देना शामिल है. लेकिन जिस तरह भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी राज्यों को अपने कब्जे में रखना चाहते हैं, कह सकते हैं कि हेमंत सोरेन की यह नई डगर आसान नहीं होगी.

हेमंत सोरेन का बचपन और पढ़ाईलिखाई

हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त, 1975 को झारखंड के रामगढ़ जिले के एक गांव नेमरा में हुआ था. उन के पिता शिबू सोरेन एक नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री रह चुके थे, ने हेमंत को राजनीति में शामिल होने के लिए बढ़ावा दिया था.

हेमंत सोरेन का बचपन एक साधारण माहौल में बीता था. उन के पिता राजनीति से जुड़े थे, पर उन की मां एक साधारण गृहिणी थीं.

हेमंत सोरेनन की शुरुआती पढ़ाईलिखाई पटना हाईस्कूल, पटना से हुई थी, जहां उन्होंने इंटरमीडिएट का इम्तिहान पास किया था. इस के बाद उन्होंने बीआईटी मेसरा, रांची में मेकैनिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया था, पर उन की इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई थी. चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के मुताबिक उन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ने की बात कही है.

हेमंत सोरेन का राजनीतिक कैरियर

हेमंत सोरेन ने अपने पिता शिबू सोरेन के साथ मिल कर झारखंड मुक्ति मोरचा पार्टी के लिए काम किया और जल्द ही पार्टी का एक प्रमुख चेहरे बन गए.

विरासत में राजनीति मिलने के बावजूद हेमंत सोरेन ने अपने राजनीतिक जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया है. उन्हें कई बार विपक्षी दलों के नेताओं के हमलों का सामना करना पड़ा है.

हेमंत सोरेन ने अपने शुरुआती दिनों में ही झारखंड के युवाओं के बीच अपनी पहचान बनाई. पिछले कुछ समय में जेल में रह कर उन्होंने ईडी और सीबीआई का सामना किया और कोर्ट से जमानत मिलने के बाद वे फिर मुख्यमंत्री बन गए. यही नहीं,साल 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर उन्होंने चुनाव लड़ा और केंद्र में बैठी भाजपा की सत्ता को चुनौती देते हुए झारखंड में अपनी सरकार दोबारा बना ली.

इस से पहले हेमंत सोरेन ने 2 बार झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला है. पहली बार जुलाई, 2013 से दिसंबर, 2014 तक और दूसरी बार दिसंबर, 2019 से जनवरी, 2024 तक. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए हैं, जिन में 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति, ओबीसी आरक्षण व सरना कोड विधेयक पास करना शामिल है.

हेमंत सोरेन ने राज्य की तरक्की के लिए कई परियोजनाओं को शुरू किया है. इन परियोजनाओं में से एक राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में सड़कों को बनाना है, जिस से राज्य के विभिन्न हिस्सों के बीच संपर्क में सुधार होगा.

इस के अलावा हेमंत सोरेन की सरकार ने राज्य की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इन में से एक राज्य के स्कूलों और अस्पतालों में आधुनिक सुविधाओं को शुरू करना है, जिस से राज्य के नागरिकों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें.

भविष्य में राज्य की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करने के लिए हेमंत सोरेन की सरकार को कई कदम उठाने होंगे, जिन में राज्य के उद्योगों को बढ़ावा देना, राज्य के किसानों को समर्थन देना और राज्य के नागरिकों को रोजगार के अवसर प्रदान कराना है. इस के लिए हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री से एक लंबाचौड़ा पैकेज मांगा है.

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