जानें पत्नी को सेक्स के लिए कैसे मनाएं

सुबह से शाम तक मन होता है कि एकदूसरे को जितना महसूस कर सकते हैं करते रहें, हर पल साथ रहें, सेक्स एन्जौए करें. लेकिन, शादी को जब कुछ महीने या कहें साल गुजर जाते हैं तो सेक्स के प्रति पत्नी की उदासीनता बढ़ती जाती है. घर के काम, बच्चों की जिम्मेदारी और रोमांस के लगभग खत्म होने के साथ ही उस की सेक्स की इच्छा भी खत्म होने लगती है. ऐसे में पति के लिए बहुत जरूरी है कि वह अपनी पत्नी को सेक्स के लिए इस तरह मनाए कि वह सेक्स के लिए केवल हां न कहे बल्कि पूरी तरह उस का आनंद भी ले.

रोमांस को रखें बरकरार

अकसर पति काम से थक हारकर घर आता है तो खाना खा कर सीधा बिस्तर पर पसर जाता है. वह उम्मीद करने लगता है कि पत्नी बिस्तर पर आए और वे दोनों सेक्स करना शुरू कर दें. लेकिन, ऐसे में या तो पत्नी सेक्स के लिए स्पष्टरूप से मना कर देगी या फिर फिर हां कहेगी भी तो बेमन से. इस तरह पति खुद भी सेक्स का लुत्फ़ नहीं उठा पाते. पति होने के नाते आप का काम सीधा सेक्स करना ही नहीं है बल्कि उस से पहले थोड़ा रोमांस करना भी है. पत्नी कोई काम कर रही हो तो उसे जा कर थोड़ा छेड़ आएं, कभी उस की बाहें पकड़ें तो कभी उस के कान में फुसफुसाएं कि वह कितनी खूबसूरत लग रही है. उस के लिए उस की पसंद की चीज़े लाएं तो कभी उस के खाने की तारीफ कर दें. ऐसे रोमांस बरकरार रहेगा और सेक्स के लिए पत्नी का मन भी करेगा.

पत्नी को नजरअंदाज न करें

आप यदि हर बात पर पत्नी को उलाहनाएं देते रहते हैं, उस की बुराई करते हैं, उस की बातों, चिंताओं और परेशानियों पर गौर नहीं करते तो भला कैसे वह अपना दिमाग खाली कर पाएगी और सेक्स में मन लगा पाएगी? आप की पत्नी वैसे आप के लिए हर काम करती है लेकिन  सेक्स ऐसी क्रिया है जिसे यदि वह न करना चाहे तो उस का शरीर भी ‘न’ की मुद्रा में आ जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप अपनी पत्नी को केवल अपनी जरुरत न समझें बल्कि उस पर ध्यान दें और उसे खुश रखने की कोशिश करें.

प्यार का इजहार करना न भूलें

किसी महान व्यक्ति का कहना है कि सेक्स के समय किया गया प्यार का इजहार असल में प्यार नहीं होता, वह उस मोमेंट की नजाकत में निकले कुछ शब्दभर होते हैं जो किसी के भी मुंह से निकल सकते हैं. इसलिए कभी भी अपने प्यार का इजहार सेक्स के समय के लिए बचाकर न रखें बल्कि अपनी पत्नी को जब मौका मिले बताएं कि आप उस से कितना प्यार करते हैं. इस से उसे आप के प्रति प्यार भी उभरेगा और सेक्स के लिए उस में उत्सुकता भी जागेगी.

खुद की ग्रूमिंग पर ध्यान दें

वह आप की पत्नी है तो इस का मतलब यह नहीं की आप यह सोचें कि जैसे हैं वैसे ही वह आप को पसंद करे. माना आप दोनों पतिपत्नी हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि आप अपनी तरफ से कोई एफर्ट डाले ही न. अच्छे कपड़े पहनें, अपने इंटिमेट एरिया को क्लीन रखें, दांत, नाक, सब साफ़ रखें. खुद को साफसुथरा और आकर्षित बनाएंगे तो आप की पत्नी भी आप की तरफ आकर्षित होगी.

सेक्स में पत्नी की इच्छाओं का ध्यान रखें

आप की पत्नी को सेक्स से ओर्गास्म या प्लेजर नहीं मिलता तो वह सेक्स के प्रति हमेशा उदासीन ही रहेगी. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि सेक्स करते समय आप वह पोजेज व मूव्स भी करें जो आप की पत्नी को पसंद हों. उसे वहांवहां छुएं जहां उसे सब से ज्यादा प्लेअजर मिलता हो, शरीर में सनसनी होती हो. सेक्स के समय इतने वाइल्ड भी न हों कि पत्नी को दर्द या तकलीफ हो. औरतों को सेक्स जितना ही मजा फोरप्ले में आता है या कहें उस से ज्यादा ही, तो फोरप्ले को इगनोर न करें. यह सब कर के यकीनन आप की पत्नी का सेक्स करने का मन होगा और वह आप को मना नहीं करेगी.

Top 10 Dating Tips in Hindi : टॉप 10 डेटिंग टिप्स हिंदी में

डेटिंग पर जाना एक खूबसूरत अहसास होता है. दरअसल डेटिंग के दौरान कपल एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ पाते हैं.  लेकिन कई लोग पहली डेट के दौरान काफी नर्वस होते हैं. तो आज हम आपको इस खबर में सरस सलिल की Top 10 Dating Tips Story बताएंगे. जिससे आप अपनी डेट को यादगार बना सकते हैं.

  1. Dating में भूलकर भी न पूछे ये 8 सवाल

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डेटिंग पर जाना अब रूटीन बन गया है. आप एक क्यूट युवक से पार्टी में मिलीं और अगले ही दिन उस ने आप को डेट पर बुलाया तो आप मना करने से रहीं. हां, उस से मिलने जाने से पूर्व इतना जरूर सोचेंगी कि क्या पहनूं, मेकअप कैसा करूं और ऐक्सैसरीज में क्या अलग करूं. माना कि आप का आउटलुक महत्त्वपूर्ण है, आप के दिखने से आप का स्टेटस बनताबिगड़ता है, लेकिन इस से भी ज्यादा फर्क इस बात से पड़ेगा कि आप वहां क्या बातें करेंगी, किस अंदाज से बोलेंगी, बातचीत के टौपिक क्या होंगे.

अगर यह आप की पहली औफिशियल डेट है तो आप यह भी नहीं चाहेंगी कि आप की बातों से उसे कुछ गलत सिगनल मिले या बनतेबनते बात बिगड़ जाए और पहली डेट आखिरी बन कर रह जाए. तो जानिए, क्या बोलना है, कितना बोलना है? साथ ही यह भी कि कौनकौन सी बातें आप को कम से कम ‘फर्स्ट डेट’ पर कभी नहीं पूछनी चाहिए?

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2. अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए करें ये 8 Exercises

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जवान होती युवतियों के लिए उन के शरीर की बनावट व कसावट बड़े मायने रखती है, जिस की बदौलत कोई भी युवती किसी युवक को अपनी तरफ न केवल आकर्षित कर सकती है, बल्कि उस के कैरियर को भी प्रभावित करती है. ऐसे में युवतियों के शरीर की कसावट ही उन की सुंदरता का निर्धारण करती है. किसी भी युवती की सुंदरता उस के नितंब के आकार व कसावट, त्वचा, कमर व स्तनों के चुस्तदुरुस्त होने से ही आंकी जा सकती है. शरीर के इन अंगों में ढीलापन किसी भी युवती के लिए दूसरे को अपनी ओर सैक्सुअली अट्रैक्ट करने में बाधक बनता है.

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3. 50+पुरुष डेटिंग के वक्त फिर से घर बसाने की नहीं सोचता!

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55 वर्षीय राजेश की पत्नी का देहांत करीब 5 साल पहले हो गया था. राजेश के दो बच्चे हैं, दोनो की शादी हो चुकी है. दोनों वेल सेटेल्ड हैं. राजेश सरकारी कर्मचारी है. दिखने में अभी भी शरीर लम्बा-चैड़ा और सुडौल है. चूंकि राजेश बच्चों से अलग रहता है इसलिए अपनी शारीरिक जरूरतों के लिए किसी महिला दोस्त की तलाश में भी रहता है और इर्दगिर्द तांकझांक भी करता है. लेकिन इस उम्र में वह शादी नहीं करना चाहता. उसे महिला दोस्त तो चाहिए, मगर जीवनसंगिनी नहीं.

कहने की बात यह है कि 50 साल पार करने के बाद महिला व पुरुष की सोच में जमीन-आसमान का अंतर आ जाता है. महिला 50 साल बाद भी यदि अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरुआत करती हैं तो वह कोशिश करती है कि किसी के साथ सेटेल हो. जबकि 50+का पुरुष मौज मस्ती और जिंदगी जीने पर यकीन रखता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि 25 वर्षीय युवा और 50 वर्षीय अधेड़ पुरुषों की सोच में अच्छा खासा पफर्क होता है. 50 साल का व्यक्ति ज्यादा समझदार, व्यवहारिक और लॉजिकल तरीके से सोचते वाला होता है. इसलिए दोनो का डेटिंग फंडा भी एक दूसरे से भिन्न होता है.

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4. Dating Tips: क्यों जरूरी है डेटिंग

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आज की व्यस्त जिंदगी में प्यार की राह में कदम बढ़ाने से पहले लड़का और लड़की एकदूसरे के बारे में काफी कुछ जान लेना चाहते हैं. इस के लिए वे डेट पर जाने का प्लान करते हैं. वैसे भी कुछ मुलाकातें किसी भी प्यार भरे रिश्ते को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी होती हैं. ये मुलाकातें ही तय करती हैं कि आप का फ्यूचर कैसा होगा.

फिल्म लाइफ इन मैट्रोका हीरो

इरफान खान और हीरोइन कोंकणा सेन प्लान कर के पहली डेट पर मिलते हैं. लेकिन पहली बार मिलने पर इरफान की नजर कोंकणा पर कम उस के कपड़ों और फीगर पर ज्यादा होती है. ऐसे में कोंकणा का मूड खराब हो जाता है और वह सोचने लगती है कि कैसा है यह? इस का तो मेरे कपड़े और फीगर पर ही ध्यान है. अत: कोंकणा सेन को डेट पसंद नहीं आती है.

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5. भूलकर भी न करें मैरिड लोगों को डेट, ये हैं 5 वजह

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किसी भी मैरिड व्यक्ति से प्रेम करना और उसे लेकर अपने फ्यूचर के बारे में सोचना आपको परेशानी में डाल सकता है. रिसर्च के अनुसार,  शादीशुदा व्यक्ति से संबंध रखने में आपको कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. तो आइए जानते हैं, क्यों कहा जाता है कि मैरिड व्यक्ति से भूलकर भी दिल नहीं लगाना चाहिए.

किसी ने सच कहा है, ‘प्यार सोच समझकर नहीं किया जाता, ये तो बस हो जाता है. प्यार तो एक खूबसूरत एहसास है, जिसमें नफा-नुकसान कुछ भी दिखाई नहीं देता.’ ये दो दिलों को एक कर देता है. पर हां, रूकिये-रूकिये अगर आप किसी शादीशुदा महिला या पुरुष को डेट कर रहे हैं या करने जा रहे हैं  तो ये खबर जरूर पढ़ें.

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6. बड़ी उम्र के पुरुषों से क्यों आकर्षित होती हैं लड़कियां

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कार्यालय में चर्चा का बाजार कुछ ज्यादा ही गरम था. पता चला कि नेहा ने अपने से उम्र में 15 साल बड़े अधिकारी प्रतीक से विवाह रचा लिया है. एक हफ्ते बाद जब नेहा से मुलाकात हुई तो वह बेहद खुश नजर आ रही थी. अपने से ज्यादा उम्र के व्यक्ति से विवाह करने की कोई लाचारी या बेचारगी का भाव उस के चेहरे पर नहीं था.

चूंकि उन के बीच चल रहे संबंधों की चर्चा पहले से होती थी, सो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ. ऐसे एक नहीं अनेक किस्सों को हम हकीकत में बदलते देखते हैं. विशेषकर कार्यक्षेत्र में तो यह स्थिति अधिक देखने को मिलती है कि लड़कियां अपने से बड़ी उम्र के पुरुषों के प्रति अधिक आकर्षित हो रही हैं. आजकल यह आश्चर्यजनक नहीं, बल्कि सामान्य बात हो गई है.

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7. जानें, इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा!

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अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

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8. पहली डेट: न लेट न वेट

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पहली नजर के प्यार सरीखी भले ही न होती हो, लेकिन पहली डेट आखिरकार पहली डेट होती है, जो यूथ की न केवल लव स्टोरी बल्कि लाइफ भी बदल देती है. दिल धाड़धाड़ करे, मन रोमांचित हो, दिमाग और दिल बारबार बेकाबू हों, कुछ भी अच्छा या बुरा न लग रहा हो, ऐसा बहुतकुछ पहली डेट पर जाते वक्त होता है और यह भी कि उसे कैसे कुछ इस तरह इंप्रैस किया जाए कि वह हमेशा के लिए मेरी या मेरा मुरीद हो कर रह जाए. यह मुमकिन है बशर्ते आप पहली डेट को सम झदारी से प्लान करें और खुद पर काबू रखते इन टिप्स पर शिद्दत से अमल करें-

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9. बारिश में इश्क की खुमारी!

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मानसून के मदमाते मौसम में तो उन का प्यार सावन के झड़ी बन कर एकदूसरे पर बरस जाता है. कल की ही बात है. दोनों सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुके थे. रीना साड़ी पहने हुई थी जबकि रंजन ने फॉर्मल पैंटशर्ट. इसी बीच बारिश ने अपना रंग दिखा दिया. पहले रिमझिम, उस के बाद तेज बरसात. रीना अपनी बालकनी में जा कर आसमान से बरसते पानी का लुत्फ़ लेने लगी. थोड़ी देर में वह भूल गई कि उसे ऑफिस जाना है. बेखयाली में वह थोड़ा सा भीग गई.

रंजन अपने ड्राइंगरूम में बैठा उस का भीगना देख रहा था. बेटी बैडरूम में सो रही थी. रीना का भीगना रंजन में इश्क का बवंडर उठा गया. वह चुपके से रीना के पास गया और उसे अपने आगोश में ले लिया. फिर क्या था, बारिश ने दो जवां दिलों में ऐसी आग लगाई की उन्होंने ऑफिस की सिरदर्दी भूल कर प्यार करने का भरपूर मजा लिया.

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10. मिडिल एज में रोमांस, रखें इन बातों का ध्यान

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शादी के बाद पतिपत्नी के जीवन में एक अलग सी चाहत होती है. एकदूसरे के साथ अधिक से अधिक समय तक करीब रहना, एकदूसरे को छूना, उत्तेजित हो जाना, सैक्स के लिए पोर्न फिल्में देखना, उसी तरह की चाहत रखना सामान्य बातें होती हैं. यही वजह है कि शादी के निजी पलों को खुल कर जीने के लिए लोग हनीमून के लिए जाते हैं.

शादी के बाद का आनंद जीवन में दोबारा तब आता है जब बच्चे होस्टल चले जाते हैं. पतिपत्नी के जीवन में आने वाला यह एकांत उन को बहका देता है. कई कपल्स तो ऐसे मौके का लाभ उठा कर सैकंड हनीमून तक प्लान कर लेते हैं. ऐसे में कई बार वैसी ही गड़बडि़यां हो जाती हैं जैसी शादी के बाद होती हैं. शादी के बाद अबौर्शन संभव हो जाता था पर सैकंड हनीमून के बाद ऐसी गड़बड़ी भारी पड़ सकती है. इसलिए जरूरी है कि गर्भधारण से बचने वाले उपाय व साधनों का प्रयोग करें.

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पति की दूरी, आखिर कैसे बने नजदीकी

शायद ही ऐसी कोई पत्नी होगी जो अपनी शादी पर 2-4 आंसू न बहाती हो. शादी के कुछ साल गुजरने के बाद पति में तो अपनी भावनाएं व्यक्त करने की काबिलीयत जैसे कुम्हला सी जाती है और पत्नी अपने पति को दिनबदिन नीरस बनता देखती रहती है, जिस से उस का मन व्यग्रता और हताशा से भरने लगता है. ये दूरियां एक ऐसी कशमकश पैदा करती हैं जिस की शिकायत पत्नियां बरसों से करती आई हैं, उन्हें रविवार की दोपहर को क्रिकेट मैच में, अखबार के पन्नों में या फिर चुप्पी में सिमटा या लिपटा पति मिलता है.

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार पतिपत्नी के बीच बढ़ती दूरियों के लिए उन की स्वभावगत कमियां इतनी जिम्मेदार नहीं होतीं जितनी दंपती की आपसी बातचीत में आई कमी. स्टेट यूनिवर्सिटी औफ न्यूयार्क के मैरिटल थेरैपी क्लीनिक के निदेशक व क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट के. डेनियल ओ लैरी के अनुसार, दांपत्य में जो सब से बड़ी व आम समस्या देखने को मिलती है वह पति के द्वारा अपनेआप को दूर रखने या अपने को समेट लेने से आई दूरियों के कारण होती है. यह सब से ज्यादा नुकसानदेह होती है. इस समस्या का समाधान भी सब से मुश्किल होता है. ये दूरियां गुजरते समय के साथ ज्यादा गंभीर बनती जाती हैं, क्योंकि पति समय के साथसाथ अपने व्यवसाय और कैरियर में अधिक उल झता जाता है.

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बढ़ती दूरियां

यह कैसी विडंबना है कि जहां पुरुष ने पहले की तुलना में अपनी भावुकता को खुली छूट देते हुए भावनाओं को व्यक्त करने से जुड़ी  िझ झक त्यागी है, वहीं अपनेआप में सिमटे रहने का उस का अपना अलग ही अंदाज दांपत्य में मुश्किलें खड़ी करने लगा है. मैगी ने अपनी मशहूर पुस्तक ‘इंटीमेट पार्टनर्स : पैटर्न इन लव एंड मैरिज’ में लिखा है कि जहां तक मैं सम झती हूं, क्लीनिकल साहित्य में किसी भी प्रकार के वैवाहिक संबंध में इतना उल झाव नहीं देखा जाता जितना उल झाव तब पैदा होता है, जब पति अलगथलग रहने लगे व अपनेआप में सिमटने लगे. यही बात अगर बेबाकी से कही जाए तो हताश पत्नी के लिए पति अलभ्य और अप्राप्य बन जाता है.

हताश पत्नी, जो कि भावनात्मक रूप से जिस पतिरूपी पुरुष में विश्वास के साथ यह आशा रखती है कि वह उसे प्यार करता है और उसे हमेशा सहारा देगा, वही उसे एकदम गैर जैसा लगने लगता है, क्योंकि पति की तरफ से उसे ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता, जो पत्नी को यह महसूस कराए कि वह उस की भावनाओं के प्रति कैसा महसूस करता है. पति ऐसे हालात में पत्नी की बातों का जवाब सपाट तरीके से देता है. उसे बांहों में भरता भी है तो महज अपनेआप से जुड़ी सेक्स की इच्छा के लिए. वह पत्नी को यह महसूस नहीं कराता कि वह उस के करीब रहना चाहता है.

इस तरह की दूरियां किसी  झगड़े, तनाव या नाराजगी से नहीं होतीं. इन दूरियों का जिम्मेदार स्वयं पति होता है, क्योेंकि ये उस के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर सिमटने के कारण होती हैं. जया गुप्ता के अनुसार, जब अचानक उन का गर्भपात हुआ तो उस के बाद उन के पति उन से दूरदूर रहने लगे. पति का शरीर उन के पास बैठा होता था और मन कहीं दूर रहता.

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अभिव्यक्ति का अभाव

कई बार ग्लानि का शिकार हो कर अपने द्वारा बुनी गई शंकाओं में पति खुद ही उल झते जाते हैं और उन्हें अपने अंदर पनपती ठंडक और रूखेपन का खुद ही एहसास नहीं होता. डा. चंदन गुप्ता के अनुसार, ज्यादातर पुरुष ऐसे ही होते हैं. वे महिलाओं की तरह अपनी भावनाओं को खुल कर नहीं दर्शाते. पुरुषों को बचपन से यही सिखाया जाता है कि उन्हें अपनी भावनाओं को जाहिर नहीं करना है, जबकि महिलाओं को अपनी भावनाएं व्यक्त करने की पूरी छूट होती है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक सैमुअल ओशेरसन का मानना है कि अपनेआप में सिमटने की पुरुष की प्रवृत्ति के पीछे उस की किशोरावस्था के हादसों से जुड़े कुछ गहरे दुखदायी घाव होते हैं, जो समय के लंबे अंतराल के बावजूद मनोवैज्ञानिक स्तर पर नहीं भरते. मनोवैज्ञानिक स्तर पर आहत ऐसे व्यक्ति मानसिक  अकेलेपन से बहुत कम उबर पाते हैं. फ्रायड के अनुसार, पुत्र जब पिता की स्वीकृति या प्रशंसा पाने के लिए मां के प्रति अपने आकर्षण को  झटक देता है तो मां से भावनात्मक दूरी उस पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव छोड़ती है, जिस से उबरने के लिए वह सारी उम्र जू झता रहता है. वह जो खो बैठता है उसी की आदर्शमय कल्पना को थामे रहता है और दृढ़ता के साथ अपनी भावनात्मक आवश्यकताओं के लक्षणों को छिपा जाता है. फ्रायड द्वारा इसे पुरुष में उत्पन्न ईडियस अंतर्द्वंद्व का नाम दिया गया है. ऐसी स्थिति में पति जब बालसुलभ इच्छाओं और आवश्यकताओं से घिरता है तो पत्नी को उसे एक छोटे बच्चे की तरह सम झने की आवश्यकता होती है.

कई पति, पत्नी से मिले अनुराग और उस की दिलचस्पी का गलत अर्थ निकालते हैं. उन्हें लगता है कि भावनात्मक रूप से कमजोर पलों में पत्नी उन के मन की गहराइयों में छिपे राज या अनकही अनुभूतियों तक पहुंचना चाहती है. इस तरह का पत्नी में अविश्वास उन के संबंधों की दूरियां बढ़ाता है. पत्नी के प्यार को मात्र रि झाने और मन की थाह लेने की प्रक्रिया न सम झें, क्योंकि पत्नी प्यार में राजनीति नहीं करती.

भावनाओं को जानें

जैविक रूप से भी पुरुष अपनी भावनाएं छिपाता है. कोरनेल मेडिकल सेंटर, न्यूयार्क के मनोवैज्ञानिक विश्लेषक जौन मुंडेर रौस के कथनानुसार, महिलाओंकी अपेक्षा पुरुष ज्यादा आक्रामक प्रवृत्ति के होते हैं और पुरुष से जुड़ी यही विशेषता हर जाति और हर संस्कृति के पुरुषों में समान पाई जाती है. पुरुष जितना ज्यादा आक्रामक प्रवृत्ति का होगा उस में संवेदनशीलता और भावनात्मक रूप से जुड़ने की प्रवृत्ति की उतनी ही कमी पाई जाएगी. पुरुष बचपन से ही मां के जरिए संवेदनशीलता और भावनात्मकता का अनुभव करता है. पिता का व्यक्तित्व कठोरता, दृढ़ता और गंभीरता सिखाता है. वह यही सब देखते हुए बड़ा होता है तो उसे अपनी भावनात्मक कमजोरियां और डर छिपाने की आदत पड़ जाती है. यही कारण है कि वह अपने डर व परेशानियां पत्नी से छिपाता हुआ उस से दूर होने लगता है.

पत्नियां पति को ले कर पनपती दूरियों से परेशान हो सकती हैं. लेकिन इस समस्या का हल पहचान नहीं पातीं. पत्नी को पति के मन की गहराइयों में छिपी चिंताओं और डरों को जानना होगा. तभी वह दांपत्य में पति की चुप्पी से पनपती दूरियों को पाट पाएगी. न्यूयार्क की वैवाहिक व सेक्स संबंधों की थेरैपिस्ट शिर्ले जुसमैन के अनुसार एक तरफ तो पत्नी चाहती है कि पुरुष अपने मन की सभी बातें उस के आगे खोल कर रख दे और दूसरी तरफ जैसे ही पुरुष ऐसा करता है तो वह सहम जाती है, क्योंकि उसे बचपन से यही सिखाया जाता है कि भावनात्मक कमजोरी पुरुष के लिए अच्छी नहीं. पति कई बार पत्नी को इसी डर से बचाए रखने के लिए अपनी भावनाएं, भय और शंकाएं पत्नी से नहीं बांटता. इसलिए अगर पत्नी चाहती है कि पति अपनी चिंताएं और परेशानियां बांटे, अकेले ही चुप्पी लिए दूर न होता चला जाए तो उसे यह बात पूरी तरह सम झनी होगी कि पुरुष को भी अपने भय और चिंताएं व्यक्त करने का हक है.

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पति अपनी भावनाएं व्यक्त करें, इस के लिए पत्नी को जोर देते हुए पति के पीछे नहीं पड़ जाना चाहिए. इस से संबंधों में तनाव और बढ़ जाता है. पत्नियां कई बार बेबुनियादी तर्क देते हुए कहती हैं कि जब हम अपनी भावनाओं को ले कर बात कर सकती हैं तो पुरुष ऐसा क्यों नहीं कर सकता? लेकिन वे यह बात नहीं सम झ पातीं कि अगर वे अपनी भावनाएं व्यक्त करती रहती हैं तो यह जरूरी नहीं कि पुरुष भी ऐसा ही करें. लेकिन जहां पुरुष अब यह सोचने लगे हैं कि अपनी भावनाएं दर्शाने में कोई बुराई नहीं, वहीं वे यह नहीं सीख पाए हैं कि भावनाओं को दर्शाएं कैसे.

प्यार से जानें राज

शिर्ले जुसमैन के अनुसार, दांपत्य में भावनात्मक संबंधों से जुड़ी कई परतें होती हैं, जो परतदरपरत ही खुलती हैं. संवेदनशील सेक्स द्वारा पत्नियां पति के अंदर पनपती इन दूरियों को जीत सकती हैं, क्योंकि अगर पति सेक्स के माध्यम से पत्नी से भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ महसूस करता है तो यह मात्र मशीनी प्रक्रिया न रह कर पति को भावनात्मक रूप से नजदीक ला सकती है. यही वे पल हैं जब वह अपना मन खोल कर पत्नी के सामने रख सकता है. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि पुरुषों में भावनात्मक तौर पर सिमटे रहना कूटकूट कर भरा होता है.

यह स्त्री की भी जिम्मेदारी होती है कि वह उसे खुलने में मदद करे. लेकिन स्त्री या पत्नी की सफलता तब बहुत सीमित हो जाएगी, जब वह पति की धीरेधीरे खुलने की प्रवृत्ति की आलोचना शुरू कर देगी. यही वह स्थिति है जहां उसे सावधानी के साथ पति के मन के खुलने की प्रक्रिया में उस का साथ देना है. पति को बिना रोकटोक के मन की बात कहने दें. उस समय पति द्वारा व्यक्त सभी भावनाओं को सम्मान की दृष्टि से देखते हुए तसल्ली के साथ सुनें. पत्नी द्वारा किसी भी प्रकार की गलत प्रतिक्रिया पति को वापस अपनेआप में समेट कर रख देगी, जहां से उसे वापस लाना और भी कठिन हो जाएगा. पुरुष को भावनात्मक स्तर पर दूर जाने से रोकने के लिए उस को भावनात्मक दृढ़ता, सुरक्षा और स्नेह दें व इतनी छूट दें कि वह अपने तरीके से खुल सके. पति को डंडे के जोर पर बोलने के लिए मजबूर न करते हुए उसे ऐसा माहौल दें, जहां वह अपनी भावनाओं का बो झ खुदबखुद आप के सामने हलका कर सके.

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मैं सोशल वर्कर बनना चाहती हूं लेकिन मेरे घरवाले शादी कराना चाहते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 22 साल की एक कुंआरी लड़की हूं. मेरे घर वाले मेरी शादी करना चाहते हैं, पर मैं अपनी एक संस्था बना कर गरीब और अपाहिज लोगों की मदद करना चाहती हूं. इस की शुरुआत कैसे की जाए, इस बारे में सही सलाह दें?

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जवाब

आप का जज्बा अच्छा है, लेकिन अभी आप खुद मदद की मुहताज हैं. इस के लिए पहले आप को अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा. गरीबों और अपाहिजों की मदद के लिए बहुत पैसों की जरूरत पड़ेगी, जो आसमान से नहीं टपकेंगे. इस का इंतजाम तो आप को ही करना पड़ेगा.

बेहतर होगा कि आप अपनी कोई संस्था बना कर काम शुरू करें और बाद में एनजीओ बनाएं. इस के लिए आप किसी भी एनजीओ वाले से मिल कर जानकारी ले सकती हैं कि शुरुआत कैसे की जाए और क्याक्या दिक्कतें पेश आती हैं.

शादी कर लेना भी हर्ज की बात नहीं, लेकिन पति पर पहले ही अपनी इच्छा जाहिर कर दें. मुमकिन है कि वह भी आप का साथ देने के लिए तैयार हो जाए.

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सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
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