प्यार में खुद को न मिटाएं

असम के होम ऐंड पौलिटिकल सैक्रेटरी शिलादित्य चेतिया ने 18 जून, 2024 को गुवाहाटी के एक प्राइवेट हौस्पिटल के आईसीयू में पत्नी की लाश के सामने ही अपनी सर्विस रिवौल्वर से खुद को गोली मार ली. पत्नी की मौत के कुछ मिनटों बाद ही उन्होंने अपनी जान दे दी.

उसी अस्पताल में कुछ देर पहले उन की पत्नी की मौत कैंसर से हो गई थी. 44 साल के शिलादित्य चेतिया राष्ट्रपति के वीरता पदक से सम्मानित आईपीएस अधिकारी थे.

दरअसल, शिलादित्य चेतिया की पत्नी ब्रेन ट्यूमर से पीडि़त थीं और पिछले कुछ महीनों से अस्पताल में भरती थीं. शिलादित्य चेतिया पिछले 4 महीनों से छुट्टी ले कर अपनी पत्नी का इलाज करा रहे थे.

शिलादित्य की पत्नी अगमोनी बोरबरुआ की उम्र 40 साल थी. नेमकेयर अस्पताल में शाम के 4 बज कर 25 मिनट पर उन की मौत हो गई.

10 मिनट बाद ही आईपीएस अधिकारी शिलादित्य चेतिया ने भी दुनिया छोड़ दी.

पत्नी की मौत के बाद पहले वे आईसीयू केबिन में गए और मैडिकल स्टाफ से कहा कि वे अपनी पत्नी की लाश के पास प्रार्थना करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दिया जाए. इस के बाद उन्होंने अपनी सर्विस रिवौल्वर से अपनी ही जान दे दी.

इसी तरह 18 जून, 2024 को ही उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में एक शादीशुदा जोड़े ने भी साथ जीनेमरने का वादा निभाया. पत्नी की मौत के कुछ घंटे बाद ही बुजुर्ग पति ने भी दम तोड़ दिया.

दरअसल, 70 साल की पार्वती प्रजापति और 75 साल के मगन प्रजापति की शादी 50 साल पहले हुई थी. पिछले कुछ समय से पार्वती काफी बीमार चल रही थीं.

17 जून, 2024 की रात को उन की मौत हो गई.

18 जून की सुबह जब पति मगन प्रजापति चाय ले कर उन के पास पहुंचे, तो देखा कि वे बिस्तर पर मरी हुई पड़ी थीं. उन की मौत से पति मगन सदमे में आ गए.

रिवाज के मुताबिक, जब पति मगन आखिरी बार उन की मांग में सिंदूर भरने लगे तो अचानक से उन की भी हालत खराब हो गई और कुछ ही देर में उन्होंने भी दम तोड़ दिया. इस के बाद पतिपत्नी का एकसाथ अंतिम संस्कार किया गया.

इसी तरह 9 अप्रैल, 2024 को उत्तर प्रदेश के एटा से एक सच्चे प्यार का मामला सामने आया था. बीमार पति की इलाज के दौरान मौत हो गई.

यह सूचना जैसे ही पत्नी को मिली कि उस का पति इस दुनिया में नहीं रहा, तो वह रोने लगी. फिर अचानक ही उस की भी मौत हो गई. पत्नी की मौत के साथ ही 2 बच्चे अनाथ हो गए.

यह मामला कोतवाली अलीगंज का है. 50 साल के ओम नारायण उर्फ राजू की कुछ दिन पहले तबीयत खराब हो गई थी, जिन का इलाज चल रहा था. वे सही हो गए थे. पर फिर ओम नारायण की अचानक फिर से तबीयत बिगड़ गई थी. वे फर्रुखाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज के लिए ले जाए गए, जहां उन की मौत हो गई.

जब इस बात की सूचना उन की पत्नी मोहिनी को हुई, तो वह रोने लगीं. जैसे ही पति की लाश घर पर आई, तो वे और तेज रोने लगीं.

तभी अचानक मोहिनी की भी तबीयत खराब हो गई. जब तक परिवार वाले उन्हें संभाल पाते, तब तक उन की भी मौत हो गई. दोनों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुआ.

इन घटनाओं के बारे में जान कर दिल को यह अहसास जरूर होता है कि आज भी प्यार जिंदा है. किसी को इस हद तक चाहना कि उस के बगैर जीने की चाह ही खत्म हो जाए और इनसान खुद ही अपना वजूद खत्म कर दे, बहुत मुश्किल है. पर ऐसी कहानियां हम अकसर फिल्मों में जरूर देखते हैं.

प्यार क्या है

प्यार क्या है? किसी को पाना या खुद को खो देना? यह एक बंधन या फिर आजादी? यह जिंदगी है या फिर जहर?

दरअसल, प्यार का मतलब है कि कोई और आप से कहीं ज्यादा खास हो चुका है. जैसे ही आप किसी से कहते हैं कि मैं तुम से प्यार करता हूं, आप अपनी आजादी खो देते हैं. आप की मरजी में अब उस की मरजी भी शामिल हो जाती है. आप के पास जो भी है, वह उस का भी हो जाता है. आप की खुशी उस की खुशी में शामिल हो जाती है. उस के गम आप अपने दिल में महसूस करने लगते हैं. जिंदगी में आप जो भी करना चाहते हैं, वह उस के साथ मिल कर करने की ख्वाहिश रखने लगते हैं. उस के बिना आप को अपना वजूद ही अधूरा लगने लगता है यानी प्यार बड़ी खूबसूरती से खुद को मिटा देने वाली हालत है.

अगर आप खुद को नहीं मिटाते, तो आप कभी प्यार को जान ही नहीं पाएंगे. आप के अंदर का कोई न कोई हिस्सा मरना ही चाहिए. आप के अंदर का वह हिस्सा जो अभी तक आप का था, वह मिट कर उस का हो जाता है. कोई और इनसान उस हिस्से की जगह ले लेता है.

दरअसल, जब हमें किसी से प्यार होता है, तो हमारे दिमाग में एक रासायनिक मिश्रण निकलता है, जो हमारी हरकतों और भावनाओं को प्रभावित करता है. डोपामाइन जैसे हार्मोन की वजह से उत्तेजना और खुशी महसूस होती है, जबकि औक्सीटोसिन जैसे हार्मोन से हमें अपने प्यार में विश्वास और भावनाएं आती हैं.

ये हार्मोन हमें अंदर से खुश रखते हैं, जिस वजह से हम अपने पार्टनर के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते हैं. हमारे दिमाग को सम?ा आ जाता है कि इस रिश्ते में हमें खुशी मिलती है और उस वजह से हम एक तरह से इस फीलिंग के आदी यानी एडिक्ट से हो जाते हैं. प्यार एक तरह का नशा ही है, जिस के बिना हमें अपना वजूद अधूरा लगने लगता है.

इस तरह का सच्चा प्यार आजकल ज्यादातर रिश्तों में नजर नहीं आता है. जराजरा सी बात पर पार्टनर पर हाथ उठा देना, ?ागड़े करना, दूर हो जाना, बात नहीं करना और यहां तक की तलाक ले लेना बहुत आम हो गया है.

वैसे भी आज के समय में नाजायज रिश्ते बनाने मुश्किल नहीं. मोबाइल और इंटरनैट के जरीए दूसरों के संपर्क में आने के बहुत से रास्ते खुले हुए हैं, तभी तो लोग शादी में रहते हुए भी किसी और के साथ रिश्ते बना लेते हैं, पार्टनर से ?ाठ बोलते हैं, उसे बेवकूफ बनाते हैं और कई दफा तो बात इतनी बढ़ जाती है कि वे एकदूसरे के ही खून के प्यासे बन जाते हैं. बहुत आसानी से पार्टनर को मौत की नींद सुला देते हैं, ताकि आजाद हो जाएं. पर यह आजादी प्यार नहीं है. प्यार तो वह बंधन है, जो किसी भी हालत में आप को पार्टनर से जोड़े रखता है.

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