भोजपुरी गानों में नशे का प्रचार ताड़ी पाक

सास पिए बीड़ी, ससुर पिए गांजा, पाउच पी के भसुर कहे कोरा में समा जा…’ गाना भोजपुरी फिल्म ‘नगीना’ का है. गायिका इंदू सोनाली के गाए इस गाने को प्रदीप पांडे और रिंकू घोष पर फिल्माया गया है. इस गाने का फिल्मांकन बहुत ही उत्तेजक तरीके से किया गया है. रिंकू घोष ने कमाल का डांस किया है. गाने में बीड़ी और गांजा पीते कलाकारों को दिखाया गया है और गाने के साथ कोई वैधानिक चेतावनी भी नहीं लिखी गई है. धूम्रपान के प्रचार को रोकने के लिए वैधानिक चेतावानी लिखना फिल्म बनाने वालों की जिम्मेदारी होती है. तमाम हिंदी फिल्मों में जब ऐसे सीन दिखाए जाते हैं,

तो उन के साथ ऐसा लिखा जाता है. ‘आओ न छान के पियाय दे साड़ी से ताड़ी…’ पवन सिंह और शिल्पी राज के इस गाने में ताड़ी पिलाने की बात को बहुत उत्तेजक ढंग से दिखाया और सुनाया जा रहा है. यह पवन सिंह का म्यूजिक अलबम है. ताड़ी देशी नशा है. ताड़ के पेड़ पर मटकी लटका कर रस निकाला जाता है. उत्तर प्रदेश और बिहार में इस का सेवन खूब किया जाता है. वैसे तो ताड़ी का नशा कम खतरनाक होता है, लेकिन कई बार नशा ज्यादा करने के लिए इस में दूसरी नशीली चीजें मिलाई जाती हैं, जो खतरनाक होती हैं. कई बार ऐसी खबरें आती हैं, जिन में बताया जाता है कि ताड़ी पीने से लोग मर भी जाते हैं. जिस दौर में बिहार में नशे पर पाबंदी हो,

ऐसे गाने गलत संदेश देते हैं. ताड़ी के गाने को सुनने वालों ने इतना ज्यादा पसंद किया कि कई और कलाकारों ने ताड़ी को सामने रख कर कई तरह के गाने बनाए हैं. ‘ताड़ी पी के केवारी तूड़ दिले राजा…’ खेसारी लाल यादव ने भी ताड़ी का महिमामंडन करते इस गाने को गाया है. वे भोजपुरी फिल्मों के सब से लोकप्रिय कलाकारों में से एक हैं. उन को पसंद करने वालों की तादाद करोड़ों में है. ताड़ी का गानों में इस्तेमाल इस कदर बढ़ रहा है कि हर कलाकार ताड़ी का बखान करता गीत और वीडियो अलबम तैयार कर रहा है. इस का एक और उदाहरण देखिए : ‘ताड़ी छानी के पिलाइबे ओढ़निया से…’ गाने में गुंजन सिंह और शिल्पी राज ने भी ताड़ी का मजा लिया. ताड़ी के साथ ही साथ गाने में यह भी दिखाया गया कि नशे में होने के बाद स्वीमिंग पूल का मजा कैसे लिया जाता है. यह सच बात है कि भोजपुरी गाने जनता द्वारा बहुत पसंद किए जाते हैं. ऐसे में कलाकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वे कुछ ऐसा गानों में न दिखाएं, जिस का दर्शकों पर गलत असर पड़े.

भोजपुरी गानों में अश्लीलता और दोअर्थी बोल का बोलबाला होता है, जिस का मजा सुनने वाले उठाते हैं. पर जिस तरह से नशीली चीजों का बखान शुरू हुआ है, वह खतरनाक है.  हिंदी और पंजाबी म्यूजिक का असर पिछले दिनों हिंदी फिल्मी दुनिया में ड्रग्स को ले कर बड़ा हंगामा देखने को मिला, जिस से यह पता चला कि फिल्मी पार्टियों में शराब के साथ ही साथ ड्रग्स का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है. इस में भी फिल्मों का हाथ सब से ज्यादा होता है. हिंदी फिल्मों में ड्रग्स की कहानियों को ले कर उन का फिल्मांकन कई बार किया जाता था, जिस का असर यह हुआ कि बिना ड्रग्स और नशे के कोई पार्टी नहीं होती थी. इसी ड्रग्स का प्रचार करना फिल्मी दुनिया पर भारी पड़ा. तमाम फिल्म कलाकार और उन के परिवार के लोग ड्रग्स के चलते पुलिस द्वारा पकड़े गए. हिंदी फिल्मों में नशे का प्रचार जनता पर तो पड़ ही रहा है, बल्कि कलाकारों के अपने परिवार भी उस की लत में फंस गए, जिस के चलते फिल्म कलाकारों को काफी बदनामी का सामना करना पड़ा.

पंजाबी म्यूजिक और वीडियो अलबम में भी नशे का प्रचार खूब होता है. इस के अलावा बहुत सारे कलाकार अपने गानों में हथियारों का इस्तेमाल भी करते हैं. इस का नतीजा यह हुआ कि कई पंजाबी कलाकार खुद मुसीबत में फंस गए. पंजाबी गायक और नेता सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने पंजाबी म्यूजिक के ड्रग्स और हथियारों के असर को दिखाया. कई पंजाबी कलाकार ड्रग्स और हिंसा के मामले में जेल भी गए हैं. हिंदी और पंजाबी फिल्म म्यूजिक में नशे का बुरा असर दिखने लगा है. अगर भोजपुरी फिल्म और म्यूजिक इंडस्ट्री में भी नशे का प्रचारप्रसार इसी तरह होता रहा, तो यहां भी नशे का गलत असर ही दिखेगा. केवल जनता को ही नहीं, बल्कि कलाकारों को भी इस का खमियाजा भुगतना पड़ेगा.

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