त्योहार पर जेवर खरीदें सावधानी से

बिहार के गया जिले का रहने वाला दिवाकर कुमार दिल्ली में अपने परिवार के साथ नांगलोई इलाके में रहता है. उस की पत्नी सुनीता की फरमाइश है कि इस बार दीवाली पर उसे सोने के झुमके मिल जाएं, तो सोने पे सुहागा हो जाए.

दीवाली से कई दिन पहले खासतौर पर धनतेरस पर लोग अपने घरपरिवार के लिए कोई न कोई ऐसा सामान खरीदते हैं, जो किसी धातु से बना हो. ऐसा माना जाता है कि धनतेरस पर बरतन, गहने वगैरह की खरीदारी से घर में बरकत बनी रहती है.

चूंकि पहले आम घरों में भी पीतल से बने बरतन होते थे, तो लोग ज्यादातर वही खरीदते थे और अगर जमापूंजी बच गई है, तो सोने का कोई छोटामोटा गहना जैसे अंगूठी, मंगलसूत्र, चूड़ी, कान की बाली वगैरह की खरीदारी कर ली जाती थी.

वैसे तो दिवाकर का हाथ थोड़ा तंग था, फिर भी दीवाली के बारे में सोच कर वह और सुनीता एक लोकल सुनार के पास गए और उन्हें वहां झुमके पसंद भी आ गए, पर जिस तरह से सुनार उन झुमकों की कीमत बता रहा था, वह दिवाकर को समझ नहीं आ रही थी. वे झुमके कितने कैरेट के थे, उन का भार कितना था, मेकिंग चार्ज में भी कोई साफगोई नहीं दिखाई दे रही थी. सब से बड़ी बात तो यह कि वह सुनार कच्ची रसीद बनाने पर ज्यादा जोर दे रहा था.

सुनीता कहती रह गई, पर दिवाकर को इस खरीदारी में बड़ा झल नजर आया और वह बिना झुमके लिए घर आ गया.

दरअसल, अब चूंकि सुनार और ग्राहक का वह भरोसे वाला रिश्ता कमजोर पड़ने लगा है, तो लोग पहले से ज्यादा सावधान हो गए हैं और सरकारी इश्तिहारों में सोने के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी से बचने के लिए पहले ही सावधान हो जाते हैं.

एक जागरूक ग्राहक को पता होना चाहिए कि अगर वह सोने का कोई बिसकुट खरीद रहा है, तो 24 कैरेट सोने का जो भाव चल रहा है, वही उस बिसकुट की कीमत होगी. पर अगर वह सोने के गहने खरीद रहा है, तो उसे याद रखना होगा कि भारत में 5 हालमार्क श्रेणियों 23, 22, 20, 18 और 14 कैरेट में गहने बनते हैं. उसी के मुताबिक सोने की कीमत तय होती है.

जितना कम कैरेट होगा, सोना भी उतना ही कम खरापन लिए होगा.

अगर 24 कैरेट में 100 फीसदी सोना होता है, तो 23 कैरेट में 95.88 फीसदी, 22 कैरेट में 91.66 फीसदी, 20 कैरेट में 84 फीसदी, 18 कैरेट में 75.76 फीसदी और 14 कैरेट में 58.50 फीसदी सोना पाया जाता है.

लिहाजा, धोखाधड़ी से बचने के लिए ग्राहक को हमेशा हालमार्क के निशान वाला ही गहना खरीदना चाहिए. इस के अलावा गहनों पर बीआईएस का ‘तिकोना मार्क’ लिखा होना चाहिए, जो यह बताए कि इसे ब्यूरो औफ इंडियन स्टैंडर्ड्स से मंजूरी मिली हुई है.

इसी के साथ गहनों पर पीछे या अंदर की तरफ एक एचयूआईडी यानी हालमार्क यूनीक आइडैंटिटिफिकेशन नंबर भी लिखा होता है, जो 6 अंकों का खास तरह का कोड होता है, जिस में कुछ अंक और कुछ वर्ण लिखे होते हैं. अगर ऐसा नहीं है तो गहना हालमार्क का नहीं है. इस में मिलावट हो सकती है.

अमूमन लोग किसी गहने की कीमत के गणित में उलझ कर रह जाते हैं और सुनार जो कीमत बताता है, वह भी उन के पल्ले कम ही पड़ती है, पर इस सब के बावजूद ग्राहकों को अपने कान थोड़े खुले रखने चाहिए और थोड़ा हिसाब खुद भी लगा लेना चाहिए.

याद रखें कि जितने कैरेट का गहना है, उस की कीमत उस कैरेट की कीमतों के हिसाब से होगी. मान लीजिए,

24 कैरेट सोने की कीमत 60,000 रुपए प्रति 10 ग्राम है, तो 22 कैरेट सोने की कीमत 60,000 रुपए की 91.66 फीसदी की जो भी कीमत निकलेगी वह होगी. ऐसा ही 18 कैरेट में होगा. यह 24 कैरेट सोने की कीमत की 75 फीसदी कीमत होगी.

गहने के डिजाइन के हिसाब से सुनार बनवाई के भी पैसे जोड़ता है. अमूमन सुनार प्रति ग्राम सोने पर 10 फीसदी से ले कर 30 फीसदी तक का मार्जिन लेते हैं. एक समझदार और होशियार ग्राहक इस मेकिंग चार्ज पर मोलभाव कर के गहने की कीमत कम करा सकता है.

यह मेकिंग चार्ज साधारण डिजाइन की चीजें खरीदने पर कम लगता है, लेकिन बारीक और गहराई वाले डिजाइनर गहनों पर ज्यादा लगता है.

ग्राहक को दिक्कत तब आती है, जब वह अपना सोना लौटाने या बेचने जाता है. तब यह मेकिंग चार्ज उसे वापस नहीं मिलता, बल्कि सिर्फ सोने का दाम मिलता है.

ग्राहक को अपने खरीदे गए गहने का वजन बड़े ध्यान से चैक करना चाहिए. वजन की थोड़ी भी कमी ज्यादा चपत लगा सकती है. इस के अलावा हमेशा पक्का बिल ही लें. उस में गहने के बारे में दी गई जानकारी जैसे मेकिंग चार्ज, हर तरह के टैक्स, वजन वगैरह को भी जरूर चैक करें. इस के अलावा बाजार में घूम कर कई दुकानों पर गहने देख लेने चाहिए.

त्योहार पर अपनों के लिए सोना जरूर खरीदें. इस तरह के तोहफों से आपसी रिश्ता मजबूत होता है और मुश्किल समय में यही सोना आप के काम भी आ सकता है.

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