हस्तमैथुन नहीं है गंदी बात, काबू में रहते हैं जज्बात

महेश अपने बिस्तर पर बैठे शाम की चाय का लुत्फ ले रहे थे कि तभी उन की पत्नी सुधा किसी गुस्सैल नागिन सी फनफनाती हुई वहां आई और उन के कान में जहर उगलते हुए बोली, ‘‘अपने लाड़ले की करतूत देखी. यह लड़का तो हमें कहीं का नहीं छोड़ेगा. जवानी की मूंछें क्या फूटीं घर में ही नरक मचाने लगा है.’’

‘‘अब क्या कर दिया साहिल ने? क्यों सारा घर सिर पर उठा रही हो?’’ यह पूछते हुए महेश की चाय का स्वाद एकदम से फीका हो गया.

‘‘अभी मैं उस के कमरे के बाहर से निकली तो देखती हूं कि उस के एक हाथ में मोबाइल फोन था और दूसरा हाथ पजामे के अंदर. पहले तो मैं समझ ही नहीं पाई कि पता नहीं क्या हिला रहा था, फिर मेरे कान एकदम से खड़े हुए कि इस की तो जवानी जोश मार रही है. यह लड़का तो एक दिन हमारी नाक ही कटवा कर मानेगा,’’ सुधा ने सारा किस्सा ही खोल डाला.

यह सुन कर पहले तो महेश का माथा ठनका, पर साथ ही उस ने अपनी पत्नी की मन ही मन तारीफ भी की कि उस ने किसी आम मां की तरह अपने बेटे की इस हरकत पर उसे सुनाई नहीं, बल्कि अपने पति को बताना ठीक समझ, पर सुधा का यह बौखलाया रूप महेश के लिए चिंताजनक था, क्योंकि वह जानता है कि उस के बेटे ने कोई अनोखा काम नहीं किया है, पर चूंकि हमारा समाज इसे घिनौना काम सम?ाता है, इसलिए सुधा सबकुछ जान बूझ कर आगबबूला हुए जा रही है.

‘‘तुम चिंता मत करो. मैं उसे समझ दूंगा,’’ महेश ने सुधा से कहा और एक और चाय बनाने की मनुहार करने लगा.

सुधा बड़बड़ाते हुए रसोईघर में चली गई. महेश ने कुछ सोचा और फिर साहिल के कमरे में चला गया.

अपने पिता को अचानक वहां आया देख कर साहिल ने अपना फोन बंद कर दिया और अपने कपड़े ठीक करने लगा.

‘‘क्या हो रहा है?’’ महेश ने साहिल से पूछा.

‘‘कुछ खास नहीं…’’ साहिल ने जवाब दिया.

‘‘बेटा, मैं तेरा बाप हूं और तेरी मां ने मुझ जो बताया है, वैसा होना कोई अचरज की बात नहीं है. तुम्हारी उम्र में इस सब की शुरुआत होती है…’’

पापा के इतना कहने का इशारा साहिल समझ चुका था, पर उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि वे उस के हस्तमैथुन करने की बात को इस सहज अंदाज में उस के सामने रखेंगे.

साहिल झिझकते हुए बोला, ‘‘सौरी पापा, पर मैं भावनाओं में बह गया था. मुझे इस बात का ध्यान रखना चाहिए था कि घर में सब हैं या मैं इस समय बाथरूम में नहीं हूं.’’

एक समझदार पिता और बेटे का यह संवाद सुनने में थोड़ा अटपटा लगता है, पर अगर हस्तमैथुन को समाज के नाम पर धब्बा न समझ जाए तो समस्या उतनी ही छोटी है, जितनी महेश और साहिल के बीच की बातचीत थी.

पर भारत जैसे देश में, जहां धर्म और सामाजिक रूढि़यां लोगों के दिमाग पर हद से ज्यादा हावी रहती हैं, हस्तमैथुन पर बात करना तो दूर इशारों में भी इस के बारे में कहना बड़ा दिलेरी वाला काम समझ जाता है.

सब से दुखद पहलू तो यह है कि हस्तमैथुन को विकृति मान लिया जाता है. हमउम्र किशोर भी इसे ले कर एकदूसरे की खिल्ली उड़ाते हैं या फिर सुनीसुनाई अधकचरी जानकारी एकदूसरे पर उड़ेल देते हैं.

15 साल के विनोद का ही किस्सा ले लें. एक दिन उस के अंग में जोश आया तो वह खिलौना समझ कर खेल गया. चूंकि घर पर अकेला था तो बाद में उसे ग्लानि हुई. वह भी सिर्फ इसलिए कि उस का हाथ और कपड़े खराब हो गए थे.

विनोद को लगा कि उस से यह कोई अपराध हुआ है और उस ने दोबारा इसे न दोहराने की कसम खाई. पर अपने अंग के तनाव को कब तक रोक पाता. फिर वही हुआ, पर इस बार उसे ज्यादा मजा आया और उस ने एक अच्छी किताब से इस बारे में पढ़ा.

विनोद को जो समझ आया, उस का सार यह था कि यह खुद से किया गया ऐसा सैक्स है, जिस में पार्टनर की जरूरत नहीं होती है. यह कुदरती है और किसी तरह की कोई जिस्मानी बीमारी नहीं है, पर हां, बहुत से लड़के इसे बीमारी मान कर दिमाग में टैंशन जरूर भर लेते हैं और फिर झलाछाप डाक्टरों के चंगुल में फंस जाते हैं. वे शातिर डाक्टर हस्तमैथुन को जानलेवा मर्ज बता कर पीडि़त को नीलीपीली गोलियां थमा देते हैं.

पर जब इस बारे में प्लास्टिक, कौस्मैटिक और एंड्रोलौजिस्ट डाक्टर अनूप धीर से बात की गई, तो उन्होंने बताया, ‘‘हस्तमैथुन करना बहुत ही सामान्य बात है. यह अपने शरीर के बारे में जानने, मजे का अहसास करने और सैक्सुअल तनाव को कम करने का कुदरती और महफूज तरीका है.

‘‘हालांकि इसे ले कर कई तरह के झठ फैले हुए हैं, पर हस्तमैथुन से किसी तरह का शारीरिक नुकसान नहीं होता है, लेकिन ज्यादा हस्तमैथुन करना आप के रिश्ते और रोजाना की जिंदगी को नुकसान पहुंचा सकता है.

‘‘कुछ लोग सांस्कृतिक, आध्यात्मिक या धार्मिक मान्यताओं की वजह से हस्तमैथुन को लेकर शर्म महसूस कर सकते हैं. हस्तमैथुन न तो गलत है और न ही अनैतिक, फिर भी आप को कुछ ऐसे संदेश सुनने को मिल सकते हैं कि ऐसा आत्मसुख ‘गंदी’ और ‘शर्मनाक’ बात है.

‘‘अगर आप हस्तमैथुन को ले कर शर्म महसूस कर रहे हैं, तो किसी ऐसे इनसान से बात करें, जिस पर आप इन बातों को ले कर विश्वास कर सकते हैं और इस भावना से बाहर निकलने के तरीकों के बारे में बात कर सकते हैं. सैक्सुअल मामलों के माहिर आप के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.’’

डाक्टर अनूप धीर ने यह भी बताया कि किस तरह हस्तमैथुन से हमारी सेहत पर पड़ने वाले पौजिटिव असर के बारे में जान और समझ कर किस तरह सेहत से जुड़ी समस्याओं में मदद मिलती है :

* हस्तमैथुन से शरीर में खून का दौरा बढ़ता है और ऐंडौर्फिन रिलीज होता है, जो मजा बढ़ाने वाला ब्रेन कैमिकल है.

* इस से दिमागी तनाव और परेशानी कम होती है. इस से आप को आराम मिलता है और आप का आत्मविश्वास बढ़ता है. इस से आप को अपनी इच्छाओं के बारे में पता चलता है और आप पार्टनर के बिना भी सैक्सुअली संतुष्ट हो सकते हैं. इस से आप को अपने साथ प्रयोग करने का मौका मिलता है, आप अपने शरीर को सम?ा पाते हैं.

* दक्षिण एशिया (पाकिस्तान, भारत, बंगलादेश, नेपाल और श्रीलंका समेत) की संस्कृतियों में धत् सिंड्रोम जिसे संस्कृत में ‘धातु दोष’ कहते हैं, पाया जाता है. इस में मरीज यह बताते हैं कि वे समय से पहले पस्त होने या नामर्दी जैसी समस्याओं का सामना करते हैं और मानते हैं कि पेशाब के रास्ते उन का वीर्य निकल जाता है.

* कुछ सभ्यताओं में माना जाता है कि धत् को सुरक्षित रखने से आप को अच्छी सेहत और लंबी जिंदगी मिलती है. इसी वजह से धत् गंवाने को गलत माना जाता है.

* माना जाता है कि यह सोच सैक्स को ले कर पीढि़यों से चली आ रही गलत सोच की वजह से उभरी है. रिसर्च करने वालों का मानना है कि धत् सिंड्रोम से पीडि़त नौजवान होते हैं और सैक्स को ले कर रूढि़वादी मान्यताओं को मानने वाले गांवदेहात के इलाकों में बसते हैं. उन के मुताबिक, धत् सिंड्रोम से पीडि़त मर्द कम पढ़ेलिखे होते हैं और उन का सामाजिक और माली लैवल काफी नीचे होता है.

* इस के इलाज में आमतौर पर दवाएं (डिप्रैशन और तनाव से बचाने वाली दवाएं), सैक्स शिक्षा और संस्कृतियों के हिसाब से काउंसलिंग व ज्ञान संबंधी व्यवहार से संबंधित थैरेपी शामिल हैं.

डाक्टर अनूप धीर ने हस्तमैथुन के बारे में तकनीकी और डाक्टरी जानकारी दी. इस के अलावा हम फिल्म ‘छिछोरे’ के एक किरदार ‘सैक्स’ से भी सीख ले सकते हैं, जो इंजीनियरिंग कर रहा है, खूब खातापीता है, तंदुरुस्त है, पर अपने ‘बंटी’ से खेलना उस का शौक है.

इस किरदार से एक सीख और भी मिलती है कि भले ही ‘सैक्स’ को लड़की नहीं मिलती है, जबकि उस के दिमाग में हमेशा लड़की ही छाई रहती है, पर वह लड़कियों के साथ कभी बदतमीजी नहीं करता है. उन्हें ले कर रेप करने के बारे में नहीं सोचता है. उसे अपने हस्तमैथुन को ले कर कोई ग्लानि नहीं, बल्कि वह उसे ऐंजौय करता है.

लिहाजा, हस्तमैथुन को भयंकर बीमारी मानने की भूल कतई न करें और इस का इलाज नीमहकीम डाक्टरों के पास तो बिलकुल भी नहीं है. कोई बड़ी समस्या होती है तो माहिर डाक्टर से ही मिलें.

मुझे बैडमैथुन करने की आदत है. बिस्तर पर थोड़ी उछलकूद करने के बाद अंग से वीर्य निकल जाता है, फिर देर तक अंग ठंडा पड़ा रहता है. शादी के बाद मैं बीवी के साथ कुछ कर पाऊंगा या नहीं.

सवाल
मैं 23 साल का हूं. मुझे बचपन से ही बैडमैथुन करने की आदत है यानी बिस्तर पर थोड़ी उछलकूद करने के बाद अंग से वीर्य निकल जाता है, फिर देर तक अंग ठंडा पड़ा रहता है. डर लगता है कि शादी के बाद मैं बीवी के साथ कुछ कर पाऊंगा या नहीं?

जवाब
हस्तमैथुन की तरह ही आप बैडमैथुन करते हैं. ये आदतें अच्छी नहीं हैं, पर इन्हें पक्का इरादा कर के छोड़ा जा सकता है. वैसे, इन से कोई नुकसान नहीं होता. शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा.

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वीर्य की जानकारी आपके लिए है फायदेमंद

वीर्य आदमी के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टै्रट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल ग्रंथियों से निकले रसों से बनता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म होते हैं, जो वीर्य में तैरते रहते हैं. शुक्राणु की मदद से ही बच्चे पैदा होते हैं.

अंडकोष यानी शुक्राशय आदमी के शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की जरूरत होती है. अगर किसी वजह से अंडकोष अंदर ही रह जाते हैं, तो ये खराब हो जाते हैं. शुक्राशय के 2 काम हैं, शुक्राणु बनाना और पुरुषत्व हार्मोन टैस्ट्रोस्ट्रान बनाना.

टैस्ट्रोस्ट्रान कैमिकल ही आदमी में क्रोमोसोम के साथ लिंग तय करता है. इसी के चलते बड़े होने पर लड़कों में बदलाव होते हैं, जैसे अंग के आकार में बढ़ोतरी, दाढ़ीमूंछें निकलना, आवाज में बदलाव, मांसपेशियों का ताकतवर होना वगैरह.

किशोर उम्र तक शुक्राशय शुक्राणु नहीं बनाते. ये 11 से 13 साल के बीच शुरू होते हैं और तकरीबन 17-18 साल तक पूरी तेजी से बनते हैं.

अंडकोष से निकल कर शुक्राणु इस के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो कर पकते हैं. यहां पर ये तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हैं. शुक्राणु बनने की पूरी प्रक्रिया में 72 दिन का समय लगता है.

किशोर उम्र में बनना शुरू हो कर शुक्राणु जिंदगीभर बनते रहते हैं. हां, अधेड़ उम्र में इस के बनने की रफ्तार धीमी हो जाती है. शुक्राणु के बनने में दिमाग में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन का हाथ होता है. इन हार्मोनों की कमी होने पर शुक्राणु बनना बंद हो जाते हैं.

वीर्य में मौजूद शुक्राणु 2 तरह के होते हैं, 3 3 या 3 4. अगर औरत के अंडे का मिलन 3 3 से होता है, तो लड़की और अगर 3 4 से होता है, तो लड़का पैदा होता है.

मां के पेट में बच्चे का लिंग आदमी के शुक्राणुओं द्वारा तय होता है. इस में औरत का कोई बस नहीं होता है. वीर्य में सब से ज्यादा रस सैमाइनल वैसिकल ग्रंथि से निकले पानी से होता है. इस में फ्रक्टोज शुक्राणुओं का पोषक तत्त्व होता है. इस के अलावा रस में साइट्रिक एसिड, प्रोस्ट्राग्लैंडिन और फाइब्रोजन तत्त्व भी पाए जाते हैं.

प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रस दूधिया रंग का होता है. इस में साइट्रेट, कैल्शियम, फास्फेट, वीर्य में थक्का बनाने वाले एंजाइम और घोलने वाले तत्त्व होते हैं. इन में अलावा मूत्र में स्थित यूरेथल ग्रंथियों का रिसाव भी वीर्य में मिल जाता है.

स्खलन के समय शुक्राशय से निकले शुक्राणु सैमाइनल वैसिकल व प्रोस्टै्रट के स्राव के साथ मिल कर शुक्र नली द्वारा होते हुए मूत्र नलिका से बाहर हो जाते हैं.

यह भी जानें

* एक बार में निकले वीर्य की मात्रा 2 से 5 मिलीलिटर होती है.

* वीर्य चिकनापन लिए दूधिया रंग का होता है और इस में एक खास तरह की गंध होती है.

* वीर्य का चिकनापन सैमाइनल वैसिकल व पीए प्रोस्टै्रट के स्राव के चलते होता है. अगर पीए अम्लीय है, वीर्य पीला या लाल रंग लिए है, तो यह बीमारी की निशानी है.

* वीर्य से बदबू आना भी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

* 2-3 दिन के बाद निकला वीर्य गाढ़ा होता है, क्योंकि इस में शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा होती है.

* वीर्य निकलने के बाद जम जाता है. पर इस में मौजूद रसायन फाइब्रोलाइसिन एंजाइम इसे 15-20 मिनट में दोबारा पतला कर देते हैं. अगर वीर्य दोबारा पतला न हो, तो यह बीमारी की निशानी है.

* 4-5 दिन बाद एक घन मिलीलिटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 8 से 12 करोड़ होती है. यानी एक बार में तकरीबन 40 करोड़ शुक्राणु निकलते हैं, पर एक ही शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए काफी होता है.

* अगर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 6 करोड़ प्रति मिलीलिटर से कम हो, तो आदमी में बच्चे पैदा करने की ताकत कम होती है. अगर 2 करोड़ से कम हो, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* सामान्य शुक्राणु छोटे से सांप की शक्ल का होता है. इस का सिरा गोल सा होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिस को एक्रोसोम कहते हैं. साथ में गरदन, धड़ और पूंछ होती है.

* अगर शुक्राणुओं के आकार में फर्क हो, तब भी बच्चे पैदा करने की ताकत कम हो जाती है. यह फर्क सिर, धड़ या पूंछ में हो सकता है. अगर असामान्य शुक्राणुओं की संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा होती है, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* शुक्राणु वीर्य में हमेशा तैरते रहते हैं. अगर शुक्राणु सुस्त हैं या 40 फीसदी से ज्यादा गतिहीन हैं, तो भी आदमी नामर्द हो सकता है.

* अगर वीर्य में मवाद, खून या श्वेत खून की कणिकाएं मौजूद हों, तो यह भी बीमारी की निशानी है.

* वीर्य या शुक्राणु बनने में खराबी कई बीमारियों के चलते हो सकती है. हार्मोन के बदलाव से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है.

* शुक्राशय में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे मम्स, लेप्रोसी, सिफलिस वगैरह.

* ट्यूमर, इंफैक्शन, फाइलेरिया से शुक्राशय खराब हो सकता है.

* शुक्राणु के बनने में प्रोटीन, विटामिन, खासतौर से विटामिन ई की जरूरत होती है.

वीर्य संबंधी गलतफहमियां

 *  अगर पेशाब के साथ वीर्य या वीर्य जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तो लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. वे समझते हैं कि उन की ताकत कम हो रही है. नतीजतन, वे कई बीमारियों को न्योता दे बैठते हैं, जबकि वीर्य के निकलने या धातु निकलने से जिस्मानी ताकत में कमी होने का कोई संबंध नहीं है.

* हस्तमैथुन करने या रात को वीर्य गिरने से नौजवान समझते हैं कि इस के द्वारा उन की ताकत निकल रही है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं, जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है.

* वीर्य जमा नहीं होता. अगर वीर्य के साथ शुक्राणु बाहर न निकलें, तो शरीर में इन की कमी हो जाती है. इसी तरह शौच जाते समय जोर लगाने से भी कुछ बूंद वीर्य निकल सकता है, इसलिए घबराएं नहीं.

* कुछ लोगों में यह गलतफहमी है कि वीर्य की एक बूंद 40 बूंद खून के बराबर है. यह गलत सोच है. वीर्य जननांगों का स्राव है, जो लार, पसीना या आंसू की तरह ही शरीर में बनता है.

* कुछ लोगों का मानना है कि वे वीर्य गिरने के समय जीवनदायक रस को बरबाद करते रहे हैं.

* अगर वीर्य के निकल जाने से कीमती ताकत का नाश होता है, तो सभी शादीशुदा आदमी कमजोर हो जाते, इसलिए वीर्य और सैक्स संबंध के बारे में गलत सोच न बनाएं, तनाव से दूर रहें और कामयाब जिंदगी का लुत्फ उठाएं.

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