उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ईटैंडरिंग योजना पर अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा था कि ठेके देने की पारदर्शी व्यवस्था बन सकेगी, जिससे भ्रष्टाचार खत्म होगा, पर सरकार के दूसरे तमाम दावों की तरह यह दावा भी खोखला निकला. मुरादनगर हादसा ‘श्मशान में दलाली’ का सबसे बड़ा सुबूत है. यह योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टौलरैंस नीति के सच को भी सब के सामने ला रहा है. भ्रष्टाचार करने वालों ने श्मशान की दीवारों पर तमाम ‘सूक्ति वाक्य’ लिखवाए जरूर थे, पर उन पर खुद अमल नहीं किया.
साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी, तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उन की सरकार भ्रष्टाचार पर जीरो टौलरैंस की नीति पर काम करेगी. पर भ्रष्टाचार कहीं भी कम नहीं हुआ, उलटे जब लोगों ने भ्रष्टाचार की शिकायत की तो उनकी बात सुनी नहीं गई. जिसने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की उसके ही खिलाफ सरकार ने मुकदमे तक कायम करा दिए. सरकारी स्कूल में मिड डे मील घोटाले और लापरवाही की शिकायत करने पर मिर्जापुर जिले में पत्रकार के खिलाफ मुकदमा कायम कर के जेल भेज दिया गया.
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगरनिगम में आयुक्त और मेयर के बीच का विवाद भी भ्रष्टाचार के ही चलते था. मेयर की शिकायत के बाद आयुक्त का तबादला किया गया था. सरकार इन मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही थी.
गाजियाबाद के मुरादनगर में श्मशान घाट के 70 फुट लंबे गलियारे की एक महीने पहले बनी छत (लिंटर) पहली ही बारिश में गिरी तो उस के नीचे 25 आदमी दब कर मर गए और 15 घायल हुए.
एक कहावत है कि ‘गंदगी को कितना भी दबाने की कोशिश कीजिए वह बाहर आ ही जाती है’. मुरादनगर श्मशान घाट हादसे में भी यही हुआ. इस हादसे ने योगी सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टौलरैंस नीति का खुलासा कर दिया. सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि सरकार बनने के 3 साल बाद भी भ्रष्टाचार खत्म क्यों नहीं हुआ? सरकार अब मरने वालों को 10 लाख रुपए का नकद मुआवजा और रहने के लिए घर देने का दिखावा कर के अपने अपराध को कम करने की कोशिश कर रही है. सरकार के पास अब यह कहने का मौका नहीं है कि उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार मुक्त राज्य है.
ऐसे मिलता है ठेका
मुरादनगर नगरपालिका के चेयरमैन विकास तेवतिया हैं. मुरादनगर के उखलारसी अंत्येष्टि स्थल के निर्माण का ठेका ठेकेदार अजय त्यागी को दिया गया था. अजय त्यागी को चेयरमैन विकास तेवतिया का करीबी माना जाता है. अजय त्यागी ने जिले के दूसरे अफसरों से भी अच्छे संबंध बनाए हैं. इस के दम पर ही उसे मुरादनगर उखलारसी अंत्येष्टि स्थल के निर्माण ठेके के साथसाथ शहर में दूसरी जगह काम करने का ठेका भी मिला हुआ है.
एक साल पहले उखलारसी अंत्येष्टि स्थल के निर्माण का ठेका 55 लाख रुपए में दिया गया था. इस के निर्माण में 60 लाख रुपए की लागत आई थी. अक्तूबर महीने में अंत्येष्टि स्थल पर बने भवन और गलियारे पर छत (लिंटर) डाली गई थी. दिसंबर महीने में निर्माण का काम पूरा हो गया था. निर्माण के बाद जांच अधिकारी ने भवन की जांच कर के क्वालिटी रिपोर्ट में सभी मानको को दुरुस्त बताया था. क्वालिटी रिपोर्ट सही पाए जाने के बाद भवन को खोल दिया गया था. अभी इस का लोकार्पण नहीं किया गया है.
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3 जनवरी, 2021 को अंत्येष्टि स्थल ढह गया. 60 लाख रुपए का निर्माण जनता के लिए खोले जाने के बाद 15 दिन में ही ढह गया. मंडलायुक्त अनीता मेश्राम के निर्देश पर मुरादनगर नगरपालिका की अधिशासी अधिकारी निहारिका चौहान, ठेकेदार अजय त्यागी, जेई सीपी सिंह, सुपरवाइजर आशीष के खिलाफ गैरइरादतन हत्या, भ्रष्टाचार और लापरवाही का मुकदमा आईपीसी 1860 की धारा 304, 337, 338, 427 और 409 के तहत अपराध संख्या 0006 में कायम किया गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका के तहत मुकदमा कायम करने का आदेश दिया गया है. सरकार ने लिखापढ़ी में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा कायम कराया, पर जिन लोगों के इशारे पर ठेके दिए जाते हैं, उन के खिलाफ कुछ भी नहीं किया गया.
शोकसभा में हुआ हादसा
मुरादनगर के बंबारोड संगम विहार के बाशिंदे 70 साल के जयराम की मौत रविवार, 3 जनवरी, 2021 को हो गई थी. जयराम के बेटे दीपक ने गाजियाबाद के मुरादनगर थाने मे दी गई अपनी तहरीर में बताया कि वह अपने पिता का अंतिम संस्कार करने उखलारसी अंत्येष्टि स्थल आया था. साथ में गांवमहल्ले के कुछ लोग और रिश्तेदार भी थे. इन में से कुछ लोग बरसात से बचने के लिए श्मशान घाट में नए बने भवन के नीचे खड़े थे. वहीं पर शोक सभा होने लगी थी.
दोपहर के तकरीबन 12 बजे थे. इसी बीच बरसात के चलते वहां बना लिंटर भरभरा कर गिर गया, जिस में कई लोगों की मौत हो गई और बहुत से लोग घायल हो गए. कई वाहन भी इस मलबे में दब गए. दीपक ने पुलिस से जांच करने और इंसाफ दिलाने की मांग की.
घटिया निर्माण पहले भी होता रहा है, पर यह पहली बार हुआ है जब नई बनी इमारत एक महीने में ही ढह गई और उस के नीचे आ कर 25 लोगों की मौत हो गई. मुरादनगर श्मशान घाट पर जब यह निर्माण हो रहा था, उसी समय घटिया निर्माण की शिकायत की गई थी. पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रेखा अरोड़ा के पति समाजसेवी राधे अरोड़ा और सभासद दिनेश कुमार शर्मा ने नगरपालिका के अधिकारियों को निर्माण कार्य में घटिया सामान इस्तेमाल किए जाने की शिकायत की थी.
ठेकेदार अजय त्यागी को राजनीतिक सिफारिश के बाद ठेका मिला था. इस वजह से नगरपालिका के अफसर घटिया निर्माण की शिकायत के बाद भी खामोश रहे.
दलाली की जांच
मुरादनगर श्मशान घाट हादसे में घटिया निर्माण की जांच का काम भी वहीं के अफसरों को दिया गया है, जिससे साफ है कि मामले में कोई फंसेगा नहीं. कुछ दिन बाद मामला निपटा दिया जाएगा. सरकार ने अपना दामन बचाने के लिए कड़े कदम उठाने का दावा करते हुए इस घटना के जिम्मेदार छोटे कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा कायम करने, रासुका लगाने और सरकारी पैसे को उन से वसूलने का बड़ा वादा किया है, पर इस के बाद भी भ्रष्टाचार खत्म होगा, यह नहीं कहा जा सकता. जब तक ठेकों में राजनीतिक दखलअंदाजी नहीं बंद होगी, तब तक यह सब चलता रहेगा. सरकारी कर्मचारियों को मोहरा बना कर नेता मोटी कमाई करते रहेंगे.
श्मशान घाट हादसे में घटिया निर्माण की जांच के लिए जिले के डीएम अजय शकर पांडेय ने जीडीए और पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में जांच कमेटी का गठन किया है. जांच के 2 बिंदु हैं कि क्या निर्माण के सामान की क्वालिटी घटिया थी और जब इस बात की शिकायत मिली थी, तब उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया.
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वैसे, सरकार की तरफ से अब बड़ेबड़े दावे किए जा रहे हैं कि कोई भी जिम्मेदार बचने नहीं पाएगा. सांसद और केंद्रीय मंत्री रिटायर्ड जनरल वीके सिंह ने कहा कि जांच में किसी को बचाया नहीं जा सकेगा. कमिश्नर और एडीजी स्तर के अधिकारी जांच कर रहे हैं.
आम आदमी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह कहते हैं, ‘भाजपा श्मशान में दलाली वाले काम कर रही है. मुरादनगर की घटना ने यह बात साफतौर पर साबित कर दी है. अभी तक भाजपा इस बात को नहीं मान रही थी. वह उत्तर प्रदेश की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों को मानने के लिए तैयार नहीं थी. मुरादनगर की घटना ने सुबूत दे दिया है. केवल कर्मचारियों की नहीं, बल्कि सरकार की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए.’