निर्माता, निर्देशक और एक्टर प्रकाश झा से जाने उनके जीवन की कहानी, पढ़े इंटरव्यू

हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाने वाले निर्माता, निर्देशक, पटकथा लेखक और एक्टर प्रकाश झा किसी परिचय के मोहताज नहीं. फिल्म ‘अपहरण’, ‘आरक्षण’, ‘सत्याग्रह’, ‘गंगाजल’ और ‘परीक्षाआदि फिल्मों को बनाने वाले प्रकाश झा को हमेशा कुछ अलग काम करना चाहते थे. उनका विवाह अभिनेत्री दीप्ती नवल के साथ हुई थी. शादी के बाद उन दोनों ने एक बेटी को गोद लिया, जिनका नाम दिशा शाह है. शादी के कुछ सालों बाद उन दोनों में अनबन होने की वजह से साल 2005 में उन्होंने तलाक ले लिया.

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प्रकाश झा ने अपने करियर की शुरुआत डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘अंडर द ब्लू’ से की थी, लेकिन उनके काम को सराहना तब मिली, जब उन्होंने बिहार के दंगों पर एक शोर्ट फिल्म बनाई.हालाँकि रिलीज होने के कुछ दिन बाद ही फिल्म बैन हो गई, पर प्रकाश झा को इस शोर्ट फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड मिला, लेकिन इस दौरान एक दौर ऐसा भी आया था, जब उन्हें अपनी जिंदगी में परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनके स्ट्रगल भरे दिनों में उसके पास रूम रेंट और खाने तक के पैसे नहीं थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जब प्रकाश झा मुंबई आये, तो उनके पास रहने और खाने के लिए पैसे नहीं थे, ऐसे में उन्होंने कई रातें जुहू बीच के फुटपाथ पर गुजारी थी.

फिल्म निर्देशक बनना उनके लिए एक इत्तफाक था, क्योंकि कुछ फिल्म वालों से मुलाकात हो जाने पर उन्हें कुछ अलग करने की इच्छा हुई और पुणे इंस्टिट्यूट से डायरेक्शन सीखकर इस क्षेत्र में आ गए.

प्रकाश झा ने आसपास के सामाजिक मुद्दों को फिल्मों में उतारा, जिसके लिए उन्हें कई बार आरोपों के दौर से गुजरना पड़ा, लेकिन इसे वे अपनी उपलब्धि मानते है, क्योंकि उनका मकसद दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ कुछ सन्देश भी देना है. अभी उनकी क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज आश्रम 3 रिलीज हो चुकी है, जिसे उन्होंनेनकली और धार्मिक गुरुओं पर आधारित ड्रामा सीरीजहै. इसे एमएक्स प्लेयर पर स्ट्रीम किया गया है. इस वेब सीरीज में बॉबी देओल मुख्य भूमिका निभा रहे है.

सच्चाई को करीब से देखने की इच्छा

निर्देशक प्रकाश झा कहते है कि आश्रम की कहानी के बारें में कहते है कि पहले डेवलप कर मुझे दी गयी और पूछा गया कि क्या मैं इस फिल्म को करना चाहता हूँ या नहीं. मैंने कहानी पढ़ी और पाया कि ये हमारे समाज की सच्चाई है, जो घट चुकी है, इसमें जो भी गलत या सही बातें बतायी गयी है, उसमे कुछ जोड़ने पर कहानी अच्छी बनेगी, इसलिए मैंने इसे करना चाहा.

अभिनय की बारीकियों को समझाना

प्रकाश झा आगे कहते है कि अभिनेता बॉबी देओल में अभिनय की प्रतिभा बहुत है, जिसे उन्होंने इस फिल्म में बखूबी निभाई है, मुझे बहुत दिनों से उनके साथ काम करने की इच्छा थी, जो मुझे मिला और निर्देशक के रूप में मेरा काम उस चरित्र को करने में पूरी तथ्य को इकट्ठा कर उन्हें दे दूँ, ताकि उन्हें अभिनय की बारीकियों कोसमझने में कोई समस्या न हो. मेरी कोशिश हमेशा किसी भी कलाकार के साथ ऐसा ही होता है.

अपडेट करना है जरुरी

फिल्मों से ओटीटी तक के सफर पर बात करते हुए प्रकाश झा कहते है कि मैं अपने क्राफ्ट को बेहतर बनाने के लिए लंदन, पेरिस और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में आयोजित होने वाली अभिनय कार्यशालाओं में भाग लेता था. मैं चुपचाप तरीके से जाकर अपना नामांकन कराता था और अभिनेता की भाषा को समझता था. मैंने कक्षाओं में शेक्सपियर और अन्य नाटकों का प्रदर्शन किया है, जिससे मुझे बहुत आत्मविश्वास मिला है.

मिला बढ़ावा नामचीन कलाकारों को

निर्देशक प्रकाश झा के साथ कई बड़े नामचीन कलाकारों ने काम किया है, जिसमें अमिताभ बच्चन, अजय देवगन, मनोज बाजपेयी, कैटरिना कैफ आदि है. इनके द्वारा किये गए काम को दर्शको ने पसंद किया और उन्हें आगे बढ़ने में सहयता मिली. उनके साथ काम करने वाले कलाकारों का लाइम लाइट में आने की वजह क्या समझते है, पूछने पर उनका कहना है कि रियल में ये सभी अच्छे कलाकार है, जिससे इन सभी के काम को दर्शकों ने पसंद किया.

जान होती है कहानी

फिल्म सफल होने पर प्रसंशा कलाकारों को मिलती है, जबकि फ्लॉप होने पर उसका ठीकरा डायरेक्टर पर मढ़ दिया जाता है, इस बारें में प्रकाश झा का कहनाहै कि फिल्म की जान कहानी होती है और कलाकार उसे पर्दे पर लाता है. कलाकार मेहनत करते है, उन्हें तारीफे भी मिलनी चाहिए, लेकिन निर्देशक को कमोवेश तारीफ मिलती ही है. फिल्म असफल होने पर उसकी जिम्मेदारी निर्देशक को लेना पड़ेगा, क्योंकि कहानी कैसे कही है और कैसे कलाकारों का चयन किया है, कैसे उन्होंने कलाकारों से काम करवाया है आदि कई चीजे होती है. मेरे साथ चाहे अभिनेता अजयदेवगन हो या मनोज बाजपेयी ये सभी प्रतिभावान कलाकार है और सभी के साथ मुझे काम करने का मौका मिला, इससे मैं खुद को भाग्यवान समझता हूँ. नए कलाकारों में सभी बहुत अच्छे आर्टिस्ट है और मैंने जिनके साथ भी काम किया है, सभी ने अच्छा प्रदर्शन किया है.

कुछ अलग करने की चाहत

प्रकाश झा फिल्म गंगाजलमें पहली बार एक डीसीपी बीएन सिंह की भूमिका में आये और उनके इस भूमिका को सभी ने सराहा, क्योंकि उन्होंने इसमें संवाद कम रखे और अपनी आँखों और चेहरे के भाव से अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी. आगे भी प्रकाश झा एक बार फिर हीरों की भूमिका में आ रहे है.

विकास है जरुरी

ओटीटी के इस दौर को प्रकाश झा एक अच्छा समय मानते है, लेकिन उन्हें पहले की फिल्में और कहानियां कहने का ढंग बहुत पसंद है. उनका कहना है कि हर दौर में कुछ न कुछ विकास अवश्य होता है, जिसमे समय,तकनीक, सोच, परंपरा, शिक्षा, पद्यतियों आदि सभी की ग्रोथ होती है, वैसे ही फिल्मों की कहानियों में भी ग्रोथ होता है. हर वक्त में किसी भी चीज का महत्व होता है. फिल्मे पहले भी बनती थी, आज भी बनती है और कल भी वैसी ही बनती रहेगी.

सन्देश नए कलाकारों को

नए कलाकार जो एक्टिंग के लिए दूसरे शहरों से आते है, उन्हें लगन और खुद पर विश्वास रखकर काम करते रहे. काम करने की चाहत को पूरा करें, सफलता आती-जाती है, इसलिए उसके बारें में न सोचे और अच्छा काम करें.

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