फिल्म रिव्यू : लोमड़ – औरोशिखा डे व हेमवंत तिवारी का जानदार अभिनय

  • रेटिंग: पांच में से तीन स्टार
  • निर्माता: हेमवंत तिवारी
  • लेखक निर्देशक: हेमवंत तिवारी
  • कलाकार:हेमवंत तिवारी,औरोशिखा डे,परमिल आलोक, नवनीत शर्मा,रोशन सजवान,मेाहित कुलश्रेष्ठ,शिल्पा शभलोक तीर्था मुरबाडकर
  • अवधि: एक घंटा 37 मिनट

 

इन दिनों भारतीय सिनेमा काफी कठिन दौर से गुजर रहा है.फिल्में सिनेमाघरों में सफलता दर्ज नही करा पा रही है.ऐसे ही दौर में  हौलीवुड कलाकार एरिक रॉबर्ट्स और नताशा हेनस्ट्रिज के साथ इंटरनेशनल वेब सीरीज ‘‘मदीनाह’’ में अभिनय कर चुके अभिनेता हेमवंत तिवारी बतौर लेखक व निर्देशक विश्व की पहली ‘‘वन शौट ब्लैक एंड व्हाइट’’ फिल्म ‘‘लोमड़’’ लेकर आए हैं.यानी कि यह फिल्म बिना रूके लगातार शूटिंग करते हुए एक घंटे 37 मिनट में ही फिल्मायी गयी है.इसमें एडीटिंग नही हुई है.रोमांचक क्राइम फिल्म ‘‘लोमड़’’ चार अगस्त को सिनेमाघरों में पहुॅच चुकी है.

 

कहानीः

अभय तिवारी (हेमवंत तिवारी) एक अच्छा युवक है.उसकी अपनी गार्मेंट फैक्टरी है.उसे याद है कि भ्रष्ट,कुख्यात और एक मंत्री  की शह पर किसी की भी हत्याएं करने वाले पुलिसकर्मी (परिमल आलोक) ने ही छह साल पहले उसके पिता की हत्या की थी,जिसके सदमें से उसकी मां पैरलाइज है.अभय की पत्नी नैना, बेटी शताक्षी व बेटा पृथ्वी है.अभय का स्कूल दिनों में रिया  (औरोशिका डे) संग इश्क था.मगर बाद में रिया को मजबूरन अपनी उम्र से दस साल बड़े रोनित से विवाह करना पड़ा.अब दस साल बाद सोशल मीडिया के माध्यम से आकाश व रिया मिले हैं तथा वह दोनों नैना को सरप्राइज देने जा रहे हैं.पर अचानक सुनसान जंगल की सड़क पर उनकी कार खराब हो जाती है.कुछ देर में स्कूटर से उसी सड़क से गुजर रहे राहुल ( मोहित कुलश्रेष्ठ) नामक युवक का एक्सीडेंट हो जाता है.रिया की इच्छा के विपरीत जाकर अभय उस युवक को बचाने की कोशिश करता है.इसके लिए वह रिया के साथ खुद को मुसीबत में डालने के लिए भी तैयार है.इतना ही नही उसी वक्त वहां पहुॅचे भ्रष्ट और कुख्यात पुलिसकर्मी (परिमल आलोक) को भी नुकसान पहुंचाने से इनकार कर देता है.उधर रिया हर स्थिति में खुद को पहले स्थान पर रखती है.रिया, अभय के साथ पकड़े जाने से बचने के लिए किसी मरते हुए आदमी को सड़क के  किनारे छोड़ने या किसी की हत्या करने से नहीं हिचकिचाती. यही बात अभय की पत्नी नैना (तीर्था मुरबादकर) पर भी लागू होती है, जिसका क्षमाप्रार्थी और विनम्र व्यवहार तब गायब हो जाता है,जब वह खुद को दोषी महसूस करती है, भले ही वह गलती हो.वास्तव में राहुल,नैना का प्रेमी है.यानी कि नैना अपने पति अभय को धोखा देते हुए राहुल संग रंगरेलियंा मना रही थी.अभय के अंदर का अजनबी इंसान जागता है.फिर कहानी में कई घटनाक्रम बड़ी तेजी से बदलते हैं.

 

लेखन निर्देशनः

रंगीन फिल्मों के जमाने में फिल्मकार हेमवंत तिवारी श्वेत श्याम फिल्म लेकर आए हैं,पर यह ‘वन शाॅट श्वेत श्याम’ फिल्म है.विश्व में कुछ वन शाॅट फिल्में बनी हैं,पर वह सभी रंगीन बनी हैं.मगर हेमवंत ने श्वेत श्याम बनायी है. अपनी पटकथा के बल पर हेमवंत तिवारी इस बात को रेखांकित करने मंे सफल रहे हें.क हर इंसान के अंदर लोमड़ /लोमड़ी छिपा होता है,जो कि अजनबी जगह पर अनचाहे मोड़ पर बाहर आता है.यॅूं तो यह बेहतरीन रोमांचक कहानी है.मगर पटकथा में कुछ गड़बड़ी है,जिसके चलते कुछ दृश्य असंगत नजर आते हैं.फिल्म में उसी सुनसान जंगल के रास्ते से गुजरती गर्भवती महिला के दृश्य से फिल्म की कहानी में गतिरोध पैदा होता है.इसका कहानी से कोई संबंध नही है.इसे यदि न रखा गया होता तो फिल्म काफी कसी हुई होती.वैसे पूरी फिल्म देखने के बाद यह अहसास नही होता कि इसे पहली बार निर्देशक बने निर्देशक ने निर्देशित किया है और वह भी वन शाॅट फिल्म को.कुछ दृश्यों को बेवजह रबर की तरह खींचा गया है.शायद वन शाॅट फिल्म होने के चलते व ख्ुाद अभिनय भी करने के चलते निर्देशक बीच में कट नही कर सके.और फिल्म की प्रकृति के चलते इसे एडीटिंग टेबल पर ले जाना नहीं था.फिल्मकार ने कहानी को वर्तमान से एक वर्ष बाद मंे ले जाते समय जिस खूबसूरती से इसे चित्रित किया है,उससे उनकी लेखन व निर्देशकीय काबीलियत उभर कर आती है.हर मिनट कहानी में अतीत के खुलने से जो रहस्यमयता व रोमांच बढ़ता है,वह संुदर लेखन का परिचायक है.बीच बीच में दो तीन जगह दृश्य धीमी गति से चलते हैं,जो कि आवश्यक है.इन दृश्यों को ‘48 फ्रेंम प्रति सेकंड’ पर रखा गया है.अन्यथा पूरी फिल्म ‘24 फ्रेम प्रति सेकंड’ पर है.यह तकनीक पहली बार अपनायी गयी है.निर्देशक ने इस बारे में बताया कि यह पहली बार हुआ है,जब किसी फिल्म को नई तकनीक अपनाते हुए ‘24 फ्रेम प्रति सेकंड ’ की बजाय ‘48 फ्रेम प्रति सेकंड’ में फिल्माने के फिल्म के कुछ दृश्यों को छोड़कर पूरी फिल्म को ‘‘24 फ्रेम प्रति सेकंड’ में बदला है.

फिल्मकार हेमवंत तिवारी के साथ ही कैमरामैन सुप्रतिम भोल ने अपनी खास कलात्मक प्रतिभा के प्रदर्शन से फिल्म को रोचक,मनोरंजक व देखने योग्य बनाया है.

 

अभिनयः

एक असहाय व पीड़ित युवक,वफादार पति,दयालु पिता,उसूलो ंपर चलने वाले आकाश,जो रिया के अचानक गुस्से से भ्रमित हो जाता है,के किरदार को हेमवंत तिवारी अपने अभिनय से संवारने में सफल रहे हैं.अपने पति से खुश न होने के बावजूद अपनी शादी को बचाने के लिए फिक्र मंद रिया के किरदार में ‘‘द वाॅरियर क्वीन आफ झांसी’’सहित तीन इंटरनेशनल फिल्मों व कई सीरियलों में अपने अभिनय का परचम लहरा चुकी अभिनेत्री औरोशिखा डे जानदार अभिनय किया है.मंत्री की षह पर खुद को सर्वेसर्वा मानने वाले कुख्यात व भ्रष्ट पुलिस कर्मी के किरदार में परिमल आलोक अपने अभिनय की छाप छोड़ जाते हैं.मोहित कुलश्रेष्ठ, नवनीत शर्मा,रोशन सजवान और शिल्पा शभलोक के हिस्से करने को कुछ आया ही नहीं.अपने पति को धोखा देने वाली अभरय की पत्नी के छोटे किरदार में तीर्था मुरबाडकर अपने अभिनय की छाप छोड़ जाती हैं.

 

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