बीना के मन में शादी की पहली रात का डर बैठ गया था कि वह रात के दौरान कैसे सहज रहेगी. बड़ी मुश्किल से वह डाक्टर की सलाह और पति के सहयोग से सहज हो पाई. दिल्ली के अमर जैन अस्पताल के डाक्टर अरुण जैन के मुताबिक, ‘‘बहुत सी लड़कियों के मन में डर बैठ जाता है कि पहली बार बहुत पीड़ा होगी. मगर यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो सब कुछ सुगम हो जाता है.’’ नीना के पति ने शादी के 2-3 दिनों तक पत्नी के साथ एक दोस्त का व्यवहार करते हुए नीना को संबंध के लिए तैयार किया.
शादी की पहली रात किसी भी लड़की के लिए नया अनुभव लिए होती है. अत: ऐसे में खुद को तैयार करने के लिए आपस में सैक्स संबंधित बातें करें. एकदूसरे की सैक्स से संबंधित इच्छा जानने का प्रयास करें.
पहली रात को भावनात्मक लगाव की कमी भी मानसिक रूप से तैयार होने से रोकती है. अत: चुंबन, स्पर्श, आलिंगन से पत्नी को तैयार करें यानी पत्नी को तैयार करने के लिए फोरप्ले में समय लगाएं.
सहज व तनावमुक्त
यदि पहली बार संबंध बनाते समय झिल्ली ज्यादा सख्त लगे तो बजाय जोरजबरदस्ती करने के स्त्री सैक्सोलौजिस्ट की सलाह से झिल्ली को हटवाएं. तब न केवल जबरदस्ती संबंध बनाने से होने वाली ब्लीडिंग से बचाव होगा वरन पीड़ा भी नहीं होगी.
ओवरवेट पत्नी को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पहले जैल क्रीम लगाएं. पत्नी को कहें कि वह अपने शरीर को ढीला छोड़ कर संबंध का आनंद ले.
वैजिनिसमस मानसिक कारणों से होता है. स्त्री के अंग के चारों ओर की मांसपेशियां, अनैच्छिक रूप से संकुचित हो जाती हैं. स्त्री अपनी इच्छा से मांसपेशियों को संकुचित नहीं करती, बल्कि ऐसा स्वयं हो जाता है.
वैजिनिसमस के लिए जिम्मेदार हैं सैक्स के बारे में भ्रांतियां, यौन उत्पीड़न, असामान्य सैक्स व्यवहार. अत: इस समस्या को भी मनोवैज्ञानिक ढंग से हल करें.
उत्तेजना का प्रथम बिंदु स्त्री अंग में गीलापन बढ़ना माना जाता है. उत्तेजना के चलते जैसेजैसे चिकनाई बढ़ती है, वैसेवैसे स्तनों का आकार भी बढ़ जाता है. उन के निप्पलों में भी तनाव आ जाता है. हृदय व सांस की गति बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में डरे बिना संबंध को पूर्ण करें. संबंध के लिए स्थान परिवर्तन भी कर सकते हैं. बैडरूम के बजाय ड्राइंगरूम या फिर यदि छत पर कमरा बना हो तो वहां भी यह कार्य किया जा सकता है.
चर्मोत्कर्ष तक पहुंचने के लिए पत्नी की सैक्स इच्छा का सम्मान करें. पहली रात के डर, तनाव, गुस्से आदि को दूर रखें. आपसी सहमति से किया गया प्रथम सहवास प्रथम रात के डर को ही मन से नहीं निकालता, बल्कि पतिपत्नी दोनों को पूर्ण संतुष्टि देने के साथसाथ स्वास्थ्य लाभ भी देता है.
कई बार पहली रात में चरमोत्कर्ष भी संभव नहीं होता, और्गेज्म तो दूर की बात है. दरअसल, उस पहली रात में कई तरह के डर हावी रहते हैं. मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो तभी संबंध संभव है. चरम आनंद से पहले भी आनंद आता है. चरम आनंद के लिए फोरप्ले व आफ्टरप्ले दोनों का महत्त्व होता है. ये भावनात्मक निकटता पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अच्छे फोरप्ले से जहां समय पर चरम आनंद पाया जा सकता है, वहीं अच्छा आफ्टरप्ले चरम आनंद को देर तक बनाए रखता है. इस से सैक्स सिर्फ तन की क्रिया ही नहीं बल्कि भावनात्मक, आंतरिक व सम्मानजनक क्रिया बन जाती है.
समझदारी, समरसता से किया गया सैक्स सुख ही सच्चा सुख माना जाता है. यह और्गेज्म यानी चरम आनंद पा कर ही अनुभव किया जा सकता है. स्त्रियों का चरम आनंद पुरुषों के चरम आनंद जैसा मुखर नहीं होता कि बिना बताए कोई जान ले, इसलिए कई बार उस में बाधा होती है. कुछ स्त्रियों को चरम आनंद से पूर्व जल्दी और ज्यादा घर्षण चाहिए तो कुछ को पुरुष अंग गहराई तक चाहिए तो किसी को सिर्फ स्पर्श चाहिए.