नरेंद्र मोदी को परेशान कर रही है ओपोजिशन पार्टियां!

नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ओपोजिशन उन्हें काम करने से रोक रही है और ओपोजिशन को चाहिए कि दल और नेता को जो भी कहें देश को न कहेंदेश के आड़े न आएं.
ईडीसीबीआईपुलिसबुल्डोजरभगवा भीड़ का सपोर्टविधायकों और सांसदों की खरीदफरोक्त सब तो देश के लिए हो रहा है न. जब सत्ताका दलसत्ता में बैठे लोग खुद का देश बता चुके हों तो क्या करा जाएयह वह क्यों बताएंगे.

हमारे पुराणों में भाइयों की हुई लड़ाई को आज धर्म की लड़ाई बताया जा रहा हैअपनी पत्नी को छुड़ाने की लड़ाई को सच की लड़ाई बताया जा रहा हैअपनी पत्नी को छुड़ाने की लड़ाई को सच की लड़ाई बताया जाता हैअमृत को निकालने पर बंटवारे में बेहमानी को देवताओं का कार्य बताया जाता हैकुंआरियों का मां बना देने को लीला बना दिया जाता हैअपने रिश्तेदारों को मारने की महिमा गाई जाती हैवहां सरकार को छलने वालों की कमियोंबेइमानियों को बताने वालों की अगर पार्टी और उस के नेता आने को देश मानना शुरू कर दिया जाए तो बड़ी बात नहीं है.

गांवों में आज भी सरपंच को परमेश्वर मानने की आदत डली हुई है. लोग विधायकोंसांसदों के पैर पूजते हैं क्योंकि वे तो साक्षात ईश्वर हैंदेश हैं. नरेंद्र मोदी जो कह रहे हैं वह मानसिकता हमारे यहां कूटकूट कर भरी है कि जो ऊंचा हैंऊंचे स्थान पर बैठा हैऊंचे कुल में पैदा में हुआ हैउस की सही गलत हर बात मानेखुद को देश के बराबर मान कर नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि सरकार का जो भी फैसला उन्होंने लिया वह देश का फैसला है और इस में कमियां निकालने या उस के पीछे नीयत का पर्दाफाश करना देशद्रोहसमाज द्रोह हैधर्मद्रोह है.

सत्ता इस तरह कुछ हाथों में सिमटती जा रही है कि किसी दूसरे की कोई पूछ ही न होकोई शंबूक न होकोई एकलव्य न हो. सारी समस्याओं के लिए पुराणों में देवता या वो इंद्र के पास पहुंचते थे या ब्रह्मïविष्णुमहेश के पास. आज भी क्या वही दोहराने की वकालत की जा रही है. दूसरी पाॢटयांप्रेसजज अगर सरकार की हां में हां न मिलाएं तो क्या वे देश के खिलाफ हैं. यह उस डैमोक्रेसी के खिलाफ  है जिस का सपना गांधी ने देखा थाउन आजादी के परवानों ने देखा था जिन्होंने अपने घर परिवार कुरवान किए.

आजादी के 75 साल वे जश्न में आजादी को सिर्फ  मूॢत की तरह पूजने के उकसाना आजादी आम आदमी के हाथों से छीन कर सरकारके हाथों में सौंपना है.

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