‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के 9वें दिन राहुल गांधी असम के बरगांव पहुंचे. यहां वे बोर्दोवा में संत शंकरदेव के जन्मस्थल पर दर्शन करने जाना चाहते थे. सुरक्षाबलों ने राहुल गांधी और दूसरे कांग्रेसी नेताओं को बरगांव में रोक दिया.
सुरक्षाबलों से बहस के बाद राहुल गांधी और बाकी कांग्रेसी नेता धरने पर बैठ गए. सभी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद 3 बजे मंदिर आने के लिए कहा गया.
कांग्रेस के कुछ नेताओं ने राहुल गांधी के मंदिर दर्शन को मुद्दा बना दिया. पुलिस ने गुवाहाटी सिटी जाने वाली सड़क पर बैरिकेडिंग कर दी. इस के बाद कांग्रेस समर्थक पुलिस से भिड़ गए. उन्होंने बैरिकेडिंग तोड़ दी. इस धक्कामुक्की में कइयों को चोटें भी आईं.
राहुल गांधी की ‘न्याय यात्रा’
18 जनवरी, 2024 को नागालैंड से असम पहुंची थी. 20 जनवरी, 2024 को यात्रा अरुणाचल प्रदेश गई, फिर 21 जनवरी, 2024 को फिर असम लौट आई.
इस के बाद यात्रा 22 जनवरी, 2024 को मेघालय निकली और अगले दिन यानी 23 जनवरी को एक बार फिर असम पहुंची.
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के बारे में राहुल गांधी ने कहा, ‘‘भाजपा देश में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक अन्याय कर रही है. ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ का लक्ष्य हर धर्म, हर जाति के लोगों को एकजुट करने के साथ इस अन्याय के खिलाफ लड़ना भी है.’’
राहुल गांधी मैतेई और कुकी दोनों समुदायों के इलाकों से गुजरे. उन्होंने कांगपोकपी जिले की भी यात्रा की, जहां पिछले साल मई में 2 औरतों को बिना कपड़ों के घुमाया गया था.
अपनी इस यात्रा के बारे में राहुल गांधी ने कहा था, ‘‘इस यात्रा को मणिपुर से शुरू करने की वजह यह है कि मणिपुर में भाजपा ने नफरत की राजनीति को बढ़ावा दिया है. मणिपुर में भाईबहन, मातापिता की आंखों के सामने उन के अपने मरे और आज तक हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री मणिपुर में आप के आंसू पोंछने, गले मिलने नहीं आए. यह शर्म की बात है.’’
मंदिर दर्शन विवाद में फंसे
66 दिनों तक चलने वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ देश के 15 राज्यों और 110 जिलों में 337 विधानसभा और 100 लोकसभा सीटों से हो कर गुजरेगी. इन राज्यों में मणिपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, ?ारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं. राहुल गांधी जगहजगह रुक कर स्थानीय लोगों से संवाद करेंगे. इस दौरान राहुल 6,700 किलोमीटर का सफर तय करेंगे.
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ 20 मार्च, 2024 को मुंबई में खत्म होगी. मगर इस यात्रा के बीच ही 22 जनवरी, 2024 को मोदी और योगी सरकार द्वारा आयोजित अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आ गया, जिस में कांग्रेस के नेताओं को भी बुलाया गया था.
कांग्रेस ने अपनी धर्मनिरपेक्ष नीति के उलट राम मंदिर न जाने के पीछे की वजह मंदिर का पूरा न बनना और राजनीति में धर्म का प्रयोग बताया. लेकिन इस को ले कर पूरी पार्टी 2 भागों में बंटी दिखी. एक तरफ केंद्रीय नेताओं ने राम मंदिर समारोह में हिस्सा लेने से मना किया, तो दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश कांग्रेस की पूरी टीम प्रचारप्रसार के साथ अयोध्या गई, मंदिर दर्शन किया और सरयू में स्नान भी किया.
यही ऊहापोह राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में भी दिखी. राहुल गांधी की यह मुहिम भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नीतियों के खिलाफ है. भाजपा और संघ देश को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं. कांग्रेस इस का विरोध करती आ रही थी.
ऐसे में मंदिर दर्शन और धार्मिक आस्था की बातों को इस यात्रा से अलग रखना चाहिए था, मगर राहुल खुद मंदिर जाने की जिद में धरने पर बैठ गए. उन्हें धर्मनिरपेक्ष नीतियों पर चल कर अपनी यात्रा जारी रखनी चाहिए थी, तो वे इस जिद पर अड़ गए कि उन्हें मंदिर जाना है. इस ने यात्रा में खलल डाल दिया.
धर्म से कैसे मिलेगा न्याय
कांग्रेस सौफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल रही है. इस से उस की धर्मनिरपेक्ष छवि प्रभावित होगी और वह धर्म की राजनीति का विरोध पुरजोर तरीके से नहीं कर पाएगी. इस समय बहुत जरूरी है कि कांग्रेस भाजपा और संघ के हिंदू राष्ट्र के खिलाफ लोगों का आह्वान करे.
आज भी तमाम मिले वोटों के मुकाबले आधे से कम वोट ही भाजपा को मिलते हैं. ऐसे में यह साफ है कि देश के आधे से ज्यादा लोग भाजपा की धर्म वाली नीतियों से खुश नहीं हैं.
दुनिया में जितने लोग या देश धार्मिक कट्टरता की राह पर चल रहे हैं, वे विकास की राह पर बहुत पीछे हैं और आतंकी गतिविधियों के शिकार हैं. पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस का मुख्य उदाहरण हैं.
पाकिस्तान और बंगलादेश की तुलना करें, तो पाकिस्तान के मुकाबले कम कट्टरता वाला बंगलादेश ज्यादा तरक्की कर गया है. बंगलादेश की प्रति व्यक्ति आय 2,688 डौलर भारत की 2,085 डौलर से (साल 2022 के आंकड़े) कहीं ज्यादा है. भाजपा और संघ ने जब से देश को मंदिर आंदोलन में धकेला है, उस के बाद से देश का धार्मिक ढांचा ही प्रभावित नहीं हुआ है, बल्कि यहां की माली हालत भी प्रभावित हुई है.
साल 2007 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 1,070 डौलर थी. उस समय भारत की प्रति व्यक्ति आय बंगलादेश की 550 डौलर से दोगुनी थी. मतलब, धर्म से न तो माली तौर पर प्रगति हो सकती है और न ही न्याय मिल सकता है. अगर धर्म से ही लोगों को न्याय मिल जाता, तो आईपीसी बनाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.
धर्म औरतों की आजादी की बात नहीं करता है. औरतों की सारी परेशानियां धर्म के ही कारण चलती हैं. धार्मिक कुप्रथाएं और रूढि़यां औरतों के पैरों में बेडि़यों की तरह जकड़ी हैं. दहेज प्रथा, सती प्रथा, पेट में लड़की की हत्या, विधवाओं की बढ़ती संख्या इस के सुबूत हैं. धर्म ने औरतों को पढ़नेलिखने और नौकरी करने के हक से दूर कर उन्हें कम उम्र में पत्नी के रूप में मर्द की गुलाम और बच्चा पैदा करने वाली मशीन बना दिया है.
धार्मिक सत्ता से देश को आजादी दिलाने का काम कांग्रेस की जिम्मेदारी है. अब अगर कांग्रेस ही मंदिरमंदिर घूमेगी तो वह भाजपा और संघ की राह पर चल कर धर्म की सत्ता को मजबूत करने का ही काम करेगी. राहुल गांधी
11 दिन की तपस्या करने में होड़ न करें. वे धर्म के शिकंजे में बारबार फंसने से खुद को बचाएं.
राहुल गांधी को चाहिए कि वे अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ को मजबूत कर देश को धार्मिक सत्ता से बाहर निकालने का काम करें, ताकि देश की गरीब जनता को रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार मिल सके.