रेटिंग: दो स्टार
निर्माता: अर्जुन सिंह बरन,कार्तिक निशानदर
निर्देशक: विशाल फूरिया
कलाकार: स्वप्निल जोशी,पूजा सावंत, बाल कलाकार
समर्थ जाधव, बाल कलाकार अभिषेक
बचनकर,प्रीतम कगने,रोहित कोकटे, संजय रणदिवे,
श्रृद्धा कौल, महेश बोडस
अवधि: एक घंटा 44 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म: अमजाॅन प्राइम वीडियो
कुछ समय पहले प्रदर्शित फिल्म ‘‘छोरी’’ के निर्देशक विशाल फुरिया अब एक मराठी भाषा की रहस्य व रोमांच से भरपूर फिल्म ‘‘बली’’ लेकर आए हैं, जो कि नौ दिसंबर 2021 से ‘अमेजाॅन प्राइम वीडियो’’ पर स्ट्रीम हो रही है.
फिल्म ‘बली’ में डाक्टरी पेशे से जुड़े एक अहम मुद्दे को उठाकर अस्पतालों में आम इंसानों के साथ होने वाली ठगी आदि का चित्रण है.
कहानीः
कहानी के केंद्र में मध्यम वर्गीय श्रीकांत साठे और उनका सात वर्षीय बेटा मंदार साठे है.श्रीकांत साठे की पत्नी की मौत हो चुकी है.श्रीकांत ही मंदार का पालन पोषण कर रहे हैं.मंदार अच्छा क्रिकेट खेलता है.एक दिन क्रिकेट खेलते हुए मंदार बेहोश होकर गिर पड़ता है. मंदार को जन संजीवनी अस्पताल में भर्ती किया जाता है,जहां वह एक रहस्यमयी एलिजाबेथ नामक नर्स से बातें करना शुरू करता है.
मंदार के अनुसार यह नर्स जन संजीवनी अस्पताल की पुरानी इमारत में रहती है,जो कि आठ माह से बंद पड़ी है.कहानी ज्यों ज्यों आगे बढ़ती है, त्यों त्यों रहस्य गहराता जाता है.अंततः जो सच सामने आता है,उससे इंसान दहल जाता है.
लेखन व निर्देशनः
लेखक व निर्देशक ने डाक्टरी पेशा व अस्पतालों से जुड़े एक अहम मुद्दे को रहस्य व रोमांच के ताने बाने के तहत पेश किया है. फिल्म में डाक्टरी की पढ़ाई में असफल रहे इंसान का डाक्टर के रूप में अपने पिता के अस्पताल का मुखिया बनकर लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने से लेकर गलत रिपोर्ट के आधार पर एनजीओ से पैसे ऐठने तक के मुद्दे उठाए हैं. पर वह इसे सही अंदाज में पेश करने में बुरी तरह से असफल रहे हैं.फिल्म की गति काफी धीमी है.
निर्देशक ने बेवजह के बोझिल दृष्य पिरोकर फिल्म को लंबा खींचने के साथ ही बेकार कर दिया.वैसे निर्देषक विषाल फुरिया ने दर्शकों को डराने के मकसद से अत्यधिक कूदने वाले या भयानक भूतों के चेहरों का इस्तेमाल नहीं किया.जबकि कई दृष्यों को भयवाहता के साथ पेश करने की जरुरत थी.पर फिल्म की कहानी का रहस्य और मूल मुद्दा सब कुछ अंतिम बीस मिनट में ही समेट दिया है.
अभिनयः
सात वर्षीय बेटे के पिता श्रीकांत साठे के किरदार में स्वप्निल जोशी का अभिनय उत्कृष्ट है.मंदार के किरदार में समर्थ जाधव अपने अभिनय से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है.वह उन दृश्यों और स्थितियों में भी अत्यधिक अभिव्यंजक हैं,जो केवल सर्वश्रेष्ठ की मांग करते हैं.बाकी कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.डा.राधिका के किरदार में पूजा सावंत सुंदर नजर आयी हैं,मगर अभिनय के लिए उन्हे काफी मेहनत करने की आवश्यकता है.