‘कॉमेडी कपल’ : लिव इन रिलेशनशिप पर बनी फिल्म

रेटिंग : डेढ़ स्टार

निर्माता : यूडली फिल्मस

निर्देषक : नचिकेत सामंत

कलाकार : साकिब सलीम, श्वेता बसु प्रसाद, राजेश तैलंग, पूजा बेदी, आदर मलिक, सुभा राजपूत, जसमीत सिंह भाटिया, मधु सचदेवा और प्रणय मनचंदा व अन्य.

अवधिः  एक घंटा 57 मिनट

ओटीटी प्लेटफार्म : जी

महानगरों में आधुनिकता की बयार के चलते ‘लिव इन रिलेशनशिप’ का चलन बढ़ता जा रहा है, मगर लिव इन रिलेशनशिप में रहे वालों को किराए पर मकान मिलना बहुत मुश्किल है. इसी मूल मुद्दे पर काॅमेडी कपल के तौर पर स्टैंडअप काॅमेडी करने वाले दीप व जोया के इर्द गिर्द घूूमने वाली रोमांटिक काॅमेडी फिल्म ‘‘काॅमेडी कपल’’ लेकर आए हैं फिल्मकार नचिकेत सामंत. इस फिल्म को ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘जी 5’’ पर 21 अक्टूबर से देखा जा सकता है. मगर इसे बच्चों के साथ देखना है या नहीं, यह सवाल भी अहम है.

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कहानी:

फिल्म की कहानी लिव-इन रिलेशनशिप में एक शहरी जोड़े की आधुनिक प्रेम कहानी है, जो भारत की पहली और सर्वश्रेष्ठ हास्य जोड़ी बनने की ख्वाहिश रखती है. कहानी गुड़गांव से शुरू होती है, जहां पर दीप शर्मा (साकिब सलीम) और जोया बत्रा (श्वेता बसु प्रसाद) लिव इन रिलेशनशिप में रहते हुए एक साथ स्टैंडअप काॅमेडी करते हैं. वह देश के पहले काॅमेडी कपल हैं. इनका मैनेजर सिद्धू (प्रणय मनचंदा)  है. दीप व जोया की जिंदगी की कहानी काफी अलग है. दीप शर्मा छोटी जगह बिलारी का रहने वाला है. उसके पिता मुकेश (राजेश तैलंग) और मां (मधु सचदेवा) ने किसी तरह उसे पढ़ाकर इंजीनियर बनाया.

दीप शर्मा गुडगांव में इंजीनियरिंग की नौकरी कर रहे थे. पर अचानक नौकरी छोड़कर जोया संग जोड़ी बनाकर स्टैंडअप काॅमेडी करने लगे. उधर जोया बत्रा की मां जोहरा (पूजा बेदी) पेरिस में रहती हैं. आत्मनिर्भर हैं और नग्न तस्वीरें बनाया करती हैं. जब जोया बहुत छोटी थी, तभी उसके पिता ने उन्हे छोड़ दिया था. जोया ने अपनी मां को दीप के बारे में सब कुछ बता रखा है. जोया की मां उसे समझाती रहती हैं कि दीप पर यकीन मत करना. सभी मर्द कमीने होते हैं. इधर दीप ने अपने माता पिता से सब कुछ छिपा रखा है.

दीप व जोया के ‘लिव इन रिलेषनशिप’ और उनका खुलेआम एक दूसरे को किस करना, सेक्स की बातें करना आदि हरकतों के चलते भी किराए के मकान नहीं मिलते. एक बार झूठ बोलकर खुद को भाई बहन बताकर किराए का मकान पा गए. पर सोसायटी वालों ने दोनो को लिफ्ट में एक दूसरे को ‘किस’ करते हुए एक दूसरे में आकंठ डूबे देखकर निकाल बाहर कर दिया. नया किराए का मकान मिलने तक दीप अपने दोस्त रोहण (आदार मलिक) के यहां और जोया अपनी सहेली अदिति (सुभा राजपूत) के यहां रहती है.

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हर बार एक नया झूठ बोलकर वह किराए का मकान पाते रहते हैं. तो वहीं स्टैंडअप काॅमेडिन के तौर पर ‘गौ मूत्र’ को लेकर किए गए जोक्स के चलते पुलिस व गौशाला वाले पीछे पड़ जाते हैं. दीप को माफी मांगनी पड़ती है. उनका सच दीप के माता पिता के सामने आ जाता है. दीप के माता पिता नाराज होकर बिलारी लौट जाते हैं. इधर गुस्से में दीप हर बात के लिए जोया को दोषी ठहरा देता है. दोनों अलग हो जाते हैं पर फिर एक हो जाते हैं.

लेखन व निर्देशनः

नचिकेत सामंत का निर्देशन आम रोमांटिक मसाला फिल्मों का ही अनुसरण करता है. कथानक का उपचार, दिशा व संपादन सब कुछ बेकार है. यह रोमांटिक काॅमेडी फिल्म है, मगर कमजोर पटकथा के चलते दर्शक को हंसी आती ही नही है. रोमांस के नाम पर ‘सेक्स’की बातें और ‘किस’/चुम्मा चाटी के अलावा कुछ नही है. सारे जोक्स अति साधारण हैं. पूरी फिल्म अधपकी खिचड़ी की तरह है. फिल्म ‘लिव इन रिलेशनशिप’ की वजह से समस्यायों को भी ठीक से चित्रित नही कर पायी. क्योंकि लेखक व निर्देशक ने कोई शोधकार्य किए बगैर हवा में तीर चलाने का प्रयास किया है. दीप और जोया के बीच का संघर्ष सरल और सामान्य होने के बजाय यदि रचनात्मक और अलग होता, तो फिल्म कुछ ठीक हो सकती थी. इंटरवल के बाद बीस पच्चीस मिनट अवश्य कुछ सकून देते हैं अन्यथा तकलीफ देह है. फिल्म का क्लायमेक्स बहुत ही साधारण व सतही है.

फिल्मकार ने टीवी के समाचार चैनलों  और दक्षिणपंथी राजनीतिक संगठनों द्वारा कॉमिक्स के सेंसर को लेकर भी बहुत ही सतही ढंग से कटाक्ष करने का प्रयास किया है. फिल्म में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मुद्दे पर बात करने का लेखक व निर्देशक ने असफल प्रयास किया है. लेखक व निर्देशक दोनों को ही काफी मेहनत करने की जरुरत थी.

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अभिनयः

जोया बत्रा के किरदार में श्वेता बसु प्रसाद का अभिनय कमाल का है. श्वेता बसु प्रसाद ने एक बार फिर साबित कर दिखाया कि वह अपने समकालीन अभिनेत्रियों के मुकाबले एक पायदान ऊपर हैं. साकिब ने भी दीप के किरदार के साथ पूरा न्याय किया है. इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी यही है कि साकिब सलीम और श्वेता बसु प्रसाद की ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री जबरदस्त है. मगर दोनों ही कलाकारों को पटकथा व संवादों का सहारा नहीं मिला. दीप के पिता मुकेश के किरदार में राजेश तैलंग का अभिनय भी शानदार है. तैलंग ने दीप के सख्त, पारंपरिक पिता की भूमिका निभाई है, जो सोचते हैं कि विज्ञान सबसे अच्छा विषय है और एक इंजीनियर बनना एक पेशेवर कैरियर का चरम है. जबकि पूजा बेदी ने उदार, मुक्त उत्साही कलाकार माँ के छोटे किरदार में भी जान डाली है. अन्य कलाकारों का अभिनय ठीक ही है.

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