बौलीवुड में हुई ‘‘मैंने प्यार किया’’ फेम भाग्यश्री की बेटी की एंट्री, खूबसूरती में मां मात को देती हैं अवंतिका दसानी

शांतिस्वरूप त्रिपाठी  

वक्त वक्त की बात है.एक वक्त वह था,जब अपने कैरियर की पहली और सफलतम फिल्म ‘मैंने प्यार किया‘ के बाद भाग्यश्री को हिमालय दसानी से अभिनय को अलविदा कहना पड़ा था.यह एक अलग बात है कि कुछ वर्ष पहले भाग्यश्री ने अभिनय में वापसी की.बहरहाल,पिछले चार वर्ष से उनका बेटा अभिमन्यू दसानी अभिनय जगत में अपने पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहा है। और अब भाग्यश्री अपनी बेटी को भी फिल्म उद्योग से जुड़ने से नहीं रोक पायीं.

भाग्यश्री की बेटी अवंतिका दसानी इन दिनों रोहण सिप्पी निर्देषित साइकोलॉजिकल थ्रिलर-ड्रामा वेब सीरीज ‘मिथ्या‘ के साथ बौलीवुड में कदम रखने जा रही हैं.इसका पोस्टर बाजार में आ चुका है,जिसमें अवंतिका दसानी बौलीवुड अदाकारा हुमा कुरैशी के साथ नजर आ रही हैं.देखना है कि क्या भाग्यश्री की बेटी अवंतिका ग्लैमर की दुनिया में उन्ही की तरह पहली फिल्म से ही अपना परचम लहरा पाती हैं या नहीं…

‘‘मिथ्या’’ के जारी हुए पोस्टर में अवंतिका दसानी संजीदा लुक में नजर आ रही है .जो एक तरह से इस मनोवैज्ञानिक थ्रिलर-ड्रामा के अंधेरे और पेचीदा पक्ष को दर्शकों के सामने रख रहा है.दो हीरोईनों के अभिनय से सजी ट्विस्टेड कहानी के साथ एक अनकन्वेंशनल और प्रयोगात्मक किरदार का चयन कर अवंतिका दसानी ने खुद को उत्कृष्ट अभिनेत्री होने का दावा करती हैं.

अभिनय कैरियर की शुरुआत से उत्साहित अवंतिका दसानी कहती हैं-‘‘कैरियर की शुरुआत में ही इस तरह के चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने और दिलचस्प कहानी का हिस्सा बनना मेरे लिए सबसे बड़ा रोमांच रहा.पहली वेब सीरीज में ही प्रतिभाषाली कलाकारों और तकनीषियन के साथ काम करने का अवसर मिलना मेरे लिए सौभाग्य की ही बात है.आज ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दर्शक अपने सबसे एक्ससिटिंग एक्सपीरियंस और अच्छी कहानियों की तलाश में आते हैं और मुझे अपनी यात्रा यहां से शुरू करने में और इस सफर का हिस्सा बनकर वाकई खुशी हो रही है! मुझे उम्मीद है कि दर्शकों को भी वेब सीरीज ‘मिथ्या’देखने में मजा आएगा.’’

फिल्म रिव्यू ‘‘मर्द को दर्द नही होता है”: हीरो पर भारी पड़ी हीरोइन

फिल्म- ‘‘मर्द को दर्द नही होता है”

रेटिंगः ढाई स्टार

डायरेक्टर: वासन बाला

एक्टर्स: अभिमन्यु दसानी, राधिका मदान, गुलशन देवैय्या और महेश मांजरेकर

‘‘पेडलर्स’’ जैसी फार्मूला फिल्म के बाद फिल्मकार वासन बाला एक बार फिर फार्मूला फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नहीं होता है’’ लेकर आए हैं. इस फिल्म में उन्होने कहानी का केंद्र एक ऐसे पुरूष को बनाया है,  जिसे ‘कांजिनेटियल इंनसेंसिटीविटी टू पेन’ नामक गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के कारण शरीर में दर्द का अहसास ही नहीं होता. इस फैंटसी कहानी में बुराई पर अच्छाई की जीत की कहानी भी है. मगर फिल्म में फिल्म के हीरो की बजाय हीरोइन ज्यादा खतरनाक एक्शन करते हुए नजर आती है. कई सीन्स में तो हीरो सूर्या डरपोक और हीरोइन सुप्रि बेखौफ नजर आती है. जबकि पूरी फिल्म में सूर्या का तकिया कलाम है- ‘‘दिमाग को सन्न कर देने वाली हर कहानी के पीछे बहुत बुरे फैसले होते हैं.’’

कहानी…

फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नही होता’’ की कहानी मुंबई के लड़के सूर्या (अभिमन्यु दसानी) की है. सूर्या को ‘कांजिनेटियल इंनसेंसिटीविटी टू पेन’ नामक गंभीर बीमारी है, जिसका डाक्टरों के पास कोई इलाज नही है. इस बीमारी के चलते उसे दर्द नहीं होता, फिर उसे चाहे जितनी चोट लगती रहे. सूर्या के नाना (महेश मांजरेकर) बार बार उसे एक्शन फिल्में दिखाकर दर्द का अहसास कराते रहते हैं. जिससे आम लोग उसे एक आम लड़के की तरह माने. मगर सूर्या के पिता जतिन (जिमित त्रिवेदी ) नहीं चाहते कि सूर्या घर से बाहर निकले. उधर सूर्या बचपन से ही सौ लोगों को हराने वाले दिव्यांग कराटे मैन मणि (गुलशन देवैय्या) का फैन है और उसकी तमन्ना इस कराटे मैन से मिलने की है. जिसके बाद वह भी उसी की तरह ताकतवर बनकर पाप को जलाकर राख कर सके. सूर्या की बचपन की दोस्त है सुप्रि (राधिका मदान) जो कि हर मुसीबत के समय सूर्या की मदद करती रहती है. लेकिन सूर्या की शरारतों के कारण सूर्या और सुप्रि अलग हो जाते हैं. कुछ सालों बाद सूर्या को कराटेमैन का पता मिलता है, जब वह वहां पहुंचता है, तो उसकी मुलाकात फिर से सुप्रि से होती है और यहीं पर वो पहली बार विलेन जिमी (गुलशन देवैय्या) से मिलता हैं. मणि और जिमी दोनो भाई हैं. लेकिन जिमी एक अपराधी है. इसके बाद एक्शन सीन्स के साथ कहानी तेजी से आगे बढ़ती है.

स्टोरी और डायरेक्शन…

पटकथा लेखक के तौर पर वासन बाला को थोड़ी और मेहनत करनी चाहिए थी. इंटरवल से पहले कहानी कंफ्यूज करने के साथ बहुत धीमी रफ्तार से आगे बढ़ती है, जबकि इंटरवल के बाद जैसे ही सूर्या, सुप्रि और मणि का जिमी के साथ टकराव शुरू होता है, वैसे ही एक्शन सीन्स के साथ कहानी तेज गति से आगे बढ़ती है. पटकथा लेखक के तौर पर वासन बाला ने एक्शन के बीच में भी कुछ अच्छे कॉमेडी सीन्स डाले हैं. लेखक और निर्देशक वासन बाला ने सुप्रि के प्रेमी अतुल के किरदार को जबरन जोड़ा है. अतुल के किरदार की वजह से कहानी भटकने के साथ ही फिल्म भी लंबी हो गयी है. एडीटिंग टेबल पर इसे कसने की जरुरत थी. तर्क की कसौटी पर कसेंगे,  तो फिल्म पसंद नहीं आएगी. हालांकि, फिल्म के कैमरामैन जय पटेल अपने बेहतरीन काम के लिए बधाई के पात्र हैं.

एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अभिमन्यु दसानी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं. उन्हे अभी मेहनत करने की जरुरत है. कई सीन्स में उनके चेहरे पर भाव ही नही आते. मगर राधिका मदान ने बेहतरीन एक्टिंग की है. दोहरी भूमिका में गुलशन देवैय्या ने कमाल का काम किया है. नाना की भूमिका में महेश मांजरेकर ठीक ठाक हैं.

दो घंटे 17 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘मर्द को दर्द नहीं होता है’’ का निर्माण रौनी स्क्रूवाला, लेखक व निर्देशक वासन बाला, संगीतकार करण कुलकर्णी व दीपांजना गुहा है.

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