मलंगः “निराश करती फिल्म”

रेटिंगः डेढ़ स्टार

निर्माताः लव रंजन,अंकुर गर्ग,भूषण कुमार,किशन कुमार

निर्देशकः मोहित सूरी

कलाकारः अनिल कपूर,आदित्य रौय कपूर,दिशा पटानी,कुणाल केमू,एवलीन शर्मा व अन्य

अवधिः दो घंटे 14 मिनट

बदला लेने के लिए इंसान किस तरह हिंसात्मक हो सकता है, इसी पर मोहित सूरी रोमांटिक अपराध फिल्म ‘‘मलंग’ ’लेकर आए हैं, जो कि पूरी तरह से निराश करती है.

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कहानीः

अपने माता पिता के संबंधों से परेशान अद्वैत (आदित्य रौय कपूर) मौज मस्ती और सकून के लिए गोवा पहुंचता है, जहां उसकी मुलाकात एक खूबसूरत लड़की सारा (दिशा पाटनी) से होती है.अद्वैत चुप रहने वाला लड़का है, जबकि सारा लंदन से आई एक मस्तमौला लड़की है. सारा पहली बार भारत आयी है और वह तुरंत ही अद्वैत की तरफ आकर्षित हो जाती है. सारा की दोस्ती ड्रग्स के शिकंजे में कैद चैसी (इवलीन) से भी जाती है.

सब कुछ ठीक था लेकिन अचानक ही इनकी जिंदगी में बहुत सारी घटनाएं घटती हैं. उधर 5 साल बाद दो पुलिस औफिसर अंजनी अगाशे (अनिल कपूर) और माइकल रौड्रिक्स (कुणाल खेमू) अद्वैत की तलाश में हैं. पुलिस अफसर अंजनी अगाशे कानून को न मानते हुए अपराधी को अपने तरीके से सजा देने में यकीन करते हैं. जबकि माइकल सब कुछ कानून के दायरे में रहकर करना पसंद करता है. तो वहीं सारा के साथ मिलकर बदला लेने के लिए माइकल सहित चार पुलिस वालों की हत्या करता है.

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लेखन व निर्देशनः

पटकथा के स्तर पर यह अति कमजोर फिल्म है. लार्जर देन लाइफ किरदार परोसने और फिल्म को रहस्यमयी जामा पहनाने के चक्कर में लेखक ने कथा कथन की जिस शैली को अपनाया है, उससे दर्शक कन्फ्यूज होता रहता है. कहानी बार बार वर्तमान से अतीत में जाती है, मगर ऐसा जिस अंदाज में होता है, उससे दर्शक समझ नहीं पाता कि यह हो क्या रहा है? इसके अलावा पति पत्नी के रिश्ते, मर्दांनगी और बदले की भावना के साथ हत्याएं सहित कई चीजों को पेशकर चूंचूं का मुरब्बा बना दिया गया है.

निर्देशक के तौर पर मोहित सूरी की फिल्म पर कोई पकड़ नजर नहीं आती. परिणामतः गोवा और मौरीशस की खूबसूरत लोकेशन भी दर्शकों को बांधकर नहीं रख पाती. फिल्म के संवाद भी घटिया हैं. फिल्म की एडीटिंग भी गड़बड़ है. इंटरवल से पहले दर्शक सोचता रहता है कि कहां फंस गया. इंटरवल के बाद कहानी कुछ ठीक होती है.

अभिनयः

जहां तक अभिनय का सवाल है तो कानून के दायरे से बाहर निकलकर काम करने वाले पुलिस अफसर के किरदार में अनिल कपूर जरुर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं. मगर उनकी हंसी उन्हे अति छिछोरा बना देता है. आदित्य रौय कपूर काफी निराश करते हैं. दिशा पटानी केवल खूबसूरत लगी हैं. एवलीन जरुर अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान आकर्षित करती हैं. कुणाल खेमू व अमृता खानविलकर ने ठीक ठाक अभिनय किया है. छोटे किरदार में एवलीन शर्मा अपनी छाप छोड़ जाती हैं.

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