टीवी की इस खूबसूरत एक्ट्रैस ने 400 जोड़ी कपडों के साथ की बिग बौग 18 में एंट्री

बिग बौस 18 (Bigg Boss 18) की शुरुआत हो चुकी है. टीवी का रिएलिटी शो बिग बौस 18 हर साल की तरह ही इस साल भी धमाल मचाने वाला शो है. शो में इस बार एक से बढ़कर एक कलाकरों ने दस्तक दी है. शो में सभी कंटेस्टेंट की एंट्री भी हो चुकी है. शो में इस बार एक्ट्रेस और एक्टर दोनों ही नजर आने वाले है. इस साल जानी पहचानी हस्तियां शो में दिखाई देंगी. सलमान खान (Salman Khan) के शो में इस बार काफी नई चीजे देखने को नजर आएंगी. शो का सेट भी धमाकेदार है. शो में कंटेस्टेंट का भी अलग ही तड़का लगा हुआ है. शो में हर दिन कुछ नया देखने को जरूर मिलेगा.

 

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बिग बौस 18 में टीवी की एक एक्ट्रेस के चर्चे कुछ ज्यादा ही हो रहे है. बताया जा रहा है कि टीवी की खूबसूरत एक्ट्रैस शो में 400 जोड़ी कपड़े लेकर घर में एंटर हुई है. अगर आपने नहीं पहचाना तो बता दें कि ये टीवी की पौपुलर एक्ट्रेस नायरा बनर्जी (Nayra Banerjee) हैं. जिन्होंने ‘पिशाचिनी’ और ‘दिव्य दृष्टि’ जैसे शो में अपनी एक्टिंग का जादू लोगों को दिखाए है.

एक्ट्रैस नायरा बनर्जी के तो चर्चे है कि वे शो में 200-300 नहीं पूरे 400 जोड़ी कपड़े लेकर पहुंची है. जी हां, इस बात की जानकारी एक्स यानी कि ट्विटर पर दी गई है. जिसमें कहा गया है कि नायरा बनर्जी एक से बढ़कर एक स्टनिंग ड्रेसेस लेकर बिग बौस 18 के घर में पहुंची है.

बता दें कि नायरा बनर्जी का असली नाम मधुरिमा है. उन्होंने अपना एक्टिंग करियर तेलुगू फिल्मों से शुरू किया था. तेलुगू(Telgu) के अलावा नायरा हिंदी फिल्म ‘काल धमाल मालामाल’ नाम की एक फिल्म में भी नजर आ चुकी हैं.

नायरा का करियर

नायरा बनर्जी ने अपने करियर की शुरुआत ‘कदांबरी’ शो से की थी. सबसे पहले उन्हे रामायण से प्रेरित एक फ़िल्म में सीता का किरदार निभाने के लिए कास्ट किया गया था. हालांकि, फ़िल्म बनने से पहले ही डायरेक्टर जी वी अय्यर का निधन हो गया, जिससे यह प्रोजेक्ट रुक गया था. इसके बावजूद नायरा ने तेलुगु और तमिल सिनेमा में अपनी एक अलग पहचान बनाई और कई प्रोजेक्ट करते करते नायरा आज टीवी की खूबसूरत एक्ट्रैस है जो ‘बिग बौस 18’ में शिरकत कर चुकी है.

आपको बता दें, कि बिग बौस के इस सीजन में नायरा बनर्जी की काफी चर्चा हो रही है. वे कपड़ो को लेकर सुर्खियों में है. ऐसे ही कपड़ो और ज्रेसिंग को लेकर बिग बौस में एक चर्चित चेहरा स्वामी ओम भी आया था. जिसने शो में और शो से बाहर खूब बवाल मचाया था. इतना ही नहीं, अपने कपड़ो और मालाओं को लेकर भी खूब चर्चाओं में बना रहा. इतना ही नहीं, शो में स्वामी ओम का मेकओवर भी किया गया था. उनकी शो में दाढ़ी भी काटी गई थी. उन्होंने जमकर नोनवेज भी खाया था. इसी तरह नायरा बनर्जी भी अपने कपड़ो को लेकर खासा सुर्खियां बंटोर रही है.

नायरा बनर्जी का शो में हुआ था विवाद

नायरा बनर्जी अपनी एक्टिंग के लिए तो सुर्खियों में रही है लेकिन कई बार एक्ट्रेस के साथ विवाद भी हो जाते है . जिससे शायद ही कोई एक्ट्रेस बच पाई हो. जी हां, नायरा बनर्जी ‘दिव्य दृष्टी’ शो में एक बार विवाद हुआ था. उनका सेट पर एक असिसटेंड डायरेक्टर के साथ झड़प हो गई थी. हालांकि, एक्ट्रैस के साथ ये पहला विवाद हुआ था.

कैसी हुई बिग बौस 18 में एंट्री

कलर्स टीवी पर कास्ट शो बिग बौस 18 में रविवार को उन्होंने एक शानदार डांस के साथ बिग बौस में एंट्री की है. सलमान खान ने बड़े जोश के साथ नायरा बनर्जी का वेलकम किया. सलमान ने मंच पर मौजूद शो के अन्य सदस्यों से नायरा को मिलाते हुए उनसे पूछा कि वह किस इरादे से शो में आई हैं. शो जीतने के इरादे से आई हूं. घर ट्रौफी लेकर जाना है. सलमान ने उनसे दूसरा सवाल पूछा क्या घर में आप दोस्त बनाना चाहेंगी. इस सवाल के जवाब में एक्ट्रैस नायरा ने कहा, हां बिल्कुल दोस्त क्यों नहीं बनाना चाहूंगी.

नरेंद्र मोदी ने दूसरे नेताओं के पर काटे, तानाशाही की निशानी

बात साल 1982 की है. केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. इंदिरा गांधी ने साल 1980 का लोकसभा चुनाव जीत कर प्रधानमंत्री के तौर पर वापसी की थी. उत्तर प्रदेश कांग्रेस में उठापटक और गुटबाजी चल रही थी. इंदिरा गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर ऐसे चेहरे की तलाश थी, जिस को ले कर कोई विवाद और गुटबाजी न हो. तलाशने के बाद एक नाम श्रीपति मिश्र का सामने आया. 19 जुलाई, 1982 को इंदिरा गांधी ने श्रीपति मिश्र को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया. 2 साल यानी 1984 तक वे मुख्यमंत्री रहे.

सुलतानपुर जिले के सुरापुर कसबे के रहने वाले श्रीपति मिश्र बेहद सरल, सज्जन और मृदुभाषी थे. ऐसे ही नारायण दत्त तिवारी का मामला भी था.

कुछ इसी तरह से अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने मुख्यमंत्रियों को बदलने का काम करते हैं. वे तकरीबन 13 साल तक जिस गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, उसी गुजरात में अब मुख्यमंत्री ताश के पत्तों की तरह से फेंट कर बदल दिए जाते हैं.

साल 2001 से ले कर साल 2014 तक 13 साल अकेले नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. इस के बाद साल 2014 से ले कर साल 2022 के 8 साल में आनंदी पटेल, विजय रूपाणी और भूपेंद्र पटेल 3 मुख्यमंत्री बदले गए. 13 साल एक मुख्यमंत्री और 8 साल में 3 मुख्यमंत्री बनाए गए.

उत्तराखंड का उदाहरण भी काफी मजेदार है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उत्तराखंड में भाजपा ने अपने बड़े नेताओं को दरकिनार कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. साल 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटा कर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया और साल 2022 में पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया. ऐसे नए नेताओं को मुख्यमंत्री बनाया, जिन को कोई अनुभव नहीं था.

यही बात मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद देखने को मिली, जब विधानसभा चुनाव जिताने वाले शिवराज सिंह चौहान की जगह पर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया.

अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर के छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और राजस्थान में भजन लाल शर्मा को इसी तरह से मुख्यमंत्री बनाया गया. असल में अब मुख्यमंत्री बनाने में काबिलीयत नहीं देखी जाती है.

पहले कांग्रेस इसी तरह से मुख्यमंत्री बदलती थी, अब भाजपा उसी राह पर है. विधायक अब पार्टी के गुलाम बन गए हैं. उन से जिन के नाम का प्रस्ताव कराना हो, कर देते हैं.

पार्टी अध्यक्ष से ले कर जिला अध्यक्षों तक के सारे फैसले हाईकमान करता है. हर दल में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है. संगठन में चुनाव नहीं, नियुक्तियां होने लगी हैं.

जनता के नहीं, पार्टी के प्रतिनिधि

चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले ऐक्टिविस्ट प्रताप चंद्रा कहते हैं, ‘‘असल में जब संविधान ने चुनाव की व्यवस्था बनाई, तो लोकसभा सदस्य और विधानसभा सदस्य चुने जाने का विधान था. ये सदन में अपना नेता चुनते थे. साल 1967 में जब कांग्रेस का विभाजन हुआ, तो इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) बनाई, जिस का निशान हाथ का पंजा था.

‘‘इंदिरा गांधी ने चुनाव आयोग से इसी निशान को अपने लिए रिजर्व करने के लिए कहा. इस के बाद पार्टी तंत्र विकसित होने लगा.

‘‘साल 1985 में राजीव गांधी ने जब दलबदल कानून बनाया, तब से विधायक और सांसद पार्टी व्हिप के दबाव में आने लगे. साल 1989 के बाद राजनीतिक दलों का रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ. धारा

29 ए में पार्टी रजिस्टर्ड होने लगी. 29बी चुनाव चिह्न और 29सी दलों की आय के बारे में नियम बन गया.

‘‘इस के बाद विधायक और सांसद जनता के नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि बन गए. वे जनता के हित के बजाय पार्टी के हित में काम करने लगे. पार्टी व्हिप को न मानने से सदस्यता जाने का खतरा बढ़ गया था.’’

पौराणिक कथाओं का असर

हमारे समाज की मूल भावना में काबिलीयत की जगह परिपाटी को अहमियत दी जाती है. इस के तमाम उदाहरण हैं. संयुक्त हिंदू परिवारों में यह चलन था कि घर का बड़ा बेटा ही घर चलाएगा. वह काबिल न हो तो भी घर चलाने का हक उस का होता था. छोटा भाई असहमति भी जाहिर नहीं कर सकता था. हमारे समाज में असहमति को विरोध सम?ा लिया जाता है.

‘महाभारत’ को भी देखिए. धृतराष्ट्र बड़े थे, लेकिन अंधे होने की वजह से उन को राजा नहीं बनाया गया. इस के बाद भी वे खुद को राजा मानते रहे. उन के छोटे भाई पांडु की मौत के बाद जब धृतराष्ट्र ने राजपाट संभाला, तब उन्होंने तय कर लिया कि भले ही युधिष्ठिर बड़े हों, पर राजा उन का बेटा दुर्योधन ही बनेगा.

पांडवों में भी यही भावना थी. पांचों भाइयों में युधिष्ठिर सब से बड़े थे. इस वजह से उन के ही आदेशों को माना जाता था. दुर्योधन के साथ जुआ खेलने के लिए युधिष्ठिर ही आगे आए. जब महाभारत का युद्ध हुआ तो काबिलीयत के हिसाब से सब से बड़ी जिम्मेदारी अर्जुन के कंधों पर आई, क्योंकि वे

सब से काबिल थे. उन को ही कृष्ण ने गीता सुनाई. अगर परिवार में बड़े होने के चलते युधिष्ठिर ही युद्ध का संचालन करते, तो महाभारत के युद्ध का नतीजा अलग हो जाता. काबिलीयत के मुताबिक अगर जिम्मेदारी न दी जाए, तो हार तय होती है.

इतिहास में बहुत से ऐसे उदाहरण हैं, जहां बड़े बेटे को नाकाबिल होने के बाद भी राजा बना दिया गया, पर बाद में वह राज्य बरबाद हो गया.

इस को आज के दौर में घरपरिवार के उदाहरण से समझे तो कई कारोबारी घराने, सामान्य परिवार इसी वजह से खत्म हो गए, क्योंकि उन्होंने बड़े बेटे को जिम्मेदारी सौंप दी. पुरानी लीक और रूढि़वादी सोच के चलते अगर नाकाबिल होने के बाद भी बड़े बेटे को ही हक सौंप दिए जाएंगे, तो परिवार का बरबाद होना तय है.

राजनीति से ले कर घरपरिवार तक में यही कहा जाता है कि जो बड़ा है, उसे ही असल हक है. राजनीतिक दलों में इसी बड़े को हाईकमान कहा जाता है. जब हाईकमान काबिलीयत के आधार पर फैसले नहीं करता है, तो वह पार्टी डूब जाती है. कांग्रेस इस का उदाहरण है.

एक ही रंग में रंगे

कांग्रेस की तरह से भाजपा में भी हाईकमान कल्चर बढ़ गया है. हिंदुत्व के पुट को अगर किनारे कर दिया जाए, तो इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी का काम करने का तरीका एकजैसा है. प्रधानमंत्री रहते दोनों ही पार्टी और देश दोनों चला रहे हैं.

चुनाव में टिकट बंटवारे का मसला हो या मुख्यमंत्री बदलने का मसला हो, प्रधानमंत्री का ही आदेश चलता है. दूसरे प्रधानमंत्रियों के जमाने में मंत्रिमंडल का फैसला होता था. अब मसला वित्त का हो तो फैसला प्रधानमंत्री लेते हैं, विदेश का हो, तो फैसला प्रधानमंत्री लेते हैं, रक्षा का हो तो फैसला प्रधानमंत्री लेते हैं. ऐसे में वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री को रखा ही क्यों गया है?

देश के सारे फैसले पीएमओ लेने लगा है. ऐसे में जनता के प्रतिनिधि होने का मतलब ही क्या रह गया है? जब वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री जैसे दूसरे विभागों के फैसले पीएमओ को ही करने हैं, तो इतने मंत्री रखने की जरूरत क्या है?

प्रदेश को चलाने के लिए मुख्यमंत्री की काबिलीयत को देखने की जरूरत नहीं है, तो मुख्यमंत्री के ताम?ाम पर पैसा खर्च करने की जरूरत क्या है? पीएमओ और अफसर प्रदेश भी चला सकते हैं. राम की खड़ाऊं रख कर राज चलाया जा सकता है, तो पीएमओ देश को क्यों नहीं चला सकता?

राजा में दिखते हैं भगवान

संविधान ने एमपी, एमएलए को जनता का प्रतिनिधि माना है. वे जनता के वोट से चुन कर जाते हैं. सदन में वे वही बात करेंगे, जो उन की पार्टी यानी मुखिया का आदेश होगा. उन की असहमति को विरोध सम?ा जाएगा. इस के चलते उन की सदस्यता जा सकती है. एमपी, एमएलए जनता के प्रतिनिधि नहीं, पार्टी के प्रतिनिधि हो गए हैं. पार्टी के मुखिया यानी हाईकमान का आदेश ही राजा का आदेश हो गया है.

जैसे घरपरिवार में पिता का राज होता है, बेटे का हक नहीं होता कि वह अपनी मरजी से शादी कर सके. बात न मानने पर पिता अपनी जायदाद से बेटे को बेदखल कर सकता है. परिवार और राजनीति दोनों ही एकदूसरे के उदाहरण दे कर अपनी बात को सही साबित करते रहते हैं.

पिता भी राजा की तरह होता है. राजा को भी पिता कहा जाता है. दोनों ही भगवान जैसे होते हैं. भगवान का आदेश कौन टाल सकता है?

मनोहर लाल कितने भी काबिल क्यों न हों, राजा के आदेश की अनदेखी नहीं कर सकते. हाईकमान के रूप में नरेंद्र मोदी को लोग भगवान का अवतार बताते हैं. चुनावी टिकट से ले कर मुख्यमंत्री बदलने तक के उन के सारे फैसले कबूल कर लिए जाते हैं.

वन मंथ एनिवर्सरी की फोटो शेयर कर सुर्खियों में आई टीवी की पार्वती – देखे फोटो

‘देवों के देव’ महादेव फेम एक्ट्रेस सोनारिका भदौरिया इन दिनों अपनी वन मंथ एनीवर्सरी को लेकर सुर्खियों में बनीं हुई है. सोनारिका ने पिछले महीने ही अपने लॉन्ग टाइम बौयफ्रेंड से शादी की थी. अब एक्ट्रेस हनीमून एन्जॉय करती दिख रही हैं. शादी के बाद सोनारिका अपने पति के साथ संमदर किनारे नजर आ रही है.

 

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आपको बता दें कि सोनारिका ने अपने करियर की शुरुआत महादेव टीवी सीरियल से की थी. जहां वे पार्वती बन घर घर में मशूहर हो गई थी. अब इन दिनों वे अपनी हनीमून फोटो को लेकर चर्चा में बनीं हुई है. बता दें कि सोनारिका ने बिजनेसमैन विकास पराशर (Vikas Parashar) के साथ धूमधाम से शादी की थी. इनकी शादी को एक महीना पूरा हो चुका है इसलिए एक्ट्रेस सोशल मीडिया पर वन मंथ एनीवर्सरी सेलिब्रेट कर रही है शादी और हनीमून से जुड़ी फोटो लोगों के साथ शेयर कर रही हैं.

 

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सोनारिका भदौरिया इन दिनों पति विकास के साथ बीच वेकेशन एन्जॉय कर रही हैं. अभिनेत्री ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपनी हनीमून ट्रिप की तस्वीरें शेयर की हैं. कुछ तस्वीरों में वह समंदर किनारे फूल और गिरगिट की झलकियां दिखा रही हैं. सोनारिका ने एक रोमांटिक फोटो शेयर की है. 18 मार्च को शादी की वन मंथ एनिवर्सरी पर सोनारिका ने पति के साथ फोटो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, “पति और पत्नी बने हुए एक महीने हो गए.”

बता दें कि दोनों ने साल 2022 में सगाई की थी और फिर 18 फरवरी 2024 को राजस्थान के रणथंभौर में सात फेरे लिए थे. कपल अपनी शादी में एक रॉयल दूल्हा-दुल्हन की तरह सजा था.

 

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सोनारिका के वर्क फ्रंट की बात करें तो आखिरी बार उन्हे ‘हिंदुत्व’ में देखा गया था. इसके अलावा वे ‘इश्क में मरजावां’, ‘दास्तान-ए-मोहब्बत सलीम अनारकली’ और ‘देवों के देव… महादेव’ जैसे टीवी शोज में काम कर चुकी है. वह हिंदी के अलावा तमिल और तेलुगु फिल्मों में भी अपना रंग जमा चुकी हैं.

Bobby Deol Birthday : एनिमल स्टार बौबी देओल मना रहे बर्थडे, बड़े भाई ने छोटे भाई पर लुटाया प्यार

आज बौलीवुड स्टार और एनिमल फिल्म के विलेन का रोल निभाने वाले बौबी देओल अपना 55वां बर्थडे मना रहे है. ऐसे में बौलीवुड की तमाम हस्तियां उन्हे बर्थडे पर बधाई देते हुए नजर आ रहे है साथ ही उनके फैंस उन्हे शुभकामनाएं दे रहे है. इसी बीच सनी देओल अपने छोटे भाई को गले लगाकर विश करते हुए सोशल मीडिया पर दिखाई दिए है.

 

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आपको बता दें, सनी देओल ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर बॉबी संग कई सारी फोटो शेयर कर उन्हें बर्थडे विश किया है. इन तस्वीरों को शेयर करते हुए सनी ने कैप्शन में लिखा कि ‘हैप्पी बर्थडे माई लिल लॉर्ड बॉबी…’ वहीं इन फोटोज में दोनों भाईयों के बीच जबरदस्त बौन्डिंग देखने को मिल रही है. दोनों भाई की एक साथ फोटो देख फैंस काफी खुश नजर आ रहे है. दोनों का ऐसा प्यार देख लोगों को अच्छा लग रहा है.

 

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सनी के इस पोस्ट पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई है. फैंस लगातार बॉबी को बर्थडे की ढेर सारी शुभकामनाएं दे रहे हैं. वही साल 2023 दोनों भाईयों के लिए काफी शानदार रहा था, एक तरफ जहां सनी देओल ने ‘गदर 2’ से बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया. तो वहीं एनिमल के जरिए बॉबी को अपने करियर की सबसे बड़ी सफलता हासिल कर ली. इसके अलावा धर्मेंद्र की ‘रॉकी और रानी की प्रेमकहानी’ भी सुपरहिट साबित हुई.

इस एक्ट्रेस के साथ खेसारी लाल यादव का गाना हुआ वायरल, फैंस ने की जमकर तारीफ

खेसारी लाल यादव भोजपुरी इंडस्ट्री का जानामाना नाम है जिनके चर्चे बिहार ही नहीं, यूपी में भी खूब होते है. उनके लाखों फैंस उनपर मरते है. उनके करियर के अनगिनत गाने है. जो कि बेहद ही हिट हुए है. उनके गानों पर मिलियन व्यूज आने में जरा भी देर नहीं लगती है ऐसा ही एक गाना इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. जिसमे वो रानी के साथ नजर आ रहे है. ये गाना उनकी म्यूजिक वीडियो ‘एगो बात बताई’ का है. जो कि हाल में रिलीज हुआ है.

 

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आपको बता दें कि इस गाने को खूब पसंद किया जा रहा है. इस भोजपुरी गाने को सिंगर शिल्पी राज ने गाया है. वही, इसके लिरिक्स आजाद सिंह ने लिखे है और म्यूजिक विशाल सिंह ने दिया है. इस गाने के डायरेक्टर पवन पाल है. वीडियो को 9 जनवरी को यूट्यूब पर रिलीज किया गया था. जो कि 29वें नंबर पर यूट्यूब पर ट्रेंड करने लगा. गाने को अबतक 1 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके है.

इस म्यूजिक वीडियो में पहले एक्ट्रेस रानी की एंट्री होती है. जिसमें उन्होंने ब्लैक टॉप पहना है जिसके वंर्ट में हार्ट शेप बना हुआ है. इसके साथ उन्होंने जींस कैरी की हुई है. वही, हेयर स्टाइल की बात करे तो उन्होंने हाई पोनी बनाई हुई है. इस वीडियो में जब वो आती है तो उन्हे कुछ लड़के छड़ते है. इस बीच खेसारी भी वहा आ जाते है. और सबसे पीछा छुड़ा कर वह दूर चली जाती है. वीडियो में खेसारी उन्हे मनाने की कोशिश करता है.

बताते चले कि इस वीडियो पर लोग खूब प्यार बरसा रहे है जमकर कमेंट कर रहे है. एक यूजर ने कमेंट करके कहा कि ट्रेंडिग स्चार खेसारी लाल को कोई रिप्लेस नहीं कर सकता है. एक ने कहा कि बहुत सुंदर गाना है भईया जी.

TMKOC: पोपटलाल की जल्द होने वाली है शादी, शो में आएंगी ये खूबसूरत एक्ट्रेस

टीवी का सबसे हंसी-माजक वाला शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ लोगों के सर चढ़ कर बोलता है. शो के सभी किरदार लोगों को खूब पसंद आते है.  शो में अबतक पोपटलाल सबके लिए हंसाने वाले किरादर रहे है जिनकी शादी को लेकर भी माजक बनाया जाता है. लेकिन अब पोपटलाल की जिंदगी में नई बहार आने वाली है जी हां, उनकी जिंदगी में हसीना की एंट्री होने वाली है. जो सीधा उनके दिल पर वार करेंगी.

 

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आपको बता दें कि तारक मेहता का उल्टा चश्मा में एक्ट्रेस पूजा शर्मा की एंट्री हुई है. शो में अनोखी के किरदार में नजर आएंगी, जो पोपटलाल के अपोजिट नजर आने वाली हैं. हाल ही में उन्होंने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया कि इस पॉपुलर शो के लिए वे कैसे सेलेक्ट हुईं थी. बातचीत के दौरान पूजा शर्मा ने कहा कि ‘मुझे शो के मेकर्स का कॉल आया था और उन्होंने बताया कि शो में मेरा सिर्फ छोटा सा रोल होगा. मैं वैसे तो ऐसे रोल्स के लिए मना कर देती हूं लेकिन ये टीवी का इतना पॉपुलर शो है, इसलिए मैंने अपने किरदार के लिए फौरन हामी भर दी. शो में मुझे सिर्फ 6 एपिसोड के लिए कास्ट किया गया है.’

पूजा आगे कहती हैं कि शो का ऑडिशन देने के 1 घंटे बाद ही मुझे मेकर्स का कॉल आ गया कि मैं फाइनल हो चुकी हूं. ये सुनकर मैं बहुत खुश हुई थी. वहीं पूजा ने श्याम पाठक यानी पोपटलाल के बारे में बात करते हुए कहा कि जब मैं उनसे पहली बार मिली तो मैंने उन्हें बताया कि मैं इसस तरह का कॉमेडी शो पहली बार कर रही हूं. इसके लिए मुझे आपके हेल्प की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने शो के हर सीन में मेरी मदद की और उनके बताए गए निर्देशों की वजह से मैंन ये किरदार अच्छे से निभा पाई.

 

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बता दें कि पूजा और श्याम के बीच एक चीज कॉमन भी है. ये दोनों ही सेम फील्ड से पढ़ाई की है. इस बात का खुलासा खुद पूजा ने किया. उन्होंने बताया कि ‘हम दोनों सी ए की तैयारी की है और दोनों ने सी ए के एग्जाम में इंटर लेवल तक क्वालिफाइड हैं.’

वैसे तो शो में कई बार पोपटलाल की शादी का ट्रैक देखने को मिला है. अब मेकर्स एक बार फिर शो में इस ट्रैक को लेकर आ रहे हैं. ऐसे में देखना ये होगा कि पोपटलाल घोड़ी चढेंगे की नहीं.

बौडी लैंग्वेज बताती है हमारे विचार

बौडी लैंग्वेज हमारे विचारों के आदानप्रदान में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. कहते हैं कि ताश के खिलाड़ी अपनी चाल तय न कर पाने की वजह से एकदूसरे की ओर ताक लगाए बैठे रहते हैं, ताकि किसी भी तरह उन्हें अपने अगले दांव का सूत्र मिल जाए. इसी तरह से हमारे व्यक्तित्व की चाबी है बौडी लैंग्वेज, जो हमारी अंदरूनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने में काफी कारगर होती है.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, शब्द हमारी बातचीत का सिर्फ एकतिहाई हिस्सा हैं और जब तक शब्दों के साथ चेहरे की भंगिमाएं और हावभाव शुमार न हों, बातचीत अधूरी रह जाती है. जीवन में किसी भी इंसान की वर्तमान मानसिक स्थिति जानने के लिए उस के शब्दों और शरीर के विभिन्न अंगों की गतिविधियों को सूक्ष्मता से परखना होता है. ऐसे बहुत से शारीरिक संकेत हैं जिन का अर्थ काफी सीक्रेट होता है और वे हमें सामने वाले के प्रति और ज्यादा चौकन्ना कर देते हैं.

  1. शरीर के सभी अंग किसी तरह नकारात्मक या सकारात्मक संकेत देते हैं. इस में चेहरे को सब से ज्यादा अहमियत दी जाती है. सिर का हिलाना यानी किसी चीज के लिए सहमति देना होता है या फिर धैर्य रखना. सिर ऊपर उठा कर चलना या ऊपर की ओर सधी हुई नाक घमंड का द्योतक होता है या फिर एकांतता में यकीन करने का. कांपते होंठ दिल पर गहरी चोट पहुंचने का संकेत देते हैं.
  2. चमकती हुई आंखें, डरावनी आंखें, गहरी आंखें, गुस्से से भरी आंखें, इतने सारे भावों वाली होने के कारण आंखों को मन का आईना भी कहा जाता है. बातचीत के दौरान हम एकदूसरे की आंखों में जितना देखते हैं, संबंध उतने ही मजबूत बनते हैं. बंद आंखें सीक्रेसी या आराम करने की इच्छा जताती हैं. झुकी हुई, इधरउधर निहारती हुई आंखें कुछ छिपाने की कोशिश करती हैं. घूरती हुई आंखें किसी की आक्रामक प्रवृत्ति को प्रतिबिंबित करती हैं. अधखुली और बुझी हुई सी आंखें ऊब जाने की दशा जाहिर करती हैं. बातचीत के दौरान आंखें मिला कर बात न करना दर्शाता है कि व्यक्ति असुरक्षा का शिकार है या फिर लापरवा है.
  3. भौंहें भी किसी न किसी तरह भावनाएं शेयर करती हैं. ऊंची भौंहें इंसान की परेशानी की सूचक होती हैं.
  4. बातचीत के समय हाथपांवों की गतिविधियां हमारे व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने में सहायक होती हैं. यह एक अच्छे वक्ता की पहचान है कि वह बोलते वक्त अपने हाथों और पांवों का भी इस्तेमाल करता हो.
  5. बातचीत के दौरान अपनी बांहें या टांगें क्रौस न करें, इस से आप की मुद्रा तनावग्रस्त नजर आएगी. अपने हाथ सिर के पीछे बांधना अतिरिक्त आत्मविश्वास का सूचक होता है. बातचीत के दौरान पैर हिलाना व टेबल पर उंगलियां फिराना घबराहट का सूचक होता है. हैंडशेक हलके हाथों से किया जाए तो यह कम उत्सुकता को दर्शाता है. कस कर, हाथों को दबा कर किया गया हैंडशेक व्यावसायिकता की पहचान है.
  6. मुंह के ऊपर या चेहरे पर हाथ रखना नकारात्मक बौडी लैंग्वेज का सूचक है.
  7. मुट्ठी भींचना गुस्से का सूचक होता है, वहीं मुट्ठी बंद करना डर का संकेत देता है. बातचीत के दौरान नाखून कुतरना और बारबार नाक को छूना सामने वाले की नर्वसनैस को दर्शाता है.

Ankita Lokhande के पति विक्की जैन ने पहली बार सुशांत सिंह को लेकर कही ये बात

बिग बौस 17 (Bigg Boss 17) को खत्म होने में अब दो ही हफ्ते बाकी रहते है. ऐसे में कंटेस्टेंट में जबरदस्त कॉम्पीटिशन देखने को मिल रहा है. इस बार का वीकेंड का वार भी जबरदस्त रहा है. जिसे होस्ट करने वाले सलमान खान (Salman khan) नहीं करण जौहर(Karan Johar) थे. जहां विकी और अंकिता को लेकर कई सवाल खड़े हुए. करण के कहने पर विकी जैन अंकिता से बात करते नजर आएं. यहां तक की वह उनके एक्स बॉयफ्रेंड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) का भी जिक्र करते हुए दिखें. ऐसा विकी शो में पहली बार करते दिखे है कि वह सुशांत सिंह राजपूत को लेकर अंकिता से बात कर रहे थे.

 

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आपको बता दें कि वीकेंड के वार पर करण जौहर ने विकी जैन से कहा कि वो अंकिता को लेकर वह कही भी स्टैंड नहीं लेते है. हालांकि कि विकी को ये बात पसंद नहीं आई और करण के जाने के बाद वो अंकिता से बात करते हुए दिखे. विकी ने अंकिता को याद दिलाया कि उन्होने पिछले पांच सालों में उनके लिए क्या किया. साथ ही उन्होंने सुशांत सिंह राजपूत को लेकर भी कहा, उन्होंने कहा कि जब मैं आप लोगों के साथ रहता था तब मैं एक अमीर दमाद की तरह रहता था या फिर बेटे की तरह? मैंने खुद का आपके और आपके परिवार वालों की लाइफस्टाइल के अनुसार ढाला था. जब मैं आपके साथ रिलेशनशिप में आया था. तब आपका पिछला रिलेशनशिप नेशनल टीवी पर मशहूर था. मुझे उन सबका खामियाजा भुगतना पड़ा. मैने वह सब अपने ऊपर ले लिया.अगर आपको मुझसे कोई प्रौब्लम होती तो आप मुझसे शादी करने का फैसला नहीं लेती. ये फैसला आपने खुद लिया और मैं आपके परिवार के लिए हमेशा खड़ा रहा हूं.

विकी की ये सब बाते सुन अकिंता कहती है कि मुझे पता है विकी. आपने जो मुझे प्यार दिया वही प्यार आपके घरवालों से भी मिला. यही कारण है कि मुझे बुरा लगा और मैंने इस बारे में किसी से बात नहीं की. मैंने कारण को भी बीच में रोक दिया. मेरे लिए हमारी शादी और हमारे परिवार से ज्यादा कुछ महत्वपूर्ण नहीं है. मैं अपने ससुराल वालों के प्यार को खोना नहीं चाहती.

 

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इन सब बातो के अलावा दोनों के बीच जमकर बहस होती है जिसमें विकी कहते है कि एक सौरी बोलने से सब ठीक नहीं किया जा सकता. लोगों की इज्जत पर आंच आ रही है. मैं डिप्रेस हो रहा हूं. मैं हमेशा आपके और आपके परिवार के लिए खड़ा रहा हूं. अकिंता कहती है कि मैं भी अपने परिवार के लिए खड़ी रही हूं. मैनें भी हमारे रिश्तो को 100% दिया है. हालांकि उनकी ये बहस खत्म नहीं होती है अब देखना ये रहेगा कि दोनों का रिश्ता और क्या रंग लएंगा.

24.75 करोड़ में बिक कर इस कंगारू ने बनाया इतिहास, यह कीवी खिलाड़ी हुआ फुस

हाल ही में वनडे का क्रिकेट वर्ल्ड कप भारत में खत्म हुआ था, जिस में भारत ने लगातार 10 मैच जीत कर दर्शकों का दिल अपने नाम कर लिया था, पर फाइनल मुकाबले में आस्ट्रेलिया ने भारत को आसानी से हरा कर खिताब अपने नाम कर लिया था. इस बार पैट कमिंस की अगुआई में वर्ल्ड कप खेल रही आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम कागजों पर ज्यादा मजबूत नहीं दिख रही थी और सैमीफाइनल मुकाबले तक जाने की राह भी ज्यादा आसान नहीं दिख रही थी, पर जैसे ही वह सैमीफाइनल तक पहुंची, तो फिर उस ने अपना असली रंग दिखाते हुए भारत के रंग में भंग डाल दिया.

अब पैट कमिंस को उस जीत का आईपीएल की नीलामी में बहुत बड़ा इनाम मिला है. उन्होंने साढ़े 20 करोड़ रुपए में बिक कर नया इतिहास बना दिया है. सनराइजर्स हैदराबाद ने इतनी बड़ी रकम चुका कर उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया है.

इस बार की नीलामी में पैट कमिंस का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था. उन्हें खरीदने के लिए रौयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद में बोली के दौरान काफी जद्दोजेहद हुई थी, जिस में सनराइजर्स हैदराबाद ने बाजी मारी.

पर अभी पिक्चर बाकी थी. इसी आस्ट्रेलियाई टीम के तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क को कोलकाता नाइट राइडर्स ने पौने 25 करोड़ रुपए में खरीद कर सब को चौंका दिया. वैसे तो आईपीएल का मतलब इंडियन प्रीमियर लीग है, पर जिस तरह से खिलाड़ियों पर पैसा बरसता है, इसे लोग ‘इंडियन पैसा लीग’ भी कहने लगे हैं.

19 दिसंबर, 2023 को दुबई के कोला एरिना हुई आईपीएल की बोली में न्यूजीलैंड के स्टार आलराउंडर डेरिल मिचेल को चेन्नई सुपर किंग्स ने 14 करोड़ रुपए की मोटी रकम दे कर खरीदा. डेरिल मिचेल का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए था.

इसी तरह वैस्टइंडीज के तेज गेंदबाज अल्जारी जोसेफ पर रौयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने साढ़े 11 करोड़ रुपए की बोली लगाई और अपनी टीम में शामिल किया. उन का बेस प्राइस एक करोड़ रुपए था.

ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के बाहर यह नीलामी की गई है. इस साल की मिनी औक्शन में कुल 333 खिलाड़ियों की नीलामी लगने वाली थी, जिस में 10 टीमों में कुल 77 जगहें भरी जानी थीं. इन में से 30 स्लौट विदेशी खिलाड़ियों के लिए थे.

एक टीम में ज्यादा से ज्यादा 25 खिलाड़ी और कम से कम 18 खिलाड़ी हो सकते थे, तो फ्रैंचाइजी अपनी सहूलियत के मुताबिक खिलाड़ी चुन सकते थे. इस नीलामी में उतरने वाले 333 खिलाड़ियों में से कुल 214 भारतीय और 119 विदेशी खिलाड़ी थे.

अगर भारतीय खिलाड़ी की बात करें तो भारतीय टीम के आलराउंडर हर्षल पटेल को पंजाब किंग्स ने पौने 12 करोड़ रुपए की मोटी रकम दे कर खरीदा. उन का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था.

भारतीय टीम के तेज गेंदबाज उमेश यादव को गुजरात टाइटंस ने 5 करोड, 80 लाख रुपए में खरीदा. उन का बेस प्राइस 2 करोड़ रुपए था. नएनवेले खिलाड़ी शिवम मावी को लखनऊ सुपर जायंट्स ने 6 करोड़, 40 लाख रुपए में खरीदा.

इस बार न्यूजीलैंड के भारतीय मूल के आलराउंडर खिलाड़ी रचिन रविंद्र पर सब की निगाहें थीं और लग रहा था कि वे भी बिकने का कोई नया इतिहास बना देंगे, पर ऐसा हो नहीं पाया. 5 बार की आईपीएल चैंपियन चेन्नई सुपर किंग्स ने रचिन रविंद्र को एक करोड़, 80 लाख रुपए में खरीदा. उन का बेस प्राइस 50 लाख रुपए था. भारत के करन नायर, मनीष पांडे के अलावा आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ, जोश हेजलवुड के साथसाथ दूसरे देशों के कई खिलाड़ियों को इस बार कोई खरीदार नहीं मिला.

क्या क्रिकेट बन रहा है भारत में हिंदूमुसलिम करने वाला खेल?

आम भारतीयों के लिए चाहे क्रिकेट एक आस्था वाला खेल है, दुनिया के लिए यह केवल गोरे अंगरेजों के साहबों का खेल है जिसे दक्षिणी एशिया के गुलाम रहे देशों में दिल से अपना लिया गया. पहले इसे भारत की फुरसत को गिनाने के लिए 5-5 दिन खेला जाता था और सिर्फ साहब लोग खेलते थे जैसा आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ में दिखाया गया था. अब नए साहबों का खेल हो गया है पर यह गुलाम देशों से ज्यादा जगह नहीं खेला जा रहा है और इस बार भी 184-185 देशों में से कुल जमा 10 देशों के खेल को वर्ल्ड कप कहा गया और उसी में भारतीय महीनेभर से ज्यादा अपना समय बरबाद करते रहे.

क्रिकेट ऐसा खेल है जिस में खिलाड़ी तो 22 होते हैं पर 9 तो सिर्फ स्टेडियम में बैठे रहते हैं और कुछ देर 1 को हिलनाडुलना होता है तो कुछ देर 2 से 5 तक को, बाकी समय फील्ड पर 10-11 खिलाड़ी खड़े ही रहते हैं. यह जैंटलमैनों का खेल है पर भारत में काले साहबों को भी खुश करने के लिए ले लिया गया और धीरेधीरे इसी खेल ने राजनीतिक रंग ले लिया और भारतपाकिस्तान खेल होता है तो देशप्रेम का सवाल भी उठ खड़ा होता है.

क्रिकेट का भारत और पाकिस्तान में खेल से ज्यादा धर्म से संबंध हो गया है. भारत की क्रिकेट टीम खेलती है तो हिंदू आरोप लगाते हैं कि मुसलिम दुआ करते हैं कि भारत हार जाए और पाकिस्तान खेल रहा हो तो हिंदू प्रार्थना करते हैं कि पाकिस्तान हार जाए. ये हिंदूमुसलिम किस देश में रह रहे हैं इस का कोई फर्क नहीं पड़ता. इंगलैंड में पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया खेल रहे हों तो भारत से गए हिंदू तालियां पाकिस्तान की हार पर बजाते हैं.

इस तरह का हिंदूमुसलिम करने वाला खेल असल में तो पढ़ेलिखे तार्किक लोगों के लिए एक टैबू होना चाहिए पर जिस तरह भारतपाकिस्तान और फाइनल में भारतआस्ट्रेलिया मैचों में भीड़ उमड़ी थी और हर जगह बड़ी स्क्रीनें लगा कर हंगामा मचा था उस से यह तो साफ है कि यह कभी एक जमीन, एक देश में रहे लोगों के बीच की रेखाओं में से एक है.

भारतीय टीम का 2023 के वर्ल्ड कप फाइनल में 6 विकेट से हार जाना अपनेआप में कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि खेलों में हारजीत चलती है. भारत पहले इसी कप में आस्ट्रेलिया को हरा चुका था इसलिए उम्मीद थी कि यह फाइनल भी जीतेगा पर आस्ट्रेलिया ने जता दिया कि इस खेल में कला और कौशल के साथ बहुतकुछ और भी है.

यह खेल असल में सब से बड़ा जुआ बन चुका है. हर बात पर शर्तें लगती हैं. खिलाडि़यों पर आरोप लगते हैं कि वे शर्तों के व्यापार में लगे लोगों से रिश्वतें लेते हैं. हर क्रिकेट बोर्ड पर कोई राजनीतिक हैसियत वाला बैठा है क्योंकि वही ही रिश्वतों की, जुए की और विज्ञापनों से होने वाली आमदनी को जेब में रखने का हकदार है. क्रिकेट को धर्म की तरह बेचा जाता है जिस के धर्मगुरु हैं, पुजारी हैं, देवीदेवता हैं, कुछ देवीदेवता दूसरे खेमें में चले गए तो उन्हें दस्युओं की तरह आज के पंडों ने निकाल फेंका है.

आस्ट्रेलिया से वर्ल्ड कप हारने का मतलब यह नहीं कि भारतीय टीम कम हो गई है. शायद इस का कारण यही है आस्ट्रेलिया के खिलाड़ी बैटिंग (जुए वाली बैटिंग) के अनुसार खेलने को तैयार नहीं थे. भारत ने जीत की पूरी तैयारी कर ली थी. नरेंद्र मोदी और अमित शाह पूरे समय स्टेडियम में डटे रहे. इस दौरान देश पर कोई आर्थिक संकट नहीं आया. उत्तराखंड की सुरंग में फंसे दलितशूद्र मजदूरों का कोई खयाल नहीं आया क्योंकि यह क्रिकेट धर्म का मामला था.

भारत की तैयारी बेकार गई पर पैसा जिस का बनना था, पूरा बना होगा. यह कितना पैसा था, कितना लोगों ने खोया, कितना कमाया यह अंदाजा लगाना आसान नहीं है. बस अब अगले खेल के रिजल्ट का इंतजार है 3 दिसंबर को 5 विधानसभाओं के और 2024 में लोकसभा के. वे भी क्रिकेट की तरह ही हैं.

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