रेटिंगः डेढ़ स्टार
निर्माताः सोनी पिक्चर्स
निर्देशकः रेंसिल डिसिल्वा
कलाकारः मनोज बाजपेयी, साक्षी तंवर, नीना गुप्ता व अन्य
अवधि: 1 घंटा 44 मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म: जी 5
पुलिस अफसर हर दिन आम इंसान की तकलीफो की चाहे जितनी शिकायतें दर्ज कर लें, पर उनकी भयावता का अहसास उसे तब तक नहीं होता, जब तक वह स्वयं उसके चंगुल में न फंस जाएं. इसी के इर्द गिर्द बुनी गयी रेंसिल डिसिल्वा की रहस्य व रोमांच प्रणान फिल्म ‘‘डायल 100’’ जी 5’ पर स्ट्रीम हो रही है.
कहानी:
फिल्म की कहानी शुरू होती है पुलिस के आपातकाल विभाग डायल 100 में कार्यरत पुलिस अधिकारी निखिल सूद (मनोज बाजपेयी) के आफिस पहुंचने से. डायल 100 में एक महिला फोन करके निखिल सूद से बात करना चाहती है. निखिल सूद से वह बात करती है कि वह आत्महत्या करने जा रही है. क्योंकि उसका बेटा अमर मारा गया और अमर को अपनी गाड़ी से मौत के घाट उतारने वाले यश को पुलिस सजा नहीं दिला पायी. क्योंकि यश करोड़पति बाप का बेटा है.
निखिल सूद को वह औरत बताती है कि उसने दो गन खरीद ली है और अब वह कुछ भी कर सकती है. फोन कट जाता है.इधर पुलिस विभाग का कंट्रोल रूम का कनेक्शन भी कट जाता है. उधर निखिल की पत्नी प्रेरणा सूद (साक्षी तंवर) परेशान है कि अठारह वर्षीय बेटा फिर दोस्तो के साथ पार्टी में चला गया. निखिल अपने बेटे ध्रुव (स्वर कांबले) को फोन करके तुरंत घर पहुंचने के लिए कहता है. इधर एक औरत (नीना गुप्ता) निखिल सूद के घर पहुंचती है और पता चलता है कि वह मर चुके अमर की मां है. वह प्रेरणा सूद को बंदू की नोक पर अपने साथ कार में ले जाती है.
इधर निखिल सूद को पता चलता है कि वह औरत अमर की मां सीमा पालव (नीना गुप्ता) है. तभी सीमा पालव फोन कर निखिल से कहती है कि ध्रुव, तांडव बार में यश मेहरा (अमन गंडोत्रा) को ड्रग्स देने जा रहा है.
ध्रुव ड्रग्स व्यापारी मुश्ताक के लिए काम करना है. सीमा चाहती है कि निखिल, ध्रुव से कहकर कि वह यश को पार्किंग स्थल पर बुलाए. चालाकी करने पर ध्रुव के साथ साथ प्रेरणा भी मारी जाएगी. इधर पुलिस अधिकारी मूर्ति के माध्यम से निखिल को पत चलता है कि सीमा पालव उसके अलावा जिस नंबर पर बार बार फोन कर रही है, उस नंबर वाला फोन निखिल के आफिस में ही है.पता चलता है कि वह सीमा पालव का पति चंद्रकांत है,जो कि चाय वाले मंगेष का चाचा बनकर चाय पिला रहा है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. अंततः चंद्रकांत पालव, सीमा पालव व ध्रुव मारे जाते हैं. यश घायल होता है, पर जीवित बच जाता है. अब पुलिस कमिश्नर चाहते है कि निखिल, सीमा के साथ हुई बातचीत सहित सारे सबूत मिटा दे. यश के पिता निखिल की हर तरह से मदद करने को तैयार हैं. पर निखिल सोचने के बाद सारे सबूतों को एक पेन ड्राइव मे लेने के बाद एक टीवी न्यूज चैनल के क्राइम रिपोर्टर को फोन करता है.
लेखन व निर्देशनः
पुलिस विभाग के आपात विभाग ‘डायल 100’’में बैठे पुलिस अफसरों की कार्यशैली, डर और बदले ही इस रहस्य व रोमांच प्रधान फिल्म का रहस्य दस मिनट के अंदर ही खत्म हो जाता है और रोमांच तो कहीं है ही नहीं. वास्तव में पौने दो घंटे की कहानी में रेंसिल डिसिल्वा के पास कहने को कुछ है ही नहीं. सब कुछ अति सतही अंदाज में धीरे धीरे घटित होता रहता है. कहानी में उतार चढ़ाव का भी अभाव है.
अभिनयः
एक कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसर और एकलौटे बेटे को बचाने के अंर्तद्वंद व दोहरे व्यक्तित्व को मनोज बाजपेयी ने अपने अभिनय से बाखूबी उकेरा है. बेटे के लिए चिंतित मां व असहाय पत्नी के किरदार में सांझी तंवर ठीक हैं. नीना गुप्ता का अभिनय सहज है.