सोशल मीडिया पर ‘12वीं फेल’ फिल्म को ले कर आजकल रील्स और मीम्स खूब वायरल हो रहे हैं. कोई कह रहा है, अगर सफल होना है तो गर्लफ्रैंड होना जरूरी है, सिंगल रहना आप को कहीं नहीं ले जाएगा तो कोई कह रहा है. अगर गर्लफ्रैंड लौयल हो तो लड़का आईपीएस भी बन सकता है.
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हर कोई अपनी गर्लफ्रैंड में फिल्म ‘12वीं फेल’ वाली श्रद्धा को ढूंढ़ रहा है. फिल्म में लीड कैरेक्टर मनोज के सपोर्ट सिस्टम का किरदार निभाने वाली हीरोइन मेधा शंकर नैशनल क्रश बन जाती हैं और उन के इस संघर्ष में उन का साथ देने वालों की भूमिका धुंधली पड़ जाती है. बेशक मेधा ने इस रोल के बाद खूब तारीफ बटोरी है लेकिन उस के किरदार को ले कर सोशल मीडिया में जो बातें चल रही हैं उन्होंने कुछ सवाल भी खड़े कर दिए हैं.
कौन है मेधा शंकर
नोएडा में रहने वाली मेधा शंकर एक महाराष्ट्रियन परिवार से हैं. डाक्टर बनने की चाह रखने वाली मेधा का इंटरैस्ट जब ग्लैमर और एंटरटेनमैंट की तरफ गया तो उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. शुरुआत में उन्होंने कई विज्ञापनों में काम किया. उस के बाद मेधा ने 2015 में आई शौर्ट फिल्म ‘विद यू फोर यू औलवेज’ से ऐक्ंिटग की दुनिया में कदम रखा.
2019 में वे ब्रिटिश सीरीज ‘बीचम हाउस’ में नजर आईं. उस के बाद 2021 में आई फिल्म ‘शादिस्थान’, टैलीविजन शो ‘बेकरार’ और डौक्यूमैंट्री सदैव ‘आप के साथ’ का भी हिस्सा रहीं. लेकिन फेम उन्हें फिल्म ‘12वीं फेल’ से मिला, जिस के बाद वे लड़कों की नैशनल क्रश बन गईं.
फिल्म में अपनी शानदार अदाकारी के चलते मेधा का नाम लगातार सुर्खियां बटोर रहा है. फिल्म रिलीज के बाद मेधा शंकर के सोशल मीडिया फौलोअर्स बड़ी तेजी से बढ़े. इस समय मेधा शंकर सोशल मीडिया क्वीन बनी हुई हैं और खूब लाइमलाइट बटोर रही हैं.
इंस्टैंट बौलीवुड के मुताबिक, ‘12वीं फेल’ की ओटीटी पर रिलीज से पहले मेधा के इंस्टाग्राम हैंडल पर 2 लाख के करीब फौलोअर्स थे जो रिलीज के बाद करीब 12 लाख हो गए हैं.
‘12वीं फेल’ सोशल आईना
फिल्म मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित एक छोटे से गांव बिलगांव में जन्मे मनोज कुमार के संघर्ष से जुड़ी है. हालांकि सुर्खियों की वजह उन का आईपीएस बनने के स्ट्रगल से ज्यादा उन के पार्टनर का अंत तक साथ देने से है.
लेकिन सोशल मीडिया में उस की गर्लफ्रैंड श्रद्धा का साथ उस के खुद के स्ट्रगल पर भारी पड़ रहा है. मनोज कुमार शर्मा ने गरीबी पर काबू पा कर आईपीएस अधिकारी का पद हासिल किया. इसे बखूबी विधु विनोद चोपड़ा द्वारा निर्देशित फिल्म ‘12वीं फेल’ में दिखाया गया, लेकिन हर बौलीवुड फिल्म की तरह यह हकीकत से ज्यादा मनोरंजक बन गई.
फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है, मनोज 12वीं कक्षा की परीक्षा में फेल हो जाता है. उस के बाद वह छोटीमोटी नौकरियां करता है. 16-16 घंटे काम करता है और हर रात सिर्फ 3 घंटे सोता व यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करता है. देश की सब से प्रतिष्ठित संस्था, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा को पास करना आसान नहीं है. बात पढ़ाई की हो या मजबूत इरादों की, वर्षों लग जाते हैं यूपीएससी परीक्षा पास करने में. यही सब किया मनोज कुमार शर्मा ने भी. कुछ अलग नहीं था उन अधिकतर गरीब परिवार से आने वाले एस्पिरैंट्स से, जो अपने सपनों के लिए स्ट्रगल करते हैं. फर्क बस, इतना है कि वह अलग दिक्कतों का सामना कर रहा था.
इस में अलग क्या था? सवाल गंभीर है. गंभीर इसलिए क्योंकि श्रद्धा, जोकि मनोज का अंत तक साथ देती है, नैशनल क्रश बन जाती है. लोग मनोज से ज्यादा श्रद्धा की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते और बाकी मजबूत किरदारों को साइड कर देते हैं क्योंकि वे उसी मेल सैंट्रिक कल्चर से प्रेरित हैं कि चाहे पुरुष कैसा भी हो, किसी भी हालात में हो, महिला को यह हक नहीं बनता कि वह उसे छोड़े. यहां प्यार कोई प्रेरणा नहीं है. औरत का अपने प्यार के लिए किया गया स्ट्रगल प्रेरणा है.
वर्तमान सोसाइटी आज भी उस लड़की को प्रेरणा मानती है जो अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए, अपने परिवार के लिए सबकुछ सैक्रीफाइस करने को तैयार हो पर आप ऐसे कितने पुरुषों को जानते हैं जो अपने प्यार के लिए, अपनी गर्लफ्रैंड के लिए अपनी सुखसुविधाओं को अपने भविष्य को छोड़ने के लिए तैयार होते हैं. सम?ाते की उम्मीद तो केवल लड़कियों से ही की जाती है.
समस्या यह है कि सोशल मीडिया पर यूथ श्रद्धा के कंपैरिजन में ‘शादी में जरूर आना’ फिल्म की हीरोइन से करने लगे, जिस में उस की होने वाली सास शादी के बाद नौकरी करने के लिए उसे मना कर देती है और वह शादी के ऐन वक्त घर से भाग कर अपने कैरियर को पूरा करती है.
इस गुस्से में फिल्म के हीरो यूपीएससी पास कर आईपीएस बन जाता है वरना तो वह क्लर्क की नौकरी में भी खुश था और उस से बदला लेने में जुट जाता है. यहां वह हीरोइन नायिका होते हुए भी विलेन बन जाती है. क्यों? क्योंकि वह शादी से ज्यादा अपने सपने को महत्त्व दे बैठती है. अब बताइए उस ने गलत क्या किया था? अंधेरे भविष्य में जाने से बेहतर है कि वक्तरहते फैसले ले लिए जाएं. लड़के तो मांबाप तक को छोड़ कर भाग जाते हैं.
अगर उस की ससुराल वाले मान भी जाते तो क्या गारंटी है कि शादी के बाद वे पलटते नहीं. हमारे यहां तो वैसे भी शादी के बाद अपनी बात से पलट जाने का रिवाज रहा है. शादी से पहले कुछ और बाद में कुछ. लड़की को कहा जाता है कि वह पढ़ाई जारी रख सकती है, नौकरी कर सकती है पर शादी के पहले ही साल उस के हाथ में बच्चा थमा दिया जाता है.
प्यारमोहब्बत में पड़े कितने ही लड़के केवल अपनी मां की मरजी की लड़की से शादी करने के लिए उन का साथ छोड़ देते हैं, वे आसानी से फैमिली फर्स्ट का नारा दे कर इसे जस्टीफाई कर देते हैं.
किसी ने ट्विटर जो अब एक्स के नाम से जाना जाता है पर कहा था- ‘12वीं फेल’ को देख कर ऐसा लग रहा कि सब आईपीएस बन जाएंगे लेकिन उन को साथ देने वाली चाहिए और साथ देने वाली अगर साथ छोड़ देगी तो उस से भी ज्यादा ऊंची पोस्ट मिल जाएगी पर बिना दिल टूटे या साथ पाए, कुछ होने वाला नहीं है.
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अब कोचिंग इंस्टिट्यूटों की आवश्यकता नहीं है. बस, प्यारमोहब्बत सिखाया जाए. सब सैल्फ स्टडी से ही कंपीटिशन निकाल ले रहे हैं.
फिल्म दिखाती है, पेरैंट्स का स्ट्रगल, गरीबी और उन का प्यार आप को आईएएस नहीं बनाता, आप की गर्लफ्रैंड का आईलवयू आप को आईएएस बना देता है. हर लड़का श्रद्धा को ढूंढ़ना चाहता है पर श्रद्धा बनने में किसी की दिलचस्पी नहीं है. कोई किसी औरत के लिए अपने सपनों की बलि नहीं देना चाहता. उन्हें अनदेखा नहीं करना चाहता. ये जिम्मेदारियां केवल लड़कियों के हिस्से हैं. आप ने कितनी फिल्में और उदाहरण देखे हैं ऐसे?
ऐसी फिल्मों के जरिए समाज की वही घिसीपिटी बात रिपीट करने की कोशिश की जा रही है कि औरत को पुरुष का साथ देना ही चाहिए. चाहे पुरुष काबिल हो या न, चाहे औरत स्ट्रगल करने के लिए तैयार हो भी या न. अगर आप ऐसा करती हो तो आप नैशनल क्रश बनने की हकदार हो, क्योंकि अधिकतर भारतीय यही उम्मीद करते हैं, चाहे कुछ भी हो, कितना स्ट्रगल, कितने ही सपनों को आग लगानी हो.
उन को चाहिए कि वह अपने परिवार, पति और पार्टनर के लिए सब करे. कमाल की बात है. बस, कमाल की बात यही कि पिता के सपने, पति के लिए घर और बच्चों के लिए कैरियर, सब वही छोड़े, जिस पर सोशल मीडिया में लड़के मस्त हुए पड़े हैं