अंग का आकार : क्या बड़ा है तो बेहतर है?

काफी समय पहले की बात है. करन जौहर अपने इंगलिश टेलीविजन शो ‘कौफी विद करन’ में अक्षय कुमार और उन की पत्नी ट्विंकल खन्ना से सवालजवाब कर रहे थे.

करन जौहर ने ट्विंकल खन्ना से पूछा कि अक्षय में ऐसा क्या है जो खान (शाहरुख, आमिर और सलमान वगैरह) में नहीं है?

इस पर ट्विंकल खन्ना ने तपाक से कहा, “कुछ इंच ज्यादा का फर्क है.”

यह सुन कर अक्षय शरमा से गए और करन अपने चिरपरिचित अंदाज में खीसें निपोरने लगे.

उस समय बाद में चाहे ट्विंकल खन्ना ने कहा कि वे अक्षय के पैरों (जूते) के साइज का जिक्र कर रही थीं, पर उन की इस डबल मीनिंग वाली बात ने दर्शकों को हैरान के साथसाथ हंसने पर भी मजबूर कर दिया था.

आम जिंदगी की बात करें तो जवानी फूटते ही लड़कों को यह बात ज्यादा हैरानपरेशान करती है कि क्या उन के अंग का साइज इतना है कि वे अपनी पत्नी या प्रेमिका को जिस्मानी तौर पर संतुष्ट कर पाएंगे?

कभीकभी तो अपने अंग के साइज को ले कर नौजवान इतने आतंकित हो जाते हैं कि सार्वजनिक शौचालयों में चिपके नीमहकीमों के अंग के फौलादी और लंबे होने के इश्तिहारों पर इतने मुग्ध हो जाते हैं कि बिना सोचेसमझे उन से अधकचरी जानकारी ले लेते हैं और अपना पैसा लुटवा देते हैं.

रमेश के साथ ऐसा ही हुआ. शादी से पहले उस के दोस्तों ने उसे एक ब्लू फिल्म दिखा दी. उस फिल्म के मर्द कलाकार का अंग बहुत बड़ा था और इस वजह से औरत कलाकार को खूब मजे आए थे.

चूंकि रमेश का अंग उतना बड़ा नहीं था तो वह तनाव में आ गया. सुहागरात पर उस के मन में डर बैठ गया कि वह अपनी पत्नी को बड़े अंग का सुख नहीं दे पाएगा और उस की शादी शुरुआत में ही नरक बन जाएगी.

इस का नतीजा यह हुआ कि रमेश सुहागरात पर पत्नी के नजदीक जाने से कतराने लगा. उस रात तो पत्नी ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा, पर जब हर रात रमेश उस से दूर रहने लगा तो उस का माथा ठनका.

ज्यादा जोर देने पर रमेश ने इस समस्या की तरफ इशारा किया. पत्नी पढ़ीलिखी और बहुत समझदार थी तो उस ने रमेश का यह वहम दूर करने के लिए एक काबिल सैक्स डाक्टर का सहारा लिया.

जब डाक्टर को यह बात पता चली तो उस ने रमेश को समझाते हुए कहा, “रमेश, यह अकेले तुम्हारी ही समस्या नहीं है, बल्कि बहुत से लोग इस छोटी सी बात का बड़ा बना कर अपनी शादीशुदा जिंदगी को खराब कर लेते हैं.

“दुनिया में हर मर्द के अंग का साइज, उस का मोटापन अलगअलग हो सकता है. अमूमन यह सख्त होने पर औसतन 5 से 6 इंच का होता है. किसी का अंग इस से छोटा या बड़ा भी हो सकता है. वैसे, अगर किसी का सख्त अंग, अगर वह 2 इंच का भी हो तो, औरत को संतुष्ट करने के लिए काफी होता है.”

यह सुन कर रमेश के कान खड़े हुए और उस ने पूछा, “वह कैसे?”

इस पर डाक्टर ने बताया, “किसी औरत का उस के अंग का अगला डेढ़ से 2 इंच का हिस्सा ही संवेदनशील होता है, जहां मरदाना अंग की रगड़ से उसे मजा आता है. बात अंग के साइज की नहीं रगड़ की होती है कि वह आप ने कितनी बार किया है.”

“मतलब?” रमेश ने पूछा.

मतलब यह कि तुम अपनी पत्नी के साथ कितनी देर तक जिस्मानी रिश्ता बनाते हो, वह ज्यादा जरूरी है न कि तुम्हारा अंग कितना बड़ा है. इस में फोरप्ले और आफ्टरप्ले का रोल भी बड़ा अहम होता है.”

“फोरप्ले और आफ्टरप्ले क्या बला है?

रमेश के यह पूछने पर डाक्टर ने कहा, “जिस्मानी रिश्ता बनाने से पहले और बाद का प्यार. फोरप्ले में पत्नी के अंगों को चूमना, मसलना, उन्हें सहलाना, प्यार भरी बातें करना होता है, जिस से तुम्हारे अंग में पूरा तनाव आ जाएगा और पत्नी को जोश. बहुत सी औरतों को यह फोरप्ले इतना पसंद आता है कि वे इस में पति का भरपूर साथ देती हैं और रात को रंगीन बना देती हैं. इस से जिस्मानी रिश्ता भी काफी देर तक टिक पाता है.

“जब पतिपत्नी जिस्मानी रिश्ता बना कर संतुष्ट हो चुके होते हैं, तब बहुत से थकेहारे मर्द मुंह फेर कर सो जाते हैं और पत्नी बेचारी सिसकती रहती है. यहां पर आफ्टरप्ले काम आता है. इस में भी पतिपत्नी का एकदूसरे की बांहों में समाना, बालों को सहलाना, चूमना और नींद के आगोश में ले जाना शामिल होता है.

“जब यह सब पूरा होता है तो इस से पतिपत्नी का प्यार ज्यादा बढ़ जाता है और वे जिस्मानी रिश्ता बनाने का भरपूर मजा लेते हैं.”

“इस का मतलब मेरे अंग के साइज में कोई दिक्कत नहीं है?”

बिलकुल नही, बल्कि कभीकभार तो ज्यादा बड़े और मोटे साइज का अंग औरत को दर्द दे सकता है और जिस्मानी सुख को फीका कर सकता है.”

यह सुन कर रमेश को बड़ी राहत मिली. उस ने उसी रात अपनी सुहागरात मनाई और फोरप्ले और आफ्टरप्ले का भी ध्यान रखा. इस का बड़ा ही सुखद नतीजा रहा, पति और पत्नी दोनों के लिए.

महिलाओं में बढ़ रही पोर्न की लत

पोर्न मूवी का चसका बिलकुल उसी तरह है जैसेकि ड्रग का चसका. आजकल तो औनलाइन हर तरह की पोर्न मूवीज उपलब्ध हैं. जो इन्हें एक बार देख लेता है वह इन का आदी हो जाता है और फिर इन के चंगुल से निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है.

आप क्या सोचते हैं कि  औनलाइन पोर्न मूवी या वीडियो देखने का शौक सिर्फ पुरुषों को ही है? जी नहीं, एक सर्वे के अनुसार महिलाएं भी पोर्न मूवी या वीडियो देखने में पीछे नहीं हैं.

क्या है साइबर सेक्स          

यह एक प्रकार की मानसिक समस्या है, जिस में लोग पोर्न मूवी देखने के आदी हो जाते हैं. रोज कुछ समय इंटरनैट पर बिता कर नई तरह की पोर्न मूवी देखना चाहते हैं.

एक कंपनी में किए गए शोध से यह बात सामने आई है कि कुछ सदस्य दफ्तर में ही पोर्न फिल्म डाउनलोड कर रहे थे. इन कर्मचारियों में एक महिला भी शामिल थी. जब महिला का लैपटौप खंगाला गया तो बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई. इस महिला ने 2 सप्ताह में करीब 1,100 बार पोर्न क्लिप्स डाउनलोड कीं और

400 से ज्यादा अश्लील पिक्चर्स उस के हार्ड ड्राइव में पाई गईं. इस से पता चला कि पुरुषों की तरह महिलाएं भी वर्कप्लेस पर पोर्न देखने की आदी होती हैं.

महिलाएं पोर्न क्यों देखती हैं

रिलैक्सेशन के लिए: हर समय सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने वाली महिलाएं भी अब कोई भी पोर्न साइट देखने में झिझकती नहीं हैं. कुछ मसालेदार, कुछ चटपटा देखने की उन की भी इच्छा होती है. कुछ औरतों का तो कहना है कि  वे इस तरह के वीडियो या पिक्चर देख कर तनावमुक्त होती हैं. कुछ सिर्फ टाइमपास या ऐंजौय करने के लिए इन का आनंद लेती हैं.

कौन्फिडैंस बढ़ाने के लिए: शोध से यह  बात भी सामने आई है कि सिर्फ मूड बदलने के लिए ही नहीं, बल्कि सेक्स के समय अपनी तरफ से पहल करने के लिए भी महिलाएं इस तरह के वीडियो या मूवी देखना पसंद करती हैं. कहा जाता है कि महिलाएं पहल नहीं करतीं. लेकिन अब ऐसा नहीं है. आज के समय में महिलाएं भी अपने पार्टनर को खुश करने के लिए पहल करती हैं, तो कुछ अपना कौन्फिडैंस बढ़ाने के लिए पोर्न देखना पसंद करती हैं. यह एक तरह से महिलाओं के लिए फोरप्ले का काम करता है.

साथी के लिए: कई केसों में देखा गया है कि पुरुष मित्र या पति चाहता है कि उस की महिला पार्टनर भी उस के साथ बैठ कर पोर्न देखे. ऐसे में पार्टनर की इच्छा को पूरा करने के लिए भी कई महिलाएं पोर्न देखना पसंद करती हैं.

सेक्स फैंटेसी के लिए: कई महिलाएं नई फैंटासियों के बारे में सोचने और उन्हें ऐक्सप्लोर करने के लिए पोर्न वीडियो का सहारा लेती हैं.

क्या कहते हैं शोध

कुछ शोध बताते हैं कि 15 से 25% महिलाएं औनलाइन पोर्न मूवी देखने की आदी और हाइपरसेक्सुअल बनती जा रही हैं. हाइपरसेक्सुअल मानसिकता वाली महिलाएं इस कदर इन की आदी हो जाती हैं कि उन्हें हर समय सिर्फ सेक्स से जुड़ी फैंटेसी या उस से जुड़ी बातें करना ही अच्छा लगता है.

शोधों से यह बात भी सामने आई है कि ऐसी महिलाएं हस्तमैथुन या मास्टरबेशन संकीर्णता से ग्रस्त होती हैं. पोर्नोग्राफी की फिल्में इंटरनैट का ट्रैफिक बढ़ाती हैं जोकि सामान्य साइटों की तुलना में कहीं अधिक होती हैं.

हीट्रोसेक्सुअल महिलाएं

इस शोध के परिणाम में वैज्ञानिकों ने यह पाया कि जो महिलाएं हीट्रोसेक्सुअल होती हैं, वे इंटरनैट पर रोज नए तरह के पोर्न वीडियो की तलाश करती हैं. ऐसी महिलाएं इंटरनैट पाते ही पोर्न वीडियो की तलाश में लग जाती हैं. उन्हें सब से अधिक जरूरी काम यही लगता है.

अच्छी नहीं लत

कहावत है कि अति हर चीज की बुरी होती हैं. जी हां, इस लत का पड़ना भी अच्छा नहीं. इस बीमारी से त्रस्त महिलाएं हर समय सिर्फ पोर्न ही देखना चाहती हैं. इस कारण उन्हें जगह का भी एहसास नहीं रहता. रिसर्च के मुताबिक औफिस में भी महिलाएं पोर्न वीडियो देखती हैं, जिस वजह से वे अपने काम परकम ध्यान देती हैं. पोर्न देखने की आदी महिलाओं की संख्या दिनबदिन बढ़ती जा रही है.

एक रोमांचक अनुभव : साथी को कराएं सतरंगी दुनिया की सैर

सेक्स कुदरत का वह शानदार तोहफा है जिस में आनंद तो है ही, इस से ताउम्र रिश्तों में गरमाहट भी बनी रहती है.

यों तो सेक्स को मजेदार बनाने के कई आसन हैं, मगर फिंगर सेक्स इस प्रकिया को और भी आनंद से भर देता है.

तो फिर आइए, इस पल को मजेदार बनाने के लिए जानें कि फिंगर सेक्स किस तरह दांपत्य जीवन को सुखमय बना सकता है :

हाइजीन का रखें ध्यान : हाथों और उंगलियां हमेशा दूषित पदार्थों और बैक्टीरिया के संपर्क में रहते हैं. फिंगर सेक्स शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि हाथ और खासकर उंगलियां साफ और स्वच्छ रहें.

संक्रमण या चोट से बचने के लिए नाखूनों को काट लें व उन्हें साफ रखें.

ध्यान रखें : फिंगर सेक्स शुरू करने से पहले यह जरूरी है कि ड्राइनैस की समस्या न रहे. आमतौर पर यह तभी होता है जब सेक्स पार्टनर इस के लिए तैयार हो. हालांकि उत्तेजना के दौरान साथी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार रहती है और यह समय ही उचित है जब पार्टनर के साथ फिंगर सेक्स का आनंद उठाया जाए. चिकनाई के लिए क्रीम अथवा तेल का प्रयोग भी किया जा सकता है.

यदि आप चरमोत्कर्ष पर जाने का लक्ष्य बना रहे हैं, तो ध्यान दें कि कुछ महिलाएं दूसरों की तुलना में बाद में सुख प्राप्त करती हैं. इसलिए जरूरी होगा कि पार्टनर इस के लिए पूरी तरह तैयार हो.

पार्टनर को क्या पसंद है : फिंगर सेक्स के दौरान पार्टनर से पूछिए कि उसे क्या पसंद है और क्या नहीं? मसलन शरीर के अन्य अंगों पर भी उंगलियों से सहलाना और हलकाहलका चिकोटी काटना पार्टनर को खूब आनंदित करेगा.

आप सेक्स पार्टनर से सलाह भी ले सकते हैं. इस के अलावा, यह एक अच्छा, चिढ़ाने वाला फोरप्ले बनाता है. पार्टनर के अंगों को करीब से देखें और उसे अपने हाथों को सही स्थानों पर निर्देशित करने के लिए कहें.

कैसे करें शुरुआत : फिंगर सेक्स करने से पहले उसे फोरप्ले के साथ शुरू करना सुखद अनुभव से भर देगा.

सेक्स को अधिक सुखद बनाने के लिए एक उपयोगी ट्रिक यह भी है कि आप साथी के नाजुक अंगों और उस के आसपास की जगहों पर उंगलियों से पियानो की तरह बजा सकते हैं. यकीन मानिए, इस से पार्टनर को अच्छा लगेगा और वह पुरूष साथी को प्रोत्साहित करती रहेगी.

जी स्पौट को ढूंढ़ें : जी स्पौट महिला अंग का एक स्पंजी हिस्सा है जो उस के पूर्व भाग पर स्थित होता है या ऊपरी भाग पर. हालांकि उत्तेजित करने का कोई समान्य तरीका नहीं है, और यह प्रति व्यक्ति अलगअलग हो सकता है. बावजूद इस प्रकिया में आप पहले साथी से बातचीत कर लें.

कमरे में प्रकाश का संयोजन : संवेदनशील व नाजुक अंगों को हलकाहलका स्पर्श कर उसे प्रारंभ करने और उसे उस लायक तैयार करने का एक अच्छा तरीका है कि अपनी उंगलियों को लगातार बाहरी भाग पर स्पर्श कराते रहें. यह एक ऐसी प्रकिया है जो पार्टनर को आनंद से भर देगा.

इस दौरान कमरे में प्रकाश का ध्यान रखें. मध्यम और रंगबिरंगी लाइटों में सेक्स प्रकिया शानदार अनुभव देता है.

कैसे करें शुरूआत : इस दौरान तर्जनी और मध्यमा उंगुली का प्रयोग करें. जी स्पौट को उत्तेजित करते हुए धीरेधीरे प्रयोग करना शुरू करें. इस दौरान साथी से पूछें कि उसे कैसा लग रहा है? उस के कहे अनुसार ही इस में आगे बढ़ें.

धीमी शुरुआत करें और बाद में आक्रामकता तभी लाएं जब पार्टनर बोले.

इस दौरान पार्टनर के गरदन पर चुंबन, उस के कान की बालियों, कानाफूसी के दौरान डर्टी टौकिंग, विभिन्न जगहों पर चुंबन आदि पार्टनर को इस प्रकिया में आनंदित महसूस कराएगा.

अगर आप भी हैं पोर्न देखने के शौकीन, तो हो जाइए सावधान

पोर्न आज के दौर में एक बड़ी इंडस्ट्री बन गया है, जिस का सालाना टर्नओवर अरबों डौलर का है. विश्व के अधिकतर लोगों ने कभी न कभी पोर्न फिल्में देखी होंगी. भारत में युवाओं में पोर्न देखने का चलन बढ़ता जा रहा है. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत पिछले 2-3 वर्षों में सब से ज्यादा पोर्न देखने वाले देशों में 10वें से तीसरे स्थान पर आ गया है.

अति तो किसी भी चीज की बुरी होती है. पोर्न की लत किसी नशे की तरह है, जो आसानी से पीछा नहीं छोड़ती. पोर्न देखने में उतनी बुराई नहीं पर पोर्न का एडिक्शन होना बुरा होता है. यह सामाजिक, शारीरिक और मानसिक हर रूप में जीवन पर बुरा प्रभाव डालता है. एक रिसर्च में पाया गया कि जो व्यक्ति ज्यादा पोर्न फिल्में देखते हैं, उन का दिमाग सिकुड़ जाता है.

यदि व्यक्ति के दिमाग का स्ट्रेटम छोटा है तो उसे ज्यादा नुकसान हो सकता है. इसी अध्ययन में यह भी पता चला है कि पोर्न फिल्में देखने वाला व्यक्ति अपनी निजी जिंदगी में भी उसी तरह सेक्स करना चाहता है, लेकिन अकसर ऐसा हो नहीं पाता क्योंकि पोर्न फिल्मों को जानबूझ कर ज्यादा भड़काऊ और आकर्षक बनाया जाता है. वैसा करना आम आदमी के बस की बात नहीं. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति को कभी संतुष्टि नहीं मिल पाती. व्यक्ति के स्वभाव में क्रूरता और उग्रता आ जाती है जिस से वह चिड़चिड़ा हो जाता है.

सेहत और पढ़ाई पर प्रभाव      

युवावस्था कैरियर बनाने के लिहाज से सब से अहम होती है. इस दौरान युवाओं का पोर्न की तरफ आकर्षित होना कैरियर पर बुरा प्रभाव डालता है. मनोविज्ञानी बताते हैं कि इसे देखने वाले युवाओं का मन भटक  जाता है. वे हमेशा इस के प्रभाव में रहते हैं. ऐसे में उन का कैरियर खराब हो जाता है. आमिर खान की फिल्म ‘थ्री इडियट्स’ में यह दिखाया गया है कि साथी अपने ही दोस्तों का ध्यान पढ़ाई से हटाने के लिए होस्टल में उन्हें पोर्न किताबें दे देते थे जिस से साथी के नंबर कम आएं या वह फेल हो जाए.

पोर्न देखने वाले ज्यादातर युवा अप्राकृतिक सेक्स के आदीहो जाते हैं. वैसे मैडिकली यह बुरा नहीं है पर अगर सही तरह और हाईजीन का ध्यान रख कर नहीं किया जाएगा तो यह हैल्थ की नजर से खराब होता है.

सेक्स जीवन पर असर

लगातार पोर्न देखने से व्यक्ति अपने पार्टनर से वैसी ही उम्मीद रखने लगता है जैसा पोर्न फिल्मों में दिखाया जाता है लेकिन इसे हकीकत में उतारना मुमकिन नहीं होता. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति का अपने पार्टनर के प्रति अलगाव पैदा होने लगता है. जब लड़कियां ऐसे पोर्न देखती हैं और शादी के बाद उन्हें ऐसे हालात नहीं मिलते तो उन का वैवाहिक जीवन खराब होने लगता है.

पोर्न देखने से सेक्स को ले कर विकृत नजरिया बन जाता है. शादी के बाद तमाम लड़कियों को यह शिकायत होती है कि उन के पति ने अप्राकृतिक सेक्स की डिमांड की या जोरजबरदस्ती की. औक्सिटौसिन दिमाग में पाया जाने वाला एक शक्तिशाली हार्मोन है जिसे ‘लव हार्मोन’ भी कहा जाता है. यह हार्मोन पुरुष और महिलाओं दोनों को बंधन में बांधने में मदद करता है. अगर सेक्स पोर्न फिल्मों की तरह किया जाए तो यह हार्मोन काम नहीं करता जिस का असर रिश्तों पर पड़ता है.

सेक्स को पोर्न फिल्मों की तरह करने वाले व्यक्ति फोरप्ले ठीक ढंग से नहीं कर पाते. फोरप्ले के दौरान जोड़े चरम सुख लेते हैं जिस से उन में काफ ी निकटता आती है पर पोर्न वाली मानसिकता के कारण यह कहीं खो जाती है.

कुछ लोग उत्तेजित होने के लिए पोर्न का सहारा लेने लगते हैं और धीरेधीरे यह उन की आदत बन जाती है. इस का नुकसान यह होता है कि व्यक्ति प्राकृतिक तौर पर उत्तेजित होने में नाकाम होने लगता है जिस का आगे चल कर नुकसान होता है. अवैध संबंधों के लिए पोर्न काफी हद तक जिम्मेदार है. ज्यादा पोर्न देखने वाले लोग अकसर किसी के साथ अवैध संबंध बनाने के बारे में सोचते रहते हैं जो समाज के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है और कई बार मर्यादा तारतार होने की भी आशंका रहती है. पोर्न देखने का यह सब से बड़ा नुकसान है.

सेक्स है हमारे जीवन का सामान्य हिस्सा

अगर कोरोना की महामारी के दौरान आपने और आपके साथी ने खुद को एकांतवास में ले लिया है तो ऐसे में आपकी सेक्स लाइफ में रोमांच लाने के कई तरीके हो सकते हैं. कोरोना वायरस के खौफ के साए में हम चेहरे पर तो हाथ का स्पर्ष नहीं ले जा रहे हैं लेकिन बदन के अन्य हिस्सोंको तो छुआ जा सकता है.

यह बीमारी सेक्स से संक्रमित नहीं होती और न ही ऐसा कोई मामला सामने आया है कि किन्ही युगलों के बीच सेक्स के कारण इसका संक्रमण हो गया हो. यह मूल रूप से सांसों के माध्यम से गिरी बारीक बूंदों और किसी संक्रमित सतह को छूने से हो रही है.

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इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 का संक्रमण योनी या गुदा मैथुन से हुआ हो. सेक्स के दौरान चूमना बहुत आम बात है लिहाजा इसका वायरस मुंह की लार के जरिए फैल सकता है. अगर आपका पार्टनर विदेष दौरे से लौटा/लौटी है तो उस स्थिति में चुंबन लेने से बचें! यात्रा करने के दो हफ्ते बाद ऐसा करना सुरक्षित है. कोविड-19 के ओरल-फिकल ट्रांसमिषन के भी सबूत मिले हैं, लिहाज़ा, ओरल सैक्स से बचना चाहिए.

यदि एक भी पार्टनर कोविड-19 का संदिग्ध रोगी है तो बेहतर यही होगा कि आप एक दूसरे से दूर रहे हैं और जांच के नतीजे मिलने तक अलग-अलग कमरों में ही सोएं.

लेकिन अगर आपमें से किसी में भी किसी किस्म का लक्षण दिखायी नहीं दिया है और किसी संक्रमित व्यक्ति या सतह आदि के संपर्क में भी नहीं आए हैं तथा पूरे समय घर पर ही रहे हैं तो सेक्स से अच्छा और कोई तरीका आनंद लेने का नहीं हो सकता. यह तनावपूर्ण समय में बेचैनी दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है.

फिलहाल यही सलाह है कि जितना हो सके घर पर रहें और रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के वक़्त ही दूसरे लोगों के संपर्क में आएं. इस दौरान भी अन्य लोगों से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाएं रखें. हालाकि इस स्थिति में कैजुअल सेक्स करना चुनौतीपूर्ण होगा!

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किसी भी किस्म का अंतरर्वैयक्तिक संबंध तभी कायम करें जब ऐसा करना एकदम जरूरी हो. लिहाज़ा, आगामी कुछ हफ्तों में यौन संसर्ग कुछ कम हो सकता है. लेकिन यौन सुख प्राप्त करने के और भी कई तरीके हैं तो मौजूदा हालात में उपयोगी साबित हो सकते हैं. इनमें सेक्सटिंग, वीडियो काॅल, कामोत्तेजक साहित्य पढ़ना और हस्तमैथुन षामिल हैं. याद रखिये, आप अपने सबसे सुरक्षित सेक्स पार्टनर हैं. ऐसे में हस्तमैथुन बढ़िया विकल्प है और यह आपको कोविड-19 से बचाए रखेगा. ऐसे में भी हाथ धोना मत भूलिये और यदि आप सेक्स टाॅयज़ का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें भी सेक्स से पहले और बाद में 20 सेकंड अवष्य धो लें.

बेफिक्र होकर उठाएं Masturbation का लुत्फ

के के अग्रवाल देश के जाने माने डाक्टर हैं जिन्हे अपनी काबिलियत के लिए कई दूसरे पुरुस्कारों और सम्मान के साथ  सरकार से पद्म श्री जैसा पुरुस्कार भी मिल चुका है . दिल के रोगों के माहिर ये डाक्टर साहब सेक्स से ताल्लुक रखते मसलों पर भी बेबाकी से अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं . देश के वे पहले नामी डाक्टर हैं जो मास्टरवेशन यानि हस्तमैथुन पर खुलकर बोलते लोगों की कई गलतफहमियाँ दूर करते हैं . उनकी मानें तो हस्तमैथुन कतई सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं है बल्कि फायदेमंद है .

हस्तमैथुन को लेकर कई गलतफहमियाँ फैली हुई हैं , बेहतर तो यह कहना होगा कि जानबूझकर फैलाई जाती हैं जिससे लोग इसका लुत्फ न ले सकें .  जबकि सेक्स सुख लेने का यह इकलौता बेहतर और महफूज रास्ता है जिसमें किसी पार्टनर की मोहताजी नहीं रह जाती . मेडिकल साइंस में यह बात ज़ोर देकर कही और मानी जाती है कि एक दो या चार पाँच नहीं बल्कि 99 फीसदी लोग हस्तमैथुन करते हैं . खासतौर से कुँवारे लड़के लड़कियां तो सेक्स की अपनी इच्छा इसी से पूरी करते हैं . हालांकि दिलचस्प सच यह भी है कि कई शादीशुदा लोग भी हस्तमैथुन करते हैं क्योंकि उन्हें हमबिस्तरी से पूरा और मनमाफिक मजा नहीं मिलता.

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यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि एक आम बात है लेकिन सच यह भी है कि सही जानकारियाँ न होने से अधिकतर लोग हस्तमैथुन को लेकर वेबजह के तनाव में रहते हैं और खुद को कमजोर और कभी कभी तो नामर्द तक समझने की गलती कर बैठते हैं . ऐसा महज इसलिए कि इनके दिमाग में यह बात ठूंस ठूंस कर भर दी गई है कि हस्तमैथुन बुरी बात है और इसके जरिये जो वीर्य बेकार निकल जाता है वह बड़ी मुश्किल से बनता है इसकी एक बूंद की कीमत ही करोड़ों रु होती है . इस बाबत वेबकूफी भरी बात यह फैला दी गई है कि एक बूंद वीर्य बनने सैकड़ों किलो अन्न लगता है जिससे खून और उस खून से एक तरह का रस और फिर उससे वीर्य बनता है .

गलतफहमी यह भी बड़े पैमाने पर पसरी है कि जो वीर्य को हस्तमैथुन के जरिये जाया कर देता है उसकी ज़िंदगी के कोई माने नहीं रह जाते उसके चेहरे पर रौनक नहीं रह जाती और उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है . धार्मिक किताबों में इस वीर्य का बखान इतने भयानक तरीके से किया गया है कि अच्छे अच्छे इसे पढ़कर दहल जाएँ लेकिन हकीकत एकदम उलट है .

जानें सच – हकीकत यह है कि वीर्य शरीर में लगातार बनते रहने बाला एक खास किस्म का केमिकल है जो बनता तभी है जब शरीर और दिमाग में सेक्स की उत्तेजना चरम पर होती है हर कोई इसे महसूसता भी है . यानि वीर्य शरीर के अंदर स्टाक में नहीं रहता है और न ही उत्तेजना होने पर इसका निकलना रोका जा सकता .  इस के निकलने से ही सेक्स सुख मिलता है फिर चाहे वह हमबिस्तरी से मिले या हस्तमैथुन से इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता . आमतौर पर मर्दों में 12 – 13 साल की उम्र में सेक्स उत्तेजना आने लगती है जिसे शांत या पूरी करने वे हस्तमैथुन करते हैं .

गड़बड़ यहीं से शुरू होती है क्योंकि जवान होते लड़के लड़कियों के दिमाग में यह बात पहले से ही भरी होती है कि हस्त मैथुन गलत है , पाप है . ये बातें वे ठीक उसी तरह सीखते हैं जैसे यह कि भगवान है और उसके पूजा पाठ से ही मनचाहे फल मिलते हैं . फर्क इतना है कि हस्तमैथुन के बारे में जानकारियाँ उन्हें इधर उधर से नीम हकीमों के इश्तिहारों और यार दोस्तों से मिलती हैं.

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जब जवान होते लड़के किसी इश्तहार में यह पढ़ते हैं कि बचपन के कुसंग की वजह से नामर्दी या  कमजोरी आ गई हो , थकान महसूस होती हो , शीघ्रपतन हो जाता हो , स्वप्न दोष हो तो घबराएँ नहीं शीघ्र हमसे मिलें और मर्दाना ताकत पाएँ तो वे घबरा उठते हैं और उन्हें यह वहम और गलतफहमी हो जाती है कि वे हस्तमैथुन करने के चलते बच्चा पैदा करना तो बाद की बात है औरत को सेक्स सुख नहीं दे पाएंगे . ऐसा इसलिए और भी होता है कि हमारे यहाँ सेक्स एज्यूकेशन यानि तालीम के कोई इंतजाम नहीं हैं . गलत जानकारियाँ कैसे ज़िंदगी दुश्वार कर देती हैं इसके बारे में भोपाल के नजदीक सीहोर के एक दुकानदार के उदाहरण से समझा जा सकता है .

40 साला इस दुकानदार के मुताबिक वह 15 साल की उम्र से ही हस्तमैथुन कर रहा था 25 का होते होते जब शादी की बात चली तो वह घबरा उठा कि कैसे बीबी को संतुष्ट करेगा इसलिए वह शादी से कतराने लगा . एक दिन उसने शहर के कोतवाली चौराहे पर एक खानदानी हकीम को तम्बू गड़ाए देखा तो अपनी परेशानी लेकर उसके पास जा पहुंचा . हकीम साहब तो बैठे ही ऐसे मुर्गों के लिए थे .  उन्होने पहले तो उसे डराया फिर 40 रु लेकर कुछ पुड़ियेँ थमा दीं कि रात को सोते वक्त दूध के साथ खाते रहना आठ दिन में ही घोड़े को भी मात कर दोगे .

सोते वक्त  दुकानदार ने हिदायत के मुताबिक दवा दूध से खा ली लेकिन आधी रात को उसके पेट में इतना भयंकर दर्द उठा कि उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती करना पड़ा . डाक्टर ने खान पान के बारे में पूछताछ की तो घबराए दुकानदार ने तुरंत सच उगल दिया . 2 दिन बाद अस्पताल से छुट्टी हुई तो अकेले में उसके चाचा ने उसे समझाया कि हस्तमैथुन से ऐसा कुछ नहीं होता जिसे सोचकर वह घबरा गया था . फिर उन्होने सेक्स से ताल्लुक रखती कई अहम बातें उसे समझाईं तो उसका डर जाता रहा . अब यह दुकानदार 2 बच्चों का बाप है और बिना किसी खानदानी हकीम की दवा खाए इस उम्र में भी पलंग तोड़ सेक्स करता है और नौजवानों को मेसेज देता है कि वे नीम हकीमी के चक्कर में वक्त और पैसा जाया न करें हस्तमैथुन से न तो कमजोरी आती और न ही ज़िंदगी बर्बाद होती .

नुकसान कुछ नहीं फायदे कई – माहिरों की मानें तो हस्तमैथुन से कोई नुकसान नहीं होता उल्टे फायदे कई होते हैं मसलन इससे मूड फ्रेश होता है और जिस्म सहित अंग की भी कसरत हो जाती है . जानकर हैरानी होना कुदरती बात है कि इससे तनाव भी दूर होता है .  कई रिचर्स में चौका देने बाली ये बातें भी उजागर हुई है कि सेक्स की इच्छा होने पर हस्तमैथुन कर लेने से लोग सेक्स रोगों के जोखिम से बचे रहते हैं और स्वप्न दोष भी नहीं होता अलावा इसके अच्छी नींद भी आती है .

डाक्टर के के अग्रवाल पूरे भरोसे से ज़ोर देकर कहते हैं कि मेडिकल साइंस हस्तमैथुन को गलत या नुकसानदेह नहीं मानती और न ही इसका शरीर की ताकत और मर्दानगी से कुछ लेना देना यह एक कुदरती बात है . इससे एनर्जी कम नहीं होती बल्कि बढ़ती है . भोपाल के नामी  मनोविज्ञानी यानि दिमागी बीमारियों के माहिर डाक्टर विनय मिश्रा तो यह तक कहते हैं कि अगर सेक्स इच्छाओं को जरूरत से ज्यादा दबाया जाये तो जरूर दिमागी बीमारियों का खतरा बनने लगता है . इसलिए जरूरत पड़ने पर हस्तमैथुन करना हर्ज की बात नहीं .

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एहतियात रखें – एक पुरानी कहावत है कि अति सर्वत्र वर्जयते यानि अति हर जगह नुकसान करती है फिर वह चाहे अच्छे खाने पीने की ही क्यों न हो . हस्तमैथुन पर भी यह बात  लागू होती है . आमतौर पर माहिर यह मानते हैं कि हफ्ते में 3-4 दिन हस्तमैथुन किया जा सकता है . इसके अलावा ये एहतियात भी बरतना चाहिए –

1 – अंग को पूरा उत्तेजित होने पर ही हस्तमैथुन करना चाहिए .

2 – कमरे या बाथरूम बगैरह जहां भी करें दरवाजा अच्छे से बंद कर लेना चाहिए .

3 – ज्यादा ज़ोर से नहीं करना चाहिए इससे अंग को नुकसान हो सकता है .

4 – वीर्य को पोंछने साफ कपड़े या टिसु पेपर का इस्तेमाल करना चाहिए .

5 – एक दिन में बार बार हस्तमैथुन नहीं करना चाहिए .

6 – अगर इसके लिए किसी सेक्स टोय का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसे अच्छे से साफ करना चाहिए खासतौर से उन लड़कियों को जो नकली अंग का इस्तेमाल करती हैं .

और आखिरी बात जो हमेशा जेहन में रखनी चाहिए वह यह कि हस्तमैथुन कतई नुकसानदेह नहीं है इसे आत्मनिर्भरता भी कहा और समझा जा सकता है .

Lockdown में उजड़ने लगीं देह व्यापार की मंडियां

49 साला सोनिया बीते 25 सालों से मुंबई के कमाठीपुरा में रहते देह व्यापार कर रही है यानि सेक्स वर्कर है. सालों पहले पह नेपाल से इस बदनाम इलाके में आई थी, तब कमसिन थी सो अच्छा खासा पैसा मिल जाता था क्योंकि जवान लड़कियां हमेशा ही ग्राहकों की पहली पसंद रहीं हैं. हालांकि इस उम्र में भी वह 2-3 हजार रु रोज कमा लेती है लेकिन लॉक डाउन के बाद यानि  24 मार्च से सोनिया ने एक धेला भी नहीं कमाया है क्योंकि कोरोना की दहशत और लॉक डाउन के चलते ग्राहक कमाठीपुरा की तरफ झांक भी नहीं रहे हैं.

हैरान परेशान सोनिया पहली सेक्स वर्कर है जिसने मीडिया के सामने अपना दुख दर्द बयां किया वह कहती है, पूरी ज़िंदगी इधर निकल गई, लेकिन इतने बुरे हालात कभी नहीं देखे. इतने बम फटे, अटैक हुये, बीमारिया आईं पर ऐसी वीरानी कभी नहीं देखी.

सोनिया जिस कमरे में रहती है उसमें तीन और सेक्स वर्कर रहतीं हैं. उन्हें भी हालात सुधरते नहीं दिख रहे. बक़ौल सोनिया, अगर हालात ऐसे ही रहे तो हमें खाने पीने के लाले पड़ जाएंगे.  अभी तो मकान मालिक को किराया देने भी पैसे नहीं हैं. सोनिया के साथ रहने वाली जया भी उसी की तरह चिंतित है कि अब क्या होगा, कमाठीपुरा में इतना सन्नाटा उसने भी पहले कभी नहीं देखा.

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जया ने अपने 6 साल के बेटे को पुणे में एक रिश्तेदार के यहां रख छोड़ा है जिससे वह पढ़ लिखकर कुछ बन सके. बेटे की पढ़ाई के लिए उसे हर महीने 1500 रु भेजने पड़ते हैं जो अब शायद ही वह भेज पाये. अभी तो चिंता पेट पालने की है क्योंकि धंधा एकदम से बंद हुआ है जिसकी उम्मीद उसने या देह व्यापार के लिए बदनाम कमाठीपुरा की हजारों काल गर्ल्स ने नहीं की थी.

कमाठीपुरा में हजारों सेक्स वर्कर हैं जिनमें से कई यहीं की चालों में किराए से रहती हैं तो कई मुंबई की उपनगरियों से देहव्यापार के लिए आती हैं. इस इलाके में सुबह ही देर रात 8 बजे के बाद होती है. देश का ऐसा कोई इलाका नहीं जहां की काल गर्ल्स यहां न मिलती हों. ग्राहकों की फरमाइश पर दलाल हर तरह का माल उन्हें मुहैया कराते हैं मसलन साउथ इंडियन, नेपाली बंगाली, हिन्दी राज्यों की और पूर्वोत्तर राज्यों की लड़कियां भी इस बाजार में मिलती हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद न केवल कमाठीपुरा बल्कि देश भर की देह मंडियों की सेक्स वर्कर भुखमरी के कगार पर आ खड़ी हुई हैं और चूंकि वे समाज के माथे पर बदनुमा दाग हैं इसलिए कोई उनकी सुध नहीं ले रहा जबकि इनकी हालत भी रोज कमाने खाने वाले दिहाड़ी मजदूरो सरीखी ही है.

एक और सेक्स वर्कर किरण का कहना है कि आप मीडिया बाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमें माली इमदाद भेजने क्यों नहीं कहते क्योंकि हमारे ऊपर भी बूढ़े माँ बाप और बच्चों की देखभाल की ज़िम्मेदारी है. अब जब धंधा चौपट है तो हम क्या करें. कमाठीपुरा में तकरीबन 2 लाख सेक्स वर्कर हैं जो लॉकडाउन  के चलते बदबूदार और संकरी कोठियों में कैद होकर रह गईं हैं. इनके अधिकतर ग्राहक भी रोज कमाने खाने बाले ही होते हैं जिनके अब कहीं अते पते नहीं.

ये मंडियां हुईं सूनी…   

कमाठीपुरा से भी बड़ा बाजार कोलकाता का सोनगाछी है जो एशिया का सबसे बड़ा रेड लाइट इलाका है. एक अंदाजे के मुताबिक सोनगाछी में कोई 3 लाख सेक्स वर्कर हैं कुछ पार्ट टाइम धंधा करती हैं तो कुछ फुल टाइम. इनका एक बड़ा संगठन भी है जिसका नाम दरबार महिला समन्वय समिति है. इस संगठन में लगभग 1 लाख 30 हजार सेक्स वर्कर्स ने रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है और इससे ज्यादा वे हैं जिनहोने रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं समझी.

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सोनगाछी में हैरानी की बात है लॉकडाउन से पहले ही ग्राहकों की आवाजाही कम हो चली थी. दरबार की एक पदाधिकारी महाश्वेता मुखर्जी के पास पश्चिम बंगाल के अलग अलग इलाकों से फोन सेक्स वर्कर्स के आने लगे थे कि उन्हें भुखमरी से बचाने कोई पहल की जाये. 30 मार्च आते आते तो हालात काफी भयावह हो चले थे. अधिकांश सेक्स वर्कर्स के पास जमापूंजी और राशन खत्म हो चला था.

ऐसे में महाश्वेता ने एक एनजीओ सोनगाछी रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट की मदद से एक योजना बनाई. इस एनजीओ के प्रबंध निदेशक समरजीत साना ने ममता बनर्जी सरकार की सामाजिक कल्याण मंत्री शशि पांजा से गुजारिश की कि कोरोना वायरस के मद्देनजर सरकार की तरफ से दिये जाने बाले फायदे सेक्स वर्कर्स को भी दिये जाएँ. किराए से रह रही तकरीबन 30 हजार सेक्स वर्कर्स के मकान मालिकों को भी उन्होने कहा कि उनका किराया माफ किया जाये. अलावा इसके समरजीत ने कई जानी मानी हस्तियों और दूसरी एनजीओ से भी सेक्स वर्कर्स की मदद के लिए गुहार लगाई है.

यह कोशिश थोड़ी ही सही रंग लाई. शशि पांजा की पहल पर सेक्स वर्कर्स को दाल चावल और आलू के अलावा पका हुआ खाना भी दिया जा रहा है लेकिन लॉकडाउन के बाद क्या होगा इसे लेकर काल गर्ल्स की चिंता कुदरती बात है. सोनगाछी एक महीने पहले तक चौबीसों घंटे गुलजार रहने बाला बाजार हुआ करता था जिसमें देहव्यापार पर बनी कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है. लेकिन अब यहाँ मनहूसियत पसरी पड़ी हुई है.

देह व्यापार पर दर्जनो फिल्मे बन चुकी हैं और मीना कुमारी से लेकर करीना कपूर और विद्धया बालान तक तकरीबन सभी नामी एक्ट्रेसों ने तवायफ का किरदार जिया है. इनकी मुसीबतों पर बनी सबसे सटीक फिल्म 1983 में आई श्याम बेनेगल निर्देशित मंडी थी जिसमें लीड रोल शबाना आजमी ने निभाया था. मंडी में सधे ढंग से दिखाया गया था कि नेता कारोबारी, समाजसेवी और दलाल कैसे कैसे वेश्याओं को मोहरा बनाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं.

कमाठीपुरा और सोनगाछी के मुक़ाबले दिल्ली के रेड लाइट इलाके जीबी रोड की सेक्स वर्कर थोड़ी बेहतर हालात में हैं. इस इलाके में 98 के लगभग ऐसे मकान हैं जिन्हें कोठा कहा जा सकता है इनमें 1500 के लगभग सेक्स वर्कर रहती हैं. लॉकडाउन  के बाद यहाँ की सेक्स वर्कर भी भुखमरी के कगार पर आ गईं थीं लेकिन उन्हें खाना दिल्ली पुलिस दे रही है और नजदीक के गुरुद्वारे से भी मदद और राशन मिल जाता है.

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सेक्स वर्कर भूखी न रहें इसके लिए पहले दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानि डीसीपीसीआर ने जीबी रोड के कोठों पर रहने बालियों के लिए एक हंगर सेंटर बनाया था लेकिन ये सेक्स वर्कर लोगों के तानों के चलते वहाँ जाने से कतराईं तो उन्हें घर पर ही दवाइयों और राशन पहुंचाया जा रहा है. यह एक काबिले तारीफ पहल है जिसका श्रेय डीसीपीसीआर के मेम्बर सुदेश विमल को जाता है जो दूसरे जरूरी सामान के साथ साथ सेनेटरी नेपकिन तक सेक्स वर्कर्स को पहुंचाने का इंतजाम कर रहे हैं.

यहां तो कुछ भी नही –

ये तो वे शहर और इलाके थे जहां सेक्स वर्कर बड़ी तादाद में हैं और एक ही जगह से धंधा करती हैं इसलिए राज्य सरकारें इनकी अनदेखी नहीं कर पाईं लेकिन कोरोना और लॉकडाउन  का सबसे बुरा और ज्यादा असर उन शहरों और इलाकों पर पड़ रहा है जहां यह धंधा छिटपुट और छोटे पैमाने पर होता है लेकिन अक्सर चर्चाओं और सुर्खियों में रहता है.

ऐसे खास इलाके हैं ग्वालियर का रेशमपुरा, आगरा का कश्मीरी मार्केट, पुणे का बुधबर पैठ, सहारनपुर का नक्काफसा बाजार, इलाहाबाद का मीरागंज और एक और नामी धार्मिक शहर वाराणसी का मड़ुआडिया, मेरठ का कबाड़ी बाजार और नागपुर का गंगा जमुना.

इन इलाकों और अड्डों की रौनक गायब है और अधिकांश सेक्स वर्कर या तो घरों में कैद हैं या फिर अपने घरो को लौट गईं हैं. मुमकिन है लॉकडाउन के बाद ये भी दूसरे दिहाड़ी मजदूरों की तरह अपने धंधे पर वापस लौट आयें लेकिन धंधा पहले सा चलेगा इसमें शक है क्योंकि हर कोई कोरोना से लंबे वक्त तक डरा रहेगा और सोशल डिस्टेन्सिंग पर अमल करने की हर मुमकिन कोशिश करेगा लेकिन यह देखना भी दिलचस्पी की बात होगी की शरीर की भूख और जरूरत पर कोरोना कितना और कब तक भारी पड़ेगा .

भोपाल के एमपी नगर इलाके की एक काल गर्ल लक्ष्मी शर्मा (बदला नाम) से इस बारे में बात की गई तो उसने बताया नौबत तो भूखों मरने की आ गई है सामाजिक संगठन जो खाना बाँट रहे हैं उससे पेट भर रही हूँ लेकिन अब न तो खाने में मजा आ रहा है और न ही जीने में. पास के शहर विदिशा से भोपाल आकर धंधा करने बाली 28 साला लक्ष्मी कहती है पैसों के लिए कई ग्राहकों को फोन किया लेकिन कोई साला नहीं दे रहा कई ग्राहक जो आम दिनों में कुत्ते की तरह दुम हिलाते आगे पीछे घूमते थे परेशानी के इन दिनों में फोन ही नहीं उठा रहे.

वे क्यों मुझे भाव दें, वह जैसे खुद को तसल्ली देते हुये बताती है यह तो इस हाथ दे उस हाथ ले वाला सौदा है पर लोक डाउन की बेगारी ने साबित कर दिया कि एक रंडी आखिर रंडी ही होती है जिसका कोई सगा नहीं होता.

फर्क धंधे के तरीकों का

लक्ष्मी की खीझ अपनी जगह सही है लेकिन उसकी बातों से एक बात तो समझ आती है कि कालगर्ल दो तरह की होती हैं एक वे जो मर्जी से धंधा करतीं हैं और दूसरी वे जो मजबूरी के चलते इस दलदल में आती हैं. हाई टेक कालगर्ल्स उतनी परेशानी में नहीं हैं जितनी में कि  लक्ष्मी जैसी हैं जिनकी गुजर का जरिया ही रोज रोज जिस्म बेचना है. इन्हें ज्यादा पैसा नहीं मिलता है कई बार तो दिन में 200– 300 रु ही मिल जाएं तो ही इनके घर का चूल्हा जल पाता है.

कमाठीपुरा और सोनागाछी जैसे इलाकों में लक्ष्मी जैसी ही सेक्स वर्कर हैं जबकि फाइव स्टार होटलों, स्पा, मसाज सेंटर्स, फार्म हाउसों और खुद के आलीशान फ्लेट्स से धंधा करने बालियों पर लॉकडाउन का कोई खास असर नहीं पड़ा है. यह ठीक वैसी ही स्थिति है कि अमीर और आम मध्यांवर्गीयो पर लॉकडाउन बेअसर है लेकिन मारा गरीब मजदूर जा रहा है.

हाइटैक कालगर्ल्स की तादाद 10 फीसदी ही है जबकि रोजाना कमाने खाने वालियों की 90 फीसदी है जो बद से बदतर हालत में लॉकडाउन के बाद आ गई हैं और ऐसा लगता नहीं कि अभी एकाध साल और ये उजड़ती मंडिया आबाद हो पाएंगी.

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दूसरों की जिस्मानी भूख मिटाने बाली इन सेक्स वर्कर्स के पेट की भूख खैरात के खाने से अगर जैसे तैसे मिट पा रही है तो इसकी वजह इस धंधे का गैर कानूनी होना भी है और इन्हें पापिन करार देना भी है.

योजनाओं का भी फायदा नहीं

इन सेक्स वर्कर्स की गिनती दिहाड़ी मजदूरों में नहीं होती इसलिए इन्हें सरकारी योजनाओं का फायदा भी न के बराबर ही मिलता है. सेक्स वर्कर्स के भले के लिए काम करने बाली सबसे बड़ी एजेंसी भारतीय पतिता उद्धार सभा की दिल्ली इकाई के सचिव इकबाल अहमद की मानें तो सरकार की जनधन और सेहत समेत किसी योजना का लाभ सेक्स वर्कर्स को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि अधिकांश के पास न तो आधार कार्ड हैं और न ही राशन कार्ड हैं और न ही इनके बेंक खाते हैं.

बक़ौल इकबाल अहमद लॉकडाउन के मुश्किल वक्त में कई संगठन बाले आते हैं और थोड़ा बहुत सामान देकर चले जाते हैं पर उनकी असल मंशा फोटो खिंचाने की होती है. राशन मिल भी जाये तो सेक्स वर्कर्स के पास उसे पकाने न तो गेस सिलेन्डर हैं और न ही केरोसिन के लिए पैसे हैं. इस पर भी दिक्कत यह कि अधिकांश सामान देने बाले नीचे से ही सामान देकर चले जाते हैं जिससे तीसरे चौथे माले पर रहने बालियों को सामान मिल ही नहीं पाता.

इसी संस्था के अध्यक्ष खैराती लाल भोला की मानें तो लॉकडाउन के बाद उन्हें देश भर से सेक्स वर्कर्स के फोन आए और उन्होने अपनी समस्याएँ बताईं जिनसे मैंने पत्र द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्वास्थ मंत्री हर्षवर्धन को अवगत कराया लेकिन अभी तक कोई जबाब मुझे इनसे नहीं मिला है. गौरतलब है कि देश में कोई 1100 रेड लाइट इलाके हैं. खैराती लाल पहले भी सेक्स वर्कर्स की परेशानियों को लेकर सभी सांसदों को चिट्ठी लिख चुके हैं जिससे सेक्स वर्कर्स का हेल्थ कार्ड बन सके क्योंकि अस्पताल में जब ये खुद को रेड लाइट इलाके का बताती हैं तो हर कोई इनसे कन्नी काटने लगता है.

अब लॉकडाउन के वक्त में सेक्स वर्कर्स की बदहाली भुखमरी के जरिये भी उजागर हो रही है तो बारी सरकार की है कि वह इनके बाबत संजीदगी से सोचे और इनके भले के लिए कदम उठाए क्योंकि ये भी समाज का अहम हिस्सा हैं.

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