‘गुमनाम हो जाते हैं लेटलतीफ’ – कनक यादव

भोजपुरी सिनेमा के बढ़ते दर्शकों के पीछे की एक बड़ी वजह अच्छी कहानी और नई तकनीकी पक्ष में बदलाव आने के साथ ही मंजे कलाकारों का इन फिल्मों की तरफ रु झान भी रहा है. अब भोजपुरी सिनेमा 2,000 करोड़ रुपए हो गया है. अब एक फिल्म का बजट 75 लाख रुपए से एक करोड़ के बजाय 2 करोड़ रुपए होने लगा है. कुछ सितारों को 50 लाख रुपए मिलने लगे हैं. भोजपुरी हीरोइनों को भी अब अच्छा पैसा मिल रहा है. इन में कुछ तो अपनी और खूबसूरती की बदौलत भोजपुरी बैल्ट के दर्शकों में काफी चर्चित हैं. ऐसा ही एक नाम है कनक यादव का.

उत्तर प्रदेश के कानुपर की रहने वाली कनक यादव इन दिनों कई भोजपुरी फिल्मों में अपनी ऐक्टिंग का जलवा बिखेरती नजर आ रही हैं.

उन के पास बतौर लीड हीरोइन कई फिल्में भी हैं. कुछ फिल्मों की शूटिंग उन्होंने हाल ही में पूरी की है.

एक मुलाकात में कनक यादव से उन के फिल्मी सफर को ले कर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उस के खास अंश :

सुना है कि आप फिल्मों में आना नहीं चाहती थीं, फिर भोजपुरी फिल्मों की तरफ रु झान कैसे हो गया?

वाकई, मैं हीरोइन नहीं बनना चाहती थी. फिल्मों में तमाम कामयाब हीरोइनों का कहना है कि उन का बचपन से सपना था डांस करना और फिल्मों में काम करना. लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं था, क्योंकि मेरा फैमिली बैकग्राउंड ऐसा नहीं था कि मैं डांस करूं.

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मेरे परिवार में ज्यादातर सभी लोग सरकारी नौकरी में थे, इसलिए मेरे पापा भी चाहते थे कि मैं भी सरकारी नौकरी करूं. लेकिन पढ़ाई के दौरान एकाएक साल 2008 में मेरे सामने नोएडा में रहते हुए ‘मिस नोएडा कौंटैस्ट’ में हिस्सा लेने का औफर आया, जिस में पापा की रजामंदी मिलने के बाद मैं ने हिस्सा लिया और मैं रनरअप रही.

इस के बाद मैं ने कई रैंप शो, आटो ऐक्सपो में शिरकत की. उन दिनों मैं मौडलिंग में फेमस हो गई थी. इसी बीच मेरे सामने दूरदर्शन से एक धारावाहिक में काम करने का औफर आया, जिसे मैं मना नहीं कर सकी. दूरदर्शन पर ‘नैंसी’ नाम से आए इस धारावाहिक में मैं ने बहुत ही अहम रोल किया था.

इस के बाद मु झे कई सीरियल मिले. मु झे  ‘जयजय बजरंग बली’, ‘महिमा शनिदेव की’, ‘गौतम बुद्ध’, ‘पुनर्विवाह’, ‘बालिका वधू’, ‘क्राइम पैट्रोल’ व ‘सावधान इंडिया’ में काम करने का मौका मिला. यहीं से मेरे ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत हो गई थी.

भोजपुरी में बतौर लीड पहली फिल्म कौन सी रही?

भोजपुरी में लीड रोल में मेरी पहली फिल्म ‘रब्बा इश्क न होवे’ थी. इस फिल्म में मुझे भोजपुरी के जानेमाने हीरो अरविंद अकेला ‘कल्लू’, अवधेश मिश्रा, मनोज सिंह ‘टाइगर’, देव सिंह सरीखे कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला.

क्या आप ने फिल्में भी प्रोड्यूस की हैं?

जी बिलकुल. मैं एक हीरोइन होने के साथसाथ फिल्म प्रोड्यूसर भी हूं और मैं ने खुद की पहली फिल्म, जिसे दर्शकों का ढेर सारा प्यार मिला था, को प्रोड्यूस किया था.

फिल्म इंडस्ट्री से सीखी गई वह बात, जो आप के लिए सब से ज्यादा माने रखती है?

मैं ने ऐक्टिंग के क्षेत्र में आने के बाद जो सब से अहम बात सीखी, वह है टाइम मैनेजमैंट. इस के बिना आप जिंदगी में कभी भी कामयाब नहीं हो सकते हैं चाहे वह फिल्म इंडस्ट्री हो या कोई दूसरा क्षेत्र. यहां आने के बाद मैं ने सीखा कि कैसे समय से सैट पर आना है और अपने काम को समय पर पूरा करना है. फिल्म इंडस्ट्री में समय का खयाल रखने वाले काफी ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं और जो लोग लेटलतीफी के शिकार हुए, वे गुमनामी की गलियों में कहीं खो गए.

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क्या आप ने हिंदी फिल्मों में भी काम किया है?

जी, मेरे कैरियर की शुरुआत हिंदी फिल्म ‘द लास्ट टारगेट’ से हुई थी. इस में मैं ने लीड रोल में एक ईसाई लड़की का किरदार निभाया था, जो किसी वजह से रिलीज नहीं हो पाई. फिल्म ‘क्या सुपर कूल हैं हम’ में मैं ने तुषार कपूर के साथ एक अहम रोल निभाया था. जो पहला सीन था, उस में मैं पारो के रोल में थी.

क्या वजह है कि भोजपुरी सिनेमा जगत में आप के चाहने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है?

यह तो दर्शक ही बता पाएंगे. जहां तक भोजपुरी मे मेरे चाहने वालों की तादाद का सवाल है, तो मु झे लगता है कि उन्हें मेरी ऐक्टिंग पसंद आती है.

लोग कहते हैं कि आप बहुतकुछ नया करती रहती हैं. इस की क्या वजह है?

यह सच है कि मु झे अपनी जिंदगी में नया करना बहुत पसंद है. मैं कभी अपनेआप को खाली नहीं देख सकती. मु झे कुछ नया काम करते रहना है. अगर मैं खाली बैठी रहती हूं तो कविता ही लिखने लग जाती हूं. मैं हर समय कुछ नया करने की जुगत में लगी रहती हूं.

एक फिल्म प्रोड्यूसर के तौर पर आपकी नजर में भोजपुरी सिनेमा में जो क्रिएटिविटी होनी चाहिए, वह पूरी तरह से है या इस पर अभी और काम करने की जरूरत है?

अभी भोजपुरी सिनेमा में कंटैंट से ले कर ऐक्टिंग, तकनीक, लोकेशन हर क्षेत्र में और क्रिएटिविटी लाने की जरूरत है. अभी भोजपुरी फिल्में उस मुकाम पर नहीं पहुंच पाई हैं कि वे हिंदी फिल्मों को मात दे सकें. अगर भोजपुरी फिल्मों को हिंदी फिल्मों की श्रेणी में लाना है, तो फिल्म बनाने में क्रिएटिविटी पर खास ध्यान देना होगा.

निजी जिंदगी में आप का सब से अच्छा दौस्त कौन है?

मेरे पापा मेरे सब से अच्छे दोस्त हैं. मैं उन से कोईर् भी बात नहीं छुपाती हूं. मु झे जो भी कहना होता है, खुल कर कह देती हूं. उन्हें मु झ पर पूरा भरोसा है. एक दोस्त की तरह उन्हें यह भी पता है कि मु झे कुछ भी होगा तो मैं उन्हें बता दूंगी. मैं किसी से भी मिलती हूं तो मेरे पापा को पता होता है कि मैं उसे कब मिली थी, कैसे मिली थी.

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सपनों के राजकुमार के बारे में आप ने क्या सोचा है?

देखिए, अभी तो मैं ने इस इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई है. अभी तो मु झे बहुतकुछ करना है. मुकाम पर पहुंचने के बाद ही सपनों के राजकुमार के बारे में सोचूंगी.

साफ शब्दों में कहूं तो अभी शादी करने का मेरा कोई इरादा नहीं है. और अभी ऐसा मेरी जिंदगी में कोई नहीं है.

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