कंगना का किसान आंदोलन पर बयान, उठा तूफान

भारतीय जनता पार्टी की सांसद और फिल्म कलाकार कंगना राणावत के किसान आंदोलन पर दिए एक बयान ने देश में तूफान खड़ा कर दिया है. कंगना ने कहा कि पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रव और हिंसा फैला रहे थे और वहां बलात्कार और हत्याएं हो रही थीं.

बिना किसी सुबूत के दिए इस बयान पर जैसा कि होना था, भाजपा ने कंगना के बयान से असहमति जताते हुए किनारा कर लिया और उन्हें भविष्य में ऐसे बयान न देने की हिदायत दी.

अखिल भारतीय किसान सभा ने कंगना राणावत के बयान की निंदा की और किसानों ने अदालत से दखलअंदाजी करने की गुजारिश की है.

कंगना राणावत के बयान ने किसान आंदोलन को ले कर विवाद खड़ा कर दिया है. किसान आंदोलन पिछले कई महीनों से जारी है और सरकार व किसानों के बीच बातचीत हो रही है. पर कंगना के बयान ने इस मुद्दे को और पेचीदा बना दिया है.

कंगना राणावत के बयान की निंदा करते हुए एआइकेएस ने कहा कि यह बयान किसानों के आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश है. किसानों ने कहा कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और कंगना के बयान से उन्हें ठेस पहुंची है. वे कंगना के बयान के खिलाफ मामला दर्ज कराएंगे और अदालत से इंसाफ की मांग करेंगे.

कंगना राणावत के बयान से भाजपा भी मुश्किल में है. पार्टी ने कंगना से दूरी बना ली है और उन्हें भविष्य में ऐसे बयान न देने की हिदायत दी है.

इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि किसान आंदोलन एक जटिल मुद्दा है और इस का समाधान निकालने के लिए सरकार व किसानों के बीच बातचीत जारी रहनी चाहिए.

कंगना राणावत के बयान से किसानों में भाजपा के प्रति नाराजगी है, जो आगामी चुनावों में पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है. साथ ही, विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ हमला बोलने का मुद्दा दे दिया है, जिस से पार्टी की इमेज खराब हो सकती है और पार्टी के समर्थकों में निराशा बढ़ सकती है. वहीं, कंगना के बयान से किसान आंदोलन को बल मिल सकता है, जिस से केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

यही नहीं, हरियाणा में कंगना राणावत के बयान से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में नुकसान हो सकता है खासकर किसान बहुल क्षेत्रों में. भाजपा के अंदरूनी मतभेद भी उभर सकते हैं.

इमेज पर असर

कंगना राणावत के बयान से उन की विवादित छवि और मजबूत हो सकती है, पर उन के प्रशंसकों में निराशा भी बढ़ सकती है. फिल्म उद्योग में उन के साथियों और निर्देशकों में नाराजगी बढ़ सकती है, जिस से उन के फिल्म कैरियर पर असर पड़ सकता है.

कंगना राणावत के बयान को मीडिया द्वारा काफी कवरेज दिया गया है, जिस से उन की छवि और खराब हो सकती है.

कंगना रनौत और भाजपा नेता

दरअसल, कंगना राणावत भाजपा की समर्थक हैं और अकसर पार्टी के समर्थन में बयान देती रहती हैं. भाजपा नेताओं ने कंगना के इस बयान को ले कर असहमति जताई है, जिस से लगता है कि यह बयान पार्टी के इशारे पर नहीं दिया गया है.

किसान आंदोलन एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर बयान देने से पहले किसी भी राजनीतिक दल या शख्स को सावधानी बरतनी चाहिए, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कंगना के बयान भाजपा नेताओं के इशारे पर दिए गए हैं या नहीं, लेकिन यह जरूर है कि इस बयान से कंगना और भाजपा दोनों की छवि पर बुरा असर पड़ सकता है.

आरोपों की हकीकत

दरअसल, इस का मूल्यांकन करना मुश्किल है, क्योंकि यह एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है. सच है कि किसान आंदोलन एक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक अधिकार है, जिस में किसान अपने अधिकारों और मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं.

किसान आंदोलन में शामिल ज्यादातर लोग शांतिपूर्ण और अहिंसक हैं और उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने का पूरा हक है. किसान आंदोलन में कुछ उपद्रवी तत्त्व हो सकते हैं, लेकिन यह आंदोलन के उद्देश्य और मूल्यों को नहीं बदलता है.

कंगना राणावत के बयान में किसानों को ‘उपद्रवी’ और ‘हिंसक’ कहना गलत है, इसलिए कंगना राणावत के किसानों पर लगाए गए आरोपों को सही नहीं माना जा सकता है.

पहले भी किसानों पर हमला

एक समय कंगना राणावत ने किसान आंदोलन को ‘खालिस्तानी’ और ‘उपद्रवी’ कहा था, जिसे किसानों और उन के समर्थकों ने पूरी तरह से नकारा था. इस के बाद एक महिला ने कंगना को थप्पड़ मारा था, जिस का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

यह घटना पंजाब में हुई थी, जहां किसान आंदोलन काफी मजबूत है. इस घटना के बाद कंगना ने माफी मांगने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वे अपने बयान पर कायम हैं.

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