नरेंद्र मोदी और अमित शाह की रणनीति चारों खाने चित

भा रतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की सत्ता आने के बाद जिस तरह से जम्मूकश्मीर और वहां की अवाम को दर्द ही दर्द मिला है, क्या उसे कोई भूल सकता है? यहां तक कि नागरिकों के अधिकार नहीं रहे और बंदूक के साए में अब देश की सब से बड़ी अदालत के आदेश के बाद चुनाव होने जा रहे हैं. यह एक ऐसा रास्ता है, जो लोकतांत्रिक की मृग मरीचिका का आभास देता है.

मगर सितंबर, 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जो रणनीति कांग्रेस बना रही है, उस में नरेंद्र मोदी और अमित शाह का पूरा खेल बिगड़ता दिखाई दे रहा है. भाजपा किसी भी हालत में यहां सत्ता में आती नहीं दिखाई दे रही है, जिस का आगाज लोकसभा चुनाव में भी नतीजे के रूप में हमारे सामने है.

इधर, फारूक अब्दुल्ला ने जिस तरह सामने आ कर मोरचा संभाला है और  विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी की रणनीति चारों खाने चित हो चुकी है.

कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी श्रीनगर पहुंचे थे. मल्लिकार्जुन खड़गे ने जम्मूकश्मीर के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए दूसरे विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने की इच्छा जताई और केंद्रशासित प्रदेश के लोगों से भारतीय जनता पार्टी के वादों को ‘जुमला’ करार दिया.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ श्रीनगर में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से विधानसभा चुनावों की जमीनी स्तर की तैयारियों के बारे में जानकारी ली. उन्होंने कहा कि ‘इंडी’ गठबंधन ने एक तानाशाह को पूरे बहुमत के साथ (केंद्र में) सत्ता में आने से रोका है. यह गठबंधन की सब से बड़ी कामयाबी है. कांग्रेस ने राज्य का दर्जा बहाल करने की पहल की है. हम इस दिशा में काम करने का वादा करते हैं. राहुल गांधी की जम्मूकश्मीर में चुनाव से पहले गठबंधन बनाने में दिलचस्पी है. वे दूसरी पार्टियों के साथ मिल कर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आगे कहा कि दरअसल, भाजपा लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद चिंतित है, क्योंकि वे लोग जिन विधेयकों को पास कराना चाहते थे, उन में करारी मात मिली है.

पूर्ण राज्य का दर्जा

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के श्रीनगर दौरे से राजनीति में एक गरमाहट आ गई है. राहुल गांधी ने कहा कि जम्मूकश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडी’ की प्राथमिकता है. यह उन की पार्टी का लक्ष्य है कि जम्मूकश्मीर और लद्दाख के लोगों को उन के लोकतांत्रिक अधिकार वापस मिलें.

कांग्रेस और ‘इंडी’ गठबंधन की प्राथमिकता है कि जम्मूकश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए. हमें उम्मीद थी कि चुनाव से पहले ऐसा कर दिया जाएगा, लेकिन चुनाव घोषित हो गए हैं. हम उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा और जम्मूकश्मीर के लोगों के अधिकार बहाल किए जाएंगे.

आजादी के बाद यह पहली बार है कि कोई राज्य केंद्रशासित प्रदेश बन गया है. यहां कोई विधानपरिषद, कोई पंचायत या नगरपालिका नहीं है. लोगों को लोकतंत्र से दूर रखा गया है.

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 30 सितंबर तक चुनाव कराने के निर्देश के चलते ही जम्मूकश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा की गई है.

चुनाव से पहले जम्मूकश्मीर के लोगों से किया गया एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है. कुलमिला कर कांग्रेस नेताओं ने जिस तरह जम्मूकश्मीर में मोरचाबंदी की है, उस से नरेंद्र मोदी और अमित शाह के मनसूबे ध्वस्त होंगे, ऐसा लगता है.

फारूक अब्दुल्ला और कांग्रेस

जम्मूकश्मीर में जो नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं, उन से साफ दिखाई दे रहा है कि फारूक अब्दुल्ला, जो जम्मूकश्मीर के सब से बड़े नेता और चेहरे हैं, ने कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है और यह गठबंधन अगर बन जाता है, तो इस की सरकार बनने की पूरी संभावना है, क्योंकि इन के सामने सारे नेता बौने हैं. वहीं राहुल गांधी और ‘इंडी’ गठबंधन का अब समय आ गया है, यह दिखाई देता है.

यहां चुनाव 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्तूबर को होंगे. नतीजे 4 अक्तूबर को घोषित किए जाएंगे.

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कांग्रेस के साथ मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी (माकपा) के (एमवाई) तारिगामी भी हमारे साथ हैं. मुझे उम्मीद है कि हमें लोगों का साथ मिलेगा और हम लोगों

के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भारी बहुमत से जीतेंगे. इस के पहले राहुल गांधी ने भरोसा दिया था कि जम्मूकश्मीर के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना कांग्रेस और ‘इंडी’ गठबंधन की प्राथमिकता है.

फारूक अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि सभी ताकतों के साथ पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. राज्य का दर्जा हम सभी के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है. इस का हम से वादा किया गया है. इस राज्य ने बुरे दिन देखे हैं और हमें उम्मीद है कि इसे पूरी शक्तियों के साथ बहाल किया जाएगा. इस के लिए हम ‘इंडी’ गठबंधन के साथ एकजुट हैं.

महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आया है कि चुनाव से पहले या चुनाव के बाद गठबंधन में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी की मौजूदगी से भी नैशनल कौंफ्रैंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने इनकार नहीं किया है.

नया संसद भवन : नरेंद्र मोदी की टेढ़ी चाल

बिना किसी मांग के,देश में आवश्यकता के, एक तरह से रातों-रात देश में एक नया संसद भवन बना दिया गया है. जी हां यह सच्चाई है कि फिलहाल यह मांग उठी  ही नहीं थी कि देश को नवीन संसद भवन चाहिए और ना ही इसकी आवश्यकता महसूस की गई थी . मगर जैसे कभी राजा महाराजाओं को सपना आता था और सुबह घोषणा हो जाती थी भारत जैसे हमारे विकासशील एक गरीब देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने अचानक संसद भवन का निर्माण कराना शुरू कर दिया. शायद उन्हें पहले के जमाने के राजा महाराजाओं  के कैसे नए नए शौक चराते हैं . जैसे मुगल बादशाहों ने ताजमहल बनवाया लाल किला बनवाया और इतिहास में अमर हो गए प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी भी इतिहास में अमर होना चाहते हैं. यही कारण है कि संसद भवन का उद्घाटन भी देश की संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की बजाय स्वयं करने के लिए लालायित है.

नए संसद भवन का उद्घाटन को लेकर  विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हमले तेज कर दिए है सबसे पहले पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अब विपक्ष के नेता एक सुर में मांग कर रहे हैं कि उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से ही किया जाना चाहिए. यह मांग एक तरह से देश के संविधानिक प्रमुख होने के कारण राष्ट्रपति से कराया जाना गरिमा मय  लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाली होगी. क्योंकि संविधान के अनुसार हमारे देश में राष्ट्रपति ही सर्व प्रमुख है उन्हीं के नाम से प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार काम करती है.

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति से ही नई संसद का उद्घाटन कराने की मांग दोहराई  और कहा कि ऐसा होने पर लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सरकार को प्रतिबद्धता दिखेगी. आज  राष्ट्रपति का पद महज प्रतीकात्मक बन कर रह गया है.”

खड़गे ने ट्वीट कर कहा ,” ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने दलित और आदिवासी समुदायों से राष्ट्रपति इसलिए चुना ताकि राजनीतिक लाभ लिया जा सके.”

दूसरी तरफ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. और अब मौजूदा राष्ट्रपति को भी समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया जा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे ने कहा, ” संसद भारतीय गणराज्य की सर्वोच्च विधायी संस्था है और राष्ट्रपति सर्वोच्च संवैधानिक पद है.राष्ट्रपति सरकार, विपक्ष और हर नागरिक का प्रतिनिधित्व करती है. वह भारत की प्रथम नागरिक है.उन्होंने आगे कहा  अगर संसद के नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति करती हैं, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक मर्यादा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को प्रतिबिबित करेगा.”

क्या यह राष्ट्रपति पद का अवमान नहीं है

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी देश की जनता या सवाल कर रही है की देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर आसीन द्रोपदी मुर्मू के साथ उनके पद का अपमान नहीं है .  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर चीज में मैं मैं करना शोभा नहीं देता.  दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियों में भी इस मुद्दे पर सवाल उठाने खड़े कर दिए हैं.

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा, ” नवनिर्मित संसद भवन के उद्घाटन के लिए राष्ट्रपति की जगह प्रधानमंत्री को आमंत्रित करना न केवल राष्ट्रपति का अपमान है बल्कि ये पूरे आदिवासी समाज का अपमान है. साथ ही यह फैसला दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी की मानसिकता आदिवासी विरोधी, दलित विरोधी और पिछड़ी विरोधी है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, ” संसद के शिलान्यास से लेकर अब उद्घाटन तक राष्ट्रपति को छोड़ कर बड़ा फैसला लेना संवैधानिक रूप से सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संसद के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित करना चाहिए.  प्रधानमंत्री के लिए संसद के नए भवन का उद्घाटन करना संवैधानिक रूप से सही नहीं होगा. ऐसा किसी बड़े लोकतंत्र ने ऐसा नहीं किया है. हमारा मत है कि संविधान का सम्मान नहीं हो रहा और ये न्यायोचित नहीं है.”

तृणमूल सांसद सौगत राय के  मुताबिक  राहुल गांधी ने जो मांग उठाई है, उससे हम भी सहमत हैं. नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री की बजाय भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए. ससद में लोकसभा और राज्यसभा दोनों है. प्रधानमंत्री है पार्टी के नेता हैं, जिनके पास सदन में बहुमत है और राष्ट्रपति संसद का प्रतिनिधित्व करते हैं. जहां तक बात वर्तमान राष्ट्रपति जो पति मुर्मू की है अनुसूचित जनजाति का प्रयोग करती हैं जिसका ढोल भाजपा ने उन्हें राष्ट्रपति बनाते समय खूब बजाया  था और आज जब उनसे संसद का उद्घाटन नहीं करवाने का नाटक जारी है और यही आवाज उठ रही है कि यह राष्ट्रपति पद का अपमान है ऐसे में अगर राष्ट्र पति महामहिम मुर्मू राष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे देती हैं तो जहां नरेंद्र दामोदरदास मोदी की बड़ी किरकिरी होगी वही इस ऐतिहासिक समय में द्रोपदी मुर्मू का कद बढ़कर इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा. अनुसूचित जनजाति का आप गौरव बन जाएंगी.

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