पर्यटकों के लिए मिलेगी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधायें -जयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में पर्यटन की असीमित संभावनायें एवं निवेशकों के रूचि को देखते हुए बड़े पैमाने पर अवस्थापना सुविधाओं का विकास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आगामी पांच वर्षों मंे 30 प्रतिशत घरेलू तथा 20 प्रतिशत विदेशी पर्यटकों के वृद्धि की संभावना है. जिससे 25 लाख लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा. उन्होंने कहा कि प्रक्रियाधीन पर्यटन नीति 2022 के तहत 10,000 करोड़ रूपये से अधिक निवेश का लक्ष्य रखा गया है. इस लक्ष्य को एक जिला एक पर्यटन केन्द्र के तहत प्राप्त किया जायेगा.

पर्यटन मंत्री आज होटल डी-पोलो क्लब स्पा रिजार्ट, धर्मशाला, हिमांचल प्रदेश में पर्यटन एवं अवस्थापना सुविधाओं के विकास विषय पर आयोजित 03 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने इस राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के लिए केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री जी किशन रेड्डी तथा केन्द्रीय पर्यटन विभाग के अधिकारियों को बधाई दी. इस राष्ट्रीय सम्मेलन मं् विभिन्न प्रदेशों के पर्यटन मंत्री, केन्द्रशासित प्रदेशों के एलजी, प्रशासक, वरिष्ठ अधिकारी, भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय के उच्चाधिकारी, राज्यों के पर्यटन विभागाध्यक्ष एवं सेवाक्षेत्र के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि उ0प्र0 देश का सबसे बड़ा राज्य है. यहां पर हर जनपद में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक एवं पौराणिक स्थल मौजूद हैं. इन स्थानों पर पर्यटकों के पसंद के हिसाब से अवस्थापना सुविधाओं को विकसित किया जा रहा है.

श्री जयवीर सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में सड़क, रेल, वायु तथा जल मार्ग के माध्यम से सभी धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थलों को जोड़ने के लिए अवस्थापना विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में 940 करोड़ रूपये का प्राविधान किया गया है. पर्यटन के विकास की दृष्टि से प्रदेश को 12 सर्किट में बांटा गया है. सभी सर्किटों पर बुनियादी सुविधाओं के विकास पर कार्य तेजी से चल रहा है. बहुत से कार्य पूर्णता के अंतिम चरण में हैं.

पर्यटन मंत्री ने कहा कि ब्रज परिपथ में मथुरा, वृन्दावन, आगरा, रामायण परिपथ में लखनऊ, प्रयागराज के बीच के सभी स्थान एवं वन इको टूरिज्म, साहसिक पर्यटन स्थल, जल विहार, हेरिटेज आर्क के रूप में आगरा, लखनऊ एवं वाराणसी को जोड़कर बनाया जा रहा है. इसके अतिरिक्त महाभारत मेरठ, हस्तिनापुर, जैन परिपथ, सूफी परिपथ आदि शामिल हैं. इसके अलावा बौद्ध परिपथ के अंतर्गत लुम्बिनी, बोध गया, नालन्दा, राजगिरी, बैशाली, सारनाथ, श्रावस्ती, कुशीनगर, कौशाम्बी जैसे स्थलों को जोड़ा गया है.

श्री जयवीर सिंह ने कहा कि भारत की बौद्ध संस्कृति का प्रभाव दुनिया के अधिकांश देशों में है. इन देशो के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बौद्ध आस्था से जुड़े सभी स्थानों पर विश्वस्तरीय सुविधायें उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके अतिरिक्त हेरिटेज, टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बुन्देलखण्ड के 31 किलों को चिन्हित किया गया है. पर्यटन की दृष्टि से इन्हें सजाने एवं संवारने के लिए सेन्टर फॉर इनवायरनमेंटल प्लानिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (सीईपीटी) विश्वविद्यालय अहमदाबाद से सहयोग लिया जा रहा है.

पर्यटन मंत्री ने कहा कि पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित स्वदेश दर्शन स्कीम की नई गाइडलाइन के अनुसार प्रदेश की वैभवशाली सांस्कृतिक विरासत को देखते हुए विन्ध्याचल, नैमिषारण्य, प्रयागराज, चित्रकूट, संगिसा, आगरा, कानपुर, झांसी, महोबा, गोरखपुर एवं कुशीनगर को अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किये जाने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. इसके अतिरिक्त प्रदेश में इको टूरिज्म बोर्ड के गठन के साथ वेलनेस टूरिज्म के लिए तैयार किया जा रहा है. इसके साथ ही ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त उ0प्र0 पर्यटन एवं संस्कृति प्रोत्साहन परिषद का गठन किया गया है.

श्री जयवीर सिंह ने कहा कि उ0प्र0 में पर्यटन की अनंत संभावनायें हैं. इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने तथा रोजगार सृजित करने के उद्देश्य से विभिन्न संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. इसके साथ ही अध्यात्मिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक महत्व के स्थलों पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधायें विकसित की जा रही हैं. भगवान श्रीराम की अयोध्या नगरी, कृष्ण की मथुरा एवं काशी कॉरीडोर को अत्याधुनिक बनाया जा रहा है. श्री जयवीर सिंह ने कहा कि पर्यटन सेक्टर का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है. प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने उ0प्र0 की अर्थव्यवस्था को एक अरब डॉलर बनाने का लक्ष्य रखा है. जिसमंे पर्यटन का अहम योगदान होगा. उन्होंने कहा कि अगले वर्ष जी-20 सम्मेलन में पर्यटन विभाग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेगा.

इस अवसर पर केन्द्रीय पर्यटन सचिव श्री अरविन्द सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया, इसके पश्चात केन्द्रीय पर्यटन रक्षा मंत्री श्री अजय भट्ट, एफएआईटीएच फेडरेशन के चेयरमैन श्री नकुल आनन्द, अध्यक्ष भारतीय पर्यटन विकास निगम श्री संबित पात्रा ने सम्बोधित किया. इसके अलावा असम के पर्यटन मंत्री, प्रमुख सचिव पर्यटन गुजरात तथा पर्यटन सचिव दादरा एवं नागर हवेली, दमन द्वीव ने भी अपने विचार रखे. उ0प्र0 के प्रमुख सचिव पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम एवं अन्य अधिकारी इस सम्मेलन में मौजूद थे.

गांवों के लिए पर्यटन स्थल सरीखे होंगे अमृत सरोवर

लखनऊ , हर ग्राम पंचायत में लबालब भरे तालाब, इनके किनारों पर लकदक हरियाली. बैठकर सकुन के कुछ घन्टे गुजरने के लिए जगह-जगह लगी बेंचे. भविष्य में कुछ यही स्वरूप होगा आजादी के अमृतमहोत्सव पर बन रहे अमृतसरोवरों का.

हर अमृत सरोवर खूबसूरत हो। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्द्धा भी शुरू करने जा रही है। इसके तहत जो अमृत सरोवर सबसे अच्छे होंगे उनके निर्माण से जुड़े ग्राम प्रधानों, अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्राम्य विकास विभाग सम्मानित करेगा।

हरियाली बढ़ाने के लिए 21 सितंबर को होगा सघन पौधरोपण अमृत सरोवरों के किनारे लकदक हरियाली हो इसके लिए I21 सितंबर को पौधरोपण का सघन अभियान भी चलेगा, इस दौरान स्थानीय लोगों के अलावा 80 हजार होमगार्ड के जवान पौधरोपण में भाग लेंगे. इस बाबत गढ्ढे मनरेगा से खोदे जाएंगे और निःशुल्क पौधे वन विभाग उपलब्ध कराएगा.

“सबकी मदद से सबके लिए” की मिसाल बनेगें ये अमृतसरोवर कालांतर में ये अमृत सरोवर,”सबकी मदद से सबके लिए” और पानी की हर बूंद को संरक्षित करने के साथ अपनी परंपरा को सहेजने की नजीर भी बनेंगे.

बूंद-बूंद संरक्षित करने के साथ परंपरा को सहेजने की भी बनेंगे नजीर उल्लेखनीय है कि पहले भी तालाब, कुएं, सराय, धर्मशालाएं और मंदिर जैसी सार्वजनिक उपयोग की चीजों के निर्माण का निर्णय भले किसी एक का होता था,पर इनके निर्माण में स्थानीय लोगों के श्रम एवं पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी।

यही वजह है कि बात चाहे लुप्तप्राय हो रही नदियों के पुनरुद्धार की हो या अमृत सरोवरों के निर्माण की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सबको जनता से जोड़कर जनांदोलन बनाने की बात करते रहे हैं. अमृत सरोवरों की रिकॉर्ड संख्या के निर्माण के पीछे यही वजह है. इसीके बूते पहले हर जिले में एक अमृत सरोवर के निर्माण का लक्ष्य था. बाद में इसे बढ़ाकर हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवरों का निर्णय लिया गया है. इस सबके बनने पर इनकी संख्या एक लाख 16 हजार के करीब हो जाएगी.

भविष्य में ये सरोवर अपने अधिग्रहण क्षेत्र में होने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजकर स्थानीय स्तर पर भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाएंगे. बारिश के पानी का उचित संग्रह होने से बाढ़ और जलजमाव की समस्या का भी हल निकलेगा. यही नहीं सूखे के समय में यह पानी सिंचाई एवं मवेशियों के पीने के काम आएगा. भूगर्भ जल की तुलना में सरफेस वाटर से पंपिंग सेट से सिंचाई कम समय होती है.इससे किसानों का डीजल बचेगा. कम डीजल जलने से पर्यावरण संबंधी होने वाला लाभ बोनस होगा.

दरअसल बारिश के हर बूंद को सहेजने के इस प्रयास का सिलसिला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनके पहले कार्यकाल से ही शुरू हो गया था। गंगा एवं अन्य बड़ी नदियों के किनारे बन रहे बड़े एवं बहुउद्देश्यीय तालाब और खेत-तालाब जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं।

इसी मकसद से सरकार अब तक 24583 खेत-तालाब खुदवा चुकी है। इनमें से अधिकांश (80 फीसद) बुंदेलखंड, विंध्य, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल ब्लाकों में हैं. मौजूदा वित्तीय वर्ष में 10 हजार और खेत-तालाब तैयार करने की है.

पांच साल का लक्ष्य 37500 खेत तालाब निर्माण की है. इनका निर्माण कराने वाले किसानों को सरकार 50 फीसद का अनुदान देती है. इस समयावधि में इन पर 457.25 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है.

भूगर्भ जल स्तर में सुधार और सूखे के दौरान सिंचाई के काम आने के लिए सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही है. आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का भी यही उद्देश्य है. फिलहाल उत्तर प्रदेश इनके निर्माण में नंबर एक है. ग्राम्य विकास विभाग से मिले अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर के रूप में अब तक 15441 तालाबों का चयन हुआ है. 10656 के निर्माण का काम चल रहा है. 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किये जा चुके हैं.

यूपी में अब 5 मिनट में होगा ‘ई रेंट एग्रीमेंट’

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में अब आम नागरिकों और व्यापारियों को मकान, दुकान, गोदाम जैसी जगह किराए पर लेने के लिए कहीं भटकना पड़ेगा. योगी सरकार इनकी सुविधा के लिए ‘ई रेंट एग्रीमेंट’ के जरिए ऑनलाइन लीज डीड की शुरुआत कर रही है. इससे अब डीड राइटर की आवश्यक्ता नहीं रह जाएगी. सीधे मकान या बिल्डिंग के मालिक के साथ किराएदार ऑनलाइन अनुबंध कर सकेंगे. इससे आम नागरिकों समेत व्यापारियों को राहत मिलेगी. उन्हें मौजूदा जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना होगा, बल्कि ऑनलाइन महज 5 मिनट में वो कांट्रैक्ट लेटर हासिल करने में सक्षम होंगे.

गौरतलब है कि योगी सरकार ने प्रदेश में नागरिकों को कई तरह की सेवाएं ऑनलाइन देकर उनके जीवन को सुगम बनाने का प्रयास किया है. ई रेंट एग्रीमेंट उसी मुहिम का हिस्सा है. फिलहाल इसकी शुरुआत गौतम बुद्धनगर से हुई है और जल्द ही अन्य जिलों में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी.

जटिल प्रक्रिया से मिलेगा छुटकारा
रेंट एग्रीमेंट की मौजूदा व्यवस्था के तहत किराएदार को पहले डीड राइटर से संपर्क साधना पड़ता था। इसके बाद स्टांप पेपर खरीदने, उसकी नोटरी कराने के बाद दोनों पार्टियों के रेंट एग्रीमेंट पर सिग्नेचर होते थे। प्रस्तावित ऑनलाइन व्यवस्था में अब किराएदार को सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनुमोदित एग्रीमेंट पोर्टल पर जाकर अपने नाम और मोबाइल के जरिए लॉगिन करके लीज डिटेल भरनी होगी. उदाहरण के तौर पर गौतम बुद्धनगर में www.gbnagar.nic.in नाम से साइट विकसित की गई है. इस पर प्रॉपर्टी की डिटेल भरने के बाद स्टांप ड्यूटी अदा करते ही लीज डीड की प्रिंट कॉपी मिल जाएगी. पोर्टल पर रेंट डिटेल भरते ही स्टांप ड्यूटी का ऑटोमैटिक कैलकुलेशन हो जाएगा.

5 मिनट से भी कम समय में पूरी होगी प्रक्रिया
यह पूरी प्रक्रिया 5 मिनट से भी कम समय में पूरी हो जाएगी. यानी चाय ठंडी होने से पहले रेंट एग्रीमेंट मिल जाएगा. इसके लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं होगी, सिर्फ अपने लैपटॉप, डेस्कटॉप या मोबाइल पर यह काम संभव हो सकेगा. इससे न सिर्फ आम लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि व्यापार करने में सुगमता होगी. यह व्यवस्था पहले से ज्यादा सुरक्षित एवं विश्वसनीय होगी. साथ ही कहीं से भी और कभी भी इसके जरिए एग्रीमेंट किया जा सकेगा.

प्रदेश के राजस्व में भी होगी बढ़ोतरी
यह नई व्यवस्था प्रदेश के लिए राजस्व का भी अच्छा जरिया बनेगी. गौतम बुद्धनगर में मौजूदा व्यवस्था के तहत प्रतिवर्ष कम से कम 1.5 लाख लीज डीज होती हैं. स्टांप ड्यूटी के जरिए इस प्रक्रिया से प्रति वर्ष 1.5 करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है. वहीं, प्रस्तावित लीज डीड के जरिए प्रत्येक 15 हजार से अधिक मासिक किराए पर 2 प्रतिशत स्टांप ड्यूटी के जरिए 3600 रुपए प्राप्त होंगे. कुल मिलाकर सरकार को सिर्फ गौतम बुद्धनगर से 54 करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति होगी. पूरे प्रदेश में व्यवस्था लागू होने के बाद सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व प्राप्त होगा.

नर्सिंग और पैरामेडिकल ट्रेनिंग के लिए “मिशन निरामयाः”

लखनऊ , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए शैक्षिक गुणवत्ता सुधार के सम्बंध में विविध दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ हैं. कोरोना काल में हम सभी ने इनके व्यापक महत्व को देखा-समझा है। इस क्षेत्र में बेहतर कॅरियर की अपार संभावनाएं हैं.भविष्य की जरूरतों के दृष्टिगत नर्सिंग एवं पैरामेडिकल प्रशिक्षण में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता है. ऐसे में इस महत्वपूर्ण कार्य को अभियान के रूप में लेते हुए “मिशन निरामयाः’ के शुभारंभ किया गया है.

नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों को मान्यता दिए जाने से पहले निर्धारित मानकों का कड़ाई से अनुपालन किया जाना सुनिश्चित करें. मान्यता तभी दी जाए, जब शिक्षक पर्याप्त हों, संस्थान में मानक के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर हो. अधोमानक संस्थानों को कतई मान्यता न दी जाए. प्रदेश के सभी नर्सिंग/पैरामेडिकल संस्थानों में सेवारत शिक्षकों का आधार सत्यापन करते हुए इनका विवरण पोर्टल भी उपलब्ध कराया जाए.

संस्थानों में दाखिला परीक्षा की शुचिता पर विशेष ध्यान दें। ऐसी व्यवस्था हो कि परीक्षाओं में कक्ष निरीक्षक दूसरे संस्थान से हों. परीक्षाओं की सीसीटीवी से निगरानी भी की जानी चाहिए. इस दिशा में बेहतर कार्ययोजना के साथ काम किया जाए.

प्रदेश के कई संस्थान अच्छा कार्य कर रहे हैं, इनमें निजी क्षेत्र के संस्थान भी शामिल हैं। इन बेस्ट प्रैक्टिसेज को अन्य संस्थानों में भी लागू किया जाना चाहिए,इसके लिए मेंटॉर-मेंटी मॉडल को अपनाया जाना चाहिए,

बेहतर प्रशिक्षण के साथ-साथ हमें बेहतर सेवायोजन के लिए भी सुनियोजित प्रयास करना होगा, इसके लिए निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से संवाद कर नीति तय की जाए. नर्सिंग का प्रशिक्षण ले रहे युवाओं के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज बहुत आवश्यक है.

नर्सिंग और पैरामेडिकल सेक्टर में कॅरियर की बेहतर संभावनाओं के बारे में अधिकाधिक युवाओं को जागरूक किया जाने की जरूरत है. इसके लिए माध्यमिक विद्यालयों का सहयोग लिया जाना बेहतर होगा. चिकित्सा शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग इस संबंध में परस्पर समन्वय के साथ कार्य करें.

वन महोत्सव में लगेंगे करोड़ो पेड़

वन महोत्‍सव के वृक्षारोपण महाअभियान के अन्‍तर्गत मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे 100 करोड़वां पौधा लगाया गया. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पांच साल में यूपी सरकार ने वृक्षारोपण अभियान में रिकार्ड कायम किया है. अब तक प्रदेश में वन विभाग के सहयोग से 100 करोड़ पेड़ लगाए जा चुके हैं, अ‍भी यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा. वहीं प्रदेश सरकार ने  विभिन्‍न जनपदों व गांवों में रविवार को 25 करोड़ पौधे लगाकर रिकार्ड बना दिया.  सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे को ध्‍यान में रखते हुए पांच औद्योगिक स्‍थानों पर पांच औद्योगिक गलियारे विकसित किए जाएंगे, जहां पर उद्योग लगेंगे. इससे पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा. उनको अपने ही शहर में नौकरी मिल जाएगी.  वृक्षारोपण अभियान के तहत राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने झांसी में वृक्षारोपण किया.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के इस महाअभियान में सरकार कई रिकार्ड बनाने जा रही है. उस रिकार्ड के तहत यूपी में पिछले 5 साल में 100 करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं. एक जुलाई से सुबह 10 बजे तक 9 करोड़ पेड़ लगा दिए गए है. वहीं रविवार शाम तक प्रदेश के विभिन्‍न जनपदों में 25 करोड़ पौधे लगाए गए. यूपी में 7 जुलाई तक वन महोत्‍सव का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 30 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि यहां पर 100 वर्ष पुराना एक बरगद का वृक्ष है. जिसको हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित किया गया है. सीएम ने कहा कि वृक्षों को संरक्षित करके ही हम एक स्‍वच्‍छ समाज दे सकते हैं. एक्‍सप्रेस वे के किनारे पंचवटी, नक्षत्र वाटिका समेत अन्‍य औषधीय वाटिकाएं भी बनाई जाए.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यहां पर 2-3 साल पहले खेत हुए करते थे. यहां पर आज एक्‍सप्रेस वे है. जो पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बनने जा रहा है. एक्‍सप्रेस वे के निर्माण के बाद यूपी को व्‍यापक रोजगार, नौकरी व औद्योगिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी . सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे  देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होगा. इससे पूर्वांचल वासियों व युवाओं को अपने शहर में रोजगार मिलेगा. यूपी समृद्ध होगा.

पांच औद्योगिक कलस्‍टर होंगे विकसित

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि एक्‍सप्रेस वे ध्‍यान में रखते हुए सरकार पूर्वांचल एक्‍सप्रेस के किनारे पांच औद्योगिक स्‍थानों पर 5 औद्योगिक कलस्‍टर विकसित करने जा रही है. यहां पर आईटी पार्क, ओडीओपी व टेक्सटाइल पार्क के साथ अन्‍य उद्योग लगाए जाएंगे. इन उद्योगों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा. यूपी का युवा अपने ही शहर में नौकरी हासिल कर सकेगा. जो स्‍वावलंबन के पथ पर चल कर यूपी के विकास में अपना योगदान देगा. पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप यूपी एक बिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकेगा. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ औद्योगिक गलियारा नहीं बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का आधार भी साबित होगा.

स्‍मृति वाटिकाएं अपनों की यादें संजोने की एक अच्‍छी पहल

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि कोरोना कमजोर हुआ है लेकिन अभी खत्‍म नहीं हुआ है. इसलिए सोशल डिस्‍टेसिंग व मास्‍क का उपयोग बहुत जरूरी है. सीएम ने कहा कि आप खुद भी वैक्‍सीन लगवाए और अपने परिवार व आसपास के लोगों को वैक्‍सीन लगवाने के लिए जागरूक करें. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि कोरोना में दिवंगत आत्माओं की याद में जो यहां स्‍मृति वाटिका बनाई गई है. उसके लिए जिला प्रशासन को बधाई. हर गांव व जिले में इस तरह की वाटिका बनाई जाए. उन दिवंगत आत्‍माओं को नमन व उनके याद में लगाए वृक्ष हमेशा उनकी याद संजोये रहेंगे.

डेल्टा वैरियंट को रोकने में यूपी रहा सफल: क्रैग केली

लखनऊ . ऑस्‍ट्रेलिया के संसद सदस्‍य क्रेग केली ने सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्‍यनाथ के कोरोना प्रबंधन की तारिफ की. उन्‍होंने आइवरमेक्टिन के प्रयोग साथ प्रदेश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्‍टा को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को सराहा है.  सांसद क्रेग केली ने कहा कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्‍तर प्रदेश ने आइवरमेक्टिन टैबलेट का प्रयोग कर  दूसरी लहर पर अंकुश लगाया है.

केली ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारतीय राज्‍य उत्‍तर प्रदेश की जनसंख्‍या 230 मिलियन है. इसके बावजूद कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट डेल्‍टा पर लगाम लगाई है. यूपी में आज कोरोना के दैनिक केस 182 है जबकि यूके की जनसंख्‍या 67 मिलियन है और दैनिक केस 20 हजार 479 हैं.

कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए यूपी सरकार ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की सलाह अनुसार प्रदेश में आइवरमेक्टिन को कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयोग किया इसके साथ ही डॉक्‍सीसाइक्लिन को भी उपचार के लिए प्रयोग में लाया गया. बता दें कि उत्‍तर प्रदेश देश का पहला राज्‍य था जिसने बड़े पैमाने पर रोगनिरोधी और चिकित्‍सीय उपयोग में  आइवरमेक्टिन का प्रयोग किया.

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर है. कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को बांबे हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट, डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी सराहा है. ट्रिपल टी, मेडिकल किट वितरण समेत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन का कार्य युद्धस्‍तर पर किया गया.

प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला

लखनऊ . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की.

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में खिलाडियों के जीवन संघर्ष और उससे निकल कर इस मुकाम तक पहुंचने की गाथा को सराहा. उन्होंने कहा कि टोक्यो जा रहे हमारे खिलाड़ियों ने बचपन में साधनों-संसाधनों की हर कमी का सामना किया, लेकिन वो डटे रहे, जुटे रहे . उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की प्रियंका गोस्वामी जी का जीवन भी बहुत सीख देता है .  एक बस कंडक्टर की बेटी  प्रियंका ने बचपन से ही मेडल के प्रति आकर्षण था जिसने उन्हें रेस वाकिंग का चैंपियन बनाया.

प्रधानमंत्री ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला

इसी के क्रम में उन्होंने वाराणसी के शिवपाल सिंह का नाम लिया जो जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी हैं.  शिवपाल का तो पूरा परिवार ही इस खेल से जुड़ा हुआ है . इनके पिता, चाचा और भाई, सभी भाला फेंकने में पारंगत हैं .पीएम ने कहा कि परिवार की यही परंपरा उनके लिए टोक्यो ओलंपिक में काम आने वाली है .

मुख्यमंत्री ने दिया प्रधानमंत्री को धन्यवाद

मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने हमेशा खेलों को बढ़ावा दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पी एम की प्रेरणा से ही उनकी सरकार ने खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन की नीति अपनाई जिससे अनेक खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की.

ओडीओपी से कामगारों की होगी तरक्‍की, छात्र भी बनेंगे आत्‍मनिर्भर

लखनऊ. एकेटीयू से सम्‍बद्ध प्रदेश के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्‍थानों में पढ़ने वाले छात्र ओडीओपी से जुड़े हर जिले के उत्‍पाद का एक नई पहचान देंगे. ओडीओपी उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़ कर उनको नई पहचान दी जाए. इसे लेकर छात्र अपना आइडियाज देंगे. ओडीओपी विभाग के साथ मिलकर एकेटीयू एक मेगा हैकाथन का आयोजन करने जा रहा है.

अभी हाली ही में ओडीओपी विभाग व एकेटीयू की ओर से लखनऊ की चिकनकारी व जरदोजी को कैसे नई पहचान दिलाई जाए. इस पर हैकाथन का आयोजन किया गया था. इसमें लखनऊ समेत प्रदेश के अन्‍य जिलों के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 70 से अधिक छात्रों ने अपने आइडियाज एकेटीयू को भेजे थे. इसमें 5 छात्रों के आइडियाज को फाइनल राउंड में चुना गया था. छात्रों के बेहतर रूझान को देखते हुए अब ओडीओपी प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को लेकर मेगा हैकाथन का आयोजित करने की तैयारी कर रहा है. उत्‍तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्‍म मध्‍यम एवं लघु उद्योग विभाग व एकेटीयू के बीच ओडीओपी उत्‍पादों को बढ़ावा देने के लिए एक एमओयू हुआ है. जिसके तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

एक जनपद – एक उत्पाद उत्‍तर प्रदेश सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य प्रदेश के अलग अलग जनपदों में बनने वाले उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलवाना और कामगारों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करा कर उन्‍हें आत्‍मनिर्भर बनाना है. उत्‍तर प्रदेश में ऐसे उत्‍पाद बनते हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं बनते हैं. इसमें प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, फिरोजाबाद का कांच उत्‍पाद, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य आदि है. इन कलाओं से ही उन जनपदों की पहचान होती है. इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे. सरकार उनको ओडीओपी के तहत फिर से पहचान दिला रही है.

एमएसएमई से समझौते के बाद एकेटीयू पूरे प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को नई पहचान देने के लिए मेगा हैकाथन का आयोजन करेगा. इसमें बीटेक व एमबीए के छात्र-छात्राएं एक जनपद, एक उत्‍पाद योजना से जुड़े उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़कर बेहतर बनाया जाए, जिससे वह उत्‍पाद अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नई पहचान बना सके. इस पर अपने आइडियाज देंगे.

प्रो-एक्टिव नीति से कोरोना की तीसरी लहर का होगा मुकाबला

लखनऊ . कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों व किशारों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है. उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की स्वास्थ्य, सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घर-घर मेडिकल किट वितरण का विशेष अभियान शुरू किया है. प्रदेश में रविवार से 75 जनपदों में 50 लाख के करीब मेडिकल किटों का वितरण के कार्य को शुरू किया गया है. करीब 75 हजार निगरानी समितियों की मदद से लक्षण युक्त बच्चों की पहचान का काम भी शुरू कर दिया गया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समितियों ने अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में एक बार फिर से सरकार ने इन निगरानी समितियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें कि तीसरी लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए प्रदेश की 3011 पीएचसी और 855 सीएचसी को सभी अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया गया है.

महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ डीएस नेगी ने बताया कि मेडिकल किट के वितरण के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेडिकल किट को बच्चों व किशोरों को उनकी उम्र के अनुसार अलग-अलग चार वर्गों में विभाजित किया गया है. नवजात शिशु से लेकर एक साल तक और एक से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल सीरप की दो शीशी, मल्टी विटामिन सीरप की एक शीशी और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. छह से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों और 13 से 17 वर्ष की उम्र के किशोरों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल की आठ टैबलेट, मल्टी विटामिन की सात टैबलेट, आइवरमेक्टिन छह मिली ग्राम की तीन गोली और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. अस्पतालों कोई कमी न हो इस बात भी ध्यान रखा जा रहा है.

कोरोना के लक्षणों समेत मौसमी बीमारी से बचाएगी दवाएं

मेडिकल-किट में उपलब्ध दवाईयां कोविड-19 के लक्षणों से बचाव के साथ 18 साल से कम उम्र के बच्चों का मौसमी बीमारियों से भी बचाएंगी. तीसरी लहर से बचाव के लिए सरकार ने प्रदेश में 75000 निगरानी समितियों को जिम्मेदारी सौंपी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल मेडिसिन किट के वितरण को गति देने के लिए 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख से अधिक सदस्यों को लगाया गया है.

 प्रो-एक्टिव नीति के तहत प्रदेश में किया जा रहा काम

प्रदेश में विशेषज्ञों के आंकलन के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में योगी सरकार प्रो-एक्टिव नीति अपना रही है. सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जा रहा है. पीडियाट्रिक विशेषज्ञ, नर्सिंग स्टाफ अथवा टेक्निशियन की जरूरत के अनुसार जिलावार स्थिति का आकलन करते हुए पर्याप्त मानव संसाधन की व्यवस्था युद्धस्तर पर कराई जा रही है. अस्पतालों में बाइपैप मशीन, मोबाइल एक्स-रे मशीन समेत जरूरी उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है. बता दें कि प्रदेश में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के पहले चरण का प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो गया है. इनके जरिए अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

प्रदेश में महज 3165 एक्टिव केस

कोरोना संक्रमण के मामलों में उत्तर प्रदेश की स्थिति लगातार बेहतर हो रही है. पिछले 24 घंटों में प्रदेश में संक्रमण के महज 222 नए मामले दर्ज किए गए हैं. प्रदेश में कोविड रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. प्रदेश में अब तक पांच करोड़  70 लाख 85 हजार 424 कोरोना की जांचें की जा चुकी हैं. मिशन जून के तहत निराधृत लक्ष्य को तय समय सीमा से पहले हासिल करने वाले यूपी में अब तक तीन करोड़ चार लाख 51 हजार 330 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं.

21 जून को होगी डिजिटल प्रतियोगिताएं

लखनऊ. कोरोना के कारण इस बार सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस  पर डिजिटल माध्यम से कार्यक्रम किए जाएंगे. उत्तर प्रदेश में  इस बार योग दिवस को लेकर जोर-शोर से तैयारी अपने अंतिम चरणों में हैं. ‘योग के साथ रहें, घर पर रहें’ ये योग दिवस की थीम घर पर रहने का संदेश देती नजर आ रही है. इस बार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर मनाए जाने वाले दिवस में ‘योगी संग योगा’ को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. सभी दफ्तर, संस्थान और आमजन ‘आयुष कवच एप’ से जुड़कर योग करेंगे. इस दौरान विभिन्न माध्यमों से प्रसारण भी किया जाएगा, जिसे देखकर लोग घर से भी योग कर सकेंगे. इसके साथ प्रतियोगिताओं के जरिए चयनित प्रतिभागी को पुरस्कृत भी किया जाएगा.

यूपी में हर उम्र के लोगों को योग से जोड़ने की पहल

योगी सरकार ने डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को योग से जोड़ने की पूरी तैयारी की है. जिसमें हर आयु वर्ग को जोड़ने की नायाब पहल की है. इसके लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा. आयुष कवच एप से 20 लाख से अधिक लोगों को जोड़ा गया है. इसके अलावा 185 योग वेलनेस सेंटर पर 11 मई से ऑनलाइन ट्रेनिंग भी शुरू कर दी गई थी.

विभिन्न प्रतियोगिताओं का होगा आयोजन

सातवें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग दिवस चैलेंज के तहत ‘योग वीडियो प्रतियोगिता’, ‘योग कला प्रतियोगिता’ तथा ‘योग क्विज प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जाएगा. ‘योग वीडियो प्रतियोगिता’ के तहत राज्य व जिला स्तर पर प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे. प्रतियोगिता के तहत महिला, पुरुष और योग पेशेवर की तीन पुरस्कार श्रेणियां होंगी. प्रत्येक श्रेणी में पांच वर्ष से 18 वर्ष के बच्चे, 18 वर्ष से 40 वर्ष के युवा, 40 वर्ष से 60 वर्ष के वयस्क और 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक सम्मिलित हो सकेंगे. प्रतियोगिता के तहत राज्य स्तर पर हर श्रेणी के प्रत्येक वर्ग में कम से कम 500 तथा जिला स्तर पर 50 प्रतिभागियों का पंजीकरण कराया जाना आवश्यक है.

भारतीय संस्कृति, विरासत पर आधारित होगी प्रतियोगिता

‘योग कला प्रतियोगिता’ के तहत योग तथा भारतीय सांस्कृतिक विरासत पर एक पेंटिंग, पोस्टर या स्केच बनाकर ऑनलाइन जमा करना होगा. सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक कला को नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.  चयनित कला कृति को सार्वजनिक पोर्टल पर प्रकाशित किया जाएगा. ‘योग क्विज प्रतियोगिता’ 21 जून को ऑनलाइन आयोजित की जाएगी. प्रतिभागियों को 50 वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर देने के लिए 30 मिनट का समय दिया जाएगा. सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को प्रशस्ति-पत्र एवं नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. प्रतियोगिता योग, पर्यावरण एवं वर्तमान परिवेश में रोगों के उपचार में घरेलू औषधियों के उपयोग पर आधारित होगी.

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