कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं. इस कहावत को चरितार्थ करते हुए मोनिका बत्रा ने अपने भाई बहन को टेबल टेनिस खेलते हुए देखा और उसे ऐसे आत्मसात कर लिया कि आज मोनिका बत्रा ओलंपिक खेलों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है, वहीं विश्व में भारत का लगातार प्रतिनिधित्व करके हार जीत की मजे लेते हुए खेल की दुनिया में एक ऐसा सितारा बन गई है जो बड़ी दूर से आभा फैला रहा है.
यह सच है कि अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में देश के अनेक खिलाड़ी अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से खेलों के नक्शे पर भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा रहे हैं. इधर भारतीय महिला खिलाड़ियों ने खास तौर से देश का परचम दुनिया में लहराया है.
एक महत्वपूर्ण भारतीय महिला खिलाड़ियों में गिने जाने वाली मनिका बत्रा ने अब एक और ऊंचाई हासिल करते हुए एशियाई कप टेबल टेनिस में कांस्य पदक हासिल किया है और खास बात यह है कि आप ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी हैं.
मोनिका बत्रा ने अपने सधे हुए खेल से खेल प्रेमियों का कई दफा दिल जीता है. यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 में देश के सबसे बड़े खेल सम्मान “मेजर ध्यान चंद खेल रत्न” पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यहां रेखांकित करने वाली बात यह है कि मनिका बत्रा ने बैंकाक, थाईलैंड में खेली गई इस प्रतियोगिता में महिला सिंगल्स का सेमीफाइनल मुकाबला हारने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी और कांस्य पदक के लिए हुए मुकाबले में जापान की हीना हयाता को हरा कर तीसरा स्थान हासिल कर लिया . इस तरह इतिहास में कोई भी मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी मोनिका बत्रा बन गई.
शिखर पर है मोनिका
स्मरण रहे कि एशियाई कप टेबल टेनिस प्रतियोगिता के पुरुष वर्ग में भारत को देश के खिलाड़ी चेतन बबूर ने पदक दिलाया था. बबूर वर्ष 1997 में पुरुष सिंगल्स के फाइनल तक पहुंच गए और उन्होंने रजत पदक हासिल किया था. , तत्पश्चात वर्ष 2000 में चेतन बबूर ने एक बार फिर कांस्य पदक जीतकर भारत के पदकों की संख्या में वृद्धि कर दिखाई .
टेबल टेनिस में देश में आज एक सितारे का रूतबा हासिल कर चुकी मोनिका बत्रा का जन्म पंद्रह जून 1995 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ. मोनिका परिवार में तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं. बड़ी बहन आंचल और भाई साहिल टेबल टेनिस के अच्छे खिलाड़ी थे और उन्हीं की प्रेरणा से नन्हीं मनिका ने भी पांच साल की उम्र से ही टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया.
और आगे परिवार ने उनका समर्पण देख कर , भविष्य की एक प्रतिभावान खिलाड़ी की छवि देखकर मोनिका को बहुत कम उम्र में ही टेबल टेनिस का बाकायदा प्रशिक्षण दिलाने का फैसला किया . खास बात यह है कि मनिका को किशोरावस्था में ही माडलिंग के कई प्रस्ताव मिले, लेकिन उन्होंने जीवन में हमेशा टेबल टेनिस को महत्व दिया और यहां तक कि उन्हें खेल पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी पढ़ाई भी बीच में ही छोड़ दी . यही समर्पण है कि आज मोनिका बत्रा खेल की दुनिया में महत्वपूर्ण मुकाम रखती है और भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित किया.
मनिका के खाते में एक और उपलब्धि दर्ज है, वह अपने हमवतन खिलाड़ी एस ज्ञानशेखरन के साथ मिश्रित युगल विश्व वरीयता क्रम में नंबर पांच पर पहुंचीं और किसी भारतीय जोड़ी के लिए टेबल टेनिस विश्व रैंकिंग में यह अब तक की शीर्ष वरीयता है.
मोनिका बत्रा ओलंपिक खेलों में देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. 27 साल की मनिका बत्रा विश्व में 44 वें नंबर की खिलाड़ी हैं और उन्हें टेबल टेनिस के खेल में देश की अब तक की सबसे प्रतिभा पूर्ण तथा सफलतम महिला खिलाड़ी माना जाता है. देश को मोनिका से और भी बहुत ज्यादा आशाएं हैं और अभी उनके पास भविष्य में समय भी है कि वे अपना और बेहतर प्रदर्शन दिखा सकें.