प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिवारवाद

15अगस्त, 2022 देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि सारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था. इस दिन लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा देश को संबोधित करने की परंपरा रही है. ऐसे में सारे देश की निगाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर टिकी हुई थी. मगर जैसा कि होता रहा है नरेंद्र मोदी एक बार फिर चूक गए.

अमृत महोत्सव के इस ऐतिहासिक मौके पर देश को एक नई दिशा देने का समय था. एक ऐसा संबोधन, जो देश की जनता में एक ऊर्जा, एक असर पैदा कर देता, मगर प्रधानमंत्री ने इस खास मौके पर जो कुछ कहा वह विवादित हो गया. क्योंकि यह समय परिवारवाद और भ्रष्टाचार जैसे मसले पर चर्चा करने का कतई नहीं कहा जा सकता. स्वतंत्रता दिवस मौका था, दुनिया के सामने भारत की उन उपलब्धियों को सामने रखने का, जिसे देश ने पाया है. आज मौका था देश की जनता को देश के लिए एक बार फिर समर्पित कर दिखाने का. सच तो यह है कि हमारे बाद जो देश आजाद हुए, वह आज हम से काफी आगे निकल गए हैं.

भारत में इतनी जनसंख्या और इतने संसाधन हैं कि वह सचमुच दुनिया का नेतृत्व कर सकता है, मगर इस दिशा में भाषण सिफर रहा और संसद में या किसी सामान्य रूप से देश को संबोधित करने कर मौके जैसा भाषण दे कर नरेंद्र मोदी ने इस से देश को निराश किया. सब से अहम मसला जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा, वह था परिवारवाद और भ्रष्टाचार. यकीनन, यह एक बड़ी समस्या है, मगर समस्या को बता देना ही पर्याप्त नहीं होता. महानता और मनुष्यता तो इसी में है कि अगर हमें यह पता है कि समाज में यह खामियां हैं, तो सब से पहले हम अपनेआप को ठीक करें,

अपने आसपास को ठीक करें. ऐसे में नरेंद्र मोदी के पास आज यह मौका था कि वे अपनी भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार को इस के लिए प्रतिबद्ध करते. मगर बड़े ही खेद की बात है कि नरेंद्र मोदी जो कहते हैं, वह दूसरों के लिए बड़ीबड़ी बातें कहते हैं, ज्ञान की ऐसी बातें कि लोग तालियां बजाएं. मगर खुद पर कभी लागू नहीं करते. ऐसे में उस का असर खत्म हो जाता है. परिवारवाद और भ्रष्टाचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं जब परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि सिर्फ राजनीति की बात करता हूं. लेकिन ऐसा नहीं है, मैं जब परिवारवाद की बात करता हूं, तो यह सभी क्षेत्रों की बात होती है. मगर सच तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी आज देश की सब से बड़ी पार्टी है, दुनिया की सब से बड़ी पार्टी है, जो वह गर्व के साथ कहती है,

तो यह भी सच है कि वह परिवारवाद का एक बड़ा कटोरा भी है. यही नहीं, दूसरी पार्टी के बड़े नेताओं को भाजपा में प्रवेश दिया गया और उन्हें बड़ी रेवडि़यों से नवाजा गया. यह भी तो आखिर राजनीतिक भ्रष्टाचार और परिवारवाद का नमूना कहा जा सकता है, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगाह इस ओर क्यों नहीं जाती? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 25 साल का एक समय तय कर के इन समस्याओं को दूर किया जाए. यह सब से बड़ी खोखली बात है. 25 साल किस ने देखे हैं? आप आज ही से अपनेआप में बदलाव क्यों नहीं करते? अपनी पार्टी में बदलाव क्यों नहीं करते? अपने आसपास बदलाव क्यों नहीं करते? दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी,

आप को 5 साल के लिए देश की जनता चुनती है और आप बड़ी ही चतुराई के साथ 25 साल और समय मांगने का खेल खेलते हैं. क्या आप यह समझते हैं कि आप को 25 साल तक यह देश प्रधानमंत्री पद पर निर्वाचित करता रहे? आप अपने इस समय काल की भीतर की योजना बनाएं और उसे देश को जागृत कर के दिखाएं, वरना बाकी सब बातें तो लफ्फाजी ही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले खेलों में भी भाईभतीजावाद चलता था, पर आज नहीं है. हमारे खिलाड़ी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. परिवारवाद से केवल परिवार का फायदा होता है, देश का नहीं. भाईभतीजावाद को ले कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हर संस्था में देखने को मिलता है. ऐसा कई संस्थाओं में है, जिस के कारण नुकसान उठाना पड़ता है. यह भी भ्रष्टाचार का कारण बन जाता है.

इस परिवारवाद और भाईभतीजावाद से हमें बचना होगा. राजनीति में भी परिवारवाद देखने को मिलता है. परिवारवाद से केवल परिवार का फायदा होता है, देश का नहीं. उन्होंने भ्रष्टाचार और भाईभतीजावाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इन दोनों चीजों से हमें बचना चाहिए. भ्रष्टाचार से हर हाल में लड़ना होगा. पिछली सरकारों में बैंकों को लूट कर जो भाग गए, उन्हें पकड़ने का काम जारी है. बैंकों को लूटने वालों की संपत्तियां जब्त की जा रही हैं. जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें वह लौटाना होगा. सौ टके की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह चाहते हैं कि 2024 में भी देश की जनता उन्हें भारी वोट दे कर प्रधानमंत्री बनाए, इसीलिए आप के भाषणों में आमतौर पर भविष्य के लिए बातें कही जाती हैं. ‘वर्तमान’ और ‘आज की बात’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिक्शनरी में नहीं हैं. वे हमेशा ही कहते हैं कि ऐसा करना है, ऐसा हो गया, ऐसा हो रहा है. मगर यह नहीं कहते कि देश में उन की सरकार यह करेगी या कर रही है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें